Kuan Yin/hi: Difference between revisions

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''कुआन शिह यिन'' नाम, जैसा कि उसे अक्सर बुलाया जाता है, का अर्थ है "वह जो दुनिया की आवाज़ों को देखता है, देखता है या सुनता है।" किंवदंती के अनुसार, कुआन यिन स्वर्ग में प्रवेश करने वाली थी, लेकिन जैसे ही दुनिया की चीखें उसके कानों तक पहुंचीं, वह दहलीज पर रुक गई।
''कुआन शिह यिन'' नाम, जैसा कि उसे अक्सर बुलाया जाता है, का अर्थ है "वह जो दुनिया की आवाज़ों को देखता है, देखता है या सुनता है।" किंवदंती के अनुसार, कुआन यिन स्वर्ग में प्रवेश करने वाली थी, लेकिन जैसे ही दुनिया की चीखें उसके कानों तक पहुंचीं, वह दहलीज पर रुक गई।


कुआन यिन महिलाओं, नाविकों, व्यापारियों, कारीगरों, संतान के इच्छुक दम्पतियों और वे लोग जिन पर कोई मुक़दमा चल रहा है, के संरक्षक के रूप में जानी जाती हैं। कुआन यिन के भक्त उनकी कृपा और उपचारात्मक शक्तियों में अथाह विश्वास रखते हैं। बहुतों का मानना ​​है कि उनका कृपा-पात्र बनने के लिए सिर्फ उनका नाम लेना ही पर्याप्त है। ''[[Special:MyLanguage/Kuan Yin’s Crystal Rosary|कुआन यिन की क्रिस्टल माला]]'' में उनके मंत्र शामिल हैं और यह उनकी मध्यस्थता पाने करने का एक शक्तिशाली साधन है।
कुआन यिन महिलाओं, नाविकों, व्यापारियों, कारीगरों, संतान के इच्छुक दम्पतियों और वे लोग जिन पर कोई मुक़दमा चल रहा है, के संरक्षक के रूप में जानी जाती हैं। कुआन यिन के भक्त उनकी कृपा और उपचारात्मक शक्तियों में अथाह विश्वास रखते हैं। बहुतों का मानना ​​है कि उनका कृपा-पात्र बनने के लिए सिर्फ उनका नाम लेना ही पर्याप्त है। ''[[Special:MyLanguage/Kuan Yin’s Crystal Rosary|कुआन यिन की जपमाला]]'' में उनके मंत्र शामिल हैं और यह उनकी मध्यस्थता पाने करने का एक शक्तिशाली साधन है।


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[[File:The Tiger Carries Off Miao Shan.jpg|thumb|upright|alt=Painting in Chinese style of Miao Shan on the back of a tiger|मियाओ शान को ले जाते हुए एक बाघ]]
[[File:The Tiger Carries Off Miao Shan.jpg|thumb|upright|alt=Painting in Chinese style of Miao Shan on the back of a tiger|मियाओ शान को ले जाते हुए एक बाघ]]


कुआन यिन ने छठी शताब्दी में उत्तरी चीनी साम्राज्य में चाउ राजवंश के शासक मियाओ चुआंग वांग की तीसरी बेटी के रूप में जन्म लिया था। इस राजा ने बलपूर्वक शासन पर कब्ज़ा किया था और उसकी तीव्र इच्छा थी की उसके के पुत्र हो जो उसके वंश को आगे चलाये। लेकिन भाग्य से उसकी तीन पुत्रियां हो गयी। सबसे छोटी पुत्री, मियाओ शान, एक धर्मनिष्ठ बच्ची थी जो "बौद्ध धर्म के सभी सिद्धांतों का ईमानदारी से पालन करती थी। सदाचारी जीवन उसके स्वभाव में निहित था"<ref>एडवर्ड  टी सी वर्नर, ''मिथ्स एंड  लेजेंड्स ऑफ़ चीन '' (लंदन : Harrap, १९२२ ), दसवां अध्याय. निम्न वाक्या यहीं से लिया गया है</ref>
कुआन यिन ने छठी शताब्दी में उत्तरी चीनी साम्राज्य में चाउ राजवंश के शासक मियाओ चुआंग वांग की तीसरी बेटी के रूप में जन्म लिया था। इस राजा ने बलपूर्वक शासन पर कब्ज़ा किया था और उसकी तीव्र इच्छा थी की उसके के पुत्र हो जो उसके वंश को आगे चलाये। लेकिन भाग्य से उसकी तीन पुत्रियां हो गयी। सबसे छोटी पुत्री, मियाओ शान, एक धर्मनिष्ठ बच्ची थी जो "बौद्ध धर्म के सभी सिद्धांतों का ईमानदारी से पालन करती थी। सदाचारी जीवन उसके स्वभाव में निहित था"<ref>एडवर्ड  टी सी वर्नर, ''मिथ्स एंड  लेजेंड्स ऑफ़ चाइना (Myths and Legends of China) '' (लंदन : Harrap, १९२२ ), दसवां अध्याय. निम्न वाक्या यहीं से लिया गया है</ref>


उन्होंने धन और वैभव की नश्वरता को पहचान लिया था और वे "एक पर्वत पर शांति से अकेले रहना चाहती थीं"। उन्होंने अपनी बहनों से कहा था,  "अगर किसी दिन मैं अच्छाई के उच्च स्तर तक पहुँच पायी तो मैं अपने माँ-पिताजी और को बचा कर स्वर्ग ले आऊँगी; मैं पृय्वी पर दुखी और पीड़ित लोगों का उद्धार करुँगी; मैं बुरे कर्म करने वाली जीवात्माओं का मन बदलकर उन्हें भलाई के रास्ते पर चलाऊंगी।"  
उन्होंने धन और वैभव की नश्वरता को पहचान लिया था और वे "एक पर्वत पर शांति से अकेले रहना चाहती थीं"। उन्होंने अपनी बहनों से कहा था,  "अगर किसी दिन मैं अच्छाई के उच्च स्तर तक पहुँच पायी तो मैं अपने माँ-पिताजी और को बचा कर स्वर्ग ले आऊँगी; मैं पृय्वी पर दुखी और पीड़ित लोगों का उद्धार करुँगी; मैं बुरे कर्म करने वाली जीवात्माओं का मन बदलकर उन्हें भलाई के रास्ते पर चलाऊंगी।"  
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समस्त जीवों के साथ एकीकार होने के कारण हम सभी प्रकार की अभिव्यक्तियों - बहुत अच्छी से बहुत बुरी - के प्रति जागरूक हैं। एक बोधिसत्व के लिए यह उसके आदर्श काम का हिस्सा है, यह उन लोगों का भी हिस्सा है जो मानवता के साथ खड़े हैं। इस ग्रह पर ऐसे लोगों की अच्छी-खासी संख्या है, हालाँकि यह संख्या उन लोगों की संख्या में बहुत कम है जो उपद्रवी जीवन जीते हैं। बोधिसत्व एक बहुत ही उच्च और पवित्र वर्ग है, और मेरा सुझाव है कि आप इसका हिस्सा बनने से पहले अच्छी तरह सोच लें।
समस्त जीवों के साथ एकीकार होने के कारण हम सभी प्रकार की अभिव्यक्तियों - बहुत अच्छी से बहुत बुरी - के प्रति जागरूक हैं। एक बोधिसत्व के लिए यह उसके आदर्श काम का हिस्सा है, यह उन लोगों का भी हिस्सा है जो मानवता के साथ खड़े हैं। इस ग्रह पर ऐसे लोगों की अच्छी-खासी संख्या है, हालाँकि यह संख्या उन लोगों की संख्या में बहुत कम है जो उपद्रवी जीवन जीते हैं। बोधिसत्व एक बहुत ही उच्च और पवित्र वर्ग है, और मेरा सुझाव है कि आप इसका हिस्सा बनने से पहले अच्छी तरह सोच लें।


