Karmic Board/hi: Difference between revisions

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प्रत्येक जीवात्मा को पृथ्वी पर जन्म लेने से पहले और पृथ्वी से पलायन (मृत्यु) के बाद कार्मिक बोर्ड के सामने प्रस्तुत होने होता है। यहाँ उनके पूर्व जीवन का अवलोकन और आगामी जीवन के कर्मों का आवंटन होता है। मनुष्यों के जीवन का लेखा-जोखा रखने वाले तथा उनकी [[Special:MyLanguage/Keeper of the Scrolls|सूचीपत्र के रखवाले]] कर्म के स्वामी को हर एक मनुष्य के जन्म-जन्मांतर के कर्मों के अभिलेख दिखाते हैं। फिर इस बात का निर्णय होता है कि कौन सी जीवात्मा पृथ्वी पर पुनः जन्म लेगी और उसका जन्म कब और कहाँ होगा। वे जीवात्मा के कर्मों का अवलोकन कर इस बात का भी निर्णय लेते हैं हैं कि उसे कैसा परिवार और समुदाय मिलेगा। जीवात्मा के [[Special:MyLanguage/I AM Presence|ईश्वरीय स्वरुप]] और उसकी [[Special:MyLanguage/Christ Self|स्व चेतना]] के साथ विचार विमर्श कर के कार्मिक बोर्ड के सदस्य इस बात का भी निर्णय लेते हैं कि वह समय कब आएगा जब जीवात्मा जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो ईश्वर के श्री चरणों में विलीन हो जायेगी।  
प्रत्येक जीवात्मा को पृथ्वी पर जन्म लेने से पहले और पृथ्वी से पलायन (मृत्यु) के बाद कार्मिक बोर्ड के सामने प्रस्तुत होने होता है। यहाँ उनके पूर्व जीवन का अवलोकन और आगामी जीवन के कर्मों का आवंटन होता है। मनुष्यों के जीवन का लेखा-जोखा रखने वाले तथा उनकी [[Special:MyLanguage/Keeper of the Scrolls|सूचीपत्र के रखवाले]] कर्म के स्वामी को हर एक मनुष्य के जन्म-जन्मांतर के कर्मों के अभिलेख दिखाते हैं। फिर इस बात का निर्णय होता है कि कौन सी जीवात्मा पृथ्वी पर पुनः जन्म लेगी और उसका जन्म कब और कहाँ होगा। वे जीवात्मा के कर्मों का अवलोकन कर इस बात का भी निर्णय लेते हैं हैं कि उसे कैसा परिवार और समुदाय मिलेगा। जीवात्मा के [[Special:MyLanguage/I AM Presence|ईश्वरीय स्वरुप]] और उसकी [[Special:MyLanguage/Christ Self|स्व चेतना]] के साथ विचार विमर्श कर के कार्मिक बोर्ड के सदस्य इस बात का भी निर्णय लेते हैं कि वह समय कब आएगा जब जीवात्मा जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो ईश्वर के श्री चरणों में विलीन हो जायेगी।  


== Members ==
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== सदस्य ==


The Karmic Board consists of the [[Great Divine Director]] (representing the first ray), the [[Goddess of Liberty]] (second ray), Ascended Lady Master [[Nada]] (third ray), Elohim [[Cyclopea]] (fourth ray), [[Pallas Athena]], the Goddess of Truth (fifth ray), [[Portia]], Goddess of Justice (sixth ray) and [[Kuan Yin]], the Goddess of Mercy (seventh ray). Recently [[Vairochana]], one of the [[five Dhyani Buddhas]], became the eighth member of the Karmic Board.
कार्मिक बोर्ड के सदस्य निम्नलिखित हैं: [[Special:MyLanguage/Great Divine Director|महान दिव्य निर्देशक]] (ये पहली किरण का प्रतिनिधित्व करते हैं , [[Special:MyLanguage/Goddess of Liberty|स्वतंत्रता की देवी]] (दूसरी किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं), दिव्यगुरु लेडी मास्टर [[Special:MyLanguage/Nada|नाडा]] (तीसरी किरण के प्रतिनिधित्व करती हैं), एलोहिम [[Special:MyLanguage/Cyclopea|साइक्लोपीया]] (ये चौथी किरण का प्रतिनिधित्व करते हैं), सत्य की देवी [[Special:MyLanguage/Pallas Athena|पालस एथेना]] (ये पांचवीं किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं), न्याय की देवी [[Special:MyLanguage/Portia|पोर्शिया]] (ये छठी किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं) और दया की देवी [[Special:MyLanguage/Kuan Yin|कुआन यिन]] (ये सातवीं) किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं)। थोड़ा समय पहले [[Special:MyLanguage/five Dhyani Buddhas|पांच ध्यानी बुद्धों]] में से एक [[Special:MyLanguage/Vairochana|वैरोचन]] कार्मिक बोर्ड के आठवें सदस्य बनाये गए हैं।


