Karmic Board/hi: Difference between revisions
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कार्मिक समिति (Karmic Board) आठ [[Special:MyLanguage/ascended master|दिव्यगुरुओं]] (ascended master) की एक संस्था है जो पृथ्वी के प्रत्येक जीव के प्रति ईश्वरीय न्याय प्रदान करने की ज़िम्मेदारी उठाते हैं। इनका कार्य प्रत्येक जीव को उसके [[Special:MyLanguage/karma|कर्म]] के अनुसार, दया दिखाते हुए, उचित इन्साफ देना है। ये सभी [[Special:MyLanguage/twenty-four elders|२४ ज्ञानी दिव्यात्माओं]] (twenty-four elders) की देखरेख में सेवा करते हुए, पृथ्वी के जीवों और उनके कर्मों के बीच मध्यस्तता का काम करते हैं। | कार्मिक समिति (Karmic Board) आठ [[Special:MyLanguage/ascended master|दिव्यगुरुओं]] (ascended master) की एक संस्था है जो पृथ्वी के प्रत्येक जीव के प्रति ईश्वरीय न्याय प्रदान करने की ज़िम्मेदारी उठाते हैं। इनका कार्य प्रत्येक जीव को उसके [[Special:MyLanguage/karma|कर्म]] के अनुसार, दया दिखाते हुए, उचित इन्साफ देना है। ये सभी [[Special:MyLanguage/twenty-four elders|२४ ज्ञानी दिव्यात्माओं]] (twenty-four elders) की देखरेख में सेवा करते हुए, पृथ्वी के जीवों और उनके कर्मों के बीच मध्यस्तता का काम करते हैं। | ||
सभी जीवात्माओं को पृथ्वी पर प्रत्येक जन्म लेने से पहले और मृत्यु के पश्चात कार्मिक समिति के सामने प्रस्तुत होना होता है। यहाँ उनके पूर्व जीवन की समीक्षा (review) और आगामी जीवन के कर्मों का आबंटन (allotment) होता है। कर्मों के स्वामी जीवन का लेखा-जोखा रखने वाले तथा उनकी [[Special:MyLanguage/Keeper of the Scrolls|कर्मों को | सभी जीवात्माओं को पृथ्वी पर प्रत्येक जन्म लेने से पहले और मृत्यु के पश्चात कार्मिक समिति के सामने प्रस्तुत होना होता है। यहाँ उनके पूर्व जीवन की समीक्षा (review) और आगामी जीवन के कर्मों का आबंटन (allotment) होता है। कर्मों के स्वामी जीवन का लेखा-जोखा रखने वाले तथा उनकी [[Special:MyLanguage/Keeper of the Scrolls|कर्मों को सूची पत्र में लिखने वाले देवदूत]] (Keeper of the Scrolls) को प्रत्येक मनुष्य को उसके जन्म-जन्मांतर के कर्मों का अभिलेख दिखाते हैं। फिर इस बात का निर्णय लेना होता है कि कौन सी जीवात्मा पृथ्वी पर पुनः जन्म लेगी और उसका जन्म कब और कहाँ होगा। वे जीवात्मा के कर्मों का अवलोकन (review) करके इस बात का भी निर्णय लेते हैं कि उसे कैसा परिवार और समुदाय मिलेगा। जीवात्मा के [[Special:MyLanguage/I AM Presence|ईश्वरीय स्वरुप]] और उसकी [[Special:MyLanguage/Christ Self|उच्च चेतना]] के साथ विचार विमर्श करके कार्मिक समिति के सदस्य इस बात का भी निर्णय लेते हैं कि वह समय कब आएगा जब जीवात्मा जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो ईश्वर के श्री चरणों में विलीन हो जायेगी। | ||
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== सदस्य == | == सदस्य == | ||
कार्मिक समिति के सदस्य निम्नलिखित हैं: [[Special:MyLanguage/Great Divine Director|महान दिव्य निर्देशक]] (Great Divine Director) | कार्मिक समिति के सदस्य निम्नलिखित हैं: [[Special:MyLanguage/Great Divine Director|महान दिव्य निर्देशक]] (Great Divine Director) वह पहली किरण का प्रतिनिधित्व करते हैं , [[Special:MyLanguage/Goddess of Liberty|स्वाधीनता की देवी]] (Goddess of Liberty) दूसरी किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं, दिव्य महिला गुरु [[Special:MyLanguage/Nada|नाडा]] (Nada) तीसरी किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं, एलोहिम [[Special:MyLanguage/Cyclopea|साइक्लोपीया]] (Elohim