युगों युगों तक जब आपकी हर कोशिश के बावजूद लोग ईश्वर के मार्ग से विमुख रहते हैं, तब आपके मन में ऐसा विचार आ सकता है कि काश आपने कोई दूसरा, आसान रास्ता चुना होता, जो शायद आपको ज़्यादा संतुष्टि देता। सदियां गुज़र जाने के बाद भी जब आप देखते हैं कि जिन लोगों को आपने स्वयं अपने ह्रदय की लौ से सींचा है, वे भी निम्न सांसारिक बंधनों से मुक्त नहीं हो पाए हैं, तो आप स्वयं को ईश्वर के सामने रोता हुआ पाते हैं, और कहते हैं, "हे ईश्वर इन पथभ्रष्ट लोगों को कब बुद्धि आएगी, कब ये अपनी दिव्यता को समझेंगे<ref>कुआन यिन “द  क्वालिटी ऑफ़ मर्सी फ़ोर द रीजेनेरशन ऑफ़ द यूंथ ऑफ़ द वर्ल्ड,” ''पर्ल्स ऑफ़ विजडम '', १९८२ , किताब II, पृष्ठ ''१२०–२१''.</ref>
युगों युगों तक जब आपकी हर कोशिश के बावजूद लोग ईश्वर के मार्ग से विमुख रहते हैं, तब आपके मन में ऐसा विचार आ सकता है कि काश आपने कोई दूसरा, आसान रास्ता चुना होता, जो शायद आपको ज़्यादा संतुष्टि देता। सदियां गुज़र जाने के बाद भी जब आप देखते हैं कि जिन लोगों को आपने स्वयं अपने ह्रदय की लौ से सींचा है, वे भी निम्न सांसारिक बंधनों से मुक्त नहीं हो पाए हैं, तो आप स्वयं को ईश्वर के सामने रोता हुआ पाते हैं, और कहते हैं, "हे ईश्वर इन पथभ्रष्ट लोगों को कब बुद्धि आएगी, कब ये अपनी दिव्यता को समझेंगे<ref>कुआन यिन “द  क्वालिटी ऑफ़ मर्सी फ़ोर द रीजेनेरशन ऑफ़ द यूंथ ऑफ़ द वर्ल्ड (The Quality of Mercy for the Regeneration of the Youth of the World),” ''पर्ल्स ऑफ़ विजडम (Pearls of Wisdom)'', १९८२ , किताब II, पृष्ठ ''१२०–२१''.</ref>
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क्षमा का आह्वान हमें न केवल अपने लिए करना चाहिए वरन इसे हमें अपने जीवन के हर पहलू में लागू करने की आवश्यकता है - हम उन सभी को दिल से क्षमा करें जिन्होंने कभी भी हमारे साथ कुछ गलत किया है, और हम उन सभी से क्षमा मांगे जिनके साथ हमने कुछ भी गलत किया है। [[Special:MyLanguage/Saint Germain|संत जर्मेन]] ने हमें यह सिखाया है कि क्षमा हमें दिल से मांगनी चाहिए तथा क्षमा मांगते वक्त हमारा दिल प्रेम से सरोबार होना चाहिए। और यह बात - कि हम क्षमा करते हैं और हम क्षमा मांग रहे हैं - हमें प्रकट रूप से, अत्यंत विनम्रता से कहनी भी चाहिए।
क्षमा का आह्वान हमें न केवल अपने लिए करना चाहिए वरन इसे हमें अपने जीवन के हर पहलू में लागू करने की आवश्यकता है - हम उन सभी को दिल से क्षमा करें जिन्होंने कभी भी हमारे साथ कुछ गलत किया है, और हम उन सभी से क्षमा मांगे जिनके साथ हमने कुछ भी गलत किया है। [[Special:MyLanguage/Saint Germain|संत जर्मेन]] ने हमें यह सिखाया है कि क्षमा हमें दिल से मांगनी चाहिए तथा क्षमा मांगते वक्त हमारा दिल प्रेम से सरोबार होना चाहिए। और यह बात - कि हम क्षमा करते हैं और हम क्षमा मांग रहे हैं - हमें प्रकट रूप से, अत्यंत विनम्रता से कहनी भी चाहिए।


When we invoke the law of forgiveness, it bursts like fireworks in the aura as violet, purple and pink, dissolving unpleasant conditions in our world. And it begins to intensify until great spheres of energy are going forth from our heart and inundating the world. You may visualize a loved one, a child, a self-styled enemy, a political figure; you may visualize an entire city, the government, the whole nation or the planet within this brilliant sphere of mercy’s flame, becoming the recipient of waves and waves of this wine of forgiveness.
जब हम क्षमा मांगते हैं तो हमारा आभामंडल बैंगनी, जामुनी और गुलाबी रंग की रोशनी से भर जाता है जिससे हमारी जीवन की सारी अप्रिय स्थितियां धुल जाती हैं। बारम्बार क्षमा मांगने और क्षमा करने से यह रंग गहरे होते जाते हैं और ऐसा तब तक होता है जब तक कि पूरी दुनिया हमारे ह्रदय की ऊर्जा से सरोबार नहीं हो जाती। आप क्षमा का आह्वान करते समय किसी की भी कल्पना कर सकते हैं - आपका कोई प्रियजन, बच्चा, ऐसा व्यक्ति जिसे आप अपना शत्रु मानते हैं, कोई राजनीतिक नेता, वो शहर जहाँ आप रहते हैं, आपकी सरकार, आपका देश या फिर सम्पूर्ण पृथ्वी ग्रह। कल्पना करते वक्त आप अपने मन की आँखों में इन सभी को क्षमा की लहरों और तरंगों में डूबा हुआ देखिये।


Forgiveness is a law, and by this law, our sins are set aside to give us the opportunity to develop the Christ consciousness. “Training in the law of forgiveness is necessary,” Kuan Yin instructs us, “for it is indeed the foundation of the Aquarian age.... Forgiveness is not the balancing of karma; it is the setting aside of karma whereby you are given the freedom in renewed creativity to conquer, to go forth, to make things right without that heavy burden, that weight of sin. And when you come to the place where you have further attainment, then, according to the law of forgiveness, that karma that was set aside is returned to you. And in your heightened state of consciousness in the plane of self-mastery, you are quickly able to place in the flame that substance for [[transmutation]] and to pursue your high calling.”<ref>Kuan Yin, “A Mother’s-Eye View of the World,''Pearls of Wisdom'', 1982, Book II, p. ''87''.</ref>  
क्षमा के कानून द्वारा ईश्वर हमें अपनी आत्मिक चेतना को विकसित करने का अवसर देते हैं। कुआन यिन कहती हैं, "क्षमा के नियम में प्रशिक्षित होना आवश्यक है क्योंकि वास्तव में यही कुंभ युग (Aquarian age) की नींव है। परन्तु क्षमा से कर्मों का संतुलन नहीं होता। क्षमा को कर्म से अलग रख ईश्वर हमें आगे बढ़ने का एक अवसर देते हैं ताकि हम बिना किसी बोझ के, अपनी रचनात्मकता का प्रयोग कर चीजों को सही कर पाएं। फिर जब आप कुछ उपलब्धियां और दक्षता प्राप्त कर कर आगे बढ़ते हैं, तो क्षमा के नियम के अनुसार, जो कर्म अलग कर दिया गया था वह आपको वापस मिल जाता है क्योंकि अब आप कर्म के फल को सहने में सक्षम होते हैं। अब आप आत्म-निपुणता के उस स्तर हैं जहां आपकी चेतना उन्नत अवस्था में है और कर्म का [[Special:MyLanguage/transmutation|रूपानतरण]] करने में सक्षम हैं।"<ref>कुआन यिन, "अ मदर्स-ऑइ व्यू ऑफ़ द वर्ल्ड (“A Mother’s-Eye View of the World)," ''पर्ल्स ऑफ विज्डम (Pearls of Wisdom)'', १९८२ , पुस्तक २, पृष्ठ ''८७''.</ref>  


There is a difference between the forgiveness of sins and their transmutation. Someone may steal your purse and later tell you that he is sorry he took it. You may forgive him, but the matter is not closed, karmically speaking, until he returns that purse to you with every penny intact or makes whatever restitution is necessary. Forgiveness is not the balancing of karma; it is the setting aside of karma whereby you are given the freedom to make things right without that heavy burden of sin.
पापों की क्षमा और उनका रूपांतरण दो अलग चीज़ें हैं। मान लीजिये, किसी ने आपका पर्स चुराया और बाद में आपसे ये कहा कि उसे खेद है कि उसने आपका पर्स चुराया था। आप उसे माफ कर सकते हैं, लेकिन कर्म की दृष्टि से यह मामला तब तक बंद नहीं होगा, जब तक कि वह आपका पर्स एक-एक पैसे के साथ आपको वापस नहीं कर देता; पूरी क्षतिपूर्ति नहीं करता। सो, क्षमा कर्म का संतुलन नहीं है; यह कर्मों को अलग रखना है जिससे आपको पाप के भारी बोझ के बिना चीजों को सही करने की स्वतंत्रता मिल जाए।


The foundation of the path of the abundant life or of science is forgiveness. It is the resolution of harmony between every part of God. It is an intense love action of the freedom flame. The energies of the [[violet flame]], the energies of God, are always pulsating, always moving, and they are transmuting the records of the subconscious. Forgiveness is the fulfillment of the law in Isaiah, “Though your sins be as scarlet, they shall be as white as snow; though they be red like crimson, they shall be as wool.”<ref>Isa. 1:18.</ref>
क्षमा ही परिपूर्ण जीवन जीने की नींव है। यह ईश्वर के प्रत्येक अंश के बीच सामंजस्य बिठाने का संकल्प है। यह स्वतंत्रता की लौ के गहन प्रेम की क्रिया है। [[Special:MyLanguage/violet flame|वायलेट लौ]] की ऊर्जा, भगवान की ऊर्जा हमेशा स्पंदित होती रहती हैं, ये हमेशा चलती रहती हैं, और अवचेतन मन के अभिलेखों को रूपांतरित करती रहती है। आईज़ेयाह कहते हैं, “तुम्हारे पाप चाहे लाल रंग के ही क्यों न हों, क्षमा से वे बर्फ के समान श्वेत हो जाएंगे। और अगर वे लाल रंग के भी होंगे तो भी ऊन के जैसे हलके हो जाएंगे।”<ref>ईसा. :१८</ref>


[[File:HainanSanya2-cropped.jpg|thumb|alt=caption|upright=1.2|108-meter (354 ft) statue of Kuan Yin on the island of Hainan, in the South China Sea]]
[[File:HainanSanya2-cropped.jpg|thumb|alt=caption|upright=1.2|दक्षिण चीन सागर के  हैनान द्वीप पर कुआन यिन की १०८ मीटर (३५४ फीट) ऊंची मूर्ति]]


== The need to forgive ==
<span id="The_need_to_forgive"></span>
== क्षमा करने की आवश्यकता ==


