Translations:Elementals/44/hi
यदि सृष्टि देव प्रदूषण और मानव जाति के कर्म के बोझ के तले ना दबे हुए होते तो पृथ्वी का रूप कुछ और ही होता। जेनेसिस (Genesis) में, ईश्वर ने आदम (Adam) से कहा, “तुम्हारे लिए ही यह भूमि शापित की गयी है; दु:ख के समय तुम जीवन भर उसका फल खाते रहोगे।”[1] "भूमि" सृष्टि देवों के जीवन की प्रतीक है। दूसरे शब्दों में कहें तो मानव जाति के शिष्टता से गिरने के कारण (जो कि आदम और हौवा (Adam and Eve) के शारीरिक गठन में दर्शाया गया है) सृष्टि देव "शापित" हो गए, मानव जाति के नकारात्मक कर्म उनकी दुनिया में भी प्रवेश कर गए - और फिर इन सृष्टि देवों को कार्मिक संतुलन बनाये रखने का कार्य सौंपा गया।
- ↑ Gen. ३:१७.