Brothers and Sisters of the Golden Robe/hi: Difference between revisions

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चैतन्य जीवों का एक वर्ग जो मानवता को विवेक की ज्योति से प्रदीप्त करने के लिए समर्पित है। दिव्यगुरु [[Special:MyLanguage/Kuthumi|कुथुमी]] इसके प्रमुख हैं। इनका आकाशीय आश्रय स्थल [[Special:MyLanguage/Kuthumi's retreat at Shigatse|शिगात्से]] और [[Special:MyLanguage/Cathedral of Nature|कश्मीर]] में है।  
दिव्य और देहधारी चैतन्य जीवों का एक वर्ग जो मानवता को विवेक की ज्योति का ज्ञान देने के लिए समर्पित है। दिव्यगुरु [[Special:MyLanguage/Kuthumi|कुथुमी]] (Kuthumi) इस वर्ग के प्रमुख हैं। इनका आकाशीय आश्रय स्थल [[Special:MyLanguage/Kuthumi's retreat at Shigatse|शिगात्सी]] (Shigatse) और [[Special:MyLanguage/Cathedral of Nature|कश्मीर]] (Kashmir) में है।  


इस वर्ग का उद्देश्य मनुष्यों में ज्ञान का प्रकाश फैलाना है। स्वतंत्रता से की गई प्रबुद्ध कार्रवाई छठ्ठी किरण के अंतर्गत आता है - यह किरण सेवा और कार्य सम्पादन की किरण है। इसके सदस्य मानव जाति के शिक्षक कहलाते हैं।
इस वर्ग का उद्देश्य मनुष्यों में ज्ञान का प्रकाश फैलाना है। छठ्ठी किरण से हमें स्वतंत्रता के प्रकाश का मार्ग मिलता है - यह किरण सेवा और कार्य सम्पादन की है। इसके सदस्य मानव जाति के शिक्षक कहलाते हैं। यह भक्तों का एक वर्ग है जिसका कार्य अपने आभामंडल में एकत्रित युग-युगांतर के ज्ञान को शिक्षकों और अन्य सभी इच्छुक लोगों को प्रदान करना है। कश्मीर केआकाशीय स्तर में एक पुस्तकालय है जहाँ विज्ञान, संस्कृति और ज्ञान के पवित्र रहस्यों पर सभी किताबें मौजूद हैं।
यह भक्तों का एक वर्ग है जिसका कार्य अपने आभामंडल में एकत्रित युग-युगांतर के ज्ञान को शिक्षकों और अन्य सभी इच्छुक लोगों को प्रदान करना है। कश्मीर केआकाशीय स्तर में एक पुस्तकालय है जहाँ विज्ञान, संस्कृति और विवेक के पवित्र रहस्यों पर सभी किताबें मौजूद हैं।


== Membership ==
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== सदस्य्ता ==


To wear the golden robe of the Brothers of the Golden Robe is a great opportunity and a great privilege. In order to be worthy to wear that robe you must garner a momentum of illumination, of wisdom’s ray in your aura. You will increase wisdom’s ray by increasing the action of the [[Third-eye chakra|all-seeing eye]], since this is the chakra of the emerald ray, which is made up of the will of God firing illumination—blue and yellow making the green ray.
सुनहरे वस्त्र पहने पवित्र भाई बहनों का सुनहरा लबादा पहनना एक सौभाग्यशील अवसर और एक महान विशेषाधिकार है। इस वस्त्र को पहनने के योग्य होने के लिए आपको अपने आभामंडल में विवेक की किरण की रोशनी को और अधिक गतिमान करना होगा। यह कार्य आप अपने  [[Special:MyLanguage/Third-eye chakra|आज्ञा चक्र]] (Third-eye chakra) की क्रिया को बढ़ाकर कर सकते हैं क्योंकि यह चक्र  पन्ना/हरे रंग की किरण (emerald ray) का चक्र है, जो भगवान की इच्छा से बनी रोशनी से बना है - नीले और पीले रंग किरणें जो मिलकर हरे रंग की किरण बनाती हैं।


Clearing the third eye clears another vessel for the energies of the Divine Mother to rise to from the base of the spine. The final clearance is of the [[crown chakra]]. If any of the chakras below the crown are dirty, are stopped up, are plugged with energy, when the Mother energy tries to rise, it will be blocked or it will be misqualified. So our goal is to raise our energy through the seven chakras step by step, keeping the pearl of the Divine Mother clear until it reaches the crown of illumination.
आज्ञा चक्र को शुद्ध करने से दिव्य माँ (कुंडलिनी ) की ऊर्जा को मूलाधार चक्र (base of the spine) से उत्थान में मदद मिलती है। सातों चक्रों की अंतिम शुद्धि सहस्त्रार (crown chakra) चक्र में होती है। यदि [[Special:MyLanguage/crown chakra|सहस्त्रार चक्र]] से नीचे का कोई भी चक्र अपवित्र है और नकारात्मक ऊर्जा से भरे होने के कारण रुके हुए है जिसके कारण  मूलाधार चक्र से ऊपर उठती हुई माँ की ऊर्जा अवरुद्ध और अयोग्य हो जाती है, तब हमारा लक्ष्य सातों चक्रों के माध्यम से अपनी ऊर्जा को चरण दर चरण बढ़ाना है, जिससे कुंडलिनी की ऊर्जा सहस्त्रार चक्र तक पहुँचने पर शुद्ध रहे।


=== Summit University ===
<span id="Summit_University"></span>
=== समिट यूनिवर्सिटी (Summit University) ===


Saint Germain has explained that the training at the early twelve-week sessions of [[Summit University]] prepared students for entry into the order:
संत जर्मेन ने कहा है कि [[Special:MyLanguage/Summit University|समिट यूनिवर्सिटी]] (Summit University) के शुरुआत के १२ हफ़्तों का प्रशिक्षण विद्यार्थियों को इस वर्ग में प्रवेश करने के लिए तैयार करता है:


<blockquote>And so the [[Lord of the World]] sends his angels with the golden-velvet robe placed upon each of you now as the mark of your having passed through these walls and stayed until the end, unto the finish, unto the hour of victory. That golden robe makes you eligible for membership in the Order of the Golden Robe under the master Kuthumi.<ref>Saint Germain, March 22, 1975.</ref></blockquote>
<blockquote>और इसलिए [[Special:MyLanguage/Lord of the World|पृथ्वी लोक के स्वामी]] (गौतम बुध) अपने देवदूतों द्वारा सुनहरे-मखमली वस्त्र आपको पहनाते हैं जो कि इस बात का प्रमाण है कि आप विभिन्न परीक्षाओं में उत्तीर्ण होते हुए अपने लक्ष्य (आध्यात्मिक उत्थान) तक पहुँच गए हैं। यही सुनहरा वस्त्र आपको मास्टर कुथुमी के ऑर्डर ऑफ द गोल्डन रॉब (Order of the Golden Robe) की सदस्यता के योग्य बनाता है।<ref>संत जर्मेन, मार्च २२, १९७५</ref></blockquote>


== The ray of wisdom ==
<span id="The_ray_of_wisdom"></span>
== ज्ञान की किरण ==


Illumination and the ray of wisdom is not by any means a delicate ray. It is piercing with the authority of the Godhead and with the authority of the [[Christ mind]]. The clearing of the [[aura]] by the [[violet flame]] and by the energies of the will of God clears the way for the surging of the fount of illumination and love in the heart; and without that clearing, the [[threefold flame]] cannot expand. So it is in order to do on the use of the blue and the violet rays. However, we also need to accelerate the action of the wisdom ray and accelerate the concentrated energies of the crystal of the mind of God.
प्रकाश और ज्ञान की किरण कोई नाज़ुक और कोमल किरण नहीं है। यह [[Special:MyLanguage/Christ mind| आत्मिक चेतना]] (Higher Mind) द्वारा ईश्वर तक पहुँचने का माध्यम है। ईश्वर की इच्छा का पालन करने से और [[Special:MyLanguage/violet flame|वायलेट लौ]] (violet flame) की सहायता से जब [[Special:MyLanguage/aura|आभामंडल]] (aura) शुद्ध हो जाता है तो हृदय में प्रकाश और प्रेम बढ़ने लगता है - यह प्रेम ही [[Special:MyLanguage/threefold flame|त्रिज्योति लौ]] (threefold flame) को बढ़ा सकता है। हमें ज्ञान की किरण को भी बढ़ाना है और ईश्वरीय ऊर्जा को भी।


When your aura becomes saturated with wisdom’s fire, it precipitates as a golden robe, and the golden robe is the inevitable outcropping of your own inner attainment. Therefore, you force membership in the Order of the Golden Robe by the action of your own aura. Only those who have an aura supercharged with wisdom can be counted as Brothers of the Golden Robe and Sisters of the Golden Robe.
जब आपका आभामंडल ज्ञान की अग्नि से परिपूर्ण हो जाता है, तो यह एक सुनहरे वस्त्र का रूप धारण करता है - यह सुनहरा वस्त्र आपकी अपनी आंतरिक उपलब्धि को दर्शाता है। इसका अर्थ है कि आप अपनी आभा द्वारा ही ऑर्डर ऑफ द गोल्डन रोब की सदस्यता को दर्शातें हैं। केवल उन व्यक्तियों को ही ब्रदर्स एंड सिस्टर्स ऑफ़ द गोल्डन रोब के अंतर्गत माना जा सकता है जिनका आभामंडल ज्ञान से संतृप्त है।


== The disciplines of the order ==
<span id="The_disciplines_of_the_order"></span>
== वर्ग का अनुशासन ==


Kuthumi speaks of the disciplines of the members of this order:  
सदस्यों के अनुशासन के बारे में कुथुमी कहते हैं:  


<blockquote>I tell you, beloved, [when you come to] my retreat you will find brothers and sisters of the Golden Robe walking up and down the great halls, the courtyards and the pathways with book in hand reciting their prayers or going over the scriptural teachings of East and West. They review, beloved, what we have dictated through the messengers, that which is published and that which is not; for we do have a complete library.</blockquote>
<blockquote>
मैं आपको बताना चाहता हूँ कि जब आप मेरे इस आश्रय स्थल पर आएंगे तो इन बड़े बड़े कमरों में, आँगन में और इन रास्तों पर सुनहरा चोला पहने हुए लोगों को देखेंगे। हाथों में पुस्तक लिए ये या तो ईश्वर की उपासना कर रहे होंगे या फिर पूर्व और पश्चिम की आध्यात्मिक शिक्षाओं पर विचार कर रहे होंगे। वे हमारे सन्देशवाहकों द्वारा दिए गए हमारे प्रकाशित और अप्रकाशित आदेशों की समीक्षा करते हैं - हमारे पास एक संपूर्ण पुस्तकालय है।


<blockquote>And by studying [what has been given to students in embodiment in this century], they come to understand what [[Hierarchy]] perceives to be the needs of the lightbearers of earth and [especially of] those desiring to enter in [to an earnest discipleship under the [[World Teacher]]s]. Thus they know what ''they'' must know and what they must emphasize in their own study in order to be able to assist those souls who come our way every day for assistance and training and a further acceleration on the Path.</blockquote>
और इस सदी के छात्रों को इस जन्म और पूर्व जन्मों में क्या ज्ञान दिया गया है, इस बात का अध्ययन करके उन्हें यह समझ में आता है कि प्रकाशवाहक और प्रबुद्ध (lightbearers) [[Special:MyLanguage/Hierarchy|पदक्रम]] (Hierarchy) मार्ग के द्वारा पृथ्वी के लोगों की ज़रूरतों के बारे में समझतें हैं, विशेषकर उन लोगों की ज़रूरतें जो [[Special:MyLanguage/World Teacher|विश्व शिक्षकों]] (World Teacher) के अनुयायी बनना चाहते हैं। इस प्रकार प्रकाशवाहक वह सब जानते हैं जो ''उन्हें'' पता होना चाहिए; वे यह भी जानते हैं कि उन्हें अपने स्वाध्याय में किस बात को महत्व देना चाहिए ताकि वे उन लोगों की सहायता कर सकें जो प्रतिदिन हमारे पास प्रशिक्षण और आध्यात्मिक उत्थान के लिए आते हैं।


<blockquote>You see, beloved, to these brothers and sisters of the Golden Robe there are no idle thoughts or words or moments or feelings; for they are looking straight to the goal of becoming bodhisattvas under [[Maitreya]] and rising to the twelfth plane. May you also know that the key to the second ray is the continual internalization of the Word and the Work, the Alpha, the Omega, of the [[Cosmic Christ]]. It is the continual eating of the flesh and drinking of the blood of the [[Son of God]] that [these brothers and sisters] might have life and more life and more life [in them] until by the process of assimilation they are all of that oneness in Christ.<ref>Kuthumi, “The ‘Second Coming’ of the Saints,” {{POWref|32|61}}</ref></blockquote>
<div class="mw-translate-fuzzy">
देखिए, सुनहरे वस्त्र वाले इन भाइयों और बहनों के लिए कोई भी विचार,शब्द, भावना या क्षण निष्क्रिय नहीं है - वे  [[मैत्रेय]] के निगरानी में बोधिसत्व (bodhisattvas) बन कर बारहवें स्तर तक पहुँचने के अपने लक्ष्य पर केंद्रित हैं। आप ये भी जान लीजिये कि द्वितीय किरण का मार्ग शब्द और सेवा - अल्फा और ओमेगा (Alpha and Omega) - की [[ब्रह्मांडीय चेतना]] का आंतरिककरण है। इस तरह निरंतर ईश्वर के पथ पर चलते हुए सुनहरे वस्त्र पहने ये भाई और बहन ईश्वर के गुणों से आत्मसात द्वारा एकीकरण करते हैं।<ref>कुथुमी, “The ‘Second Coming’ of the Saints,” {{POWref|32|61}}</ref>
</blockquote>
</div>