If you expect forgiveness, then you must be ready to forgive seventy times seven, as the Master [[Jesus]] taught. “In small ways and in great ways, mankind are tested,” Kuan Yin says, “And the bigotry that remains in the consciousness of some is also a lack of forgiveness. Those who cannot forgive their fellowmen because they do not think or worship as they do—these have the hardness of heart that encases the flame of love and also prevents the flow of wisdom.”<ref>Kuan Yin, “Mercy: The Fire that Tries Every Man’s Works,” ''Pearls of Wisdom'', 1982, Book II, p. ''95''.</ref>  
यदि आप स्वयं के लिए क्षमा की आशा रखते हैं, तो सर्वप्रथम आपको औरों को क्षमा करना सीखना होगा जैसा कि दिव्यगुरु [[Special:MyLanguage/Jesus|यीशु]] ने सिखाया है। कुआन यिन कहतीं हैं, "मानव जाति का परीक्षण कई छोटे और बड़े तरीकों से किया जाता है, और जो धर्मांधता कुछ लोगों की चेतना में देखी जाती है, वह भी क्षमा ना कर पाने का ही एक रूप है। जो लोग दूसरों को सिर्फ इसलिए माफ नहीं कर सकते क्योंकि वे उनके जैसे नहीं सोचते या उनका पूजा करने का तरीका नहीं अपनाते वे दिल के कठोर होते हैं, इतने कठोर कि यह कठोरता उनके प्यार की लौ को भी घेर लेती है और ज्ञान के प्रवाह को भी।''<ref>कुआन यिन, "मर्सी: द फायर दैट ट्राइस एव्री मैन्स वर्क्स (Mercy: The Fire that Tries Every Man’s Works) " ''पर्ल्स ऑफ विज्डम (Pearls of Wisdom)'', १९८२, पुस्तक 2, पृष्ठ ''९५''.</ref>  


The mercy of the law is like a two-way street. It is the signal that you send to God and the signal that he returns. A two-way street means the give-and-take with God. If you expect mercy from God, then you must give mercy to every part of life. The fulfillment of the law of mercy must be for the ultimate liberation of each and every soul. Thus, as we forgive life, life forgives us.
दया का कानून एक दो-तरफ़ा सड़क की तरह है। इसमें एक संकेत आप भगवान को भेजते हैं और दूसरा भगवान् आपको भेजता है अर्थात यह ईश्वर के साथ आपके लेन-देन को दर्शाता है। यदि आप ईश्वर से दया की आशा रखते हैं, तो आपको भी अपने जीवन में हर एक के प्रति दया करनी होगी। दया का नियम प्रत्येक जीवात्मा की मुक्ति के लिए है। जब हम क्षमा करते हैं, तो हमें भी क्षमा मिलती है।


Time and time again we have all heard the cliché, “Let bygones be bygones. Forgive and forget!” This is so true, because if you can still resurrect the memory of a wrong that has been done to you, then you have not truly forgiven. In order to forgive, the record and the memory must be dissolved from your consciousness. Kuan Yin tells us that if this is not the case, not only have you not truly forgiven, but “you have hardened your heart. You have stored the record as a squirrel with his nuts deep within the subconscious. Deep in the etheric plane, you have stored the record of that wrong. You have not released it into the flame. You have not been willing to let go and let God be free to express in those who have wronged you, in those whom you have wronged.”<ref>Kuan Yin, “A Mother’s-Eye View of the World,” ''Pearls of Wisdom'', 1982, Book II, p. ''87''.</ref>
हमने बार-बार यह बात सुनी और पढ़ी है, "जो बीत गया उसे जाने दो, माफ करो और भूल जाओ!" यह बात बिल्कुल सत्य है। अगर आप अपने साथ हुए किसी गलत काम को याद रखते हैं तो इसका मतलब है कि वास्तव में आपने अपने साथ गलत करने वाले को माफ़ नहीं किया है। क्षमा तब ही सफल है जब आप उस कार्य से सम्बंधित सभी अभिलेख और स्मृति अपनी चेतना से मिटा दें। कुआन यिन कहती हैं कि यदि आप ऐसा नहीं कर पाते हैं तो आपने माफ नहीं किया है, बल्कि "आपने अपना दिल कठोर कर लिया है।" आपने अवचेतन मन की गहराई में इसे संजो कर रखा हुआ है, ठीक उसी तरह जिस तरह एक गिलहरी अपने दाने संग्रहीत करती है। आपने उसे अपने आकाशीय शरीर में संग्रहीत कर रखा है, अग्नि के सुपुर्द नहीं किया है। आप छोड़ने को तैयार नहीं हैं, और इस कारण से जिन लोगों ने आपके साथ अन्याय किया है, और जिनके साथ आपने अन्याय किया है, आप उनमें ईश्वर की अभिव्यक्ति नहीं होने देना चाहते।<ref>कुआन यिन, “अ मदर्स-ऑइ व्यू ऑफ़ द वर्ल्ड (“A Mother’s-Eye View of the World),” ''पर्ल्स ऑफ विज्डम (Pearls of Wisdom)'', १९८२ , पुस्तक २, पृष्ठ ''८७''..</ref>


One of the best ways to accomplish this complete “forgiving and forgetting” is by the use of the science of the spoken Word, accompanied by visualization, in a mantra for forgiveness written by [[El Morya]] in his “Heart, Head and Hand Decrees.”
मानस चित्रण के साथ शब्दों के विज्ञान का प्रयोग आपको संपूर्ण रूप से "क्षमा करने और भूल जाने" में सहायता करता है। आप [[Special:MyLanguage/El Morya|एल मोरया]] द्वारा दी गई एक डिक्री कर सकते हैं:


::::I AM forgiveness acting here,
::::आई ऍम फोर्गीवेनेस्स एक्टिंग हेयर  ,
::::Casting out all doubt and fear,
::::कास्टिंग आउट आल डाउट एंड फियर ,
::::Setting men forever free
::::सेटिंग मेंन फॉरएवर फ्री
::::With wings of cosmic victory.
::::विद विंग्स ऑफ़ कॉस्मिक विक्ट्री


::::I AM calling in full power
::::आई ऍम कालिंग इन फुल पावर
::::For forgiveness every hour;
::::फॉर फोर्गीवेनेस्स एव्री ऑवर;
::::To all life in every place
::::टू आल लाइफ इन एव्री प्लेस
::::I flood forth forgiving grace.
::::आई फ्लड फोर्थ फॉरगिविंग ग्रेस


As you give this prayer daily, you may wish to visualize the flames of mercy, which are a lovely pink-violet color, enfolding your being and removing the cause and core of many wrongs of the past. It is possible to experience a great sense of relief from burdens you may have been carrying for centuries as you call for forgiveness for your sins—even those of which you may not be aware in this embodiment—and then truly accept God’s grace and forgiveness that he is extending to you through the gift of his violet transmuting flame.
प्रतिदिन यह प्रार्थना करते समय आप स्वयं को गुलाबी-बैंगनी रंग की दया की लपटों से घिरे हुए होने की कल्पना कीजिये, कल्पना कीजिये कि ये लपटें अतीत की गलतियों को समूल नष्ट कर रही हैं। जब आप अपने पापों के लिए क्षमा मांगते हैं - उन पापों के लिए भी जो शायद आपने अपने पूर्व जन्मों में किये हैं  तब आप स्वयं को बहुत हल्का महसूस करते हैं, मानों सदियों का बोझ कन्धों से उतर गया हो। तब ही आप ईश्वर की अनुकम्पा और क्षमा को प्राप्त कर पाते हैं।


The color violet has many hues ranging from the orchid-pink of mercy’s flame, containing a greater saturation of the pink ray of God’s love, to the deep-purple flame that embodies more of the blue of the will of God. The purple flame has a greater electronic cleansing action, which, when used alternately with the healing green decrees, will effectively purify and heal the [[four lower bodies]], especially the [[etheric body]] (the memory body) of the records of the past that may be buried deep within the subconscious. To invoke this flame, take any violet-flame decree and substitute the word “purple” for “violet.” Oftentimes it is more difficult to penetrate to the etheric body than to any of the other lower bodies, and therefore the repetition of a mantra thirty-six times can be very effective in clearing old records of past momentums.
बैंगनी रंग में कई विविधताएं हैं - आर्किड-गुलाबी रंग दया की लौ दर्शाता है (इसमें ईश्वर के प्रेम की गुलाबी किरण की मात्रा अधिक होती है); गहरा बैंगनी रंग ईश्वर की इच्छा को दर्शाता है (इसमें ईश्वर की इच्छा की नीली किरण की मात्रा अधिक होती है)। बैंगनी लौ में शुद्ध करने की बहुत शक्ति है, जब हम इसका प्रयोग उपचारात्मक डिक्रीस के साथ करते हैं, तो हमारे [[Special:MyLanguage/four lower bodies|चार निचले शरीर]], विशेष रूप से [[Special:MyLanguage/etheric body|आकाशीय शरीर]] (स्मृति शरीर) अत्यंत प्रभावी ढंग से शुद्ध और स्वस्थ हो जाता है। अवचेतन मन में गहरे दबे पूर्वजन्मों के अभिलेख भी इससे शुद्ध हो जाते हैं। इस लौ का आह्वान करने के लिए, किसी भी बैंगनी-लौ डिक्री को गायें पर "बैंगनी" के स्थान पर "वायलेट" शब्द का प्रयोग करें। बहुदा अन्य शरीरों की अपेक्षा आकाशीय शरीर में प्रवेश करना अत्याधिक कठिन होता है - डिक्री को छत्तीस बार दोहराना पूर्वजन्म के अभिलेखों को साफ़ और शुद्ध करने में बहुत सहायक हो सकता है।


[[File:0000165_kuan-yin-by-ruth-hawkins-2108AX_600.jpeg|thumb|alt=Painting of Kuan Yin by Ruth Hawkins|Kuan Yin, by [[Ruth Hawkins]]]]
[[File:0000165_kuan-yin-by-ruth-hawkins-2108AX_600.jpeg|thumb|alt=Painting of Kuan Yin by Ruth Hawkins|[[Special:MyLanguage/Ruth Hawkins|रूथ हॉकिन्स]] द्वारा बनाया गया कुआन यिन का चित्र]]