Out of his great mercy, God has anointed these beings to act as mediators between the perfection of the Law and the imperfection of those who have departed from the state of grace. The Karmic Board serves, then, at the level of the Christ Self of mankind, daily weighing the balance of mankind’s use of energy Above and below.
अपनी अपरिमित दया दिखाते हुए भगवान ने कार्मिक बोर्ड के सदस्यों को मनुष्यों और ईश्वर के बीच मध्यस्तता करने के लिए नियुक्त किया है। कार्मिक बोर्ड मानव जाति की स्व-चेतना के स्तर पर कार्य करता है और प्रतिदिन मानव जाति द्वारा ऊर्जा के उपयोग के संतुलन को नापता है।


== Functions ==
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== कार्य ==


The Lords of Karma adjudicate the cycles of individual karma, group karma, national karma and world karma, always seeking to apply the Law in the way that will give people the best opportunity to make spiritual progress. When the Karmic Lords release a spiral of karma for the planet, the entire nature kingdom plays a part in its descent, which is always according to the [[law of cycles]].
कर्म के स्वामी व्यक्तिगत कर्म, समूह कर्म, राष्ट्रीय कर्म और विश्व कर्म के चक्रों का निर्णय करते हैं। इन कर्म चक्रों को निर्धारित करते समय उनका मंतव्य केवल लोगों की आध्यात्मिक उन्नति होता है। जब कर्म के स्वामी पृथ्वी के लिए कर्म का एक चक्र जारी करते हैं, तो वे प्रकृति साम्राज्य को भी विशेष कार्य देते हैं - ये कार्य [[Special:MyLanguage/law of cycles|चक्र के नियम]] के अनुसार ही होते हैं।


The [[elemental]]s have been the foremost instruments of the karmic return of mankind’s discord. The earliest memory we have of this phenomenon is the sinking of the continent of [[Lemuria]] beneath the Pacific many thousands of years ago for the karma of the abuse of the sacred fire by priests and priestesses at the altars of God.
मनुष्यों के आपसी मतभेदों और प्रकृति की अवमानना का सबसे ज़्यादा असर [[Special:MyLanguage/elemental|सृष्टि देवो]] पर पड़ता है। हज़ारों वर्ष पहले [[Special:MyLanguage/Lemuria|लेमूरिया]] महाद्वीप का प्रशांत महासागर में डूबना इस बात की पुष्टि करता है। यह उस समय के पुजारियों द्वारा पवित्र अग्नि का अत्याधिक दुरुपयोग करने के कारण हुआ था।


Changes in climatic conditions (as well as storm, flood, fire, tornado and cataclysm) are brought about as the result of man’s misuse of the creative power of the [[Holy Spirit]]. Through these periodic disturbances in nature, when Atlas shrugs off human discord, the balance of the four elements is restored and the four lower bodies of the planet are purified and realigned.
जलवायु में परिवर्तन, तूफान, बाढ़, आग, बवंडर और प्रलय - सब मनुष्य द्वारा [[Special:MyLanguage/Holy Spirit|पवित्र आत्मा]] की रचनात्मक शक्ति के दुरुपयोग का परिणाम है। समय समय पर होनेवाली ये प्राकृतिक गड़बड़ियां सृष्टि के मौलिक तत्वों का संतुलन बहाल करती हैं और पृथ्वी के चार निचले शरीर पुनः व्यवस्थित हो जाते हैं।


== Petitions from mankind ==
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== मानव जाति की याचिकाएँ ==


{{Main|Petitions to the Karmic Board}}
{{Main-hi|Petitions to the Karmic Board|कार्मिक बोर्ड को दी जानेवाली याचिकाएँ}}


