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श्याम वर्ग के लोगों में से सर्व प्रथम जिस महापुरुष ने मोक्ष प्राप्त किया था, उनका नाम '''आफरा''' था। सदियों पहले आफरा ने ईश्वर से कहा था की वे अपना नाम और प्रसिद्धि ईश्वर को समर्पित कर किसी एक महाद्वीप और वहां रहने वाले लोगों का संरक्षण करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा था की वे सिर्फ भाई के नाम से जाने जाना चाहते हैं। इसके बाद ही उनका नाम आफरा पड़ा।  लैटिन में ''फ्रेटर'' का अर्थ भाई होता है। अफ्रीका महाद्वीप का नाम इन्हीं के नाम पर पड़ा है, और ये इस महाद्वीप के संरक्षक भी हैं।


श्याम वर्ण के लोगों में सर्व प्रथम जिनकाव्यक्ति का आरोहण हुआ था, उनका नाम '''अफरा''' था। सदियों पहले अफरा ने ईश्वर से कहा था की वे अपना नाम और प्रसिद्धि ईश्वर को समर्पित कर किसी एक महाद्वीप और वहां रहने वाले लोगों का संरक्षण करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा था की वे सिर्फ भाई के नाम से जाने जाना चाहते हैं। इसके बाद ही उनका नाम अफरा पड़ा।  लैटिन में '''फ्रेटर''' का अर्थ भाई होता है। अफ्रीका महाद्वीप का नाम इन्हीं के नाम पर पड़ा है, और ये इस महाद्वीप के संरक्षक भी हैं।
<span id="The_ancient_history_of_Africa"></span>
 
== अफ्रीका का प्राचीन इतिहास  ==
== अफ्रीका का प्राचीन इतिहास  ==


प्राचीन समय में जब अफ्रीका लेमुरिया नमक महाद्वीप का हिस्सा था तब वहां पर [[सतयुग]] था। उस समय लोग ग्रेट डिवाइन डायरेक्टर की [[कॉज़ल बॉडी]] (Casual Body) से उत्पन्न हुए थे। ग्रेट डिवाइन डायरेक्टर आज भी अफ्रीका महाद्वीप और अमरीका में अफरा के वंश के संरक्षक हैं।
प्राचीन समय में जब अफ्रीका [[Special:MyLanguage/Lemuria|लेमूरिआ]] (Lemuria) नामक महाद्वीप का हिस्सा था तब वहां पर [[Special:MyLanguage/golden age|सतयुग]] था। उस समय लोग [[Special:MyLanguage/Great Divine Director|ग्रेट डिवाइन डायरेक्टर]] (Great Divine Director) के [[Special:MyLanguage/causal body|महान कारण शरीर]] (Causal Body) के प्रकाश से उत्पन्न हुए थे। ग्रेट डिवाइन डायरेक्टर आज भी अफ्रीका महाद्वीप की दिव्य योजना के संरक्षक हैं यंहा तक कि वह अमेरिका में आफरा के वंशजो की दिव्य योजना का भी संरक्षक करते हैं।


बहुत सारे लोग श्याम वर्ण के वंशज है, पर अगर हम आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखें तो पाएंगे की वर्णों में कोई भेद नहीं होता - चाहे श्वेत हो या श्याम। स्वर्ग में जो गुरु हैं वे इस बात से नहीं जाने जाते की पृथ्वी पर उनका क्या वर्ण या धर्म था। पृथ्वी पर सभी वर्णों के प्राणी ईश्वर की ही उत्पत्ति हैं और प्रत्येक प्राणी [[सात किरणों]] में से किसी एक किरण के मार्ग पर चलता है।
श्याम वर्ग के बहुत सारे लोगों ने मोक्ष प्राप्त किया है, पर अगर हम आध्यात्मिक द्रष्टिकोण से देखें तो पाएंगे की वर्गों में कोई भेद नहीं होता - चाहे श्वेत हो या श्याम। स्वर्ग लोक में जो गुरु हैं वे इस बात से नहीं जाने जाते की पृथ्वी लोक पर उनका क्या वर्ग या धर्म था। पृथ्वी लोक पर सभी वर्गों के प्राणी ईश्वर की ही उत्पत्ति हैं और प्रत्येक प्राणी [[Special:MyLanguage/seven rays|सात किरणों]] में से किसी एक किरण के मार्ग पर चलता है। सातों किरणें दीक्षा के मार्ग की तरफ ही जाती हैं।