== Service on the Karmic Board ==
<span id="Service_on_the_Karmic_Board"></span>
== कार्मिक बोर्ड पर सेवा ==


Kuan Yin reminds us of another facet of the flame of mercy as she says:
दया की लौ के एक पहलू के बारे में हमें याद दिलाते हुए कुआन यिन कहती हैं


<blockquote>
आपमें से कई लोगों के लिए मैंने [[Special:MyLanguage/Lords of Karma|कर्म के स्वामी]] से प्रार्थना की है कि नकारत्मक कर्मों की वजह से आप लोगों को कोई जन्मजात विकृति ना हो, कि आप सम्पूर्ण स्वस्थ शरीर के साथ जन्म लें, कि किसी कर्म का भुगतान आपको अपंग या अंधा ना करें। मैंने आपकी तरफ से दया की लौ से प्रार्थना की है ताकि आप स्वस्थ मन और शरीर से ईश्वर के प्रकाश का अनुसरण कर सकें। ईश्वर जिन पर दया नहीं करते वे लोग पागलखानों में पाए जाते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि उन्हें पता चले कि एक स्वस्थ मस्तिष्क के ना होने का क्या अर्थ होता है, उन्हें ये पता चले कि दिमाग को खराब करने का क्या अर्थ है और ये सब अनुभव कर जब वे कोई अन्य जन्म लेकर पृथ्वी पर आएं तो स्वस्थ मस्तिष्क का आदर कर पाएं।
For many of you I have pleaded before the [[Lords of Karma]] for the opportunity to embody, to be whole, to not have dealt to you in the physical the great karma of being maimed and blinded at birth that some of you have deserved. I have interceded with the flame of mercy on your behalf so that you could pursue, in the freedom of a sound mind and body, the light of the Law. Some who have been denied that mercy by the Lords of Karma are today in the institutions for the insane; for them it was meted that they should experience the agony of the absence of the presence of the Christ mind, that they might know what it is to defile that mind, that they might return in another life and appreciate the gift of reason, the gift to pursue the Holy Word Incarnate by the power of the Logos.


You do not realize how much has hung in the balance of your own life because mercy’s flame has been available to you. You have called and God has answered, and through my heart and my hands, mercy has flowed. I say this that you might also have the wisdom to understand that when mercy has been accorded for a time, you are expected to deliver the fruits of mercy, following the works of the L<small>ORD</small> and the way of wisdom.<ref>Kuan Yin, “Mercy: The Fire that Tries Every Man’s Works,” ''Pearls of Wisdom'', 1982, Book II, p. ''96''.</ref>
आपको इस बात का एहसास ही नहीं है कि दया की लौ के कारण आपका जीवन में कितना संतुलन है। आपने जब जब ईश्वर को पुकारा, ईश्वर ने उत्तर दिया जिसके परिणामस्वरूप मेरे हृदय और हाथों से दया प्रवाहित हुई। मैं आपको यह बताना चाहती हूँ जब जब ईश्वर आपके ऊपर दया करते हैं तो आपका कर्त्तव्य है कि आप ईश्वर के मार्ग का अनुसरण करें और अपनी बुद्धि का प्रयोग करते हुए ईश्वर-तुल्य कार्य करें<ref>कुआन  यिन, “मर्सी: द फायर दैट ट्राइज़ एवरी मैन्स वर्क्स (Mercy: The Fire that Tries Every Man’s Works),” ''पर्ल्स ऑफ विजडम (Pearls of Wisdom)'', १९८२, पुस्तक 2, पृष्ठ ''९६''.</ref>
</blockquote>


The Bodhisattva Kuan Yin is known as the '''Goddess of Mercy''' because she ensouls the God-qualities of mercy, compassion and forgiveness. She serves on the [[Karmic Board]] as the representative of the seventh ray (violet ray). She also held the office of [[chohan]] of the seventh ray for two thousand years until [[Saint Germain]] assumed that office in the late 1700s.
बोधिसत्व कुआन यिन को '''दया की देवी''' के रूप में जाना जाता है क्योंकि वह दया, करुणा और क्षमा के ईश्वरीय-गुणों को दर्शाती हैं। ये [[Special:MyLanguage/Karmic Board|
कार्मिक बोर्ड]] में सातवीं किरण (वायलेट किरण) का प्रतिनिधित्व करती है। [[Special:MyLanguage/Saint Germain|संत जर्मेन]] से पहले इन्होनें दो हजार वर्षों तक सातवीं किरण के [[Special:MyLanguage/chohan|चोहान]] का पद भी संभाला-संत जर्मेन ने 1700 के अंतिम चरणों में यह पदभार लिया था।


== Her retreat ==
<span id="Her_retreat"></span>
== इनका आकाशीय आश्रय स्थल ==


{{main|Temple of Mercy}}
{{main-hi|Temple of Mercy|टेम्पल ऑफ़ मर्सी}}


Kuan Yin ascended thousands of years ago and has taken the vow of the bodhisattva to serve planet Earth until all her evolutions are free. From her etheric retreat, the Temple of Mercy, over Peking (Beijing), China, she ministers to the souls of humanity, teaching them to balance their karma and fulfill their divine plan through loving service to life and application of the violet flame.
कुआन यिन हजारों साल पहले पृथ्वी पर थीं। इस ग्रह को  छोड़ने के वक्त इन्होनें मोक्ष प्राप्त करने की अपेक्षा पृथ्वीवासियों की सेवा करने का व्रत लिया, इसलिए ये बोधिसत्व बन गयीं और तब तक ये ऐसे ही रहेंगी जब तक कि सारे पृथ्वीवासी मुक्त नहीं हो जाते। इनका आकाशीय आश्रय स्थल, टेंपल ऑफ मर्सी, चीन के पेकिंग (बीजिंग) में हैं। ये मनुष्यों को अपने कर्म संतुलित करना, जीवन को द्विव्य योजना के अनुसार चलाना और मानवता की सेवा करना सिखाती हैं।


Kuan Yin’s flame is the color of orchids, the pink of divine love tempering the blue of the will of God. Her flower is a pink and violet lotus; the center, being pink, is as the mercy flame, becoming deeper and deeper violet on the periphery.
कुआन यिन की लौ ऑर्किड रंग की है, जो कि ईश्वरीय प्रेम के गुलाबी रंग एवं ईश्वरीय इच्छा के नीले रंग का मिश्रण है। गुलाबी-बैंगनी रंग का कमल इनका फूल है - जिसमें मध्य भाग गुलाबी और परिधि का रंग गहरा बैंगनी है।


== See also ==
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== इसे भी देखिये ==


[[Kuan Yin’s Crystal Rosary]]
[[Special:MyLanguage/Kuan Yin’s Crystal Rosary|कुआन यिन की क्रिस्टल जपमाला]]


== Sources ==
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== स्रोत ==


{{MTR}}, s.v. “Kuan Yin.”
{{MTR}}, s.v. “कुआन यिन”


''Kuan Yin’s Crystal Rosary'' booklet, introduction.
''कुआन यिन की क्रिस्टल जपमाला'' पुस्तिका, परिचय।


Elizabeth Clare Prophet, July 1, 1988.
एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट, १ जुलाई १९८८


Elizabeth Clare Prophet, July 5, 1996.
एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट, ५ जुलाई १९९६


[[Category:Heavenly beings]]
[[Category:Heavenly beings]]


<references />
<references />

Latest revision as of 13:43, 18 June 2024

Other languages:
Statue of Kuan Yin, Nelson-Atkins Museum of Art, Kansas City, Missouri
मिसौरी की कैनसस सिटी के नेल्सन-एटकिंस कला संग्रहालय में रखी हुई कुआन यिन की मूर्ति। यहां उन्हें राजसी सहजता की अपनी विशिष्ट मुद्रा में बैठे हुए दर्शाया गया।

कुआन यिन को बौद्ध धर्म में दयालु, उदार, उद्धार करने वाली, दया की देवी बोधिसत्व के रूप में पूजा जाता है। एक माँ के रूप में वे अपने भक्तों के बहुत नज़दीक रहती हैं, और उनके क्लिष्ट मामलों मध्यस्थता भी करती हैं। बौद्ध धर्म के अनुयायी कुआन यिन की तुलना पश्चिम की जीसस की मां मेरी से करते हैं। सुदूर पूर्व में भक्त जीवन के हर क्षेत्र में उनका मार्गदर्शन और सहायता मांगते हैं। यहाँ कुआन यिन को मंदिरों, घरों और सड़कों के किनारे बनी गुफाओं में पाया जाता हैं।

कुआन शिह यिन नाम, जैसा कि उसे अक्सर बुलाया जाता है, का अर्थ है "वह जो दुनिया की आवाज़ों को देखता है, देखता है या सुनता है।" किंवदंती के अनुसार, कुआन यिन स्वर्ग में प्रवेश करने वाली थी, लेकिन जैसे ही दुनिया की चीखें उसके कानों तक पहुंचीं, वह दहलीज पर रुक गई।

कुआन यिन महिलाओं, नाविकों, व्यापारियों, कारीगरों, संतान के इच्छुक दम्पतियों और वे लोग जिन पर कोई मुक़दमा चल रहा है, के संरक्षक के रूप में जानी जाती हैं। कुआन यिन के भक्त उनकी कृपा और उपचारात्मक शक्तियों में अथाह विश्वास रखते हैं। बहुतों का मानना ​​है कि उनका कृपा-पात्र बनने के लिए सिर्फ उनका नाम लेना ही पर्याप्त है। कुआन यिन की जपमाला में उनके मंत्र शामिल हैं और यह उनकी मध्यस्थता पाने करने का एक शक्तिशाली साधन है।

