Translations:Ascension/8/hi: Difference between revisions

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<blockquote>हमारे इश्वरिये स्वरूप के हृदय में स्तिथ लौ भौतिक शरीर के हृदय की (in the heart of the Presence)[[Special:MyLanguage/threefold flame|त्रिज्योति लौ]] (threefold flame) को आकर्षित करती है और प्रकाशरूपी परिधान उस व्यक्ति को पवित्र प्रकाश की डोर के द्वारा अपने अंदर समेट लेता है जिस से उस व्यक्ति की आध्यात्मिक उत्थान की प्रक्रिया आरंभ हो जाती है। इसके बाद इंसान के शरीर में कुछ असाधारण (Tremendous) बदलाव होते हैं जिनके फ़लस्वरूप शरीर पूरी तरह से पवित्र हो जाता है। मनुष्य अपने चार निचले शरीरों की अशुद्धियों से मुक्त होने लगता है और फिर भौतिक शरीर हल्का होना शुरू हो जाता है,हल्का होते होते पूर्णतः भारहीन होकर आसमान में ऊपर उठने लगता है, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का उसपर असर नहीं होता। प्रकाश से आच्छादित ये शरीर ऐसा ही प्रतीत होता है जैसा परमपिता परमेश्वर के शरीर के बारे में हम जानते है। इसके बाद भौतिक शरीर गौरवशाली आध्यात्मिक शरीर में परिवर्तित हो जाता है।<ref>{{DOA}}, pp. 157–59, 175–77.</ref></blockquote>
<blockquote>ईश्वर स्वरूप के हृदय में स्तिथ लौ हमारे भौतिक शरीर के हृदय की (in the heart of the Presence) [[Special:MyLanguage/threefold flame|त्रिज्योति लौ]] (threefold flame) को आकर्षित करती है और प्रकाशरूपी परिधान उस व्यक्ति को पवित्र प्रकाश की डोर के द्वारा अपने अंदर समेट लेता है जिस से उस व्यक्ति की आध्यात्मिक उत्थान की प्रक्रिया आरंभ हो जाती है। इसके बाद इंसान के शरीर में कुछ असाधारण (tremendous) बदलाव होते हैं जिनके फ़लस्वरूप शरीर पूरी तरह से पवित्र हो जाता है, मनुष्य अपने चार निचले शरीरों की अशुद्धियों से मुक्त होने लगता है और फिर भौतिक शरीर हल्का होना शुरू हो जाता है। हल्का होते होते पूर्णतः भारहीन होकर वायुमंडल में ऊपर की ओर उठने लगता है और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का उस पर असर नहीं होता। शरीर प्रकाश से ढक जाता है, ऐसा प्रतीत होता है जैसे मनुष्य "शुरुआत में" अपने ईश्वरीय स्वरुप (I AM Presence) से एकीकरण के बारे में जानता था। इसके बाद भौतिक शरीर महान ईश्वर की लौ के द्वारा गौरवशाली आध्यात्मिक शरीर में परिवर्तित हो जाता है।<ref>{{DOA}}, pp. 157–59, 175–77.</ref></blockquote>

Latest revision as of 09:49, 7 November 2023

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Message definition (Ascension)
<blockquote>The flame above (in the heart of the Presence) magnetizes the flame below (the [[threefold flame]] within the heart) and the wedding garment descends around the silver cord to envelop the lifestream of the individual in those tangible and vital essence currents of the ascension. Tremendous changes then take place in the form below, and the four lower bodies of man are cleansed of all impurities. Lighter and lighter grows the physical form, and with the weightlessness of helium the body begins to rise into the atmosphere, the gravitational pull being loosened and the form enveloped by the light of the externalized glory which man knew with the Father “in the beginning.”... The individual ascends, then, not in an earthly body but in a glorified spiritual body into which the physical form is changed on the instant by total immersion in the great God flame.<ref>{{DOA}}, pp. 157–59, 175–77.</ref></blockquote>

ईश्वर स्वरूप के हृदय में स्तिथ लौ हमारे भौतिक शरीर के हृदय की (in the heart of the Presence) त्रिज्योति लौ (threefold flame) को आकर्षित करती है और प्रकाशरूपी परिधान उस व्यक्ति को पवित्र प्रकाश की डोर के द्वारा अपने अंदर समेट लेता है जिस से उस व्यक्ति की आध्यात्मिक उत्थान की प्रक्रिया आरंभ हो जाती है। इसके बाद इंसान के शरीर में कुछ असाधारण (tremendous) बदलाव होते हैं जिनके फ़लस्वरूप शरीर पूरी तरह से पवित्र हो जाता है, मनुष्य अपने चार निचले शरीरों की अशुद्धियों से मुक्त होने लगता है और फिर भौतिक शरीर हल्का होना शुरू हो जाता है। हल्का होते होते पूर्णतः भारहीन होकर वायुमंडल में ऊपर की ओर उठने लगता है और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का उस पर असर नहीं होता। शरीर प्रकाश से ढक जाता है, ऐसा प्रतीत होता है जैसे मनुष्य "शुरुआत में" अपने ईश्वरीय स्वरुप (I AM Presence) से एकीकरण के बारे में जानता था। इसके बाद भौतिक शरीर महान ईश्वर की लौ के द्वारा गौरवशाली आध्यात्मिक शरीर में परिवर्तित हो जाता है।[1]

  1. Serapis Bey, Dossier on the Ascension, pp. 157–59, 175–77.