श्वेत वर्ण के लोग पीली (समझदारी, विवेक), गुलाबी (प्रेम, स्नेह) और सफ़ेद (शुचिता, निर्मलता) ज्योति पर निपुणता प्राप्त करने पृथ्वी पर आते हैं। इसी वजह से इनकी त्वचा का रंग इन तीनो रंग का मिश्रण होता है। इन सब लोगों को ईश्वर के सामने इन्ही सब गुणों में अपनी निपुणता दिखानी होती है। पीली त्वचा के लोग - चीन के निवासी - समझदारी की ज्योति पर सेवारत होते हैं, वरन लाल रंग की त्वचा वालों को अपने अंदर के प्रेम को ईश्वरीय प्यार में बदलना होता है।  
श्वेत वर्ग के लोग तीन रंगों की ज्योति पर निपुणता प्राप्त करने पृथ्वी पर आते हैं, पीला रंग जो समझदारी, गुलाबी रंग जो प्रेम और सफ़ेद रंग जो निर्मलता को दर्शाते हैं। इसी वजह से इनकी त्वचा का रंग इन तीनो रंगो का मिश्रण होता है। इन लोगों का उदेश्य इन गुणों द्वारा आत्म-निपुणता हासिल करना है। पीली वर्ग के लोग - चीन के निवासी - ज्ञान लोगों में बांटते हैं, जिनकी त्वचा लाल रंग की होती है उनका उद्देश्य ईश्वरीय प्रेम की गुलाबी लौ को बढ़ाना है।  


श्याम वर्ण के लोग नीली और वायलेट (बैंगनी) ज्योति से आते हैं। अफ्रीका की प्राचीन सभ्यताओं में लोगों की त्वचा के रंग में नीला और बैंगनी रंग झलकता था। ये रंग परमात्मा के पिता और माता स्वरुप [[अल्फा और ओमेगा]] से आते है। नीला रंग प्रथम किरण का होता है तथा वायलेट सातवीं किरण का।  
श्याम वर्ग के लोग नीले रंग और वायलेट रंग की किरणों को दर्शाते हैं। अफ्रीका की प्राचीन सभ्यताओं में लोगों की त्वचा के रंग में नीला और वायलेट रंग झलकता था। ये रंग परमात्मा के पिता और माता स्वरुप [[Special:MyLanguage/Alpha and Omega|अल्फा और ओमेगा]] (Alpha and Omega) से आते है। नीला रंग प्रथम किरण का होता है तथा वायलेट सातवीं किरण का।  


जिस प्रकार हर एक व्यक्ति का कार्यक्षेत्र एक विशिष्ट किरण पर होता है, उसी प्रकार प्रत्येक देश का भी एक विशिष्ट [[धर्म]] होता है। ईश्वर ने हर एक देश को एक अलग कार्य और उसे पूरा करने के लिए विशिष्ट गुण दिए हुए हैं। श्याम वर्ण के लोगों को ईश्वर ने पृथ्वी पर इश्वरिय शक्ति पर महारत हासिल करने भेजा था - ईश्वरीय इच्छा और विश्वास (नीली किरण) तथा ईश्वरीय स्वतंत्रता, न्याय और करुणा ([[वायलेट किरण]])।
जिस प्रकार प्रत्येक व्यक्ति को एक विशेष किरण पर कार्य करना होता है, उसी प्रकार अलग-अलग राष्ट्रों की भी अपनी एक विशेष किरण होती है। प्रत्येक राष्ट्र को ईश्वर द्वारा निश्चित नियति को पूरा करने के लिए विशिष्ट गुण दिए गए हैं। ईश्वरीय शक्ति, इच्छा और विश्वास जो नीली किरण के गुण हैं और  ईश्वरीय एकता, न्याय और करुणा जो [[Special:MyLanguage/violet ray|वायलेट किरण]] के गुण हैं, इन दोनों किरणों पर निपुणता  हासिल करने के लिए श्याम वर्ग के लोगों को ईश्वर ने पृथ्वी लोक पर भेजा है।