Old Korean painting of Kuan Yin
विलो शाखा के साथ अवलोकितेश्वर, लटकता हुआ सिल्क स्क्रॉल, सी.१३१०, गोरियो राजवंश (कोरिया)

पूर्व की परंपराएँ

सदियों से कुआन यिन ने बोधिसत्व की अपनी भूमिका में महायान बौद्ध धर्म के महान आदर्शों को चित्रित किया है। बोधिसत्व यानि कि "आत्मज्ञान से भरपूर प्राणी", जिसे बुद्ध बनना था पर जिसने भगवन के बच्चों की खातिर अपने निर्वाण का त्याग कर दिया। कुआन यिन ने पृथ्वी एवं उसके सौर मंडल के जीवों के उत्थान हेतु, उन्हें दिव्यगुरूओं द्वारा दिया गया ज्ञान देने के लिए बोधिसत्व होने के व्रत लिया है।

बौद्ध धर्म के प्रारम्भ से पहले चीन में कुआन यिन की पूजा की जाती थी - इन्हें अवलोकितेश्वर (पद्मपानी) का अवतार माना जाता था। ओम मणि पद्मे हम मंत्र के द्वारा इनका आह्वान किया जाता है। इस मंत्र का अर्थ है "कमल में स्थित रत्न की जय हो!" या “अवलोकितेश्वर, जो भक्त के हृदय कमल के आभूषण हैं, की जय हो।

ऐसा कहा जाता है कि एक बार जब प्रकाश के बुद्ध अमिताभ ईश्वर में मग्न हो परमानंद की अनुभूति कर रहे थे तब उनके दाहिने नेत्र से श्वेत रौशनी की एक किरण उत्पन्न हुई, इसी किरण से अवलोकितेश्वर का जन्म हुआ। इसी कारण से अवलोकितेश्वर/ कुआन यिन को अमिताभ का "प्रतिबिंब" माना जाता है। ये महा करुणा की प्रतिमा हैं, अमिताभ भी महा करुणा का मूर्तरूप हैं। अनुयायियों का ऐसा मानना ​​है कि कुआन यिन अमिताभ की करुणा को अधिक प्रत्यक्ष और व्यक्तिगत तरीके से व्यक्त करती है और भक्तों की प्रार्थनाओं का उत्तर जल्दी देती हैं।

Painting of Kuan Yin in Chinese style, riding a dragon in the midst of a turbulent sea
ड्रैगन की सवारी करते हुए कुआन यिन। यह छवि कुआन यिन की जल तत्व की महारत को भी दर्शाती है, ठीक उसी प्रकार जैसे मदर मैरी की जल तत्व की महारत को उनके पैरों के नीचे चंद्रमा के बना कर दर्शाया जाता है।

बौद्ध कला में अक्सर कुआन यिन को शुद्ध बौद्ध भूमि के संप्रदाय के तीन शासकों में से एक के रूप में चित्रित किया जाता है। चित्रों में प्रकाश के बुद्ध अमिताभ (चीनी लोग इन्हें अमितो और जापानी लोग अमीडा कहते हैं) को मध्य में दिखाते है, और उनके दाहिनी ओर शक्ति के बुद्ध महास्थामाप्राप्त एवं बायीं ओर करुणा की देवी कुआन यिन को दर्शाया जाता है।

बौद्ध धर्मशास्त्रों में कुआन यिन को कभी-कभी "बार्क ऑफ साल्वेशन" के कप्तान के रूप में चित्रित किया जाता है। ये जीवात्माओं को अमिताभ के पश्चिमी स्वर्ग/ शुद्ध भूमि/ आनंद की भूमि को ओर निर्देशित करती हैं। इस स्थान पर आध्यात्मिक उत्थान सम्बंधित ज्ञान के निर्देश देने के लिए जीवात्माओं का पुनर्जन्म भी हो सकता है। लकड़ी के सांचों में अक्सर कुआन यिन की कप्तानी के तहत अमिताभ के अनुयायियों से भरी नावें शुद्ध भूमि की ओर यात्रा करते दर्शायी जाती हैं।

कुआन यिन के प्रमुख प्रतीकों में से एक है विलो वृक्ष की शाखा। बौद्ध मान्यता के अनुसार कुआन यिन बीमारी को दूर भगाने के लिए और दूसरों की सहायता के लिए आने वाले सभी लोगों पर ज्ञान और करुणा का अमृत छिड़कने के लिए विलो शाखा का उपयोग करती हैं। कुछ एशियाई परंपराओं में बीमार व्यक्ति को स्वस्थ करने के लिए प्रार्थना करते वक्त उसके शरीर को विलो की शाखा से सहलाने का नियम है।

कुआन यिन को बच्चों की दाती माना जाता है, इसलिए बहुधा उन्हें एक शिशु के साथ चित्रित किया जाता है। ताइवान के लोगों का मानना है कि अपने एक अवतार में कुआन यिन माँ थीं और चित्रों में उन्हें अपने बच्चे के साथ दिखाया जाता है।

कुआन यिन को ड्रैगन पर खड़े हुए भी चित्रित किया जाता है। ड्रैगन चीन देश और चीन के दिव्य वंश का प्रतिनिधित्व करता है। यह श्वेत महासंघ की संपूर्ण आत्मा का भी प्रतीक है। बुक ऑफ़ रेवेलशन में ड्रैगन को जानवरों के शक्तिदाता के रूप में दिखाया गया है। इन सब बातों का निष्कर्ष यह है कि ड्रैगन महान पदक्रम का एक विचाररूप है - प्रकाश या फिर अन्धकार की शक्तियों का प्रतीक।

चीनी कथाओं में ड्रैगन और फीनिक्स ताई ची ऊर्जा के यांग और यिन का प्रतिनिधित्व करते हैं। चित्रों में ड्रैगन पर सवार कुआन यिन दर्शाने का अर्थ है कि कुआन यिन ड्रैगन की स्वामिनी हैं।

मियाओ शान

Painting in Chinese style of Miao Shan on the back of a tiger
मियाओ शान को ले जाते हुए एक बाघ

कुआन यिन ने छठी शताब्दी में उत्तरी चीनी साम्राज्य में चाउ राजवंश के शासक मियाओ चुआंग वांग की तीसरी बेटी के रूप में जन्म लिया था। इस राजा ने बलपूर्वक शासन पर कब्ज़ा किया था और उसकी तीव्र इच्छा थी की उसके के पुत्र हो जो उसके वंश को आगे चलाये। लेकिन भाग्य से उसकी तीन पुत्रियां हो गयी। सबसे छोटी पुत्री, मियाओ शान, एक धर्मनिष्ठ बच्ची थी जो "बौद्ध धर्म के सभी सिद्धांतों का ईमानदारी से पालन करती थी। सदाचारी जीवन उसके स्वभाव में निहित था"[1]

उन्होंने धन और वैभव की नश्वरता को पहचान लिया था और वे "एक पर्वत पर शांति से अकेले रहना चाहती थीं"। उन्होंने अपनी बहनों से कहा था, "अगर किसी दिन मैं अच्छाई के उच्च स्तर तक पहुँच पायी तो मैं अपने माँ-पिताजी और को बचा कर स्वर्ग ले आऊँगी; मैं पृय्वी पर दुखी और पीड़ित लोगों का उद्धार करुँगी; मैं बुरे कर्म करने वाली जीवात्माओं का मन बदलकर उन्हें भलाई के रास्ते पर चलाऊंगी।"

मियाओ शान के पिता उसका विवाह एक ऐसे व्यक्ति से करना चाहते थे जो एक अच्छा शासक हो। राजा ने उसे अपनी योजना के बारे में बताया और कहा की उनकी साड़ी आशाएं उस पर टिकी हैं। परन्तु मियाओ शान ने पिता को बताया कि वह विवाह नहीं करना चाहती क्योंकि उनका ध्येय आध्यात्मिक पथ पर चलकर बुद्धत्व प्राप्त करना है।

यह सुनकर पिताजी क्रोधित हो गए। उन्होंने पुछा, "क्या कोई राजकुमारी कभी तपस्विनि बनी है?" इसके बाद उन्होंने आज्ञा दी वह तुरंत किसी शिक्षाविद या सैनिक से विवाह कर ले। मियाओ शान यह जानती थीं की पिता के आदेश की अवहेलना करना कठिन होगा। उन्होंने कहा वे एक चिक्तिसक से तुरंत विवाह कर सकती हैं क्योंकि चिकित्सक से विवाह करने के बाद भी वे बुद्ध बन सकती हैं। यह सुनकर उनके पिताजी आग-बबूला हो गए और उन्होंने अपने एक अधिकारी को आदेश दिया कि वे मियाओ शान को रानी के बगीचे में छोड़ आएं ताकि वहां अत्याधिक सर्दी से उसकी मृत्यु हो जाए।

परन्तु इस बात से परेशान होने की अपेक्षा मियाओ शान बहुत प्रसन्न हो गयीं। उन्हें महलों की शान-शौकत के बजाय बगीचे का शांत एकांत बहुत अच्छा लगा। उनके माता-पिता, बहनों और परिवार के अन्य सदस्यों ने उन्हें बहुत समझाया परन्तु उन्होंने बुद्ध बनने के अपने स्वप्न को नहीं छोड़ा। फिर उन्होंने अपने पिता से वाइट बर्ड के मठ में रहने की अनुमति मांगी। राजा ने उन्हें अनुमति तो दे दी परन्तु साथ ही वहां की भिक्षुणियों को सख्त आदेश भी दिए कि वे मियाओ शान को मठ छोड़ने के लिए राज़ी करेंगी।

