Dweller-on-the-threshold/hi: Difference between revisions

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'यह कृत्रिम रूप' जीवात्मा की चेतन जागरूकता की दहलीज से आत्म - स्वीकृत स्वार्थ के 'उचित' क्षेत्र (legitimate realm) में प्रवेश पाने के लिए दस्तक देता है। प्रवेश पाने पर यह घर (मनुष्य) का मालिक बन जाता है। इसलिए आपको सिर्फ आत्मा की आवाज़ ही सुननी है और आत्मा को ही प्रवेश करने के लिए कहना है। आत्मा के मार्ग पर चलते समय सबसे गंभीर दीक्षा कृत्रिम रूप के साथ टकराव है। यदि जीवात्मा इसका हनन नहीं करती तो यह कृत्रिम रूप जीवात्मा को ईश्वरीय प्रकाश से दूर कर देता है, क्योंकि कृत्रिम रूप ईश्वरीय प्रकाश से घृणा करता है।  
'यह कृत्रिम रूप' जीवात्मा की चेतन जागरूकता की दहलीज से आत्म - स्वीकृत स्वार्थ के 'उचित' क्षेत्र (legitimate realm) में प्रवेश पाने के लिए दस्तक देता है। प्रवेश पाने पर यह घर (मनुष्य) का मालिक बन जाता है। इसलिए आपको सिर्फ आत्मा की आवाज़ ही सुननी है और आत्मा को ही प्रवेश करने के लिए कहना है। आत्मा के मार्ग पर चलते समय सबसे गंभीर दीक्षा कृत्रिम रूप के साथ टकराव है। यदि जीवात्मा इसका हनन नहीं करती तो यह कृत्रिम रूप जीवात्मा को ईश्वरीय प्रकाश से दूर कर देता है, क्योंकि कृत्रिम रूप ईश्वरीय प्रकाश से घृणा करता है।  


आवश्यक बात यह है कि शिक्षक और गुरु [[Special:MyLanguage/Sanat Kumara|सनत कुमार]] (Sanat Kumara) जो हमारे साथ [[Special:MyLanguage/Maitreya|मैत्रेय]] (Maitreya) के सन्देश वाहक में शारीरिक रूप से दिखाती भी है। दीक्षा के [[Special:MyLanguage/Path|मार्ग]] (Path) पर चल रहे प्रत्येक मानव के लिए भौतिक और आध्यात्मिक स्तर पर संतुलन बनाये रखें ताकि मनुष्य "मन की दहलीज़ पर स्तिथ कृत्रिम रूप' का सामना कर पाएं। ये बात  
आवश्यक बात यह है कि शिक्षक और गुरु [[Special:MyLanguage/Sanat Kumara|सनत कुमार]] (Sanat Kumara) [[Special:MyLanguage/Maitreya|मैत्रेय]] (Maitreya) के सन्देश वाहक में शारीरिक रूप जो हमारे साथ है। दीक्षा के [[Special:MyLanguage/Path|मार्ग]] (Path) पर चल रहे प्रत्येक मानव के लिए भौतिक और आध्यात्मिक स्तर पर संतुलन बनाये रखें ताकि मनुष्य "मन की दहलीज़ पर स्तिथ कृत्रिम रूप' का सामना कर पाएं। ये बात  


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Revision as of 09:15, 4 April 2024

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आत्म-विरोधी, कृत्रिम रूप, उच्च चेतना (वास्तविक रूप) का विरोधी, स्वच्छन्द इच्छा (free will) के अत्यधिक दुरूपयोग से उत्पन्न अहंकार जो ईश्वर विरोधी दिमाग (carnal mind) में अयोग्य ऊर्जा के बलक्षेत्रों का समूह है, अवचेतन मन (subconscious mind) से उत्पन्न पाशविक आकर्षण शक्ति (animal magnetism) आदि को नामित (designate) करने के लिए मन की दहलीज़ पर स्तिथ कृत्रिम रूप शब्द का प्रयोग किया जाता है। यह जीवात्मा का आत्मा से पुनर्मिलन का विरोधी इसलिए है क्योंकि मन की दहलीज़ पर स्तिथ कृत्रिम रूप से मनुष्य का सम्पर्क उसके भावनात्मक शरीर (desire body) या सूक्ष्म शरीर और मणिपुर चक्र (solar-plexus chakra) के माध्यम से होता है।