[[Garden of Eden|गार्डन ऑफ़ ईडन]], से बाहर निकलने के बाद जैसे, जैसे समय बदलता गया, मनुष्य धीरे, धीरे अपने ईश्वरीय गुण खोता चला गया और इसके साथ ही उसके त्वचा के रंग में भी बदलाव आना शुरू हो गय। अब पहले जैसे शुद्ध रंग न ही मनुष्य की त्वचा में दीखते हैं, न ही उसके आभामंडल में। [[नकारात्मक शक्तियों]] (Fallen Ones) ने मनुष्यों को आपस में लड़ना सीखा दिया है। विभिन्न वर्णों के लोग अक्सर आपस में झगड़ते रहते हैं, एक दुसरे पर हुक्म चलाने की कोशिश में रहते हैं, एक दुसरे को अपना गुलाम बनाने का प्रयत्न करते रहते हैं। इसके फलस्वरूप मनुष्यों की आपसी एकता टूट गयी है और उनके बीच बहने वाली प्रेम की धारा भी बाधित हो गई है।
युगों-युगों तक मनुष्य उच्च आध्यात्मिक अवस्था में [[Special:MyLanguage/Garden of Eden|गार्डन ऑफ़ ईडन]], में ईश्वर के साथ जुड़ा हुआ था। गार्डन ऑफ़ ईडन से बाहर निकलने के बाद जैसे, जैसे समय बदलता गया, मनुष्य धीरे, धीरे अपने ईश्वरीय गुण खोता चला गया और इसके साथ ही उसके त्वचा के रंग में भी बदलाव आना शुरू हो गय। इंद्रधनुष की किरणों के शुद्ध रंग अब न ही मनुष्य की त्वचा में दिखते हैं, न ही उसके आभामंडल में। [[Special:MyLanguage/fallen one|नकारात्मक शक्तियों]] ने मनुष्यों को आपस में लड़ना सीखा दिया है। विभिन्न वर्गों के लोग अक्सर आपस में झगड़ते रहते हैं, एक दुसरे पर हुक्म चलाने की कोशिश में रहते हैं, एक दुसरे को अपना गुलाम बनाने का प्रयतन करते रहते हैं। जिसके फलस्वरूप मनुष्यों की आपसी एकता टूट गयी है और उनके बीच बहने वाली प्रेम की धारा भी बाधित हो गई है।


== अफरा के अफ़्रीकी अवतार ==
<span id="Afra’s_embodiment_on_Africa"></span>
== आफरा के अफ़्रीकी अवतार ==


