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बौद्ध धर्म के एक प्रसिद्द ग्रन्थ, धम्मपद (Dhammapada), में कर्म की व्याख्या इस प्रकार की गई है: “हमारा आज का अस्तित्व हमारे कल के विचारों के कारण हैं, और हमारा भविष्य हमारे आज के विचारों पर निर्भर है। हमारा पूरा जीवन हमारे दिमाग की ही रचना है। यदि कोई मनुष्य गलत शब्द बोलता है या गलत कार्य करता है, तो दुख उसका उसी प्रकार पीछा करता है, जैसे गाड़ी का पहिया गाड़ी खींचने वाले का। इसके विपरीत जो मनुष्य अच्छा बोलता है और अच्छे कार्य करता है आनंद उसकी परछाई की तरह उसका अनुसरण करता है। ”<ref>जुआन मास्कारो, के ''द धम्मपद: द पाथ ऑफ परफेक्शन'' का अनुवाद (न्यूयॉर्क: पेंगुइन बुक्स, १९७३), पृष्ठ ३५.</ref> | बौद्ध धर्म के एक प्रसिद्द ग्रन्थ, धम्मपद (Dhammapada), में कर्म की व्याख्या इस प्रकार की गई है: “हमारा आज का अस्तित्व हमारे कल के विचारों के कारण हैं, और हमारा भविष्य हमारे आज के विचारों पर निर्भर है। हमारा पूरा जीवन हमारे दिमाग की ही रचना है। यदि कोई मनुष्य गलत शब्द बोलता है या गलत कार्य करता है, तो दुख उसका उसी प्रकार पीछा करता है, जैसे गाड़ी का पहिया गाड़ी खींचने वाले का। इसके विपरीत जो मनुष्य अच्छा बोलता है और अच्छे कार्य करता है आनंद उसकी परछाई की तरह उसका अनुसरण करता है। ”<ref>जुआन मास्कारो, के ''द धम्मपद: द पाथ ऑफ परफेक्शन'' का अनुवाद (न्यूयॉर्क: पेंगुइन बुक्स, १९७३), पृष्ठ ३५.</ref> | ||
[Juan Mascaró, trans., ''The Dhammapada: The Path of Perfection'' (New York: Penguin Books, 1973)] | |||
Revision as of 11:09, 10 February 2025
बौद्ध धर्म के एक प्रसिद्द ग्रन्थ, धम्मपद (Dhammapada), में कर्म की व्याख्या इस प्रकार की गई है: “हमारा आज का अस्तित्व हमारे कल के विचारों के कारण हैं, और हमारा भविष्य हमारे आज के विचारों पर निर्भर है। हमारा पूरा जीवन हमारे दिमाग की ही रचना है। यदि कोई मनुष्य गलत शब्द बोलता है या गलत कार्य करता है, तो दुख उसका उसी प्रकार पीछा करता है, जैसे गाड़ी का पहिया गाड़ी खींचने वाले का। इसके विपरीत जो मनुष्य अच्छा बोलता है और अच्छे कार्य करता है आनंद उसकी परछाई की तरह उसका अनुसरण करता है। ”[1] [Juan Mascaró, trans., The Dhammapada: The Path of Perfection (New York: Penguin Books, 1973)]
- ↑ जुआन मास्कारो, के द धम्मपद: द पाथ ऑफ परफेक्शन का अनुवाद (न्यूयॉर्क: पेंगुइन बुक्स, १९७३), पृष्ठ ३५.