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वह संकीर्ण मार्ग जो संकरे द्वार से मनुष्य को जीवन की ओर ले जाता है।[1]दीक्षा का वह मार्ग जिसके द्वारा आत्मिक चेतना का अनुसरण करने वाला शिष्य कदम-कदम पर आने वाली चुन्नौतियों को पार करता है, और अंत में मोक्ष प्राप्त कर ईश्वर से पुनः मिल जाता है।