अफरा पांच लाख साल पहले अफ्रीका में रहते थे - ये वह समय था जब अफ़्रीकी सभ्यता एक दोराहे पर खड़ी थी, और  [[नकारात्मक शकितयों]] नकारात्मक शकितयों ने मनुष्यों के बीच वैर भाव उतपन्न कर दिए थे। तमाम बुरी आत्माएं पूरी शक्ति से नीले और वायलेट कुल के मनुष्यों को नष्ट करने में लगीं थीं। इन लोगों ने सभी पवित्र कलाओं और संस्कारों का रूप बिगाड़ दिया था और बड़ी संख्या में लोग [[जादू-टोना]], [[तंत्र-मंत्र]] और [[काला जादू]] पर निर्भर करने लगे थे। फलस्वरूप लोग एक दुसरे से घृणा करने लगे, अंधविश्वास ने उनके मन में घर कर लिया और चारों तरफ सत्ता पाने के लिए होड़ मच गई।
आफरा पांच लाख साल पहले अफ्रीका में रहते थे - ये वह समय था जब अफ़्रीकी सभ्यता एक दोराहे पर पहुंच गई थी, और  [[Special:MyLanguage/fallen angel|नकारात्मक शक्तियों]] ने लोगों को विभाजित कर दिया था। बुरी आत्माओं ने नीले और वायलेट वर्ग के मनुष्यों को नष्ट करना शुरू कर दिया था। इन लोगों ने सभी पवित्र कलाओं और संस्कारों का रूप बिगाड़ दिया था और बड़ी संख्या में लोग [[Special:MyLanguage/witchcraft|जादू-टोना]], [[Special:MyLanguage/voodoo|तंत्र-मंत्र]] और [[Special:MyLanguage/black magic|काले  जादू]] पर निर्भर हो गए थे। फलस्वरूप लोग एक दुसरे से घृणा करने लगे, अंधविश्वास ने उनके मन में घर कर लिया और चारों तरफ सत्ता पाने के लिए होड़ मच गई।


जैसे जैसे लोगों ने अपने [[अंदर के ईश्वर]] (God Presence) पर से अपना ध्यान हटाना शुरू किया, वे और अधिक मात्रा में बुरी शक्तियों के प्रभाव में आ गए। विभिन्न जनजातियों के लोग लड़-झगड़ कर एक दुसरे से अलग हो गए। नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव से मनुष्य अपनी आध्यात्मिक शक्ति भी खोने लगा तथा उसका मन अंधेरों में घिर गया। इस तरह सभी मनुष्य बुरी ताकतों के गुलाम बनकर रह गए।
जैसे जैसे लोगों ने अपने [[Special:MyLanguage/God Presence|अंदर के ईश्वर]] (God Presence) पर से अपना ध्यान हटाना शुरू किया, वे और अधिक मात्रा में बुरी शक्तियों के प्रभाव में आ गए। विभिन्न जनजातियों के लोग लड़-झगड़ कर एक दूसरे से अलग हो गए। नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव से मनुष्य अपनी आध्यात्मिक शक्ति भी खोने लगा तथा उसका मन अंधेरों में घिर गया। इस तरह सभी मनुष्य बुरी ताकतों के गुलाम बनकर रह गए।


लोगों की ऐसी हालत से दुखी होकर, उनका उद्धार करने के उद्देश्य से, अफरा ने मनुष्य के रूप में अवतरित होने का निश्चय किया। सबसे पहले उन्होंने मनुष्यों के सबसे कमज़ोर पक्ष पता लगाया - यह कमज़ोर पक्ष था भाईचारे की भावना का ख़त्म होना। रूपकात्मक ढंग से कहें तो उस वक्त के अधिकतर लोग एबल के बजाय [[केन]] के अनुयायी थे। जब भगवान ने लोगों से पूछा कि क्या वे अपने दोस्तों, अपने समाज के लिए अपने जीवन का त्याग कर सकते हैं, तो उनका उत्तर वही था जो केन का था: "क्या में अपने भाई का रखवाला हूँ? ”<ref>Gen. 4:9.</ref> जो भी व्यक्ति इस प्रश्न का उत्तर 'ना' में देता है वह अपने अहम् का शिकार है। ऐसा व्यक्ति कभी भी अपने भाई का रखवाला नहीं हो सकता, ऐसे व्यक्ति के अंदर दिव्य ज्योति बुझ जाती है।
लोगों की ऐसी हालत से देखकर, उनका उद्धार करने के उद्देश्य से,आफरा ने मनुष्यों को बचाने के लिए उनके बीच अवतार लिया।  सबसे पहले उन्होंने मनुष्यों के सबसे कमज़ोर पक्ष पता लगाया - भाईचारे की भावना में कमी आना उनका एक  कमजोर पक्ष था। बाईबल की कहानी अनुसार लोग एबल (Abel) के बजाय [[Special:MyLanguage/Cain|केन]] (Cain) के अनुयायी बन गए थे। जब भगवान ने लोगों से पूछा कि क्या वे अपने दोस्तों और अपने समाज के लिए अपने जीवन का त्याग कर सकते हैं, तो उनका उत्तर वही था जो केन का था: "क्या में अपने भाई का रखवाला हूँ? ”<ref>Gen. 4:9.</ref> जो भी व्यक्ति इस प्रश्न का उत्तर इस प्रकार से देता है अपने अहम् का शिकार है। ऐसा व्यक्ति कभी भी अपने भाई का रखवाला नहीं हो सकता, ऐसे व्यक्ति के अंदर दिव्य ज्योति बुझ जाती है।