यह 'मन की दहलीज़ पर स्तिथ कृत्रिम रूप' ऊर्जा के भंवर का केंद्र है जिससे "इलेक्ट्रॉनिक बेल्ट" (electronic belt) बनती है - जिसका आकार नगाड़े (kettledrum) जैसा होता है और यह चार निचले शरीरों को कमर से नीचे तक घेरे रहता है। कृत्रिम रूप का सर्प जैसा सिर कभी-कभी अचेतन मन (unconscious) के काले तालाब से निकलता हुआ दिखाई देता है। इस इलेक्ट्रॉनिक बेल्ट में मनुष्य के नकारात्मक कर्मो के कारण, प्रभाव, अभिलेख और स्मृतियाँ शामिल होती हैं। सकारात्मक कर्म - जो दिव्य चेतना के माध्यम से बनते हैं, कारण शरीर (causal body) में पंजीकृत (register) होते हैं और प्रत्येक व्यक्ति के अपने ईश्वरीय स्वरुप (I AM Presence) के चारों तरफ इलेक्ट्रॉनिक अग्नि-चक्रों (fire-rings) में सील कर दिए जाते हैं।


पृथ्वी ग्रह के मन की दहलीज पर स्तिथ कृत्रिम रूप को व्यक्तिगत आत्मिक चेतना के विरोधी के रूप में बताया गया है।

मन की दहलीज़ पर स्तिथ कृत्रिम रूप से सामना

मन की दहलीज़ पर स्तिथ कृत्रिम रूप सोये हुए सर्प के सामान है जो आत्मा की उपस्थिति में मनुष्य के अंदर जाग जाता है। उस समय जीवात्मा को अपने ईश्वरीय स्वरुप को पहचानने में और आत्मिक चेतना की शक्ति से इस कृत्रिम रूप का हनन (slay) करने का निर्णय और अपने वास्तविक स्वरुप का पक्ष लेना चाहिए। ऐसा तब तक करना चाहिए जब तक जीवात्मा पूरी तरह से आत्मा में विलीन नहीं हो जाती। आत्मा ही वास्तव में ईश्वर है -- अहं ब्रह्माऽस्मि -- जो दीक्षा के मार्ग पर अग्रसर हर जीव का सच्चा स्वरुप है।

'यह कृत्रिम रूप' जीवात्मा की चेतन जागरूकता की दहलीज से आत्म - स्वीकृत स्वार्थ के 'उचित' क्षेत्र (legitimate realm) में प्रवेश पाने के लिए दस्तक देता है। प्रवेश पाने पर यह घर (मनुष्य) का मालिक बन जाता है। इसलिए आपको सिर्फ आत्मा की आवाज़ ही सुननी है और आत्मा को ही प्रवेश करने के लिए कहना है। आत्मा के मार्ग पर चलते समय सबसे गंभीर दीक्षा कृत्रिम रूप के साथ टकराव है। यदि जीवात्मा इसका हनन नहीं करती तो यह कृत्रिम रूप जीवात्मा को ईश्वरीय प्रकाश से दूर कर देता है, क्योंकि कृत्रिम रूप ईश्वरीय प्रकाश से घृणा करता है।

आवश्यक बात यह है कि शिक्षक और गुरु सनत कुमार (Sanat Kumara) मैत्रेय (Maitreya) के सन्देश वाहक में शारीरिक रूप जो हमारे साथ है। दीक्षा के मार्ग (Path) पर चल रहे प्रत्येक मानव के लिए भौतिक और आध्यात्मिक स्तर पर संतुलन बनाये रखें ताकि मनुष्य "मन की दहलीज़ पर स्तिथ कृत्रिम रूप' का सामना कर पाएं। ये बात

अध्यात्मविद्या में कहा है

द थियोसोफिकल ग्लोसरी (The Theosophical Glossary) में, हेलेना पी. ब्लावात्स्की दुष्टपर रहने वाले दुष्ट को ज़ानोनी (Zanoni) कहकर परिभाषित करते हैं। इस शब्द का आविष्कार बुल्वर लिटन ने किया था। 'अवचेतन मन की दहलीज़ पर स्तिथ कृत्रिम रूप' एक तांत्रिक शब्द है जिसका उपयोग छात्रों द्वारा मृत व्यक्तियों के कुछ अशुभ सूक्ष्म जोड़ों के सन्दर्भ में एक लम्बे समय से किया जाता रहा है। सूक्ष्म जोड़े का तात्पर्य "इंसान या जानवर के आकाशीय समकक्ष या परछाईं से है।

अधिक जानकारी के लिए

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Enemy Within

स्रोत

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation

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