मैं/अमेगा—शुरुआत और अंत[1]— मैं बताती हूँ कि बहती हुई ये जीवन की लहरें जिनसे समस्त ब्रह्माण्ड की रचना हुई है एक ऐसा वरदान हैं जिसके द्वारा हम आपको तथा संसार की अन्य सभी जीवों को अपना स्नेह देते हैं और सभी को एकता और परम आनंद के सूत्र में बांधे भी रखते हैं।[2]
- ↑ Rev. 1:8, 11; 21:6; 22:13.
- ↑ Alpha, “A Replica of the Crystal Atom,” Pearls of Wisdom, vol. 25, no. 51, December 19, 1982.