Cosmic clock/hi: Difference between revisions
JaspalSoni (talk | contribs) No edit summary |
JaspalSoni (talk | contribs) No edit summary |
||
(28 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 17: | Line 17: | ||
<span id="The_quadrants"></span> | <span id="The_quadrants"></span> | ||
== चतुर्थांश | == चतुर्थांश (The quadrants) == | ||
जब हम एक चक्र को चार बराबर भागों में विभाजित करते हैं तो चार चतुर्थांश बनते हैं। प्रत्येक चतुर्थांश एक तत्त्व (elements) के अनुरूप होता हैं - अग्नि, वायु, जल और पृथ्वी। हर चक्र ब्रह्मांडीय घड़ी की १२ बजे की रेखा से शुरू होता है - प्रथम चतुर्थांश आकाशीय चतुर्थांश (etheric quadrant) कहलाता है, द्वितीय मानसिक चतुर्थांश (mental quadrant), तृतीय भावनात्मक चतुर्थांश (emotional quadrants) और चतुर्थ भौतिक चतुर्थांश (physical quadrants) कहलाता है - इसी क्रम में हम आगे की ओर बढ़ते हैं। | जब हम एक चक्र को चार बराबर भागों में विभाजित करते हैं तो चार चतुर्थांश बनते हैं। प्रत्येक चतुर्थांश एक तत्त्व (elements) के अनुरूप होता हैं - अग्नि, वायु, जल और पृथ्वी। हर चक्र ब्रह्मांडीय घड़ी की १२ बजे की रेखा से शुरू होता है - प्रथम चतुर्थांश आकाशीय चतुर्थांश (etheric quadrant) कहलाता है, द्वितीय मानसिक चतुर्थांश (mental quadrant), तृतीय भावनात्मक चतुर्थांश (emotional quadrants) और चतुर्थ भौतिक चतुर्थांश (physical quadrants) कहलाता है - इसी क्रम में हम आगे की ओर बढ़ते हैं। | ||
Line 27: | Line 27: | ||
ये चार चतुर्थांश भौतिक ब्रह्मांड के चार स्तरों या आवृत्तियों | ये चार चतुर्थांश भौतिक ब्रह्मांड के चार स्तरों या आवृत्तियों को भी दर्शाते हैं। मनुष्य का अस्तित्व इन सभी स्तरों से होते हुए आत्मा के दायरे तक फैला हुआ है। हम भौतिक की तुलना में अपने आकाशीय, मानसिक और भावनात्मक शरीरों के बारे में कम जागरूक हैं, लेकिन इन तीनों का अस्तित्व में होना भी अटल सत्य हैं। ये चार निचले शरीर समय और स्थान में मनुष्य के उत्थान के साधन हैं। | ||
<span id="The_twelve_lines"></span> | <span id="The_twelve_lines"></span> | ||
== बारह रेखाएं == | == बारह रेखाएं (The twelve lines) == | ||
प्रत्येक चतुर्थांश को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है जिसके परिणामस्वरूप एक चक्र के बारह भाग हो जाते हैं - हर एक भाग एक राशि से संदर्भित किया जाता है। इस ब्रह्मांडीय घड़ी की प्रत्येक रेखा ईश्वर के प्रकाश/ऊर्जा/चेतना की एक विशिष्ट आवृत्ति का प्रतिनिधित्व करती है - 12 बजे की रेखा ईश्वर-शक्ति, 1 बजे की रेखा ईश्वर-प्रेम, इत्यादि के रूप में संदर्भित की जाती है। | प्रत्येक चतुर्थांश को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है जिसके परिणामस्वरूप एक चक्र के बारह भाग हो जाते हैं - हर एक भाग एक राशि से संदर्भित किया जाता है। इस ब्रह्मांडीय घड़ी की प्रत्येक रेखा ईश्वर के प्रकाश/ऊर्जा/चेतना की एक विशिष्ट आवृत्ति का प्रतिनिधित्व करती है - 12 बजे की रेखा ईश्वर-शक्ति, 1 बजे की रेखा ईश्वर-प्रेम, इत्यादि के रूप में संदर्भित की जाती है। | ||
Line 46: | Line 46: | ||
<div style='text-align: center;'>[[File:Hierarchys-on-12-lines.jpg]]</div> | <div style='text-align: center;'>[[File:Hierarchys-on-12-lines.jpg]]</div> | ||
