Translations:Sanat Kumara and Lady Master Venus/8/hi

From TSL Encyclopedia

इस प्रकार मंदिरों का प्रकाश बुझ गया था, और जिस उद्देश्य से ईश्वर ने मनुष्य को सृजित किया था — ईश्वर का जीता जागता रूप बनना — वह अब पूरा नहीं हो रहा था। सभी मनुष्य आत्मिक रूप से मर गए थे, वे एक खली पात्र, एक खोखला खोल बन गए थे। पृथ्वी पर कहीं भी रहस्य वाद का कोई विद्यालय नहीं था — न कोई शिष्य था , न ही कोई गुरु, और न ही ईश्वरत्व के मार्ग पर चलने वाला कोई साधक।