ब्रह्माण्ड (Cosmos)

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ब्रह्माण्ड की कल्पना एक व्यवस्थित, सामंजस्यपूर्ण, एवं जटिल स्व-समावेशी प्रणाली के रूप में की गयी है। समय और स्थान में जो कुछ भी मौजूद है - प्रकाश की तरंगें, पिंडों की ताकतें, तत्वों के चक्र - जीवन, बुद्धि, स्मृति, रिकॉर्ड सभी ब्रह्माण्ड में शामिल हैं। इसमें भौतिक धारणा से परे आयाम भी शामिल हैं जो मौजूद तो हैं पर अभी तक देखे नहीं गए हैं - ये आत्मिक ब्रह्मांड का हिस्सा हैं और प्रकाश की जाली के रूप में पदार्थ ब्रह्मांड के साथ सह-अस्तित्व में रहते हैं और पदार्थ ब्रह्माण्ड में अंतर्वेधन भी करते हैं।

Our Mother’s Matter cosmos consists of the entire physical/astral creation of universes known and unknown. Our Father’s Spirit cosmos all around us veils the inner blueprint and motion of First Cause and causation by which worlds are framed and hung by his Universal Mind and the planes of effect (karma) in which we abide are sustained for a season.

Sources

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation.