Karmic Board/hi: Difference between revisions

From TSL Encyclopedia
(Created page with "मनुष्यों के आपसी मतभेदों और प्रकृति की अवमानना का सबसे ज़्यादा असर सृष्टि देवो पर पड़ता है। हज़ारों वर्ष पहले लेमूरिया महाद्वीप का प्रशांत महासागर में डूब...")
Tags: Mobile edit Mobile web edit
(Created page with "जलवायु में परिवर्तन, तूफान, बाढ़, आग, बवंडर और प्रलय - सब मनुष्य द्वारा पवित्र आत्मा की रचनात्मक शक्ति के दुरुपयोग का परिणाम है। समय समय पर होनेवाली ये प्राकृतिक गड़बड़ि...")
Tags: Mobile edit Mobile web edit
Line 18: Line 18:
मनुष्यों के आपसी मतभेदों और प्रकृति की अवमानना का सबसे ज़्यादा असर [[Special:MyLanguage/elemental|सृष्टि देवो]] पर पड़ता है। हज़ारों वर्ष पहले [[Special:MyLanguage/Lemuria|लेमूरिया]] महाद्वीप का प्रशांत महासागर में डूबना इस बात की पुष्टि करता है। यह उस समय के पुजारियों द्वारा पवित्र अग्नि का अत्याधिक दुरुपयोग करने के कारण हुआ था।  
मनुष्यों के आपसी मतभेदों और प्रकृति की अवमानना का सबसे ज़्यादा असर [[Special:MyLanguage/elemental|सृष्टि देवो]] पर पड़ता है। हज़ारों वर्ष पहले [[Special:MyLanguage/Lemuria|लेमूरिया]] महाद्वीप का प्रशांत महासागर में डूबना इस बात की पुष्टि करता है। यह उस समय के पुजारियों द्वारा पवित्र अग्नि का अत्याधिक दुरुपयोग करने के कारण हुआ था।  


Changes in climatic conditions (as well as storm, flood, fire, tornado and cataclysm) are brought about as the result of man’s misuse of the creative power of the [[Holy Spirit]]. Through these periodic disturbances in nature, when Atlas shrugs off human discord, the balance of the four elements is restored and the four lower bodies of the planet are purified and realigned.
जलवायु में परिवर्तन, तूफान, बाढ़, आग, बवंडर और प्रलय - सब मनुष्य द्वारा [[Special:MyLanguage/Holy Spirit|पवित्र आत्मा]] की रचनात्मक शक्ति के दुरुपयोग का परिणाम है। समय समय पर होनेवाली ये प्राकृतिक गड़बड़ियां सृष्टि के मौलिक तत्वों का संतुलन बहाल करती हैं और पृथ्वी के चार निचले शरीर पुनः व्यवस्थित हो जाते हैं।


== Petitions from mankind ==
== Petitions from mankind ==

Revision as of 10:28, 10 May 2024

Other languages:

कार्मिक बोर्ड आठ दिव्यगुरुओं की एक संस्था है जो पृथ्वी के प्रत्येक जीव की ज़िम्मेदारी उठाती है। इनका कार्य हर एक जीव को उसके कर्म के अनुसार, दया दिखाते हुए, उचित इन्साफ देना है। ये सभी २४ वरिष्ठ दिव्यात्माओं के अधीन रहते हुए, पृथ्वी के जीवों और उनके कर्मों के बीच मध्यस्तता का काम करते हैं।

प्रत्येक जीवात्मा को पृथ्वी पर जन्म लेने से पहले और पृथ्वी से पलायन (मृत्यु) के बाद कार्मिक बोर्ड के सामने प्रस्तुत होने होता है। यहाँ उनके पूर्व जीवन का अवलोकन और आगामी जीवन के कर्मों का आवंटन होता है। मनुष्यों के जीवन का लेखा-जोखा रखने वाले तथा उनकी सूचीपत्र के रखवाले कर्म के स्वामी को हर एक मनुष्य के जन्म-जन्मांतर के कर्मों के अभिलेख दिखाते हैं। फिर इस बात का निर्णय होता है कि कौन सी जीवात्मा पृथ्वी पर पुनः जन्म लेगी और उसका जन्म कब और कहाँ होगा। वे जीवात्मा के कर्मों का अवलोकन कर इस बात का भी निर्णय लेते हैं हैं कि उसे कैसा परिवार और समुदाय मिलेगा। जीवात्मा के ईश्वरीय स्वरुप और उसकी स्व चेतना के साथ विचार विमर्श कर के कार्मिक बोर्ड के सदस्य इस बात का भी निर्णय लेते हैं कि वह समय कब आएगा जब जीवात्मा जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो ईश्वर के श्री चरणों में विलीन हो जायेगी।