Cyclopea) वह चौथी किरण का प्रतिनिधित्व करते हैं, सत्य की देवी [[Special:MyLanguage/Pallas Athena|पालस अथीना]] (Pallas Athena) वह पांचवीं किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं, न्याय की देवी [[Special:MyLanguage/Portia|पोर्शिया]] (Portia) वह छठी किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं और दया की देवी [[Special:MyLanguage/Kuan Yin|कुआन यिन]] (Kuan Yin) वह सातवीं किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं। कुछ समय पहले [[Special:MyLanguage/five Dhyani Buddhas|पांच ध्यानी बुद्धों]] में से एक [[Special:MyLanguage/Vairochana|वैरोचना]] (Vairochana) कार्मिक समिति के आठवें सदस्य बनाये गए हैं। | ||
अपनी अपरिमित दया दिखाते हुए भगवान ने कार्मिक समिति के सदस्यों को मनुष्यों में ईश्वर के नियमों की मध्यस्तता करने के लिए नियुक्त किया है। कार्मिक समिति मानव जाति की उच्च-चेतना के स्तर पर कार्य करती है और प्रतिदिन मानव जाति द्वारा ऊर्जा के उपयोग के संतुलन को बनाए रखती है। | अपनी अपरिमित दया दिखाते हुए भगवान ने कार्मिक समिति के सदस्यों को मनुष्यों में ईश्वर के नियमों की मध्यस्तता करने के लिए नियुक्त किया है। कार्मिक समिति मानव जाति की उच्च-चेतना के स्तर पर कार्य करती है और प्रतिदिन मानव जाति द्वारा ऊर्जा के उपयोग के संतुलन को बनाए रखती है। | ||
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== कार्य == | == कार्य == | ||
कर्मों के स्वामी व्यक्तिगत कर्म, समूह कर्म, राष्ट्रीय कर्म और विश्व कर्म के चक्रों का निर्णय करते हैं। इन कर्म चक्रों को निर्धारित करते समय उनका लक्ष्य केवल लोगों की आध्यात्मिक उन्नति होता है। जब कर्मों के स्वामी पृथ्वी के लिए कर्म का एक चक्र | कर्मों के स्वामी व्यक्तिगत कर्म, समूह कर्म, राष्ट्रीय कर्म और विश्व कर्म के चक्रों का निर्णय करते हैं। इन कर्म चक्रों को निर्धारित करते समय उनका लक्ष्य केवल लोगों की आध्यात्मिक उन्नति होता है। जब कर्मों के स्वामी पृथ्वी के लिए कर्म का एक चक्र को आरम्भ करते हैं, तो वे प्रकृति साम्राज्य को भी विशेष कार्य देते हैं - ये कार्य [[Special:MyLanguage/law of cycles|चक्र के नियम]] के अनुसार ही होते हैं। | ||
मनुष्यों के आपसी मतभेदों | मनुष्यों के आपसी मतभेदों का सबसे अधिक प्रभाव [[Special:MyLanguage/elemental|सृष्टि देवों]] (elemental) पर पड़ता है। हज़ारों वर्ष पहले [[Special:MyLanguage/Lemuria|लेमूरिया]] (Lemuria) महाद्वीप का प्रशांत महासागर में डूबना इस बात की पुष्टि करता है। यह उस समय के पुजारियों द्वारा पवित्र अग्नि का अत्याधिक दुरुपयोग करने के कारण हुआ था। | ||
जलवायु में परिवर्तन, तूफान, बाढ़, आग, बवंडर और प्रलय - सब मनुष्य द्वारा [[Special:MyLanguage/Holy Spirit|ईश्वरीय ऊर्जा]] की रचनात्मक शक्ति के दुरुपयोग का परिणाम हैं। समय समय पर होनेवाली ये प्राकृतिक बाधाएं सृष्टि के मौलिक तत्वों का संतुलन बनाए रखती हैं और पृथ्वी के चार निचले शरीर पुनः व्यवस्थित हो जाते हैं। | जलवायु में परिवर्तन, तूफान, बाढ़, आग, बवंडर और प्रलय - सब मनुष्य द्वारा [[Special:MyLanguage/Holy Spirit|ईश्वरीय ऊर्जा]] की रचनात्मक शक्ति के दुरुपयोग का परिणाम हैं। समय समय पर होनेवाली ये प्राकृतिक बाधाएं सृष्टि के मौलिक तत्वों का संतुलन बनाए रखती हैं और पृथ्वी के चार निचले शरीर पुनः व्यवस्थित हो जाते हैं। | ||
<span id="Petitions_from_mankind"></span> | <span id="Petitions_from_mankind"></span> | ||
== मानव जाति की याचिकाएँ == | == मानव जाति की याचिकाएँ (Petitions) == | ||
{{Main-hi|Petitions to the Karmic Board|कार्मिक समिति को दी जानेवाली याचिकाएँ}} | {{Main-hi|Petitions to the Karmic Board|कार्मिक समिति को दी जानेवाली याचिकाएँ}} | ||
साल में दो बार, [[Special:MyLanguage/winter solstice|शीतकालीन]] (winter solstice) और ग्रीष्मकालीन | साल में दो बार, [[Special:MyLanguage/winter solstice|शीतकालीन]] (winter solstice) और ग्रीष्मकालीन (summer solstice), कर्मों के स्वामी मनुष्यों की याचिकाओं पर पुनर्विचार करने के लिए [[Special:MyLanguage/Royal Teton Retreat|रॉयल टीटान आश्रय स्थल]] (Royal Teton Retreat) सभा में मिलते हैं। इन याचिकाओं में दिव्यगुरूओं के शिष्य सकारात्मक कार्यों को करने के लिए उनसे ऊर्जा, प्रकाश-रुपी उपहार और अनुदान का अनुरोध करते हैं। इस सभी याचिकाओं के पत्रों को प्रार्थना करने के बाद जला दिया जाता है जिन्हें देवदूत आकाशीय स्तर पर रॉयल टीटान आश्रय स्थल (Royal Teton Retreat) में ले जाते हैं, जहां कर्मों के स्वामी उन्हें पढ़ते हैं। | ||
जो शिष्य ईश्वर | जो शिष्य ईश्वर से सहायता माँगते है, वे बदले में किसी विशेष कार्य या सेवा करने का प्रण कर सकते हैं, या फिर वे नियमित रूप से ईश्वर की [[Special:MyLanguage/prayer|प्रार्थना]] और [[Special:MyLanguage/decree|दिव्य आदेश]] (decree) करने की प्रतिज्ञा ले सकते हैं। मनुष्यों द्वारा किये गए दिव्य आदेश दिव्यगुरूओं को के लिए एक निधि समान होते हैं जिनका उपयोग वे विश्व के लिए कल्याणकारी कार्यों में कर सकते हैं। शिष्य अपने [[Special:MyLanguage/causal body|कारण शरीर]] (causal body) का एक भाग ऊर्जा के रूप में भी दिव्यगुरूओं दे सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें कर्मों के स्वामी की अनुमति लेनी होती है। कारण शरीर का कितना भाग दिया जा सकता है यह उस व्यक्ति के ईश्वरीय स्वरुप (I AM Presence) और उच्च चेतना पर निर्भर करता है। | ||
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Latest revision as of 18:43, 6 November 2025
कार्मिक समिति (Karmic Board) आठ दिव्यगुरुओं (ascended master) की एक संस्था है जो पृथ्वी के प्रत्येक जीव के प्रति ईश्वरीय न्याय प्रदान करने की ज़िम्मेदारी उठाते हैं। इनका कार्य प्रत्येक जीव को उसके कर्म के अनुसार, दया दिखाते हुए, उचित इन्साफ देना है। ये सभी २४ ज्ञानी दिव्यात्माओं (twenty-four elders) की देखरेख में सेवा करते हुए, पृथ्वी के जीवों और उनके कर्मों के बीच मध्यस्तता का काम करते हैं।
सभी जीवात्माओं को पृथ्वी पर प्रत्येक जन्म लेने से पहले और मृत्यु के पश्चात कार्मिक समिति के सामने प्रस्तुत होना होता है। यहाँ उनके पूर्व जीवन की समीक्षा (review) और आगामी जीवन के कर्मों का आबंटन (allotment) होता है। कर्मों के स्वामी जीवन का लेखा-जोखा रखने वाले तथा उनकी कर्मों को सूची पत्र में लिखने वाले देवदूत (Keeper of the Scrolls) को प्रत्येक मनुष्य को उसके जन्म-जन्मांतर के कर्मों का अभिलेख दिखाते हैं। फिर इस बात का निर्णय लेना होता है कि कौन सी जीवात्मा पृथ्वी पर पुनः जन्म लेगी और उसका जन्म कब और कहाँ होगा। वे जीवात्मा के कर्मों का अवलोकन (review) करके इस बात का भी निर्णय लेते हैं कि उसे कैसा परिवार और समुदाय मिलेगा। जीवात्मा के ईश्वरीय स्वरुप और उसकी उच्च चेतना के साथ विचार विमर्श करके कार्मिक समिति के सदस्य इस बात का भी निर्णय लेते हैं कि वह समय कब आएगा जब जीवात्मा जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो ईश्वर के श्री चरणों में विलीन हो जायेगी।
सदस्य