== Ruth Jones ==
<span id="Ruth_Jones"></span>
== रूथ जोन्स (Ruth Jones) ==


In 1976 Kuthumi explained that Keeper of the Flame [[Ruth Jones]] was a member of the order:
१९७६ में कुथुमी ने [[Special:MyLanguage/Ruth Jones|रूथ जोन्स]] (Ruth Jones) के बारे में बताया जो इश्वरिये लौ की पालक (Keeper of the Flame) और इस वर्ग की सदस्य थी:


<blockquote>For I proclaim to you this day the [[ascension]] of a [[Keeper of the Flame]] who has served among you as a Sister of the Golden Robe. She has come with wisdom and with instruction and with a gentle caring for the children of God. I proclaim to you the first ascension of 1976, the ascension of the Keeper of the Flame Ruth O. Jones, who has lived and served with the messengers at the [[Retreat of the Resurrection Spiral]] for nearly a decade, whom God so loved that he placed her upon the cross to suffer there awhile with [[Jesus]] that he might take her down from the cross and raise her up with the Immortal One.</blockquote>
<blockquote>
मैं आज एक [[Special:MyLanguage/Keeper of the Flame|इश्वरिये लौ की पालक]] (Keeper of the Flame) और सुनहरे वस्त्र वाले संगठन की सदस्य का [[Special:MyLanguage/ascension|आध्यात्मिक उत्थान]] (ascension) घोषित करता हूँ जिसने आप लोगों के बीच रह कर सेवा की थी। वह अपने साथ  ज्ञान और इस बात की जानकारी लेकर आयीं थी कि ईश्वर के बच्चों की देखभाल कैसे करनी  चाहिये। इश्वरिये लौ की पालक रूथ जोन्स का आध्यात्मिक उत्थान १९७६ का पहला आध्यात्मिक उत्थान था। रूथ जोन्स लगभग दस साल तक हमारे संदेशवाहकों (Messengers) के साथ [[Special:MyLanguage/Retreat of the Resurrection Spiral|पुनरुत्थान के आश्रयस्थल ]] (Retreat of the Resurrection Spiral) पर रहीं।  [[Special:MyLanguage/Jesus|ईसा मसीह]] ने उन्हें कुछ समय के लिए कठिन रास्तों पर चलने की हिम्मत दी ताकि ईश्वर उन्हें अमरत्व प्रदान कर सकें।


<blockquote>On January 3, 1976, at 5:00 p.m., this daughter of the Most High was raised by the grace of God in the current of the [[ascension flame]]. By consciously, willingly putting off the old man in time and space, she put on the new and exchanged the body terrestrial for the body celestial. Bearing all things, believing all things, hoping all things, enduring all things, she overcame by the blood of the Lamb and by the word of the testimony of the saints.</blockquote>
जनवरी ३, १९७६ को शाम के ५ बजे, ईश्वर की कृपा से यह बेटी [[Special:MyLanguage/ascension flame|उत्थान की लौ]] (ascension flame) में समावेश हुई। उन्होंने सचेत अवस्था में अपनी इच्छा से पार्थिव शरीर का त्याग करके उसे दिव्य शरीर में परिवर्तित किया और सभी बाधाओं को सहन करते हुए आशा और विश्वास के साथ संतों के आशीर्वाद से विजय प्राप्त की।


