Angel/hi: Difference between revisions
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दिव्यदूत अदृश्य रहते हुए भी जिस प्रकार से हम मनुष्यों की सहायता करते हैं, उसे संज्ञान में लेते हुए 'हिब्रू' (Hebrew) के लेखक ने कहा है, "कभी भी अनजान लोगों का सत्कार करने से मत चूकियेगा क्योंकि दिव्यदूत अक्सर अनजान रूप में ही हमारे जीवन में प्रवेश करते हैं।<ref>Heb. 13:2.</ref>—ऐसा कहकर उन्होंने यह बात बताने की कोशिश की है कि दिव्यदूत हमारी मदद के लिए प्रायः मनुष्य रूप लेते हैं, वे हमारे बीच कभी दोस्त तो कभी सहायक बनकर रहते हैं। | |||
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प्रतीकात्मक रूप में कहें तो ये मानिये की दिव्यदूत हमारे आस-पास ऐसे रहते हैं जैसे सूर्य के चारों ओर अणु (इलेक्ट्रान) घुमते हैं - ये वो अणु हैं जिन्होंने ईश्वर की इच्छानुसार लोगों के मन में चेतना जागृत करने का काम अपने ज़िम्मे लिया है। दिव्यदूत [[Special:MyLanguage/Great Central Sun|ग्रेट सेंट्रल सन]] की ऊर्जा, प्रकाश एवं चेतना से परिपूर्ण कण हैं। ये ईश्वर की तेजस्वी उपस्थिति के स्तंभ हैं जो एक तरह से स्टेप-डाउन ट्रांसफार्मर्स (step-down transformers) के सामान हैं जो ईश्वर के अप्रतिम ऊर्जा एवं प्रकाश को इंसानों तक तब पहुंचाते हैं जब वे कर्मफल भोगते हुए अत्यंत कठिन समय से गुज़र रहे होते हैं। | प्रतीकात्मक रूप में कहें तो ये मानिये की दिव्यदूत हमारे आस-पास ऐसे रहते हैं जैसे सूर्य के चारों ओर अणु (इलेक्ट्रान) घुमते हैं - ये वो अणु हैं जिन्होंने ईश्वर की इच्छानुसार लोगों के मन में चेतना जागृत करने का काम अपने ज़िम्मे लिया है। दिव्यदूत [[Special:MyLanguage/Great Central Sun|ग्रेट सेंट्रल सन]] की ऊर्जा, प्रकाश एवं चेतना से परिपूर्ण कण हैं। ये ईश्वर की तेजस्वी उपस्थिति के स्तंभ हैं जो एक तरह से स्टेप-डाउन ट्रांसफार्मर्स (step-down transformers) के सामान हैं जो ईश्वर के अप्रतिम ऊर्जा एवं प्रकाश को इंसानों तक तब पहुंचाते हैं जब वे कर्मफल भोगते हुए अत्यंत कठिन समय से गुज़र रहे होते हैं। | ||
दिव्यदूत कोई भी रूप ले सकते हैं - कभी वे मनुष्य रूप धारण करते हैं तो कभी वे ऊर्जा के एक ऐसे केंद्र केंद्र का रूप ले लेते हैं जो आवश्यकता के समय आसानी से मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर सके सके सके। दिव्यदूत कई प्रकार के हैं - कुछ का कार्य उपचार करना है, कुछ का रक्षा; कुछ प्रेम करना सिखाते हैं तो कुछ धैर्य और करुणा; कुछ दिव्यदूत जीवन और मरण के चक्र पर कार्यरत हैं तो कुछ ईश्वर के वह नेत्र जिनसे कुछ छुपा हुआ नहीं है, जो सत्य की प्रतिमूर्ति हैं तथा सदा सत्य की [[Special:MyLanguage/sword|तलवार]] लेकर चलते हैं जिससे वे सत्य-असत्य में भेद कर पाएं। दिव्यदूतों को उनके कार्यों के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। कुछ दिव्यदूत ऐसे भी हैं जो ब्रह्मांडीय पदानुक्रम के कुछ विशिष्ट कार्य करते हैं - [[Special:MyLanguage/seraphim|सेराफिम]], [[Special:MyLanguage/cherubim|शीरूबिंम]], और वो [[Special:MyLanguage/angel|दिव्यदूत]] जो प्रकृति के साथ कार्य करते हैं अथवा अग्नि, वायु, जल और भूमि [[Special:MyLanguage/elemental|तत्वों]] के साथ सलंग्न हैं। | |||
The Lord in his infinite love has provided for the [[initiation]] of angels, that they might rise in the order of hierarchy. Through centuries of allegiance to the Creator and unswerving devotion to his creation, angels may be given the sacred gift of free will and the opportunity to enter the portals of birth. Once they descend into form in this manner, angels begin evolving through the kingdom of the Gods, subject to the same tests, initiations and karmic laws that apply to the sons and daughters of God. When they have met all of these requirements, the angels may pass through the ritual of the [[ascension]] and may then qualify to fill the office of Archangel or Archeia for a system of worlds. | The Lord in his infinite love has provided for the [[initiation]] of angels, that they might rise in the order of hierarchy. Through centuries of allegiance to the Creator and unswerving devotion to his creation, angels may be given the sacred gift of free will and the opportunity to enter the portals of birth. Once they descend into form in this manner, angels begin evolving through the kingdom of the Gods, subject to the same tests, initiations and karmic laws that apply to the sons and daughters of God. When they have met all of these requirements, the angels may pass through the ritual of the [[ascension]] and may then qualify to fill the office of Archangel or Archeia for a system of worlds. |
