अशुद्ध तल
पदार्थ के चार तलों में से एक तल सूक्ष्म तल है। यह पूरी मानवजाति की संग्रहित सचेतन और अचेतन भावनाओं का संग्रहालय है
इस आवृत्ति (frequency) का मौलिक कार्य मानव ह्रदय में ईश्वर के शुद्ध विचारों और भावनाओं को बढ़ाना है। पर अनंत काल से मानव जाति के अपवित्र अभिलेखों और मनुष्यों की नकारत्मकता के कारण आज यह बहुत प्रदूषित हो गई है।
सूक्ष्म तल वही है जिसे कैथोलिक चर्च में नरक की घाटी कहा गया है। इसके ३३ स्तर जो इनके घनत्व के घटते क्रम के अनुसार विभाजित हैं। वे जीवात्माएं जिनका भौतिक शरीर छोड़ने के वक्त कर्मों का कुछ कर्ज़ रह जाता है, उन्हें थोड़ा समय सूक्ष्म तल पर रहना पड़ता है ताकि वे उस दर्द को महसूस कर सकें जो उन्होंने दूसरों को दिया है। इसके बाद ही वे अपने कर्मों को सन्तुलित करने हेतु पृथ्वी पर फिर से जन्म लेती हैं।
Those at the lowest levels of the astral plane are waiting on “death row” for the time of their second death before the Four and Twenty Elders at the Court of the Sacred Fire.[1] These, too, are required to experience some portion of the pain they have caused life before the end of opportunity come.
See also
For more information
Jesus and Kuthumi, Corona Class Lessons: For Those Who Would Teach Men the Way, pp. 193–99.
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Lords of the Seven Rays, Book Two, pp. 267–68, 273.
Sources
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation.
Apollo and Lumina, “Turn This Civilization Around!” Pearls of Wisdom, vol. 38, no. 31, July 16, 1995.
- ↑ See Rev. 20:11–15.