<blockquote>I transfer by the authority of her own ascended presence the ray of her [[mantle]], the momentum of her dedication, to every Keeper of the Flame and every soul who will read this announcement and who will believe in Christ, in the ascension of her soul, and in the possibility of the ascension of his own soul. And the ray of her heart is filled with gratitude for the messengers and the masters who cleared the way for her homecoming. She stands with the immortals to pass on to souls climbing the highest mountain the techniques of self-mastery and of overcoming.<ref>Kuthumi and the Brothers of the Golden Robe, “Keepers of the Flame Are Ascending Day by Day,” {{POWref|19|3|, January 18, 1976}}</ref></blockquote>
मैं (कुथुमी), रूथ जोन्स की दिव्य उपस्थिति के अधिकार से उसके [[Special:MyLanguage/mantle|दायित्व]] (mantle) के प्रकाश, निष्ठा और लगन के बारे में उन सब इश्वरिये लौ के पालक और जो लोग उच्च चेतना तथा रूथ जोन्स के आध्यात्मिक उत्थान पर विश्वास रखते हैं, यह घोषणा करता हूँ कि उनका आध्यात्मिक उत्थान भी संभव हैं। रूथ जोन्स का ह्रदय सन्देशवाहकों (Messengers) तथा दिव्यगुरूओं के प्रति कृतज्ञता से भरपूर है जिसकी  वजह से उनका ईश्वर से पुनर्मिलन हुआ। वह सभी दिव्यगुरूओं के साथ मिलकर जीवात्माओं को आध्यात्मिक उत्थान का रास्ता एवं तरीका बताती हैं।<ref>कुथुमी एंड ब्रदर्स ऑफ़ गोल्डन रोब, “Keepers of the Flame Are Ascending Day by Day,” {{POWref|19|3|, जनवरी १८, १९७६}}</ref>
</blockquote>


== Openings in the order ==
<span id="Openings_in_the_order"></span>
== वर्ग में जाने की शुरुआत ==


Kuthumi extends an invitation to join the order:
कुथुमी वर्ग में प्रवेश करने का आमंत्रण देते हैं:


<blockquote>I am known as a Master of peace, but I prefer to be called simply a brother of the Golden Robe. That holy order which was founded long ago by one who saw true knowledge as the peace that passeth understanding<ref>Phil. 4:7.</ref> still functions today; and we count among our band Ascended Ones who have espoused the golden flame of illumination as a means of imparting peace to mankind as well as those unascended brothers and sisters who desire to become the peaceful presence of His wisdom to all mankind.</blockquote>
<blockquote>
मैं शांति के गुरु के रूप में जाना जाता हूँ, परन्तु मैं चाहूंगा कि मुझे केवल सुनहरे वस्त्र वाला भाई (brother of the Golden Robe) कहा जाए। यह वह वर्ग है जिसकी स्थापना सदियों पहले उन्होंने की थी जो जानते थे कि सच्चा ज्ञान ही शान्ति और अंततः समझदारी प्रदान करता है।<ref>Phil. 4:7.</ref> हम अपने संघ में आध्यात्मिक उत्थान प्राप्त किये हुए उन सभी को गिनते हैं जिन्होंने मानव जाति को शांति प्रदान करने के लिए सुनहरे प्रकाश की लौ का समर्थन किया है। हम उनको भी अपने संघ का हिस्सा मानते हैं जो ईश्वर के ज्ञान का शांतिपूर्वक प्रतिनिधित्व करने की इच्छा रखते हैं।


<blockquote>We are looking for recruits. Therefore I write to you to apprise you of the fact that there are openings in our chambers, in our libraries, and in our retreats—openings for those who diligently call and are willing to be the allness of the All to hearts hungry for the Flame, never chary. Yes, we have openings for those who are not chary in their use of the Flame as they call with a mighty fervor upon His name.<ref>Kuthumi, {{POWref|16|11|, March 18, 1973}} Also published in {{OTD}}, chapter 2.</ref></blockquote>
हम नए सदस्यों की खोज में हैं। यह लेख मैं आपको यह बताने के लिए लिख रहा हूँ कि हमारे प्रकोष्ठ (chambers), पुस्तकालय और आश्रयस्थलों में उनके लिए रिक्त स्थान है जो कर्मठतापूर्वक ईश्वर की उपासना करते हैं तथा ज्ञान के इच्छुक अन्य लोगों की सहायता को सदा तैयार रहते हैं।<ref>कुथुमी, {{POWref|16|11|, मार्च १८, १९७३}} {{OTD}}, दूसरे अध्याय में भी प्रकाशित हुई</ref>
</blockquote>


== See also ==
<span id="See_also"></span>
== इसे भी देखिये ==


[[Kuthumi]]
[[Special:MyLanguage/Kuthumi|कुथुमी]]


[[Cathedral of Nature]] (Kuthumi’s retreat in Kashmir)
[[Special:MyLanguage/Cathedral of Nature|कैथेड्रल ऑफ़ नेचर]] (कश्मीर में कुथुमी का आश्रयस्थल)


== Sources ==
<span id="Sources"></span>
== स्रोत ==


{{SGA}}.
{{SGA}}.