अफरा जानते थे कि अधिकाँश लोगों ने अपने अंदर की [[दिव्य ज्योति]] (Threefold Flame) को खो दिया है। उसी तरह जिस तरह आज भी बहुत सारे लोग क्रोध करने की वजह से अपनी इस दिव्य ज्योति को खो रहे हैं। अफरा जानते थे की इस दिव्य ज्योति को वापिस पाने के लिए मनुष्यों को भाईचारे के रास्ते पर चलना होगा, उन्हें एक दुसरे का ख्याल रखना होगा, देखभाल करनी होगी। और ये बात स्वयं सबका भाई बनकर ही सिखाई जा सकती है। दुःख की बात ये है, केवल इसी बात के लिए बाकी सभी लोगों ने उनको सूली पर चढ़ा दिय। अफरा उन लोगों के बीच जीसस क्राइस्ट के समकक्ष थे, पर वो लोग उन्हें पहचान नहीं पाए। लोग सत्ता के लालच में अंधे हो गए थे।
आफरा जानते थे कि अधिकाँश लोगों ने अपने अंदर की [[Special:MyLanguage/threefold flame|दिव्य ज्योति]] (Threefold Flame) को खो दिया है। उसी तरह आज भी श्याम और श्वेत वर्गों के बहुत सारे लोग क्रोध करने की वजह से अपनी इस दिव्य ज्योति को खो रहे हैं। आफरा जानते थे की इस दिव्य ज्योति को वापिस पाने के लिए मनुष्यों को भाईचारे के रास्ते पर चलना होगा, उन्हें एक दूसरे का ख्याल रखना होगा और देखभाल करनी होगी। ये बात स्वयं सबका भाई बनकर ही सिखाई जा सकती है। इस बात के लिए उन्हें उनके अपने लोगों ने सूली पर चढ़ा दिया। आफरा उन लोगों के बीच ईसा मसीह के तरह थे, पर वो लोग उन्हें पहचान नहीं पाए। लोग सत्ता के लालच में अंधे हो गए थे।


<span id="His_service_today"></span>
== उनकी आज की सेवा ==
== उनकी आज की सेवा ==


१९७६ में आरोही गुरु अफरा ने अक्रा, घाना में “The Powers and Perils of Nationhood” पर एक भाषण दिया था जिसमे उन्होंने एकता की शक्ति पर ज़ोर देते हुए कहा था की हमें अपने सभी आपसी मतभेद समाप्त कर देने चाहिए, इसी में सबकी भलाई है। उन्होंने कहा था:
१९७६ में दिव्य गुरु आफरा ने अक्रा (Accra), घाना (Ghana) में “The Powers and Perils of Nationhood” पर एक दिव्य आदेश दिया था जिसमे उन्होंने एकता की शक्ति पर ज़ोर दिया और कहा की हमें अपने सभी आपसी मतभेद समाप्त कर देने चाहिए, इसी में सबकी भलाई है। उन्होंने कहा था:


<blockquote>
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हम सभी आपस में भाई हैं क्योंकि हम सब एक ही माता पिता (ईश्वर) की संतान हैं। मैं आपका भाई हूँ, आपका स्वामी या मालिक नहीं। मैं भी आपके रास्ते पर ही चल रहा हूँ। स्वतंत्रता पाने की आपकी इच्छा मैं भी रखता हूँ। जब भी आप किसी मुसीबत में होते हैं, मैं आपके साथ होता हूँ। जब आप ईश्वर से न्याय की प्रार्थना करते हैं, मैं तब भी आपके साथ होता हूँ।
हम सभी आपस में भाई-भाई हैं क्योंकि हम सब एक ही माता पिता (ईश्वर) की संतान हैं। मैं आपका भाई हूँ, आपका स्वामी या मालिक नहीं। मैं भी आप ही की तरह आपके साथ इसी रास्ते पर चल रहा हूँ। आपकी तरह मैं भी मोक्ष पाने की इच्छा रखता हूँ। जब भी आप किसी मुसीबत में होते हैं, मैं आपके साथ होता हूँ। जब आपने ईश्वर से न्याय के लिए प्रार्थना की तब ईश्वर ने आपको अपने राष्ट्र और महाद्वीप के लिए दिव्य योजना दी।


सैंकड़ों सालों से मैं आपके दिल में हूँ, मैं तब भी आपके साथ था जब आप बाहरी और अंदरूनी ताकतों द्वारा उत्पीड़ित हो रहे थे।
सैंकड़ों सालों से मैं आपके दिल में हूँ, मैं तब भी आपके साथ था जब आप बाहरी और अंदरूनी ताकतों द्वारा उत्पीड़ित हो रहे थे।


अफरा के लोगों के पास इतिहास और अन्य सभ्यताओं से सीखने का एक बहुमूल्य मौका है। जब समाज अत्यधिक भौतिकवादी हो जाता है, मनुष्यों के पास केवल दो रास्तें बचते हैं: या तो वे भौतिकीकरण में लुप्त होकर खत्म हो जाएँ या फिर आध्यात्मिक रास्ता अपनाएँ और अपनी आत्मा को जगाएं।<ref>{{ABL}}, pp. 25–26.</ref>
आफरा के लोगों के पास इतिहास और अन्य सभ्यताओं से सीखने का एक बहुमूल्य मौका है। जब समाज अत्यधिक भौतिकवादी हो जाता है, मनुष्यों के पास केवल दो रास्तें बचते हैं: या तो वे भौतिकीकरण में लुप्त होकर खत्म हो जाएँ या फिर आध्यात्मिक रास्ता अपनाएँ और अपनी जीव-आत्मा को जगाएं।<ref>{{ABL}}, pp. 25–26.</ref>
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In a later message, [[Saint Germain]] asked Afra to convey the following message to the descendants of Afra in America:
एक दिव्य आदेश में [[Special:MyLanguage/Saint Germain|संत जरमेन]] ने आफरा को अमरीका में रहने वाले आफरा के वंशजों को निम्लिखित सन्देश देने के लिए कहा:


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अमरीका में रहने वाले सभी श्याम वर्ण के लोग अपनी मौजूदा स्तिथी से ऊपर उठ सकते हैं, स्वतंत्रता से जी सकते हैं। मगर यह तभी हो सकता हैं जब वे ईश्वर के दिखाए मार्ग पर चलें, स्वयं को ईश्वर के हवाले कर दें, समाज में सब के प्रति प्रेम और सौहार्द का भाव रखें और साथ ही ईश्वर से प्रार्थना भी करें कि आपके अंदर और बाहर की सारी नकारात्मकता एवं अन्धकार रौशनी में परिवर्तित हो जाए।
अमरीका में रहने वाले सभी श्याम वर्ग के लोग अपनी मौजूदा स्तिथि से ऊपर उठ सकते हैं, मुक्ति और स्वत्व से जी सकते हैं। मगर यह तभी हो सकता हैं जब वे ईश्वर के दिखाए मार्ग पर चलें, स्वयं को ईश्वर के हवाले कर दें, समाज में सब के प्रति प्रेम और सहनशीलता का भाव रखें और साथ ही ईश्वर से प्रार्थना भी करें कि आपके अंदर और बाहर की सारी नकारात्मकता एवं अंधकार रोशनी में परिवर्तित हो जाए।