<div style='text-align: center;'>'''ब्रह्मांडीय जीव जो सूर्य के बारह दिव्य गुणों की रोशनी को पृथ्वी और उसके विकास | <div style='text-align: center;'>'''ब्रह्मांडीय जीव जो सूर्य के बारह दिव्य गुणों की रोशनी को पृथ्वी और उसके विकास को प्रकाशमान करते हैं'''</div> | ||
<span id="Our_journey_through_the_cycles"></span> | <span id="Our_journey_through_the_cycles"></span> | ||
== चक्रों के माध्यम से हमारी यात्रा == | == चक्रों के माध्यम से हमारी यात्रा (Our journey through the cycles) == | ||
हम ब्रह्मांडीय घड़ी के चक्रों से गुजरना | हम पृथ्वी पर अपने जन्म के साथ ब्रह्मांडीय घड़ी के चक्रों से गुजरना शुरू करते हैं। यह सभी चक्रों की उत्पत्ति के बिंदु - बारह बजे की रेखा - से शुरू होते हैं। एक साल बाद, हमारे जन्मदिन पर हम एक बजे की रेखा में प्रवेश करते हैं और इसी तरह हमारे जीवन के हर बारहवें साल हम एक चक्र पूरा करते हैं। जैसे ही हम घड़ी की नई रेखा में प्रवेश करते हैं, हमें उस रेखा की गुणवत्ता के अनुरूप ऊर्जा में वृद्धि होती है और साथ ही हमारी ज़िन्दगी में कुछ परीक्षाएं भी आती हैं यह जानने के लिए की हम इस प्राप्त ऊर्जा का उपयोग या दुरुपयोग कैसे करते हैं। | ||
जन्म के समय से शुरू होने वाले हमारे व्यक्तिगत चक्रों के आधार पर घड़ी की प्रत्येक रेखा पर परीक्षाओं के साथ-साथ, हमें कुछ अन्य परीक्षाओं का भी सामना करना पड़ता है - यह अतिरिक्त परीक्षाएं तब आती हैं जब सूर्य और चंद्रमा रेखाओं के | जन्म के समय से शुरू होने वाले हमारे व्यक्तिगत चक्रों के आधार पर घड़ी की प्रत्येक रेखा पर परीक्षाओं के साथ-साथ, हमें कुछ अन्य परीक्षाओं का भी सामना करना पड़ता है - यह अतिरिक्त परीक्षाएं तब आती हैं जब सूर्य और चंद्रमा की रेखाओं के अनुकूल वे हमारे राशि चक्र में प्रवेश करते हैं। | ||
मनुष्य ईश्वर की ऊर्जा की इन बारह आवृत्तियों का दुरुपयोग कर सकता है, जिसके फलस्वरूप ब्रह्मांडीय घड़ी की प्रत्येक रेखा पर नकारात्मक कर्म | मनुष्य ईश्वर की ऊर्जा की इन बारह आवृत्तियों का दुरुपयोग कर सकता है, जिसके फलस्वरूप ब्रह्मांडीय घड़ी की प्रत्येक रेखा पर नकारात्मक कर्म बन सकते हैं। इन्हें आलोचना, निंदा, अहंकार और अन्य प्रकार की नकरात्मकता के रूप में संक्षेपित किया जा सकता है। | ||
Line 61: | Line 61: | ||
<div style='text-align: center;'>[[File:Perversions-of-God-Qualities.jpg]]</div> | <div style='text-align: center;'>[[File:Perversions-of-God-Qualities.jpg]]</div> | ||
<div style='text-align: center;'>'''घड़ी की बारह रेखाओं | <div style='text-align: center;'>'''घड़ी की बारह रेखाओं की प्रकाश का दुरुपयोग'''</div> | ||
हम सभी दीक्षा के मार्ग पर चल रहे हैं, और हम | हम सभी दीक्षा के मार्ग पर चल रहे हैं, और हम सबके पास विकल्प (choice) है कि या तो हम ब्रह्मांडीय घड़ी की रेखाओं से गुजरते हुए अपनी परीक्षाओं में अनुतीर्ण हो जाएँ या फिर परीक्षाओं को पास होने का निर्णय लें और अपने आध्यात्मिक विकास की ओर आगे बढ़ें। ये परीक्षाएं दैनिक जीवन में हर पल आती हैं। | ||