Elizabeth Clare Prophet, April 16, 1975.
एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट, अप्रैल १६, १९७५


[[Category:Heavenly beings]]
[[Category:स्वर्ग में रहने वाले प्राणी]]


<references />
<references />

Latest revision as of 04:36, 13 November 2024

Other languages:
 
निम्नलिखित लेखों की श्रृंखला का हिस्सा
पवित्र नियम



अच्छे व्यक्तियों का वर्ग
हीरे के सामान दिल वालों का वर्ग
पन्ना के पदक वालों का वर्ग
फ्रांसिस और क्लेयर का वर्ग
सुनहरी लिली का वर्ग
बच्चों का वर्ग
सुनहरे वस्त्र पहने पवित्र भाई बहन



मेल्कीज़ेडएक का वर्ग
 

दिव्य और देहधारी चैतन्य जीवों का एक वर्ग जो मानवता को विवेक की ज्योति का ज्ञान देने के लिए समर्पित है। दिव्यगुरु कुथुमी (Kuthumi) इस वर्ग के प्रमुख हैं। इनका आकाशीय आश्रय स्थल शिगात्सी (Shigatse) और कश्मीर (Kashmir) में है।

इस वर्ग का उद्देश्य मनुष्यों में ज्ञान का प्रकाश फैलाना है। छठ्ठी किरण से हमें स्वतंत्रता के प्रकाश का मार्ग मिलता है - यह किरण सेवा और कार्य सम्पादन की है। इसके सदस्य मानव जाति के शिक्षक कहलाते हैं। यह भक्तों का एक वर्ग है जिसका कार्य अपने आभामंडल में एकत्रित युग-युगांतर के ज्ञान को शिक्षकों और अन्य सभी इच्छुक लोगों को प्रदान करना है। कश्मीर केआकाशीय स्तर में एक पुस्तकालय है जहाँ विज्ञान, संस्कृति और ज्ञान के पवित्र रहस्यों पर सभी किताबें मौजूद हैं।

सदस्य्ता

सुनहरे वस्त्र पहने पवित्र भाई बहनों का सुनहरा लबादा पहनना एक सौभाग्यशील अवसर और एक महान विशेषाधिकार है। इस वस्त्र को पहनने के योग्य होने के लिए आपको अपने आभामंडल में विवेक की किरण की रोशनी को और अधिक गतिमान करना होगा। यह कार्य आप अपने आज्ञा चक्र (Third-eye chakra) की क्रिया को बढ़ाकर कर सकते हैं क्योंकि यह चक्र पन्ना/हरे रंग की किरण (emerald ray) का चक्र है, जो भगवान की इच्छा से बनी रोशनी से बना है - नीले और पीले रंग किरणें जो मिलकर हरे रंग की किरण बनाती हैं।

आज्ञा चक्र को शुद्ध करने से दिव्य माँ (कुंडलिनी ) की ऊर्जा को मूलाधार चक्र (base of the spine) से उत्थान में मदद मिलती है। सातों चक्रों की अंतिम शुद्धि सहस्त्रार (crown chakra) चक्र में होती है। यदि सहस्त्रार चक्र से नीचे का कोई भी चक्र अपवित्र है और नकारात्मक ऊर्जा से भरे होने के कारण रुके हुए है जिसके कारण मूलाधार चक्र से ऊपर उठती हुई माँ की ऊर्जा अवरुद्ध और अयोग्य हो जाती है, तब हमारा लक्ष्य सातों चक्रों के माध्यम से अपनी ऊर्जा को चरण दर चरण बढ़ाना है, जिससे कुंडलिनी की ऊर्जा सहस्त्रार चक्र तक पहुँचने पर शुद्ध रहे।

समिट यूनिवर्सिटी (Summit University)

संत जर्मेन ने कहा है कि समिट यूनिवर्सिटी (Summit University) के शुरुआत के १२ हफ़्तों का प्रशिक्षण विद्यार्थियों को इस वर्ग में प्रवेश करने के लिए तैयार करता है:

और इसलिए पृथ्वी लोक के स्वामी (गौतम बुध) अपने देवदूतों द्वारा सुनहरे-मखमली वस्त्र आपको पहनाते हैं जो कि इस बात का प्रमाण है कि आप विभिन्न परीक्षाओं में उत्तीर्ण होते हुए अपने लक्ष्य (आध्यात्मिक उत्थान) तक पहुँच गए हैं। यही सुनहरा वस्त्र आपको मास्टर कुथुमी के ऑर्डर ऑफ द गोल्डन रॉब (Order of the Golden Robe) की सदस्यता के योग्य बनाता है।[1]