भिक्षुणियों ने बहुत कोशिश की लेकिन वे अपने प्रयास में असफल रहीं। फिर उन्होंने मियाओ शान को रसोई का प्रभारी बनाने का फैसला किया, यह सोचकर कि अगर वे यह कार्य करने में विफल रही तो उन्हें मठ से बर्खास्त किया जा सकता था। मियाओ शान ने ख़ुशी ख़ुशी यह दायित्व स्वीकार कर लिया जिसके फलस्वरूप स्वर्ग के गुरुओं ने प्रसन्न होकर स्वर्ग की आत्माओं को मियाओ शान की सहायता करने का आदेश दिया।

तब मठ के प्रधान ने राजा से अपनी बेटी को वापस बुलाने के लिए कहा। क्रोधित राजा ने पांच हजार सैनिकों को व्हाइट बर्ड के मठ में आग लगाने का आदेश दिया ताकि भिक्षुणियां भी उस आग में जल कर मर जाएँ। भिक्षुणियों ने ईश्वर को सहायता के लिए पुकारा और साथ ही मियाओ शान से कहा कि उनपर यह विपदा उसके कारण ही आयी है।

मियाओ शान ने इस बात पर अपनी सहमति जताई। उन्होंने घुटनों के बल बैठकर ईश्वर से प्रार्थना की और फिर बांस की एक सुई को अपने मुँह के ऊपरी हिस्से में चुभाया जिससे रक्त बहने लगा। उन्होंने उस रक्त को स्वर्ग की ओर थूक दिया। तुरंत ही आसमान में विशाल बादल इकट्ठे हो गए और बारिश होने लगी जिससे मठ में लगी आग बुझ गई। भिक्षुणियों ने घुटनों के बल बैठकर मियाओ शान को उनकी जान बचाने के लिए धन्यवाद दिया।

जब राजा को इस इस चमत्कार के बारे में पता चला तो वे और अधिक राजा क्रोधित हो गए और उन्होंने सैनिकों के प्रमुख को तुरंत मियाओ शान का सिर काटने का आदेश दिया। परन्तु फाँसी की तैयारी करते ही आसमान में बादल छा गए और एक तेज़ रोशनी ने मियाओ शान को ढक लिया। जब जल्लाद ने मियाओ शान की गर्दन पर तलवार चलानी चाहि तो वह टूट गयी, जब उसने उन पर भाले से प्रहार करना चाहा तो भाला टुकड़े-टुकड़े होकर गिर गया।

इसके बाद राजा ने आदेश दिया कि एक रेशमी रस्सी से मियाओ शान का गला घोंट दिया जाये। लेकिन तभी कहीं से एक बाघ वहां आ गया जिससे जल्लाद तितर-बितर हो गए। बाघ मियाओ शान के शरीर को अपनी पीठ पर ले भागा और देवदार के जंगल में गायब हो गया।

caption
माउंट पु-टू पर कुआन यिन की तैंतीस मीटर ऊँची मूर्ति है, और यह पवित्र द्वीप-पर्वत कुआन यिन की भक्ति का केंद्र बन गया है।

इसके बाद मियाओ शान की जीवात्मा को निचली दुनिया, नरक, में ले जाया गया। उन्होंने वहां भी ईश्वर से प्रार्थना की और नर्क स्वर्ग में बदल गया। फिर उन्हें अपना जीवन फिर से शुरू करने के लिए पृथ्वी पर वापस भेज दिया गया। चेकियांग के तट पर चुसान द्वीपसमूह में पवित्र द्वीप-पर्वत - पू-तो शान द्वीप पर वह नौ साल तक रहीं। इस समय के दौरान उन्होंने कई बीमार लोगों को ठीक किया तथा नाविकों के जहाज़ों को दुर्घटनाग्रस्त होने से बचाया।

ऐसा कहा जाता है कि एक बार जब उन्हें अपने पिता की बीमार होने का पता चला तो उन्होंने अपनी बाहों के मांस से दवा बनाकर पिता को दी जिससे उनकी जान बच गई। पिता ने कृतज्ञ भाव में आदेश दिया कि मियाओ शान के सम्मान में उनकी एक मूर्ति बनाई जाए - उन्होंने कलाकार को यह भी कहा की मूर्ति में "बाहें और आँखें पूरी होने चाहियें"। कलाकार ने कुछ और ही समझा और उसने मूर्ति में "हज़ार भुजाएं और आँखें" बना दीं। आज भी कुआन यिन को कभी-कभी "हज़ार भुजाओं और हज़ार आँखों" के साथ दिखाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि वे इन हज़ार भुजाओं और आँखों से लोगों को देख पाती हैं और उनकी सहायता कर पाती हैं।

बारहवीं सदी के दौरान कुछ बौद्ध भिक्षु पू-तो शान पर रहने लगे और कुआन यिन के प्रति भक्ति पूरे उत्तरी चीन में फैल गई। यह सुरम्य द्वीप इस दयालु उद्धारकर्ता की पूजा का मुख्य केंद्र बन गया। चीन के दूरदराज इलाकों से ही नहीं वरन मंचूरिया, मंगोलिया और तिब्बत से भी तीर्थयात्री यहां आने लगे। एक समय ऐसा भी था जब इस द्वीप पर कुआन यिन के सौ से अधिक मंदिर थे, और एक हजार से अधिक भिक्षु यहां रहते थे। पु-तो द्वीप की दंतकथाओं में कुआन यिन द्वारा किए गए चमत्कारों का वर्णन है। ऐसा माना जाता है कि कुआन यिन कभी कभी यहाँ की एक गुफा में अपने भक्तों को दर्शन देती हैं।

आदर्श बोधिसत्व

कुआन यिन का मंत्रालय पर्वतों जितना प्राचीन और वास्तविक है। मानवता के साथ खड़े होने की इनका निर्णय अत्यंत पवित्र है। परन्तु कुआन यिन हमें आगाह भी करती हैं की हम ऐसी शपथ लेने से पहले समर्पित लोगों की सेवा के सभी पहलुओं पर अच्छी तरह सोच-विचार कर लें:

समस्त जीवों के साथ एकीकार होने के कारण हम सभी प्रकार की अभिव्यक्तियों - बहुत अच्छी से बहुत बुरी - के प्रति जागरूक हैं। एक बोधिसत्व के लिए यह उसके आदर्श काम का हिस्सा है, यह उन लोगों का भी हिस्सा है जो मानवता के साथ खड़े हैं। इस ग्रह पर ऐसे लोगों की अच्छी-खासी संख्या है, हालाँकि यह संख्या उन लोगों की संख्या में बहुत कम है जो उपद्रवी जीवन जीते हैं। बोधिसत्व एक बहुत ही उच्च और पवित्र वर्ग है, और मेरा सुझाव है कि आप इसका हिस्सा बनने से पहले अच्छी तरह सोच लें।

युगों युगों तक जब आपकी हर कोशिश के बावजूद लोग ईश्वर के मार्ग से विमुख रहते हैं, तब आपके मन में ऐसा विचार आ सकता है कि काश आपने कोई दूसरा, आसान रास्ता चुना होता, जो शायद आपको ज़्यादा संतुष्टि देता। सदियां गुज़र जाने के बाद भी जब आप देखते हैं कि जिन लोगों को आपने स्वयं अपने ह्रदय की लौ से सींचा है, वे भी निम्न सांसारिक बंधनों से मुक्त नहीं हो पाए हैं, तो आप स्वयं को ईश्वर के सामने रोता हुआ पाते हैं, और कहते हैं, "हे ईश्वर इन पथभ्रष्ट लोगों को कब बुद्धि आएगी, कब ये अपनी दिव्यता को समझेंगे[2]

Kuan Yin, seated
कुआन यिन

दया की लौ

कुआन यिन पृथ्वी के जीवों में दया और करुणा के गुणों का प्रतिनिधित्व करतीं हैं। पृथ्वी पर बहुत से जीव ऐसे भी हैं जो गलतियां तो करते हैं पर उनका पूरा फल भोगने का सामर्थ्य उनमें नहीं होता। ऐसे जीवों की आत्मा दया की लौ का आह्वाहन करती है। दया के गुण की वजह से ही उस जीव को कर्म फल में रियायत मिलती है, और उन्हें यह रियायत तब तक मिलती है जब तक की वे अपने कर्म के फल को भोगने में समर्थ नहीं हो जाता। कुआन यिन कहती हैं:

... दया प्रेम प्रकट करने है तरीका है जो जीवन के कठिन रास्तों को सुगम बनाता है, जो आकाशीय शरीर के घावों को ठीक करता है, मन और भावनाओं में पड़ी दरारों को भरता करता है, पाप को मिटाता है और संघर्ष की भावना को समाप्त करता है अन्यथा ये सब भौतिक शरीर में रोग, क्षय, विघटन और मृत्यु के रूप में प्रकट होती हैं।[3]

कुआन यिन कहती हैं, "दया ब्रह्मांड की सबसे बड़ी ताकत है क्योंकि यह ईश्वर की इच्छाशक्ति है... प्रेम से परिपूर्ण दया सभी प्रकार के भय, संदेह, अवज्ञा एवं विद्रोह को मिटा देती है। न्याय-पालन में भी दया होती है - कभी-कभी यह बहुत कठोर हो जाती है परन्तु यह हमेशा धैर्यवान और सहनशील रहती है, और यह दिल में आत्मा से मिलने की इच्छा को उभरती और बढ़ती हुई देखती है।[4]