कार्मिक समिति के सदस्य निम्नलिखित हैं: महान दिव्य निर्देशक (Great Divine Director) वह पहली किरण का प्रतिनिधित्व करते हैं , स्वाधीनता की देवी (Goddess of Liberty) दूसरी किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं, दिव्य महिला गुरु नाडा (Nada) तीसरी किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं, एलोहिम साइक्लोपीया (Elohim Cyclopea) वह चौथी किरण का प्रतिनिधित्व करते हैं, सत्य की देवी पालस अथीना (Pallas Athena) वह पांचवीं किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं, न्याय की देवी पोर्शिया (Portia) वह छठी किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं और दया की देवी कुआन यिन (Kuan Yin) वह सातवीं किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं। कुछ समय पहले पांच ध्यानी बुद्धों में से एक वैरोचना (Vairochana) कार्मिक समिति के आठवें सदस्य बनाये गए हैं।
अपनी अपरिमित दया दिखाते हुए भगवान ने कार्मिक समिति के सदस्यों को मनुष्यों में ईश्वर के नियमों की मध्यस्तता करने के लिए नियुक्त किया है। कार्मिक समिति मानव जाति की उच्च-चेतना के स्तर पर कार्य करती है और प्रतिदिन मानव जाति द्वारा ऊर्जा के उपयोग के संतुलन को बनाए रखती है।
कार्य
कर्मों के स्वामी व्यक्तिगत कर्म, समूह कर्म, राष्ट्रीय कर्म और विश्व कर्म के चक्रों का निर्णय करते हैं। इन कर्म चक्रों को निर्धारित करते समय उनका लक्ष्य केवल लोगों की आध्यात्मिक उन्नति होता है। जब कर्मों के स्वामी पृथ्वी के लिए कर्म का एक चक्र को आरम्भ करते हैं, तो वे प्रकृति साम्राज्य को भी विशेष कार्य देते हैं - ये कार्य चक्र के नियम के अनुसार ही होते हैं।
मनुष्यों के आपसी मतभेदों का सबसे अधिक प्रभाव सृष्टि देवों (elemental) पर पड़ता है। हज़ारों वर्ष पहले लेमूरिया (Lemuria) महाद्वीप का प्रशांत महासागर में डूबना इस बात की पुष्टि करता है। यह उस समय के पुजारियों द्वारा पवित्र अग्नि का अत्याधिक दुरुपयोग करने के कारण हुआ था।
जलवायु में परिवर्तन, तूफान, बाढ़, आग, बवंडर और प्रलय - सब मनुष्य द्वारा ईश्वरीय ऊर्जा की रचनात्मक शक्ति के दुरुपयोग का परिणाम हैं। समय समय पर होनेवाली ये प्राकृतिक बाधाएं सृष्टि के मौलिक तत्वों का संतुलन बनाए रखती हैं और पृथ्वी के चार निचले शरीर पुनः व्यवस्थित हो जाते हैं।
मानव जाति की याचिकाएँ (Petitions)
► मुख्य लेख: कार्मिक समिति को दी जानेवाली याचिकाएँ
साल में दो बार, शीतकालीन (winter solstice) और ग्रीष्मकालीन (summer solstice), कर्मों के स्वामी मनुष्यों की याचिकाओं पर पुनर्विचार करने के लिए रॉयल टीटान आश्रय स्थल (Royal Teton Retreat) सभा में मिलते हैं। इन याचिकाओं में दिव्यगुरूओं के शिष्य सकारात्मक कार्यों को करने के लिए उनसे ऊर्जा, प्रकाश-रुपी उपहार और अनुदान का अनुरोध करते हैं। इस सभी याचिकाओं के पत्रों को प्रार्थना करने के बाद जला दिया जाता है जिन्हें देवदूत आकाशीय स्तर पर रॉयल टीटान आश्रय स्थल (Royal Teton Retreat) में ले जाते हैं, जहां कर्मों के स्वामी उन्हें पढ़ते हैं।
जो शिष्य ईश्वर से सहायता माँगते है, वे बदले में किसी विशेष कार्य या सेवा करने का प्रण कर सकते हैं, या फिर वे नियमित रूप से ईश्वर की प्रार्थना और दिव्य आदेश (decree) करने की प्रतिज्ञा ले सकते हैं। मनुष्यों द्वारा किये गए दिव्य आदेश दिव्यगुरूओं को के लिए एक निधि समान होते हैं जिनका उपयोग वे विश्व के लिए कल्याणकारी कार्यों में कर सकते हैं। शिष्य अपने कारण शरीर (causal body) का एक भाग ऊर्जा के रूप में भी दिव्यगुरूओं दे सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें कर्मों के स्वामी की अनुमति लेनी होती है। कारण शरीर का कितना भाग दिया जा सकता है यह उस व्यक्ति के ईश्वरीय स्वरुप (I AM Presence) और उच्च चेतना पर निर्भर करता है।
स्रोत
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Masters and Their Retreats, एस.वी. “कार्मिक बोर्ड”