ज्ञान की किरण

प्रकाश और ज्ञान की किरण कोई नाज़ुक और कोमल किरण नहीं है। यह आत्मिक चेतना (Higher Mind) द्वारा ईश्वर तक पहुँचने का माध्यम है। ईश्वर की इच्छा का पालन करने से और वायलेट लौ (violet flame) की सहायता से जब आभामंडल (aura) शुद्ध हो जाता है तो हृदय में प्रकाश और प्रेम बढ़ने लगता है - यह प्रेम ही त्रिज्योति लौ (threefold flame) को बढ़ा सकता है। हमें ज्ञान की किरण को भी बढ़ाना है और ईश्वरीय ऊर्जा को भी।

जब आपका आभामंडल ज्ञान की अग्नि से परिपूर्ण हो जाता है, तो यह एक सुनहरे वस्त्र का रूप धारण करता है - यह सुनहरा वस्त्र आपकी अपनी आंतरिक उपलब्धि को दर्शाता है। इसका अर्थ है कि आप अपनी आभा द्वारा ही ऑर्डर ऑफ द गोल्डन रोब की सदस्यता को दर्शातें हैं। केवल उन व्यक्तियों को ही ब्रदर्स एंड सिस्टर्स ऑफ़ द गोल्डन रोब के अंतर्गत माना जा सकता है जिनका आभामंडल ज्ञान से संतृप्त है।

वर्ग का अनुशासन

सदस्यों के अनुशासन के बारे में कुथुमी कहते हैं:

मैं आपको बताना चाहता हूँ कि जब आप मेरे इस आश्रय स्थल पर आएंगे तो इन बड़े बड़े कमरों में, आँगन में और इन रास्तों पर सुनहरा चोला पहने हुए लोगों को देखेंगे। हाथों में पुस्तक लिए ये या तो ईश्वर की उपासना कर रहे होंगे या फिर पूर्व और पश्चिम की आध्यात्मिक शिक्षाओं पर विचार कर रहे होंगे। वे हमारे सन्देशवाहकों द्वारा दिए गए हमारे प्रकाशित और अप्रकाशित आदेशों की समीक्षा करते हैं - हमारे पास एक संपूर्ण पुस्तकालय है।

और इस सदी के छात्रों को इस जन्म और पूर्व जन्मों में क्या ज्ञान दिया गया है, इस बात का अध्ययन करके उन्हें यह समझ में आता है कि प्रकाशवाहक और प्रबुद्ध (lightbearers) पदक्रम (Hierarchy) मार्ग के द्वारा पृथ्वी के लोगों की ज़रूरतों के बारे में समझतें हैं, विशेषकर उन लोगों की ज़रूरतें जो विश्व शिक्षकों (World Teacher) के अनुयायी बनना चाहते हैं। इस प्रकार प्रकाशवाहक वह सब जानते हैं जो उन्हें पता होना चाहिए; वे यह भी जानते हैं कि उन्हें अपने स्वाध्याय में किस बात को महत्व देना चाहिए ताकि वे उन लोगों की सहायता कर सकें जो प्रतिदिन हमारे पास प्रशिक्षण और आध्यात्मिक उत्थान के लिए आते हैं।

देखिए, सुनहरे वस्त्र वाले इन भाइयों और बहनों के लिए कोई भी विचार,शब्द, भावना या क्षण निष्क्रिय नहीं है - वे मैत्रेय के निगरानी में बोधिसत्व (bodhisattvas) बन कर बारहवें स्तर तक पहुँचने के अपने लक्ष्य पर केंद्रित हैं। आप ये भी जान लीजिये कि द्वितीय किरण का मार्ग शब्द और सेवा - अल्फा और ओमेगा (Alpha and Omega) - की ब्रह्मांडीय चेतना का आंतरिककरण है। इस तरह निरंतर ईश्वर के पथ पर चलते हुए सुनहरे वस्त्र पहने ये भाई और बहन ईश्वर के गुणों से आत्मसात द्वारा एकीकरण करते हैं।[2]

रूथ जोन्स (Ruth Jones)

१९७६ में कुथुमी ने रूथ जोन्स (Ruth Jones) के बारे में बताया जो इश्वरिये लौ की पालक (Keeper of the Flame) और इस वर्ग की सदस्य थी:

मैं आज एक इश्वरिये लौ की पालक (Keeper of the Flame) और सुनहरे वस्त्र वाले संगठन की सदस्य का आध्यात्मिक उत्थान (ascension) घोषित करता हूँ जिसने आप लोगों के बीच रह कर सेवा की थी। वह अपने साथ ज्ञान और इस बात की जानकारी लेकर आयीं थी कि ईश्वर के बच्चों की देखभाल कैसे करनी चाहिये। इश्वरिये लौ की पालक रूथ जोन्स का आध्यात्मिक उत्थान १९७६ का पहला आध्यात्मिक उत्थान था। रूथ जोन्स लगभग दस साल तक हमारे संदेशवाहकों (Messengers) के साथ पुनरुत्थान के आश्रयस्थल (Retreat of the Resurrection Spiral) पर रहीं। ईसा मसीह ने उन्हें कुछ समय के लिए कठिन रास्तों पर चलने की हिम्मत दी ताकि ईश्वर उन्हें अमरत्व प्रदान कर सकें।

जनवरी ३, १९७६ को शाम के ५ बजे, ईश्वर की कृपा से यह बेटी उत्थान की लौ (ascension flame) में समावेश हुई। उन्होंने सचेत अवस्था में अपनी इच्छा से पार्थिव शरीर का त्याग करके उसे दिव्य शरीर में परिवर्तित किया और सभी बाधाओं को सहन करते हुए आशा और विश्वास के साथ संतों के आशीर्वाद से विजय प्राप्त की।

मैं (कुथुमी), रूथ जोन्स की दिव्य उपस्थिति के अधिकार से उसके दायित्व (mantle) के प्रकाश, निष्ठा और लगन के बारे में उन सब इश्वरिये लौ के पालक और जो लोग उच्च चेतना तथा रूथ जोन्स के आध्यात्मिक उत्थान पर विश्वास रखते हैं, यह घोषणा करता हूँ कि उनका आध्यात्मिक उत्थान भी संभव हैं। रूथ जोन्स का ह्रदय सन्देशवाहकों (Messengers) तथा दिव्यगुरूओं के प्रति कृतज्ञता से भरपूर है जिसकी वजह से उनका ईश्वर से पुनर्मिलन हुआ। वह सभी दिव्यगुरूओं के साथ मिलकर जीवात्माओं को आध्यात्मिक उत्थान का रास्ता एवं तरीका बताती हैं।[3]

वर्ग में जाने की शुरुआत

कुथुमी वर्ग में प्रवेश करने का आमंत्रण देते हैं:

मैं शांति के गुरु के रूप में जाना जाता हूँ, परन्तु मैं चाहूंगा कि मुझे केवल सुनहरे वस्त्र वाला भाई (brother of the Golden Robe) कहा जाए। यह वह वर्ग है जिसकी स्थापना सदियों पहले उन्होंने की थी जो जानते थे कि सच्चा ज्ञान ही शान्ति और अंततः समझदारी प्रदान करता है।[4] हम अपने संघ में आध्यात्मिक उत्थान प्राप्त किये हुए उन सभी को गिनते हैं जिन्होंने मानव जाति को शांति प्रदान करने के लिए सुनहरे प्रकाश की लौ का समर्थन किया है। हम उनको भी अपने संघ का हिस्सा मानते हैं जो ईश्वर के ज्ञान का शांतिपूर्वक प्रतिनिधित्व करने की इच्छा रखते हैं।

हम नए सदस्यों की खोज में हैं। यह लेख मैं आपको यह बताने के लिए लिख रहा हूँ कि हमारे प्रकोष्ठ (chambers), पुस्तकालय और आश्रयस्थलों में उनके लिए रिक्त स्थान है जो कर्मठतापूर्वक ईश्वर की उपासना करते हैं तथा ज्ञान के इच्छुक अन्य लोगों की सहायता को सदा तैयार रहते हैं।[5]

इसे भी देखिये

कुथुमी

कैथेड्रल ऑफ़ नेचर (कश्मीर में कुथुमी का आश्रयस्थल)

स्रोत

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation.

एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट, अप्रैल १६, १९७५

  1. संत जर्मेन, मार्च २२, १९७५
  2. कुथुमी, “The ‘Second Coming’ of the Saints,” Pearls of Wisdom, vol. 32, no. 61.
  3. कुथुमी एंड ब्रदर्स ऑफ़ गोल्डन रोब, “Keepers of the Flame Are Ascending Day by Day,” Pearls of Wisdom, vol. 19, no. 3, जनवरी १८, १९७६.
  4. Phil. 4:7.
  5. कुथुमी, Pearls of Wisdom, vol. 16, no. 11, मार्च १८, १९७३. Elizabeth Clare Prophet, The Opening of the Temple Doors, दूसरे अध्याय में भी प्रकाशित हुई