Translations:Karmic Board/13/hi

From TSL Encyclopedia

जो शिष्य ईश्वर की सहायता माँगते है, वे बदले में किसी विशेष कार्य या सेवा करने का प्रण कर सकते हैं, या फिर वे नियमित रूप से ईश्वर की प्रार्थना और डिक्री करने की प्रतिज्ञा ले सकते हैं। मनुष्यों द्वारा की गयी डिक्रीस दिव्यगुरूओं के लिए एक निधि समान होती हैं जिसका उपयोग वे विश्व के लिए कल्याणकारी कार्यों में कर सकते हैं। शिष्य अपने कारण शरीर का एक भाग ऊर्जा के रूप में भी दिव्यगुरूओं दे सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें कर्म के स्वामी की अनुमति लेनी होती है। कारण शरीर का कितना भाग दिया जा सकता है यह उस व्यक्ति के ईश्वरीय स्वरुप और पवित्र आत्मिक स्व पर निर्भर करता है।