प्रत्येक | प्रत्येक पास की गई परीक्षा हमारे चक्रों में पवित्र अग्नि का संचार करती है। इसका अर्थ है कि दीक्षा योग संचयी (cumulative) है। हम एक रेखा के गुणों में सक्षम हो कर जो सीखते हैं उन गुणों को अगली रेखा में ले जाना होता है, और इस तरह हमें उस रेखा में कुशलतापूर्वक सक्षम होने का प्रयास करना चाहिए। इसी तरह, जिस पुण्य कर्म को हम एक रेखा में नहीं सीख पाते, उसे अगली रेखा में जाकर नहीं सीखा जा सकता। इसलिए हमें तैयारी करनी चाहिए। | ||
<span id="See_also"></span> | <span id="See_also"></span> | ||
== इसे भी देखिये == | == इसे भी देखिये == | ||
ब्रह्मांडीय घड़ी पर | ब्रह्मांडीय घड़ी पर ध्यान लगाने के लिए, [[Special:MyLanguage/Ritual of the Atom|अणु का अनुष्ठान]] (Ritual of the Atom) देखें | ||
<span id="For_more_information"></span> | <span id="For_more_information"></span> |
Latest revision as of 10:40, 15 March 2024
ब्रह्मांडीय घड़ी जीवात्मा के कर्म (karma) और दीक्षा (initiation) के चक्रों को महान केंद्रीय सूर्य (Great Central Sun) के सूर्य के बारह दिव्य गुणों (Twelve solar hierarchies) के अंतर्गत घड़ी की बारह रेखाओं पर रेखांकित करने का विज्ञान है। इसे मदर मैरी (Mother Mary) ने मार्क और एलिजाबेथ क्लेयर प्रोफेट (Mark and Elizabeth Prophet) को ईश्वर के पुत्र और पुत्रियों (sons and daughters of God) के लिए सिखाया था जो एकात्मता का नियम (Law of the One) के अनुसार भौतिक आयाम से परे अपने अस्तित्व की पहचान लौटने के लिए तैयार हैं।
घड़ी के चक्र
ब्रह्मांडीय घड़ी का विज्ञान हमारे जीवन के चक्रों का मानचित्र बनाने का एक साधन है। यह पारंपरिक ज्योतिष नहीं है। यह एक आंतरिक ज्योतिष है जिसके द्वारा हम अपने कर्म के चक्रों का विवरणपट बना सकते हैं और अपने भाग्य के स्वामी बन सकते हैं। यह हमें अपने धर्म के चक्रों का मानचित्र बनाने में भी मदद करता है जिससे हम पृथ्वी पर अपने जन्म को सार्थक बना सकते हैं। दिन-प्रतिदिन जैसे-जैसे ब्रह्मांडीय घड़ी का पहिया घूमता है हम जीवन में अपने परीक्षाओं और दीक्षाओं के चक्रों का अनुभव करते हैं। इस विज्ञान की जानकारी हमें इन परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने में मदद कर सकती है।
सभी चक्र एक ही आदर्श स्वरूप (archetypal pattern) का अनुसरण करते हैं। किसी भी चक्र का सबसे मौलिक विभाजन ताई ची (T’ai chi) द्वारा दर्शाया जाता है। प्रत्येक चक्र के दो हिस्से होते हैं - अल्फा (Alpha) / पुल्लिंग चक्र की दाँई ओर से शुरुआत को दर्शाता है और बाँई तरफ ओमेगा (Omega) / स्त्री चक्र के अंत का प्रतिनिधित्व करते हैं।
चतुर्थांश (The quadrants)
जब हम एक चक्र को चार बराबर भागों में विभाजित करते हैं तो चार चतुर्थांश बनते हैं। प्रत्येक चतुर्थांश एक तत्त्व (elements) के अनुरूप होता हैं - अग्नि, वायु, जल और पृथ्वी। हर चक्र ब्रह्मांडीय घड़ी की १२ बजे की रेखा से शुरू होता है - प्रथम चतुर्थांश आकाशीय चतुर्थांश (etheric quadrant) कहलाता है, द्वितीय मानसिक चतुर्थांश (mental quadrant), तृतीय भावनात्मक चतुर्थांश (emotional quadrants) और चतुर्थ भौतिक चतुर्थांश (physical quadrants) कहलाता है - इसी क्रम में हम आगे की ओर बढ़ते हैं।
