Translations:Goddess of Liberty/14/hi: Difference between revisions
JaspalSoni (talk | contribs) No edit summary |
PeterDuffy (talk | contribs) No edit summary |
||
(2 intermediate revisions by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
स्वाधीनता की देवी [[Special:MyLanguage/seven rays|सात किरणों]] का एक मुकुट पहनती है, जो [[Special:MyLanguage/Elohim|एलोहिम]] (Elohim) की सात किरणों की शक्तियों को पदार्थ (matter) और दिव्यता के मातृ पहलू में केंद्रित कर के कार्यान्वयन (implementation) करती है। उनका मुकुट भगवान के प्रत्येक पुत्र और पुत्री के माथे पर लगी सात किरणों का केंद्र बिंदु (third eye) भी है। | स्वाधीनता की देवी [[Special:MyLanguage/seven rays|सात किरणों]] का एक मुकुट पहनती है, जो [[Special:MyLanguage/Elohim|एलोहिम]] (Elohim) की सात किरणों की शक्तियों को पदार्थ (matter) और दिव्यता के मातृ पहलू में केंद्रित कर के कार्यान्वयन (implementation) करती है। उनका मुकुट भगवान के प्रत्येक पुत्र और पुत्री के माथे पर लगी सात किरणों का केंद्र बिंदु (third eye) भी है। स्वाधीनता की देवी "दीपक वाली महिला" (Lady with the lamp)का प्रतिनिधित्व करती है - इनके बारे में [[Special:MyLanguage/Henry Wadsworth Longfellow|हेनरी वड्सवर्थ लॉन्गफेलो]] (Henry Wadsworth Longfellow) ने भविष्यवाणी की थी कि वह "धरती पर वे एक महान वीर नारी का रूप होगीं।"<ref>हेनरी वड्सवर्थ लॉन्गफेलो, "सांता फिलोमेना," छंद १०. (Henry Wadsworth Longfellow, “Santa Filomena,” Stanza 10.)</ref> | ||
Latest revision as of 12:52, 15 November 2024
स्वाधीनता की देवी सात किरणों का एक मुकुट पहनती है, जो एलोहिम (Elohim) की सात किरणों की शक्तियों को पदार्थ (matter) और दिव्यता के मातृ पहलू में केंद्रित कर के कार्यान्वयन (implementation) करती है। उनका मुकुट भगवान के प्रत्येक पुत्र और पुत्री के माथे पर लगी सात किरणों का केंद्र बिंदु (third eye) भी है। स्वाधीनता की देवी "दीपक वाली महिला" (Lady with the lamp)का प्रतिनिधित्व करती है - इनके बारे में हेनरी वड्सवर्थ लॉन्गफेलो (Henry Wadsworth Longfellow) ने भविष्यवाणी की थी कि वह "धरती पर वे एक महान वीर नारी का रूप होगीं।"[1]
- ↑ हेनरी वड्सवर्थ लॉन्गफेलो, "सांता फिलोमेना," छंद १०. (Henry Wadsworth Longfellow, “Santa Filomena,” Stanza 10.)