Cosmic Egg/hi: Difference between revisions
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हमारा ब्रह्मांड (universe) इस विशाल अंडे का एक विशेष अंश है, जो पदार्थ में निलंबित आत्मा और आत्मा में निलंबित पदार्थ का बाह्यीकरण है। अनगनित ब्रह्मांड जीवन की [[Special:MyLanguage/Great Hub|महान नाभि]] (Great Hub) के चारों ओर घूमते हैं और घुमते हुए ये एक-दूसरे का अंतर्वेधन करते है। प्रत्येक ब्रह्माण्ड '''महान केंद्रीय सूर्य आकाशगंगा''' (Great Central Sun Galaxy) का अंश है, हर एक का अपना एक आयाम है। | हमारा ब्रह्मांड (universe) इस विशाल अंडे का एक विशेष अंश है, जो पदार्थ में निलंबित आत्मा और आत्मा में निलंबित पदार्थ का बाह्यीकरण है। अनगनित ब्रह्मांड (universes) जीवन की [[Special:MyLanguage/Great Hub|महान नाभि]] (Great Hub) के चारों ओर घूमते हैं और घुमते हुए ये एक-दूसरे का अंतर्वेधन करते है। प्रत्येक ब्रह्माण्ड '''महान केंद्रीय सूर्य आकाशगंगा''' (Great Central Sun Galaxy) का अंश है, हर एक का अपना एक आयाम है। | ||
यह आकाशगंगा ब्रह्मांडीय अंडे का सब कुछ है, इसकी संपूर्ण सामग्री - जर्दी और सफेद भाग को संकेंद्रित रूप में एक साथ रखा गया है। नाभि के चारों ओर तीन महान कारण शरीर हैं: महान केंद्रीय सूर्य और महान कारण शरीर जर्दी का निर्माण करते हैं और महान केंद्रीय सूर्य आकाशगंगा सफेद भाग का निर्माण करते हैं, एक दूसरे से इनका संबंध स्वर्णिम औसत के अनुपात के अनुसार होता है। | यह आकाशगंगा ब्रह्मांडीय अंडे का सब कुछ है, इसकी संपूर्ण सामग्री - जर्दी और सफेद भाग को संकेंद्रित रूप में एक साथ रखा गया है। नाभि के चारों ओर तीन महान कारण शरीर हैं: महान केंद्रीय सूर्य और महान कारण शरीर जर्दी का निर्माण करते हैं और महान केंद्रीय सूर्य आकाशगंगा सफेद भाग का निर्माण करते हैं, एक दूसरे से इनका संबंध स्वर्णिम औसत के अनुपात के अनुसार होता है। |
Revision as of 10:50, 16 March 2024
आध्यात्मिक-भौतिक ब्रह्मांड, जिसमें आकाशगंगाओं, तारा प्रणालियों और ज्ञात और अज्ञात दुनिया में प्रतीत होने वाली अंतहीन श्रृंखलाएं शामिल हैं - जिसके केंद्र (white fire core) को महान केंद्रीय सूर्य (Great Central Sun) कहा जाता है। ब्रह्मांडीय अंडे में आध्यात्मिक और भौतिक दोनों केंद्र हैं। यद्यपि हम अपनी भौतिक इंद्रियों और दृष्टिकोण से ब्रह्मांडीय अंडे के निरीक्षण द्वारा और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, आत्मा के सभी आयामों को ब्रह्मांडीय अंडे के भीतर प्रवेश करके अनुभव किया जा सकता है क्योंकि जिस ईश्वर ने ब्रह्मांडीय अंडे का निर्माण कर के उसे अपने अंदर धारण किया है, वह एक लौ भी है जो ईश्वर के पुत्र और पुत्रियों के भीतर लगातार रूप से फैलती रहती है।
ब्रह्मांडीय अंडा इस ब्रह्मांडीय चक्र में मनुष्य की उपस्थिति की सीमाओं को दर्शाता है। फिर भी चूँकि ईश्वर ब्रह्मांडीय अंडे में तथा उसके पार भी हर जगह है, हम अपने भीतर ईश्वर की आत्मा के द्वारा प्रतिदिन नये आयामों के प्रति जागृत होते हैं और संतुष्ट होते हैं कि हम ईश्वर के प्रेम से समानता रखते हैं।
ब्रह्मांडीय अंडे का मानचित्र।
ब्रह्माण्ड (Macrocosm) का मानचित्र ब्रह्मांडीय अंडे के भीतर आत्मा और पदार्थ के स्तरों की परस्पर क्रिया को दर्शाता है। जर्दी (अंडे का पीला भाग) आत्मा और पदार्थ के आकृति स्तरों को दर्शाती है, और अंडे का सफेद भाग आत्मा और पदार्थ के निराकार स्तरों को दर्शाता है।
हमारा ब्रह्मांड (universe) इस विशाल अंडे का एक विशेष अंश है, जो पदार्थ में निलंबित आत्मा और आत्मा में निलंबित पदार्थ का बाह्यीकरण है। अनगनित ब्रह्मांड (universes) जीवन की महान नाभि (Great Hub) के चारों ओर घूमते हैं और घुमते हुए ये एक-दूसरे का अंतर्वेधन करते है। प्रत्येक ब्रह्माण्ड महान केंद्रीय सूर्य आकाशगंगा (Great Central Sun Galaxy) का अंश है, हर एक का अपना एक आयाम है।
यह आकाशगंगा ब्रह्मांडीय अंडे का सब कुछ है, इसकी संपूर्ण सामग्री - जर्दी और सफेद भाग को संकेंद्रित रूप में एक साथ रखा गया है। नाभि के चारों ओर तीन महान कारण शरीर हैं: महान केंद्रीय सूर्य और महान कारण शरीर जर्दी का निर्माण करते हैं और महान केंद्रीय सूर्य आकाशगंगा सफेद भाग का निर्माण करते हैं, एक दूसरे से इनका संबंध स्वर्णिम औसत के अनुपात के अनुसार होता है।
इस प्रकार ब्रह्मांडीय अंडा पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा की त्रिमूर्ति से बना है। महान केंद्रीय सूर्य (गुलाबी कारण शरीर) पिता का ध्यान केंद्र है; महान कारण शरीर (पीला कारण शरीर) पुत्र का ध्यान केंद्र है; और महान केंद्रीय सूर्य आकाशगंगा (नीला कारण शरीर), पवित्र आत्मा का ध्यान केंद्र इन तीनों का आलिंगन है।
अधिक जानकारी के लिए
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Masters and the Spiritual Path, चौथा अध्याय, “पदक्रम”
स्रोत
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation.
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Masters and the Spiritual Path, चौथा अध्याय, “पदक्रम”
- ↑ Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Masters and the Spiritual Path, p. 217.