सदस्य

कार्मिक बोर्ड के सदस्य निम्नलिखित हैं: महान दिव्य निर्देशक (ये पहली किरण का प्रतिनिधित्व करते हैं , स्वतंत्रता की देवी (दूसरी किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं), दिव्यगुरु लेडी मास्टर नाडा (तीसरी किरण के प्रतिनिधित्व करती हैं), एलोहिम साइक्लोपीया (ये चौथी किरण का प्रतिनिधित्व करते हैं), सत्य की देवी पालस एथेना (ये पांचवीं किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं), न्याय की देवी पोर्शिया (ये छठी किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं) और दया की देवी कुआन यिन (ये सातवीं) किरण का प्रतिनिधित्व करती हैं)। थोड़ा समय पहले पांच ध्यानी बुद्धों में से एक वैरोचन कार्मिक बोर्ड के आठवें सदस्य बनाये गए हैं।

अपनी अपरिमित दया दिखाते हुए भगवान ने कार्मिक बोर्ड के सदस्यों को मनुष्यों और ईश्वर के बीच मध्यस्तता करने के लिए नियुक्त किया है। कार्मिक बोर्ड मानव जाति की स्व-चेतना के स्तर पर कार्य करता है और प्रतिदिन मानव जाति द्वारा ऊर्जा के उपयोग के संतुलन को नापता है।

कार्य

कर्म के स्वामी व्यक्तिगत कर्म, समूह कर्म, राष्ट्रीय कर्म और विश्व कर्म के चक्रों का निर्णय करते हैं। इन कर्म चक्रों को निर्धारित करते समय उनका मंतव्य केवल लोगों की आध्यात्मिक उन्नति होता है। जब कर्म के स्वामी पृथ्वी के लिए कर्म का एक चक्र जारी करते हैं, तो वे प्रकृति साम्राज्य को भी विशेष कार्य देते हैं - ये कार्य चक्र के नियम के अनुसार ही होते हैं।

मनुष्यों के आपसी मतभेदों और प्रकृति की अवमानना का सबसे ज़्यादा असर सृष्टि देवो पर पड़ता है। हज़ारों वर्ष पहले लेमूरिया महाद्वीप का प्रशांत महासागर में डूबना इस बात की पुष्टि करता है। यह उस समय के पुजारियों द्वारा पवित्र अग्नि का अत्याधिक दुरुपयोग करने के कारण हुआ था।

जलवायु में परिवर्तन, तूफान, बाढ़, आग, बवंडर और प्रलय - सब मनुष्य द्वारा पवित्र आत्मा की रचनात्मक शक्ति के दुरुपयोग का परिणाम है। समय समय पर होनेवाली ये प्राकृतिक गड़बड़ियां सृष्टि के मौलिक तत्वों का संतुलन बहाल करती हैं और पृथ्वी के चार निचले शरीर पुनः व्यवस्थित हो जाते हैं।

Petitions from mankind

Main article: Petitions to the Karmic Board

Twice a year, at winter and summer solstice, the Lords of Karma meet at the Royal Teton Retreat to review petitions from unascended mankind. Traditionally, students of the masters write personal petitions to the Karmic Board requesting grants of energy, dispensations and sponsorship for constructive projects and endeavors. The letters are consecrated and burned. The angels then carry the etheric matrix of these letters to the Royal Teton Retreat, where they are read by the Lords of Karma.

Students who are requesting assistance may offer to perform a particular service or work or make a commitment to certain prayers and decrees that the masters can use as “seed money” for something they desire to see accomplished in the world. They may also offer a portion of their causal body as energy for the masters to use, but such an offer must be approved by the Lords of Karma. The exact percentage will be determined by the I AM Presence and Holy Christ Self.

Sources

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Masters and Their Retreats, s.v. “Karmic Board.”