ये चार चतुर्थांश भौतिक ब्रह्मांड के चार स्तरों या आवृत्तियों को भी दर्शाते हैं। मनुष्य का अस्तित्व इन सभी स्तरों से होते हुए आत्मा के दायरे तक फैला हुआ है। हम भौतिक की तुलना में अपने आकाशीय, मानसिक और भावनात्मक शरीरों के बारे में कम जागरूक हैं, लेकिन इन तीनों का अस्तित्व में होना भी अटल सत्य हैं। ये चार निचले शरीर समय और स्थान में मनुष्य के उत्थान के साधन हैं।
बारह रेखाएं (The twelve lines)
प्रत्येक चतुर्थांश को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है जिसके परिणामस्वरूप एक चक्र के बारह भाग हो जाते हैं - हर एक भाग एक राशि से संदर्भित किया जाता है। इस ब्रह्मांडीय घड़ी की प्रत्येक रेखा ईश्वर के प्रकाश/ऊर्जा/चेतना की एक विशिष्ट आवृत्ति का प्रतिनिधित्व करती है - 12 बजे की रेखा ईश्वर-शक्ति, 1 बजे की रेखा ईश्वर-प्रेम, इत्यादि के रूप में संदर्भित की जाती है।
चक्रों के माध्यम से हमारी यात्रा (Our journey through the cycles)
हम पृथ्वी पर अपने जन्म के साथ ब्रह्मांडीय घड़ी के चक्रों से गुजरना शुरू करते हैं। यह सभी चक्रों की उत्पत्ति के बिंदु - बारह बजे की रेखा - से शुरू होते हैं। एक साल बाद, हमारे जन्मदिन पर हम एक बजे की रेखा में प्रवेश करते हैं और इसी तरह हमारे जीवन के हर बारहवें साल हम एक चक्र पूरा करते हैं। जैसे ही हम घड़ी की नई रेखा में प्रवेश करते हैं, हमें उस रेखा की गुणवत्ता के अनुरूप ऊर्जा में वृद्धि होती है और साथ ही हमारी ज़िन्दगी में कुछ परीक्षाएं भी आती हैं यह जानने के लिए की हम इस प्राप्त ऊर्जा का उपयोग या दुरुपयोग कैसे करते हैं।
जन्म के समय से शुरू होने वाले हमारे व्यक्तिगत चक्रों के आधार पर घड़ी की प्रत्येक रेखा पर परीक्षाओं के साथ-साथ, हमें कुछ अन्य परीक्षाओं का भी सामना करना पड़ता है - यह अतिरिक्त परीक्षाएं तब आती हैं जब सूर्य और चंद्रमा की रेखाओं के अनुकूल वे हमारे राशि चक्र में प्रवेश करते हैं।
मनुष्य ईश्वर की ऊर्जा की इन बारह आवृत्तियों का दुरुपयोग कर सकता है, जिसके फलस्वरूप ब्रह्मांडीय घड़ी की प्रत्येक रेखा पर नकारात्मक कर्म बन सकते हैं। इन्हें आलोचना, निंदा, अहंकार और अन्य प्रकार की नकरात्मकता के रूप में संक्षेपित किया जा सकता है।
हम सभी दीक्षा के मार्ग पर चल रहे हैं, और हम सबके पास विकल्प (choice) है कि या तो हम ब्रह्मांडीय घड़ी की रेखाओं से गुजरते हुए अपनी परीक्षाओं में अनुतीर्ण हो जाएँ या फिर परीक्षाओं को पास होने का निर्णय लें और अपने आध्यात्मिक विकास की ओर आगे बढ़ें। ये परीक्षाएं दैनिक जीवन में हर पल आती हैं।
प्रत्येक पास की गई परीक्षा हमारे चक्रों में पवित्र अग्नि का संचार करती है। इसका अर्थ है कि दीक्षा योग संचयी (cumulative) है। हम एक रेखा के गुणों में सक्षम हो कर जो सीखते हैं उन गुणों को अगली रेखा में ले जाना होता है, और इस तरह हमें उस रेखा में कुशलतापूर्वक सक्षम होने का प्रयास करना चाहिए। इसी तरह, जिस पुण्य कर्म को हम एक रेखा में नहीं सीख पाते, उसे अगली रेखा में जाकर नहीं सीखा जा सकता। इसलिए हमें तैयारी करनी चाहिए।
इसे भी देखिये
ब्रह्मांडीय घड़ी पर ध्यान लगाने के लिए, अणु का अनुष्ठान (Ritual of the Atom) देखें
अधिक जानकारी के लिए
Elizabeth Clare Prophet, Predict Your Future: Understand the Cycles of the Cosmic Clock
स्रोत
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation
Elizabeth Clare Prophet, Advanced Studies in Understanding Yourself, ३६५ -३६८ पन्ने, ब्रह्मांडीय घड़ी पर संपादकों द्वारा शेषसंग्रह।