Translations:Brothers and Sisters of the Golden Robe/6/hi: Difference between revisions

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आज्ञा चक्र को शुद्ध करने से दिव्य माँ (कुंडलिनी ) की ऊर्जा को मूलाधार चक्र (base of the spine) से उत्थान में मदद मिलती है। सातों चक्रों की अंतिम शुद्धि सहस्त्रार (crown chakra) चक्र में होती है। यदि [[Special:MyLanguage/crown chakra|सहस्त्रार चक्र]] से नीचे का कोई भी चक्र अपवित्र है और नकारात्मक ऊर्जा से भरे होने के कारण रुके हुए है। मूलाधार चक्र से ऊपर उठती हुई माँ की ऊर्जा या तो अवरुद्ध हो जाती हो या अयोग्य। तो, हमारा लक्ष्य सात चक्रों के माध्यम से अपनी ऊर्जा को चरण दर चरण बढ़ाना है, जिससे दिव्य माँ की ऊर्जा सहस्त्रार चक्र तक पहुँचने पर शुद्ध रहे।
आज्ञा चक्र को शुद्ध करने से दिव्य माँ (कुंडलिनी ) की ऊर्जा को मूलाधार चक्र (base of the spine) से उत्थान में मदद मिलती है। सातों चक्रों की अंतिम शुद्धि सहस्त्रार (crown chakra) चक्र में होती है। यदि [[Special:MyLanguage/crown chakra|सहस्त्रार चक्र]] से नीचे का कोई भी चक्र अपवित्र है और नकारात्मक ऊर्जा से भरे होने के कारण रुके हुए है जिसके कारण  मूलाधार चक्र से ऊपर उठती हुई माँ की ऊर्जा अवरुद्ध और अयोग्य हो जाती है, तब हमारा लक्ष्य सातों चक्रों के माध्यम से अपनी ऊर्जा को चरण दर चरण बढ़ाना है, जिससे कुंडलिनी की ऊर्जा सहस्त्रार चक्र तक पहुँचने पर शुद्ध रहे।

Latest revision as of 14:04, 21 December 2023

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Message definition (Brothers and Sisters of the Golden Robe)
Clearing the third eye clears another vessel for the energies of the Divine Mother to rise to from the base of the spine. The final clearance is of the [[crown chakra]]. If any of the chakras below the crown are dirty, are stopped up, are plugged with energy, when the Mother energy tries to rise, it will be blocked or it will be misqualified. So our goal is to raise our energy through the seven chakras step by step, keeping the pearl of the Divine Mother clear until it reaches the crown of illumination.

आज्ञा चक्र को शुद्ध करने से दिव्य माँ (कुंडलिनी ) की ऊर्जा को मूलाधार चक्र (base of the spine) से उत्थान में मदद मिलती है। सातों चक्रों की अंतिम शुद्धि सहस्त्रार (crown chakra) चक्र में होती है। यदि सहस्त्रार चक्र से नीचे का कोई भी चक्र अपवित्र है और नकारात्मक ऊर्जा से भरे होने के कारण रुके हुए है जिसके कारण मूलाधार चक्र से ऊपर उठती हुई माँ की ऊर्जा अवरुद्ध और अयोग्य हो जाती है, तब हमारा लक्ष्य सातों चक्रों के माध्यम से अपनी ऊर्जा को चरण दर चरण बढ़ाना है, जिससे कुंडलिनी की ऊर्जा सहस्त्रार चक्र तक पहुँचने पर शुद्ध रहे।