कुआन यिन हमें याद दिलाती हैं, "याद रखिये, जब भी आपको शक्ति, रोशनी, पवित्रता और उपचार की बहुत अधिक आवश्यकता होती है तो ईश्वर आपके ऊपर दया करते है, ये सब आपको ईश्वर की दया से ही मिल सकता है। जब ईश्वर हमारे ऊपर दया करके हमें क्षमा करते हैं तो हमें उनके कानून का पालन करने का एक नया अवसर मिलता है। क्षमा के बिना उन्नति मुश्किल है।[5] इसलिए, ईश्वर के साथ फिर से चलने के लिए हमें उनकी क्षमा की आवश्यकता है।

क्षमा की आवश्यकता

जब हम इसका आह्वान करते हैं, तो हमें एहसास होता है कि हमारी स्व चेतना ही हमारी मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक, मंत्री, पुजारी, गुरु, मित्र - सभी कुछ है। हमें अपने दिल का बोझ उतारने प्रतिदिन इसके पास जाना चाहिए। अमेरिकी भारतीयों में ऐसा करने की परंपरा थी। वे लोग रात को आग जलाकर उसके चारों ओर बैठ जाते थे और अपनी दिनचर्या की चर्चा किया करते थे। दिन भर में जो कुछ भी उनकी पसंद का नहीं हुआ वे उसे अग्नि के सुपुर्द कर दिया करते थे। वास्तव में प्रत्येक पंथ में यही सिखाया जाता है। अप्रिय बातों को अग्नि के सुपुर्द कर हम चैन की नींद सो सकते हैं। आजकल अधिकाँश लोग अनिद्रा के रोग से पीड़ित हैं, और इसका एकमात्र कारण दैनिक कर्म से रिहा न हो पाना है।

अगर हमने ऐसा कुछ किया है जो ईश्वर के मार्ग से पृथक है, उनके कानून के अनुसार नहीं है तो हमें अपनी इस गलती को स्वीकार कर, ईश्वर को इसके बारे में बताना होगा। जब तक कि हम ऐसा करके अपनी गलतियों की क्षमा उनसे नहीं मांगते, तब तक हम अपराधबोध, भय और शर्म से ग्रसित हो ईश्वर से परे रहते हैं। सभी प्रकार की मानसिक और भावनात्मक बीमारियां, स्प्लिट पर्सनैलिटी (split personalities), माता-पिता और बच्चों के प्रति घृणा और कई अन्य समस्याएं जिनसे आधुनिक समाज आज जूझ रहा है इसी वजह से है। क्षमा ही अन्तर्मन के पास जाने का रास्ता है।

क्षमा का आह्वान हमें न केवल अपने लिए करना चाहिए वरन इसे हमें अपने जीवन के हर पहलू में लागू करने की आवश्यकता है - हम उन सभी को दिल से क्षमा करें जिन्होंने कभी भी हमारे साथ कुछ गलत किया है, और हम उन सभी से क्षमा मांगे जिनके साथ हमने कुछ भी गलत किया है। संत जर्मेन ने हमें यह सिखाया है कि क्षमा हमें दिल से मांगनी चाहिए तथा क्षमा मांगते वक्त हमारा दिल प्रेम से सरोबार होना चाहिए। और यह बात - कि हम क्षमा करते हैं और हम क्षमा मांग रहे हैं - हमें प्रकट रूप से, अत्यंत विनम्रता से कहनी भी चाहिए।

जब हम क्षमा मांगते हैं तो हमारा आभामंडल बैंगनी, जामुनी और गुलाबी रंग की रोशनी से भर जाता है जिससे हमारी जीवन की सारी अप्रिय स्थितियां धुल जाती हैं। बारम्बार क्षमा मांगने और क्षमा करने से यह रंग गहरे होते जाते हैं और ऐसा तब तक होता है जब तक कि पूरी दुनिया हमारे ह्रदय की ऊर्जा से सरोबार नहीं हो जाती। आप क्षमा का आह्वान करते समय किसी की भी कल्पना कर सकते हैं - आपका कोई प्रियजन, बच्चा, ऐसा व्यक्ति जिसे आप अपना शत्रु मानते हैं, कोई राजनीतिक नेता, वो शहर जहाँ आप रहते हैं, आपकी सरकार, आपका देश या फिर सम्पूर्ण पृथ्वी ग्रह। कल्पना करते वक्त आप अपने मन की आँखों में इन सभी को क्षमा की लहरों और तरंगों में डूबा हुआ देखिये।

क्षमा के कानून द्वारा ईश्वर हमें अपनी आत्मिक चेतना को विकसित करने का अवसर देते हैं। कुआन यिन कहती हैं, "क्षमा के नियम में प्रशिक्षित होना आवश्यक है क्योंकि वास्तव में यही कुंभ युग (Aquarian age) की नींव है। परन्तु क्षमा से कर्मों का संतुलन नहीं होता। क्षमा को कर्म से अलग रख ईश्वर हमें आगे बढ़ने का एक अवसर देते हैं ताकि हम बिना किसी बोझ के, अपनी रचनात्मकता का प्रयोग कर चीजों को सही कर पाएं। फिर जब आप कुछ उपलब्धियां और दक्षता प्राप्त कर कर आगे बढ़ते हैं, तो क्षमा के नियम के अनुसार, जो कर्म अलग कर दिया गया था वह आपको वापस मिल जाता है क्योंकि अब आप कर्म के फल को सहने में सक्षम होते हैं। अब आप आत्म-निपुणता के उस स्तर हैं जहां आपकी चेतना उन्नत अवस्था में है और कर्म का रूपानतरण करने में सक्षम हैं।"[6]

पापों की क्षमा और उनका रूपांतरण दो अलग चीज़ें हैं। मान लीजिये, किसी ने आपका पर्स चुराया और बाद में आपसे ये कहा कि उसे खेद है कि उसने आपका पर्स चुराया था। आप उसे माफ कर सकते हैं, लेकिन कर्म की दृष्टि से यह मामला तब तक बंद नहीं होगा, जब तक कि वह आपका पर्स एक-एक पैसे के साथ आपको वापस नहीं कर देता; पूरी क्षतिपूर्ति नहीं करता। सो, क्षमा कर्म का संतुलन नहीं है; यह कर्मों को अलग रखना है जिससे आपको पाप के भारी बोझ के बिना चीजों को सही करने की स्वतंत्रता मिल जाए।

क्षमा ही परिपूर्ण जीवन जीने की नींव है। यह ईश्वर के प्रत्येक अंश के बीच सामंजस्य बिठाने का संकल्प है। यह स्वतंत्रता की लौ के गहन प्रेम की क्रिया है। वायलेट लौ की ऊर्जा, भगवान की ऊर्जा हमेशा स्पंदित होती रहती हैं, ये हमेशा चलती रहती हैं, और अवचेतन मन के अभिलेखों को रूपांतरित करती रहती है। आईज़ेयाह कहते हैं, “तुम्हारे पाप चाहे लाल रंग के ही क्यों न हों, क्षमा से वे बर्फ के समान श्वेत हो जाएंगे। और अगर वे लाल रंग के भी होंगे तो भी ऊन के जैसे हलके हो जाएंगे।”[7]

caption
दक्षिण चीन सागर के हैनान द्वीप पर कुआन यिन की १०८ मीटर (३५४ फीट) ऊंची मूर्ति

क्षमा करने की आवश्यकता

यदि आप स्वयं के लिए क्षमा की आशा रखते हैं, तो सर्वप्रथम आपको औरों को क्षमा करना सीखना होगा जैसा कि दिव्यगुरु यीशु ने सिखाया है। कुआन यिन कहतीं हैं, "मानव जाति का परीक्षण कई छोटे और बड़े तरीकों से किया जाता है, और जो धर्मांधता कुछ लोगों की चेतना में देखी जाती है, वह भी क्षमा ना कर पाने का ही एक रूप है। जो लोग दूसरों को सिर्फ इसलिए माफ नहीं कर सकते क्योंकि वे उनके जैसे नहीं सोचते या उनका पूजा करने का तरीका नहीं अपनाते वे दिल के कठोर होते हैं, इतने कठोर कि यह कठोरता उनके प्यार की लौ को भी घेर लेती है और ज्ञान के प्रवाह को भी।[8]

दया का कानून एक दो-तरफ़ा सड़क की तरह है। इसमें एक संकेत आप भगवान को भेजते हैं और दूसरा भगवान् आपको भेजता है अर्थात यह ईश्वर के साथ आपके लेन-देन को दर्शाता है। यदि आप ईश्वर से दया की आशा रखते हैं, तो आपको भी अपने जीवन में हर एक के प्रति दया करनी होगी। दया का नियम प्रत्येक जीवात्मा की मुक्ति के लिए है। जब हम क्षमा करते हैं, तो हमें भी क्षमा मिलती है।

हमने बार-बार यह बात सुनी और पढ़ी है, "जो बीत गया उसे जाने दो, माफ करो और भूल जाओ!" यह बात बिल्कुल सत्य है। अगर आप अपने साथ हुए किसी गलत काम को याद रखते हैं तो इसका मतलब है कि वास्तव में आपने अपने साथ गलत करने वाले को माफ़ नहीं किया है। क्षमा तब ही सफल है जब आप उस कार्य से सम्बंधित सभी अभिलेख और स्मृति अपनी चेतना से मिटा दें। कुआन यिन कहती हैं कि यदि आप ऐसा नहीं कर पाते हैं तो आपने माफ नहीं किया है, बल्कि "आपने अपना दिल कठोर कर लिया है।" आपने अवचेतन मन की गहराई में इसे संजो कर रखा हुआ है, ठीक उसी तरह जिस तरह एक गिलहरी अपने दाने संग्रहीत करती है। आपने उसे अपने आकाशीय शरीर में संग्रहीत कर रखा है, अग्नि के सुपुर्द नहीं किया है। आप छोड़ने को तैयार नहीं हैं, और इस कारण से जिन लोगों ने आपके साथ अन्याय किया है, और जिनके साथ आपने अन्याय किया है, आप उनमें ईश्वर की अभिव्यक्ति नहीं होने देना चाहते।[9]