Revision as of 15:10, 17 October 2023
दिव्य आत्माएं, सबसे पहलेवाले, ईश्वर द्वारा भेजे गए दूत हैं जिन्हे ईश्वर ने मनुष्यों को अपना सन्देश देने के लिए भेजा है। ये ऐसी शासकीय आत्माएं जिनको ईश्वर ने ईसा मसीह के उत्तराधिकारियों (मनुष्यों) को आराम पहुंचाने, रक्षा करने, मार्गदर्शन करने, मज़बूत बनाने, शिक्षा देने, परामर्श देने और सचेत करने भेजा है। ये प्रकाश के संगी-साथी हैं जो पूरे ब्रह्माण्ड में ईश्वर के बच्चों की सेवा के लिए सदा तत्पर रहते हैं। ये ईश्वर की चेतना से उत्पन्न हुए, स्वयं ईश्वर के द्वारा रचे हुए प्राणी हैं जो पृथ्वी पर मनुष्यों की मदद करने के लिए हैं। देवदूतों के बारे में ईश्वर कहते हैं, "वह अपने दूतों की आत्माओं, अपने सेवकों को पवित्र अग्नि की ज्वाला बनाता है।"
ये दिव्य मेज़बान मनुष्यों से अलग प्रजाति के होते हैं और पूर्ण रूप से ईश्वर तथा अपने क्रम के महादेवदूत के प्रति समर्पित होते हैं। इनका काम ईश्वर द्वारा रचित सृष्टि में ईश्वरीय गुणों को तेज़ गति से केंद्रित करना तथा उनका विस्तार करना है। ये मनुष्यों के आभामंडल को प्रकाशित कर उनके ह्रदय में सकारात्मक विचारों जैसे आशा, विश्वास, परोपकार, गौरव, समग्रता, साहस, सत्यनिष्ठा, स्वाधीनता, कृपा, और न्याय इत्यादि का संचार करते है।
दिव्यदूत अदृश्य रहते हुए भी जिस प्रकार से हम मनुष्यों की सहायता करते हैं, उसे संज्ञान में लेते हुए 'हिब्रू' (Hebrew) के लेखक ने कहा है, "कभी भी अनजान लोगों का सत्कार करने से मत चूकियेगा क्योंकि दिव्यदूत अक्सर अनजान रूप में ही हमारे जीवन में प्रवेश करते हैं।[1]—ऐसा कहकर उन्होंने यह बात बताने की कोशिश की है कि दिव्यदूत हमारी मदद के लिए प्रायः मनुष्य रूप लेते हैं, वे हमारे बीच कभी दोस्त तो कभी सहायक बनकर रहते हैं।
प्रतीकात्मक रूप में कहें तो ये मानिये की दिव्यदूत हमारे आस-पास ऐसे रहते हैं जैसे सूर्य के चारों ओर अणु (इलेक्ट्रान) घुमते हैं - ये वो अणु हैं जिन्होंने ईश्वर की इच्छानुसार लोगों के मन में चेतना जागृत करने का काम अपने ज़िम्मे लिया है। दिव्यदूत ग्रेट सेंट्रल सन की ऊर्जा, प्रकाश एवं चेतना से परिपूर्ण कण हैं। ये ईश्वर की तेजस्वी उपस्थिति के स्तंभ हैं जो एक तरह से स्टेप-डाउन ट्रांसफार्मर्स (step-down transformers) के सामान हैं जो ईश्वर के अप्रतिम ऊर्जा एवं प्रकाश को इंसानों तक तब पहुंचाते हैं जब वे कर्मफल भोगते हुए अत्यंत कठिन समय से गुज़र रहे होते हैं।
दिव्यदूत कोई भी रूप ले सकते हैं - कभी वे मनुष्य रूप धारण करते हैं तो कभी वे ऊर्जा के एक ऐसे केंद्र केंद्र का रूप ले लेते हैं जो आवश्यकता के समय आसानी से मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर सके सके सके। दिव्यदूत कई प्रकार के हैं - कुछ का कार्य उपचार करना है, कुछ का रक्षा; कुछ प्रेम करना सिखाते हैं तो कुछ धैर्य और करुणा; कुछ दिव्यदूत जीवन और मरण के चक्र पर कार्यरत हैं तो कुछ ईश्वर के वह नेत्र जिनसे कुछ छुपा हुआ नहीं है, जो सत्य की प्रतिमूर्ति हैं तथा सदा सत्य की तलवार लेकर चलते हैं जिससे वे सत्य-असत्य में भेद कर पाएं। दिव्यदूतों को उनके कार्यों के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। कुछ दिव्यदूत ऐसे भी हैं जो ब्रह्मांडीय पदानुक्रम के कुछ विशिष्ट कार्य करते हैं - सेराफिम, शीरूबिंम, और वो दिव्यदूत जो प्रकृति के साथ कार्य करते हैं अथवा अग्नि, वायु, जल और भूमि तत्वों के साथ सलंग्न हैं।
The Lord in his infinite love has provided for the initiation of angels, that they might rise in the order of hierarchy. Through centuries of allegiance to the Creator and unswerving devotion to his creation, angels may be given the sacred gift of free will and the opportunity to enter the portals of birth. Once they descend into form in this manner, angels begin evolving through the kingdom of the Gods, subject to the same tests, initiations and karmic laws that apply to the sons and daughters of God. When they have met all of these requirements, the angels may pass through the ritual of the ascension and may then qualify to fill the office of Archangel or Archeia for a system of worlds.
See also
List of ascended masters, cosmic beings and angels
Sources
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation.
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Masters and the Spiritual Path.
- ↑ Heb. 13:2.