Translations:Karma/12/hi: Difference between revisions

From TSL Encyclopedia
No edit summary
No edit summary
Line 1: Line 1:
"सृष्टि के शुरुआत में ईश्वर ने स्वर्ग और पृथ्वी की रचना की" - और इसी के साथ क्रिया-प्रतिक्रिया-पारस्परिक क्रिया का भी प्रारम्भ हुआ। ईश्वर प्रथम कारण थे और उन्होंने प्रथम कर्म बनाया। स्वेच्छा से सृष्टिकर्ता और सृष्टि दोनों को बनाकर ईश्वर ने अपनी ऊर्जा की अविनाशी गति (कर्म) को चलायमान किया, और ब्रह्माण्ड में कर्म के नियमों को स्थायी कर दिया। सृष्टि की रचना ईश्वर का कर्म है। ईश्वर के पुत्र और पुत्रियां जीवंत ईश्वर (मनुष्य) का कर्म है।
"सृष्टि के शुरुआत में ईश्वर ने स्वर्ग और पृथ्वी की रचना की" - और इसी के साथ क्रिया-प्रतिक्रिया-पारस्परिक क्रिया का भी प्रारम्भ हुआ। ईश्वर प्रथम कारण थे और उन्होंने प्रथम कर्म बनाया। स्वेच्छा से सृष्टिकर्ता और सृष्टि दोनों को बनाकर ईश्वर ने अपनी ऊर्जा की अविनाशी गति (कर्म) को चलायमान किया, और ब्रह्माण्ड में कर्म के नियमों को स्थायी कर दिया। सृष्टि की रचना ईश्वर का कर्म है। ईश्वर के पुत्र और पुत्रियां जीवंत ईश्वर (मनुष्य) का कर्म है।




"शुरुआत में भगवान ने स्वर्ग और पृथ्वी की रचना की" - और क्रिया-प्रतिक्रिया-अंतःक्रिया की श्रृंखला शुरू हुई। भगवान, जो कि प्रथम कारण है, ने पहला कर्म रचा। अपनी इच्छा से, भगवान ने सृष्टिकर्ता और सृष्टि दोनों बनने की इच्छा की और इस तरह अपनी ऊर्जा-कर्म की शाश्वत गति को गतिमान किया। भगवान की भगवान बनने की शाश्वत इच्छा से, एक महान आत्मा ब्रह्मांड के चक्रों में कर्म के नियम को स्थायी बनाती है। भगवान की रचना उसका कर्म है। भगवान के पुत्र और पुत्रियाँ सर्वोच्च जीवित भगवान के कर्म हैं।
"शुरुआत में भगवान ने स्वर्ग और पृथ्वी की रचना की" - और क्रिया-प्रतिक्रिया-अंतःक्रिया की श्रृंखला शुरू हुई। भगवान, जो कि प्रथम कारण है, ने पहला कर्म रचा। अपनी इच्छा से, भगवान ने सृष्टिकर्ता और सृष्टि दोनों बनने की इच्छा की और इस तरह अपनी ऊर्जा-कर्म की शाश्वत गति को गतिमान किया। भगवान की भगवान बनने की शाश्वत इच्छा से, एक महान आत्मा ब्रह्मांड के चक्रों में कर्म के नियम को स्थायी बनाती है। भगवान की रचना उसका कर्म है। भगवान के पुत्र और पुत्रियाँ सर्वोच्च जीवित भगवान के कर्म हैं।

Revision as of 10:50, 7 February 2025

Information about message (contribute)
This message has no documentation. If you know where or how this message is used, you can help other translators by adding documentation to this message.
Message definition (Karma)
“In the beginning God created the heaven and the earth” —and the chain of action-reaction-interaction was begun. God, the First Cause, created the first karma. By his will to be, God willed into being both Creator and creation and thereby set in motion the eternal movement of his energy—karma. By God’s eternal desiring to be God, the one great Self makes permanent the law of karma in the cycles of the cosmos. God’s creation is his karma. Sons and daughters of God are the karma of the living God most high.

"सृष्टि के शुरुआत में ईश्वर ने स्वर्ग और पृथ्वी की रचना की" - और इसी के साथ क्रिया-प्रतिक्रिया-पारस्परिक क्रिया का भी प्रारम्भ हुआ। ईश्वर प्रथम कारण थे और उन्होंने प्रथम कर्म बनाया। स्वेच्छा से सृष्टिकर्ता और सृष्टि दोनों को बनाकर ईश्वर ने अपनी ऊर्जा की अविनाशी गति (कर्म) को चलायमान किया, और ब्रह्माण्ड में कर्म के नियमों को स्थायी कर दिया। सृष्टि की रचना ईश्वर का कर्म है। ईश्वर के पुत्र और पुत्रियां जीवंत ईश्वर (मनुष्य) का कर्म है।



"शुरुआत में भगवान ने स्वर्ग और पृथ्वी की रचना की" - और क्रिया-प्रतिक्रिया-अंतःक्रिया की श्रृंखला शुरू हुई। भगवान, जो कि प्रथम कारण है, ने पहला कर्म रचा। अपनी इच्छा से, भगवान ने सृष्टिकर्ता और सृष्टि दोनों बनने की इच्छा की और इस तरह अपनी ऊर्जा-कर्म की शाश्वत गति को गतिमान किया। भगवान की भगवान बनने की शाश्वत इच्छा से, एक महान आत्मा ब्रह्मांड के चक्रों में कर्म के नियम को स्थायी बनाती है। भगवान की रचना उसका कर्म है। भगवान के पुत्र और पुत्रियाँ सर्वोच्च जीवित भगवान के कर्म हैं।