Translations:Sanat Kumara and Lady Master Venus/79/hi
उत्तर भारत में पाँचवीं शताब्दी के एक पत्थर के स्तंभ पर खुदे एक शिलालेख में स्कंद को दिव्य माताओं का संरक्षक बताया गया है।[1] कार्तिकेय को कभी-कभी छह सिरों के साथ चित्रित किया जाता है। एक कथा के अनुसार, कार्तिकेय का पालन-पोषण छह प्लीएड्स ने किया था और उनके छह चेहरे इसलिए विकसित हुए ताकि वे प्रत्येक से प्रत्येक प्लीएड्स से दूध पी सकें। एक अन्य कथा के अनुसार, उनका जन्म चमत्कारिक रूप से छह कुंवारी स्त्रियों के छह पुत्रों के रूप में हुआ था। शिव की पत्नी पार्वती ने सभी छह शिशुओं को इतने स्नेह से गले लगाया कि वे छह सिरों वाले एक व्यक्ति बन गए।[2] “कार्तिकेय।” समीक्षक आर. एस. नाथन कहते हैं, “छह सिर छह अलग दिशाओं में विवेक शक्ति के उपयोग का प्रतीक हैं, ताकि उन छह गुणों को नियंत्रण में रखा जा सके जो मनुष्य को उसकी आध्यात्मिक प्रगति से रोकते हैं।”[3]