Twice a year, at [[winter solstice|winter]] and summer solstice, the Lords of Karma meet at the [[Royal Teton Retreat]] to review petitions from unascended mankind. Traditionally, students of the masters write personal petitions to the Karmic Board requesting grants of energy, dispensations and sponsorship for constructive projects and endeavors. The letters are consecrated and burned. The angels then carry the etheric matrix of these letters to the Royal Teton Retreat, where they are read by the Lords of Karma.
साल में दो बार, [[Special:MyLanguage/winter solstice|शीतकालीन]] और ग्रीष्मकालीन संक्रांति पर, कर्म के देवता मनुष्यों की याचिकाओं की समीक्षा करने के लिए [[Special:MyLanguage/Royal Teton Retreat|रॉयल टेटन रिट्रीट]] में मिलते हैं। इन याचिकाओं में दिव्यगुरूओं के शिष्य सकारात्मक कार्यों को करने के लिए उनसे ऊर्जा, प्रकाश-रुपी उपहार और अनुदान का अनुरोध करते हैं। इस सभी पत्रों को पवित्र करने के बाद जला दिया जाता है जिसके बाद देवदूत इन्हें आकाशीय स्तर पर रॉयल टेटन रिट्रीट में ले जाते हैं, जहां कर्म के स्वामी सबकी याचिकाएं पढ़ते हैं।


Students who are requesting assistance may offer to perform a particular service or work or make a commitment to certain [[prayer]]s and [[decree]]s that the masters can use as “seed money” for something they desire to see accomplished in the world. They may also offer a portion of their [[causal body]] as energy for the masters to use, but such an offer must be approved by the Lords of Karma. The exact percentage will be determined by the I AM Presence and Holy Christ Self.
जो शिष्य ईश्वर की सहायता माँगते है, वे बदले में किसी विशेष कार्य या सेवा करने का प्रण कर सकते हैं, या फिर वे नियमित रूप से ईश्वर की [[Special:MyLanguage/prayer|प्रार्थना]] और [[Special:MyLanguage/decree|डिक्री]] करने की प्रतिज्ञा ले सकते हैं। मनुष्यों द्वारा की गयी डिक्रीस दिव्यगुरूओं के लिए एक निधि समान होती हैं जिसका उपयोग वे विश्व के लिए कल्याणकारी कार्यों में कर सकते हैं। शिष्य अपने [[Special:MyLanguage/causal body|कारण शरीर]] का एक भाग ऊर्जा के रूप में भी दिव्यगुरूओं दे सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें कर्म के स्वामी की अनुमति लेनी होती है। कारण शरीर का कितना भाग दिया जा सकता है  यह उस व्यक्ति के ईश्वरीय स्वरुप और पवित्र आत्मिक स्व पर निर्भर करता है।


== Sources ==
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== स्रोत ==


{{MTR}}, s.v. “Karmic Board.”
{{MTR}}, एस.वी. “कार्मिक बोर्ड”

Latest revision as of 11:04, 10 May 2024

Other languages:

कार्मिक बोर्ड आठ दिव्यगुरुओं की एक संस्था है जो पृथ्वी के प्रत्येक जीव की ज़िम्मेदारी उठाती है। इनका कार्य हर एक जीव को उसके कर्म के अनुसार, दया दिखाते हुए, उचित इन्साफ देना है। ये सभी २४ वरिष्ठ दिव्यात्माओं के अधीन रहते हुए, पृथ्वी के जीवों और उनके कर्मों के बीच मध्यस्तता का काम करते हैं।

प्रत्येक जीवात्मा को पृथ्वी पर जन्म लेने से पहले और पृथ्वी से पलायन (मृत्यु) के बाद कार्मिक बोर्ड के सामने प्रस्तुत होने होता है। यहाँ उनके पूर्व जीवन का अवलोकन और आगामी जीवन के कर्मों का आवंटन होता है। मनुष्यों के जीवन का लेखा-जोखा रखने वाले तथा उनकी सूचीपत्र के रखवाले कर्म के स्वामी को हर एक मनुष्य के जन्म-जन्मांतर के कर्मों के अभिलेख दिखाते हैं। फिर इस बात का निर्णय होता है कि कौन सी जीवात्मा पृथ्वी पर पुनः जन्म लेगी और उसका जन्म कब और कहाँ होगा। वे जीवात्मा के कर्मों का अवलोकन कर इस बात का भी निर्णय लेते हैं हैं कि उसे कैसा परिवार और समुदाय मिलेगा। जीवात्मा के ईश्वरीय स्वरुप और उसकी स्व चेतना के साथ विचार विमर्श कर के कार्मिक बोर्ड के सदस्य इस बात का भी निर्णय लेते हैं कि वह समय कब आएगा जब जीवात्मा जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो ईश्वर के श्री चरणों में विलीन हो जायेगी।