हालांकि नागरिक अधिकारों के कुछ आंदोलनो में ब्लैक अमेरिकन लोगों को सफलता मिली, उन्हें बहुत सी असफलताओं का भी सामना करना पड़ा। सफलता मिलने के कई कारण बाहरी थे। लोगों को उन से प्रेरणा लेनी चाहिए थी तथा मनन करना चाहिए था की किस तरह वे सफलता के रास्ते पर आगे बढ़ सकते है। हमें सभी मनुष्यों को एक सामान समझना चाहिए, त्वचा के रंग के आधार पर भेद भाव करना उचित नहीं। हम आपको आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने का तरीका बता सकते हैं।
हालांकि नागरिक अधिकार आंदोलन के माध्यम से सफलताएं मिली लेकिन असफलताओं का भी सामना करना पड़ा। सफलता मिलने के कई कारण बाहरी थे। लोगों को उन से प्रेरणा लेनी चाहिए थी तथा मनन करना चाहिए था की किस तरह वे सफलता के रास्ते पर आगे बढ़ सकते है। हमें सभी मनुष्यों को एक सामान समझना चाहिए, त्वचा के रंग के आधार पर भेद भाव करना उचित नहीं। हम आपको आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने का तरीका बता सकते हैं।


ब्लैक अमेरिकन ये जानते नहीं हैं पर वे आज एक दोराहे पर खड़े है। अब उनको ये तय करना है की उनका आगे का रास्ता क्या होगा - क्या वे सिर्फ भौतिक जीवन जीना चाहते हैं, अधिक पैसा कमाना चाहते हैं, दुनिया भर के ऐशो-आराम पाना चाहते हैं या फिर शांति और सुकून का जीवन जीना चाहते हैं। बहुत स्वाभाविक है की आप खुशहाल और प्रचुरता का जीवन चाहते हैं। और यह सही भी है। मुश्किल तब होती है जब आप  भौतिक जीवन में इतने मग्न हो जाते हैं कि भूल जाते हैं आप एक आध्यात्मिक जीव हैं। मैं आपको कहना चाहता हूँ कि ईश्वर ने आप लोगों को चुना है।<ref>Ibid., pp. 29–30.</ref>
हालाँकि श्याम वर्ग के अमेरिकन यह नहीं जानते कि वे आज एक दोराहे पर खड़े है। अब उनको ये तय करना है की उनका आगे का रास्ता क्या होगा - क्या वे सिर्फ भौतिक जीवन जीना चाहते हैं, अधिक पैसा कमाना चाहते हैं, दुनिया भर के सुख  पाना चाहते हैं या फिर शांति और सुकून का जीवन जीना चाहते हैं। यह स्वाभाविक है कि आप खुशहाल और प्रचुरता का जीवन जीना चाहते हैं। और यह सही भी है। मुश्किल तब होती है जब आप  भौतिक जीवन जीने में इतने मगन हो जाते हैं कि भूल जाते हैं आप एक आध्यात्मिक जीव हैं। मैं आप से कहना चाहता हूँ कि ईश्वर ने आप लोगों को चुना है क्योंकि आप आध्यात्मिकता स्तर पर समृद्ध हैं। <ref>Ibid., pp. 29–30.</ref>
</blockquote>  
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You can call to Afra for unity and for the dissolving of racial tensions through the true understanding of universal brotherhood.
रंगभेद की समस्याओं को सुलझाने के लिए, और भाईचारे की भावना को समझने के लिए आप आफरा का आह्वाहन कर सकते हैं।


Afra, our brother of light, like all ascended masters, has true humility. [[Kuthumi]] spoke of Afra’s humility:  
दिव्य गुरु आफरा अन्य दिव्य गुरुओं की तरह अत्यंत विनम्र है। आफरा की विनम्रता की बात करते हुए, दिव्य गुरु [[Special:MyLanguage/Kuthumi|कुथुमी]] ने कहा:  


