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(१) दिव्य आदेश का अभिवादन वाला हिस्सा आह्वानात्मक है। इस भाग में प्रत्येक पुत्र और पुत्री अपने व्यक्तिगत [[Special:MyLanguage/I AM Presence|ईश्वरीय स्वरूप]] (I AM Presence) से दिव्य गुरुओं और सेवकों को संबोधित करते हैं जो आध्यात्मिक पदक्रम में शामिल हैं। यह अभिवादन (दिव्य आदेश की ''प्रस्तावना''), जब आदरपूर्वक किया जाता है, तो यह दिव्यगुरूओं को उत्तर देने के लिए बाध्य करता है। जिस तरह आपके अग्निशमन अधिकारी (firemen) आपकी पुकार को अनसुना नहीं कर सकते उसी तरह वे भी आपकी पुकार का उत्तर देने से इंकार नहीं कर सकते। जब आप प्रेमपूर्वक, अकेले में या अपने साथियों के साथ, ईश्वर का अभिवादन करते है तो आपकी दिव्य आदेश का उत्तर देने के लिए दिव्यगुरु अपनी ऊर्जा को तुरंत संलग्न (engage) करने में बाध्य हो जाते हैं,यही अभिवादन करने का उद्देश्य है। | (१) दिव्य आदेश का अभिवादन वाला हिस्सा आह्वानात्मक है। इस भाग में प्रत्येक पुत्र और पुत्री अपने व्यक्तिगत [[Special:MyLanguage/I AM Presence|ईश्वरीय स्वरूप]] (I AM Presence) से दिव्य गुरुओं और सेवकों को संबोधित करते हैं जो आध्यात्मिक पदक्रम में शामिल हैं। यह अभिवादन (दिव्य आदेश की ''प्रस्तावना''), जब आदरपूर्वक किया जाता है, तो यह दिव्यगुरूओं को उत्तर देने के लिए बाध्य करता है। जिस तरह आपके अग्निशमन अधिकारी (firemen) आपकी पुकार को अनसुना नहीं कर सकते उसी तरह वे भी आपकी पुकार का उत्तर देने से इंकार नहीं कर सकते। जब आप प्रेमपूर्वक, अकेले में या अपने साथियों के साथ, ईश्वर का अभिवादन करते है तो आपकी दिव्य आदेश का उत्तर देने के लिए दिव्यगुरु अपनी ऊर्जा को तुरंत संलग्न (engage) करने में बाध्य हो जाते हैं, यही अभिवादन करने का उद्देश्य है। |
Latest revision as of 09:26, 26 March 2024
(१) दिव्य आदेश का अभिवादन वाला हिस्सा आह्वानात्मक है। इस भाग में प्रत्येक पुत्र और पुत्री अपने व्यक्तिगत ईश्वरीय स्वरूप (I AM Presence) से दिव्य गुरुओं और सेवकों को संबोधित करते हैं जो आध्यात्मिक पदक्रम में शामिल हैं। यह अभिवादन (दिव्य आदेश की प्रस्तावना), जब आदरपूर्वक किया जाता है, तो यह दिव्यगुरूओं को उत्तर देने के लिए बाध्य करता है। जिस तरह आपके अग्निशमन अधिकारी (firemen) आपकी पुकार को अनसुना नहीं कर सकते उसी तरह वे भी आपकी पुकार का उत्तर देने से इंकार नहीं कर सकते। जब आप प्रेमपूर्वक, अकेले में या अपने साथियों के साथ, ईश्वर का अभिवादन करते है तो आपकी दिव्य आदेश का उत्तर देने के लिए दिव्यगुरु अपनी ऊर्जा को तुरंत संलग्न (engage) करने में बाध्य हो जाते हैं, यही अभिवादन करने का उद्देश्य है।