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प्रत्येक व्यक्ति “अपनी बनाई प्रवृत्ति का अनुसरण करने या उसके विरुद्ध संघर्ष करने का चुनाव कर सकता है, ”पश्चिमी देशों में हिंदू धर्म को बढ़ावा देने वाली संस्था रामकृष्ण वेदांत सोसाइटी के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के पास दो विकल्प होते हैं: या तो वह अपनी प्रवृत्ति का अनुसरण करे या फिर उसके विरुद्ध संघर्ष।<ref>ब्रह्मचारिणी उषा, संकलन, ''ए रामकृष्ण-वेदांत वर्डबुक'' (हॉलीवुड, कैलिफ़ोर्निया: वेदांत प्रेस, १९६२), एस.वी. "कर्म।" | प्रत्येक व्यक्ति “अपनी बनाई प्रवृत्ति का अनुसरण करने या उसके विरुद्ध संघर्ष करने का चुनाव कर सकता है, ”पश्चिमी देशों में हिंदू धर्म को बढ़ावा देने वाली संस्था रामकृष्ण वेदांत सोसाइटी के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के पास दो विकल्प होते हैं: या तो वह अपनी प्रवृत्ति का अनुसरण करे या फिर उसके विरुद्ध संघर्ष।<ref>ब्रह्मचारिणी उषा, संकलन, ''ए रामकृष्ण-वेदांत वर्डबुक'' (हॉलीवुड, कैलिफ़ोर्निया: वेदांत प्रेस, १९६२), एस.वी. "कर्म।" (Brahmacharini Usha, comp., ''A Ramakrishna-Vedanta Wordbook'' (Hollywood, Calif.: Vedanta Press, 1962), s.v. “karma.”)</ref> द इनसाइक्लोपीडिया ऑफ़ ईस्टर्न फिलोसोफी एंड रिलिजन (The Encyclopedia of Eastern Philosophy and Religion) में लिखा है कि ''कर्म नियतिवाद का गठन नहीं करता।'' "कर्म पुनर्जन्म के तरीके को अवश्य निर्धारित करते हैं, लेकिन नए जन्म में उसके द्वारा किये जाने वाले कर्म नहीं - अतीत में किये गए कर्मों के कारण आपके जीवन में विभिन्न परिस्थितियां पैदा होती हैं, पर उस परिस्थिति में आपकी प्रतिक्रिया पुराने कर्म पर निर्भर नहीं ।"<ref>''द इनसाइक्लोपीडिया ऑफ़ ईस्टर्न फिलोसोफी एंड रिलिजन'' (बोस्टन: शम्भाला प्रकाशन, १९८९), एस.वी. "कर्म।" | ||
(The Encyclopedia of Eastern Philosophy and Religion'' (Boston: Shambhala Publications, 1989), s.v. “karma.) | (The Encyclopedia of Eastern Philosophy and Religion'' (Boston: Shambhala Publications, 1989), s.v. “karma.)</ref> | ||
Latest revision as of 14:12, 10 February 2025
प्रत्येक व्यक्ति “अपनी बनाई प्रवृत्ति का अनुसरण करने या उसके विरुद्ध संघर्ष करने का चुनाव कर सकता है, ”पश्चिमी देशों में हिंदू धर्म को बढ़ावा देने वाली संस्था रामकृष्ण वेदांत सोसाइटी के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के पास दो विकल्प होते हैं: या तो वह अपनी प्रवृत्ति का अनुसरण करे या फिर उसके विरुद्ध संघर्ष।[1] द इनसाइक्लोपीडिया ऑफ़ ईस्टर्न फिलोसोफी एंड रिलिजन (The Encyclopedia of Eastern Philosophy and Religion) में लिखा है कि कर्म नियतिवाद का गठन नहीं करता। "कर्म पुनर्जन्म के तरीके को अवश्य निर्धारित करते हैं, लेकिन नए जन्म में उसके द्वारा किये जाने वाले कर्म नहीं - अतीत में किये गए कर्मों के कारण आपके जीवन में विभिन्न परिस्थितियां पैदा होती हैं, पर उस परिस्थिति में आपकी प्रतिक्रिया पुराने कर्म पर निर्भर नहीं ।"[2]
- ↑ ब्रह्मचारिणी उषा, संकलन, ए रामकृष्ण-वेदांत वर्डबुक (हॉलीवुड, कैलिफ़ोर्निया: वेदांत प्रेस, १९६२), एस.वी. "कर्म।" (Brahmacharini Usha, comp., A Ramakrishna-Vedanta Wordbook (Hollywood, Calif.: Vedanta Press, 1962), s.v. “karma.”)
- ↑ द इनसाइक्लोपीडिया ऑफ़ ईस्टर्न फिलोसोफी एंड रिलिजन (बोस्टन: शम्भाला प्रकाशन, १९८९), एस.वी. "कर्म।" (The Encyclopedia of Eastern Philosophy and Religion (Boston: Shambhala Publications, 1989), s.v. “karma.)