सदस्य

कार्मिक बोर्ड के सदस्य निम्नलिखित हैं: महान दिव्य निर्देशक (ये पहली किरण का प्रतिनिधित्व करते हैं , स्वतंत्रता की देवी (दूसरी किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं), दिव्यगुरु लेडी मास्टर नाडा (तीसरी किरण के प्रतिनिधित्व करती हैं), एलोहिम साइक्लोपीया (ये चौथी किरण का प्रतिनिधित्व करते हैं), सत्य की देवी पालस एथेना (ये पांचवीं किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं), न्याय की देवी पोर्शिया (ये छठी किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं) और दया की देवी कुआन यिन (ये सातवीं) किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं)। थोड़ा समय पहले पांच ध्यानी बुद्धों में से एक वैरोचन कार्मिक बोर्ड के आठवें सदस्य बनाये गए हैं।

अपनी अपरिमित दया दिखाते हुए भगवान ने कार्मिक बोर्ड के सदस्यों को मनुष्यों और ईश्वर के बीच मध्यस्तता करने के लिए नियुक्त किया है। कार्मिक बोर्ड मानव जाति की स्व-चेतना के स्तर पर कार्य करता है और प्रतिदिन मानव जाति द्वारा ऊर्जा के उपयोग के संतुलन को नापता है।

कार्य

कर्म के स्वामी व्यक्तिगत कर्म, समूह कर्म, राष्ट्रीय कर्म और विश्व कर्म के चक्रों का निर्णय करते हैं। इन कर्म चक्रों को निर्धारित करते समय उनका मंतव्य केवल लोगों की आध्यात्मिक उन्नति होता है। जब कर्म के स्वामी पृथ्वी के लिए कर्म का एक चक्र जारी करते हैं, तो वे प्रकृति साम्राज्य को भी विशेष कार्य देते हैं - ये कार्य चक्र के नियम के अनुसार ही होते हैं।

मनुष्यों के आपसी मतभेदों और प्रकृति की अवमानना का सबसे ज़्यादा असर सृष्टि देवो पर पड़ता है। हज़ारों वर्ष पहले लेमूरिया महाद्वीप का प्रशांत महासागर में डूबना इस बात की पुष्टि करता है। यह उस समय के पुजारियों द्वारा पवित्र अग्नि का अत्याधिक दुरुपयोग करने के कारण हुआ था।

जलवायु में परिवर्तन, तूफान, बाढ़, आग, बवंडर और प्रलय - सब मनुष्य द्वारा पवित्र आत्मा की रचनात्मक शक्ति के दुरुपयोग का परिणाम है। समय समय पर होनेवाली ये प्राकृतिक गड़बड़ियां सृष्टि के मौलिक तत्वों का संतुलन बहाल करती हैं और पृथ्वी के चार निचले शरीर पुनः व्यवस्थित हो जाते हैं।

मानव जाति की याचिकाएँ

मुख्य लेख: कार्मिक बोर्ड को दी जानेवाली याचिकाएँ

साल में दो बार, शीतकालीन और ग्रीष्मकालीन संक्रांति पर, कर्म के देवता मनुष्यों की याचिकाओं की समीक्षा करने के लिए रॉयल टेटन रिट्रीट में मिलते हैं। इन याचिकाओं में दिव्यगुरूओं के शिष्य सकारात्मक कार्यों को करने के लिए उनसे ऊर्जा, प्रकाश-रुपी उपहार और अनुदान का अनुरोध करते हैं। इस सभी पत्रों को पवित्र करने के बाद जला दिया जाता है जिसके बाद देवदूत इन्हें आकाशीय स्तर पर रॉयल टेटन रिट्रीट में ले जाते हैं, जहां कर्म के स्वामी सबकी याचिकाएं पढ़ते हैं।

जो शिष्य ईश्वर की सहायता माँगते है, वे बदले में किसी विशेष कार्य या सेवा करने का प्रण कर सकते हैं, या फिर वे नियमित रूप से ईश्वर की प्रार्थना और डिक्री करने की प्रतिज्ञा ले सकते हैं। मनुष्यों द्वारा की गयी डिक्रीस दिव्यगुरूओं के लिए एक निधि समान होती हैं जिसका उपयोग वे विश्व के लिए कल्याणकारी कार्यों में कर सकते हैं। शिष्य अपने कारण शरीर का एक भाग ऊर्जा के रूप में भी दिव्यगुरूओं दे सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें कर्म के स्वामी की अनुमति लेनी होती है। कारण शरीर का कितना भाग दिया जा सकता है यह उस व्यक्ति के ईश्वरीय स्वरुप और पवित्र आत्मिक स्व पर निर्भर करता है।

स्रोत

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Masters and Their Retreats, एस.वी. “कार्मिक बोर्ड”