Translations:Adept/4/hi: Difference between revisions
JaspalSoni (talk | contribs) No edit summary |
JaspalSoni (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
निपुण होने का अर्थ है ईश्वर के मन में प्रवेश करने के लिए अपने भीतर ईश्वर की लौ और ईश्वरीय गुणों में निपुणता प्राप्त करना। इसका मतलब यह है की आप किसी भी परिस्तिथि में विचलित नहीं होते, स्तिथि कितनी ही विषम क्यों न हो, आप अपने मार्ग पर पर अडिग रहते हैं। निपुण व्यक्ति सदा स्थिर भाव से रहते हैं, | निपुण होने का अर्थ है ईश्वर के मन में प्रवेश करने के लिए अपने भीतर ईश्वर की लौ और ईश्वरीय गुणों में निपुणता प्राप्त करना। इसका मतलब यह है की आप किसी भी परिस्तिथि में विचलित नहीं होते, स्तिथि कितनी ही विषम क्यों न हो, आप अपने मार्ग पर पर अडिग रहते हैं। निपुण व्यक्ति सदा स्थिर भाव से रहते हैं, बिल्कुल ताई ची | ||
(T’ai Chi) के मध्य में। वे यह जान पाते हैं कि उनके अंदर ईश्वर का वास है, ईश्वर ने मानव की जगह ले ली है। यह एकीकरण ही आपका लक्ष्य है... | (T’ai Chi) के मध्य में। वे यह जान पाते हैं कि उनके अंदर ईश्वर का वास है, ईश्वर ने मानव की जगह ले ली है। यह एकीकरण ही आपका लक्ष्य है... |
Revision as of 09:43, 21 October 2023
निपुण होने का अर्थ है ईश्वर के मन में प्रवेश करने के लिए अपने भीतर ईश्वर की लौ और ईश्वरीय गुणों में निपुणता प्राप्त करना। इसका मतलब यह है की आप किसी भी परिस्तिथि में विचलित नहीं होते, स्तिथि कितनी ही विषम क्यों न हो, आप अपने मार्ग पर पर अडिग रहते हैं। निपुण व्यक्ति सदा स्थिर भाव से रहते हैं, बिल्कुल ताई ची (T’ai Chi) के मध्य में। वे यह जान पाते हैं कि उनके अंदर ईश्वर का वास है, ईश्वर ने मानव की जगह ले ली है। यह एकीकरण ही आपका लक्ष्य है...