मानस चित्रण के साथ शब्दों के विज्ञान का प्रयोग आपको संपूर्ण रूप से "क्षमा करने और भूल जाने" में सहायता करता है। आप एल मोरया द्वारा दी गई एक डिक्री कर सकते हैं:

आई ऍम फोर्गीवेनेस्स एक्टिंग हेयर ,
कास्टिंग आउट आल डाउट एंड फियर ,
सेटिंग मेंन फॉरएवर फ्री
विद विंग्स ऑफ़ कॉस्मिक विक्ट्री
आई ऍम कालिंग इन फुल पावर
फॉर फोर्गीवेनेस्स एव्री ऑवर;
टू आल लाइफ इन एव्री प्लेस
आई फ्लड फोर्थ फॉरगिविंग ग्रेस

प्रतिदिन यह प्रार्थना करते समय आप स्वयं को गुलाबी-बैंगनी रंग की दया की लपटों से घिरे हुए होने की कल्पना कीजिये, कल्पना कीजिये कि ये लपटें अतीत की गलतियों को समूल नष्ट कर रही हैं। जब आप अपने पापों के लिए क्षमा मांगते हैं - उन पापों के लिए भी जो शायद आपने अपने पूर्व जन्मों में किये हैं तब आप स्वयं को बहुत हल्का महसूस करते हैं, मानों सदियों का बोझ कन्धों से उतर गया हो। तब ही आप ईश्वर की अनुकम्पा और क्षमा को प्राप्त कर पाते हैं।

बैंगनी रंग में कई विविधताएं हैं - आर्किड-गुलाबी रंग दया की लौ दर्शाता है (इसमें ईश्वर के प्रेम की गुलाबी किरण की मात्रा अधिक होती है); गहरा बैंगनी रंग ईश्वर की इच्छा को दर्शाता है (इसमें ईश्वर की इच्छा की नीली किरण की मात्रा अधिक होती है)। बैंगनी लौ में शुद्ध करने की बहुत शक्ति है, जब हम इसका प्रयोग उपचारात्मक डिक्रीस के साथ करते हैं, तो हमारे चार निचले शरीर, विशेष रूप से आकाशीय शरीर (स्मृति शरीर) अत्यंत प्रभावी ढंग से शुद्ध और स्वस्थ हो जाता है। अवचेतन मन में गहरे दबे पूर्वजन्मों के अभिलेख भी इससे शुद्ध हो जाते हैं। इस लौ का आह्वान करने के लिए, किसी भी बैंगनी-लौ डिक्री को गायें पर "बैंगनी" के स्थान पर "वायलेट" शब्द का प्रयोग करें। बहुदा अन्य शरीरों की अपेक्षा आकाशीय शरीर में प्रवेश करना अत्याधिक कठिन होता है - डिक्री को छत्तीस बार दोहराना पूर्वजन्म के अभिलेखों को साफ़ और शुद्ध करने में बहुत सहायक हो सकता है।

Painting of Kuan Yin by Ruth Hawkins
रूथ हॉकिन्स द्वारा बनाया गया कुआन यिन का चित्र

कार्मिक बोर्ड पर सेवा

दया की लौ के एक पहलू के बारे में हमें याद दिलाते हुए कुआन यिन कहती हैं

आपमें से कई लोगों के लिए मैंने कर्म के स्वामी से प्रार्थना की है कि नकारत्मक कर्मों की वजह से आप लोगों को कोई जन्मजात विकृति ना हो, कि आप सम्पूर्ण स्वस्थ शरीर के साथ जन्म लें, कि किसी कर्म का भुगतान आपको अपंग या अंधा ना करें। मैंने आपकी तरफ से दया की लौ से प्रार्थना की है ताकि आप स्वस्थ मन और शरीर से ईश्वर के प्रकाश का अनुसरण कर सकें। ईश्वर जिन पर दया नहीं करते वे लोग पागलखानों में पाए जाते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि उन्हें पता चले कि एक स्वस्थ मस्तिष्क के ना होने का क्या अर्थ होता है, उन्हें ये पता चले कि दिमाग को खराब करने का क्या अर्थ है और ये सब अनुभव कर जब वे कोई अन्य जन्म लेकर पृथ्वी पर आएं तो स्वस्थ मस्तिष्क का आदर कर पाएं।

आपको इस बात का एहसास ही नहीं है कि दया की लौ के कारण आपका जीवन में कितना संतुलन है। आपने जब जब ईश्वर को पुकारा, ईश्वर ने उत्तर दिया जिसके परिणामस्वरूप मेरे हृदय और हाथों से दया प्रवाहित हुई। मैं आपको यह बताना चाहती हूँ जब जब ईश्वर आपके ऊपर दया करते हैं तो आपका कर्त्तव्य है कि आप ईश्वर के मार्ग का अनुसरण करें और अपनी बुद्धि का प्रयोग करते हुए ईश्वर-तुल्य कार्य करें[10]

बोधिसत्व कुआन यिन को दया की देवी के रूप में जाना जाता है क्योंकि वह दया, करुणा और क्षमा के ईश्वरीय-गुणों को दर्शाती हैं। ये कार्मिक बोर्ड में सातवीं किरण (वायलेट किरण) का प्रतिनिधित्व करती है। संत जर्मेन से पहले इन्होनें दो हजार वर्षों तक सातवीं किरण के चोहान का पद भी संभाला-संत जर्मेन ने 1700 के अंतिम चरणों में यह पदभार लिया था।

इनका आकाशीय आश्रय स्थल

मुख्य लेख: टेम्पल ऑफ़ मर्सी

कुआन यिन हजारों साल पहले पृथ्वी पर थीं। इस ग्रह को छोड़ने के वक्त इन्होनें मोक्ष प्राप्त करने की अपेक्षा पृथ्वीवासियों की सेवा करने का व्रत लिया, इसलिए ये बोधिसत्व बन गयीं और तब तक ये ऐसे ही रहेंगी जब तक कि सारे पृथ्वीवासी मुक्त नहीं हो जाते। इनका आकाशीय आश्रय स्थल, टेंपल ऑफ मर्सी, चीन के पेकिंग (बीजिंग) में हैं। ये मनुष्यों को अपने कर्म संतुलित करना, जीवन को द्विव्य योजना के अनुसार चलाना और मानवता की सेवा करना सिखाती हैं।

कुआन यिन की लौ ऑर्किड रंग की है, जो कि ईश्वरीय प्रेम के गुलाबी रंग एवं ईश्वरीय इच्छा के नीले रंग का मिश्रण है। गुलाबी-बैंगनी रंग का कमल इनका फूल है - जिसमें मध्य भाग गुलाबी और परिधि का रंग गहरा बैंगनी है।

इसे भी देखिये

कुआन यिन की क्रिस्टल जपमाला

स्रोत

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Masters and Their Retreats, s.v. “कुआन यिन”

कुआन यिन की क्रिस्टल जपमाला पुस्तिका, परिचय।

एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट, १ जुलाई १९८८

एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट, ५ जुलाई १९९६

  1. एडवर्ड टी सी वर्नर, मिथ्स एंड लेजेंड्स ऑफ़ चाइना (Myths and Legends of China) (लंदन : Harrap, १९२२ ), दसवां अध्याय. निम्न वाक्या यहीं से लिया गया है
  2. कुआन यिन “द क्वालिटी ऑफ़ मर्सी फ़ोर द रीजेनेरशन ऑफ़ द यूंथ ऑफ़ द वर्ल्ड (The Quality of Mercy for the Regeneration of the Youth of the World),” पर्ल्स ऑफ़ विजडम (Pearls of Wisdom), १९८२ , किताब II, पृष्ठ १२०–२१.
  3. कुआन यिन,"अ पीपल एंड अ टीचिंग हूज टाइम है कम (A People and a Teaching Whose Time Has Come) १८ सितंबर १९७६।
  4. कुआन यिन, "द स्वोर्ड ऑफ़ मर्सी (The Sword of Mercy)," १० अक्टूबर १९६९।
  5. कुआन यिन, “कर्मा, मर्सी, एंड द लॉ (Karma, Mercy, and the Law),” पर्ल्स ऑफ़ विज़डम (Pearls of Wisdom), १९८२, पुस्तक II, पृष्ठ १०६
  6. कुआन यिन, "अ मदर्स-ऑइ व्यू ऑफ़ द वर्ल्ड (“A Mother’s-Eye View of the World)," पर्ल्स ऑफ विज्डम (Pearls of Wisdom), १९८२ , पुस्तक २, पृष्ठ ८७.
  7. ईसा. १:१८
  8. कुआन यिन, "मर्सी: द फायर दैट ट्राइस एव्री मैन्स वर्क्स (Mercy: The Fire that Tries Every Man’s Works) " पर्ल्स ऑफ विज्डम (Pearls of Wisdom), १९८२, पुस्तक 2, पृष्ठ ९५.
  9. कुआन यिन, “अ मदर्स-ऑइ व्यू ऑफ़ द वर्ल्ड (“A Mother’s-Eye View of the World),” पर्ल्स ऑफ विज्डम (Pearls of Wisdom), १९८२ , पुस्तक २, पृष्ठ ८७..
  10. कुआन यिन, “मर्सी: द फायर दैट ट्राइज़ एवरी मैन्स वर्क्स (Mercy: The Fire that Tries Every Man’s Works),” पर्ल्स ऑफ विजडम (Pearls of Wisdom), १९८२, पुस्तक 2, पृष्ठ ९६.