Translations:Great Divine Director/19/hi: Difference between revisions

From TSL Encyclopedia
No edit summary
No edit summary
 
(3 intermediate revisions by the same user not shown)
Line 1: Line 1:
जब आप गणेश जी का ध्यान करते हैं तो आप ईश्वरीय मस्तिष्क के अनंत ज्ञान के भंडार में    प्रवेश करते हैं। जब आप उस रूपरेखा के संपर्क में आते हैं, तो आप अपनी मूल (सर्पिल) ऊर्जा के संपर्क में भी आते हैं - इस ऊर्जा को आपके स्वयं के [[Special:MyLanguage/I AM Presence|ईश्वरीय स्वरुप]] से तब जारी किया जाता है जब आप भगवान की सेवा में कोई कार्य शुरू करनेवाले होते हैं। यही संपर्क आप महान दिव्य निदेशक के माध्यम से भी बना सकते हैं। इन्हें हम गणेश कहते हैं और ईश्वरीय मस्तिष्क तथा हम ब्रह्मांडीय कंप्यूटर भी
जब आप गणेश जी का ध्यान करते हैं तो आप ईश्वरीय मस्तिष्क के अनंत ज्ञान के भंडार में    प्रवेश करते हैं। जब आप उस रूपरेखा के संपर्क में आते हैं, तो आप अपनी मूल (सर्पिल) ऊर्जा के संपर्क में भी आते हैं - इस ऊर्जा को आपके स्वयं के [[Special:MyLanguage/I AM Presence|ईश्वरीय स्वरुप]] (I AM Presence) से तब जारी किया जाता है जब आप भगवान की सेवा में कोई कार्य शुरू करनेवाले होते हैं। यही संपर्क आप महान दिव्य निर्देशक के माध्यम से भी बना सकते हैं। इन्हें हम गणेश, ईश्वरीय मस्तिष्क और ब्रह्मांडीय कंप्यूटर भी कहते हैं।

Latest revision as of 11:49, 15 December 2024

Information about message (contribute)
This message has no documentation. If you know where or how this message is used, you can help other translators by adding documentation to this message.
Message definition (Great Divine Director)
Meditation on Ganesha leads you to this infinite storehouse of the blueprint of the mind of God. When you contact that blueprint, you have contacted the core spiral of energy that must be released out of the nucleus of the atom of your own [[I AM Presence]] for you to begin whatever project you are beginning in the service of God. You can make the same contact through the ascended master the Great Divine Director, who himself, as you might say, becomes Ganesha, becomes that mind, that cosmic computer.

जब आप गणेश जी का ध्यान करते हैं तो आप ईश्वरीय मस्तिष्क के अनंत ज्ञान के भंडार में प्रवेश करते हैं। जब आप उस रूपरेखा के संपर्क में आते हैं, तो आप अपनी मूल (सर्पिल) ऊर्जा के संपर्क में भी आते हैं - इस ऊर्जा को आपके स्वयं के ईश्वरीय स्वरुप (I AM Presence) से तब जारी किया जाता है जब आप भगवान की सेवा में कोई कार्य शुरू करनेवाले होते हैं। यही संपर्क आप महान दिव्य निर्देशक के माध्यम से भी बना सकते हैं। इन्हें हम गणेश, ईश्वरीय मस्तिष्क और ब्रह्मांडीय कंप्यूटर भी कहते हैं।