<blockquote>This giant soul with his tremendous devotion was one of the unknown brothers. So long as individuals feel the need to expound upon their own personal achievements, they may well find that they are not truly a part of us.<ref>Ibid., p. 35.</ref></blockquote>
<blockquote>बहुत समय तक हम इस अद्भुत भक्ति वाली विशाल आत्मा के भाईचारे से अनजान रहे। जब तक लोग अपनी खुद की उपलब्धियों में डूबे रहेंगे, तब तक वह हम तक पहुंचने में असमर्थ रहेंगे। <ref>Ibid., p. 35.</ref></blockquote>


<span id="Sources"></span>
== स्रोत ==
== स्रोत ==



Latest revision as of 13:34, 20 October 2023

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महादेवदूत आफरा

श्याम वर्ग के लोगों में से सर्व प्रथम जिस महापुरुष ने मोक्ष प्राप्त किया था, उनका नाम आफरा था। सदियों पहले आफरा ने ईश्वर से कहा था की वे अपना नाम और प्रसिद्धि ईश्वर को समर्पित कर किसी एक महाद्वीप और वहां रहने वाले लोगों का संरक्षण करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा था की वे सिर्फ भाई के नाम से जाने जाना चाहते हैं। इसके बाद ही उनका नाम आफरा पड़ा। लैटिन में फ्रेटर का अर्थ भाई होता है। अफ्रीका महाद्वीप का नाम इन्हीं के नाम पर पड़ा है, और ये इस महाद्वीप के संरक्षक भी हैं।

अफ्रीका का प्राचीन इतिहास

प्राचीन समय में जब अफ्रीका लेमूरिआ (Lemuria) नामक महाद्वीप का हिस्सा था तब वहां पर सतयुग था। उस समय लोग ग्रेट डिवाइन डायरेक्टर (Great Divine Director) के महान कारण शरीर (Causal Body) के प्रकाश से उत्पन्न हुए थे। ग्रेट डिवाइन डायरेक्टर आज भी अफ्रीका महाद्वीप की दिव्य योजना के संरक्षक हैं यंहा तक कि वह अमेरिका में आफरा के वंशजो की दिव्य योजना का भी संरक्षक करते हैं।

श्याम वर्ग के बहुत सारे लोगों ने मोक्ष प्राप्त किया है, पर अगर हम आध्यात्मिक द्रष्टिकोण से देखें तो पाएंगे की वर्गों में कोई भेद नहीं होता - चाहे श्वेत हो या श्याम। स्वर्ग लोक में जो गुरु हैं वे इस बात से नहीं जाने जाते की पृथ्वी लोक पर उनका क्या वर्ग या धर्म था। पृथ्वी लोक पर सभी वर्गों के प्राणी ईश्वर की ही उत्पत्ति हैं और प्रत्येक प्राणी सात किरणों में से किसी एक किरण के मार्ग पर चलता है। सातों किरणें दीक्षा के मार्ग की तरफ ही जाती हैं।

श्वेत वर्ग के लोग तीन रंगों की ज्योति पर निपुणता प्राप्त करने पृथ्वी पर आते हैं, पीला रंग जो समझदारी, गुलाबी रंग जो प्रेम और सफ़ेद रंग जो निर्मलता को दर्शाते हैं। इसी वजह से इनकी त्वचा का रंग इन तीनो रंगो का मिश्रण होता है। इन लोगों का उदेश्य इन गुणों द्वारा आत्म-निपुणता हासिल करना है। पीली वर्ग के लोग - चीन के निवासी - ज्ञान लोगों में बांटते हैं, जिनकी त्वचा लाल रंग की होती है उनका उद्देश्य ईश्वरीय प्रेम की गुलाबी लौ को बढ़ाना है।

श्याम वर्ग के लोग नीले रंग और वायलेट रंग की किरणों को दर्शाते हैं। अफ्रीका की प्राचीन सभ्यताओं में लोगों की त्वचा के रंग में नीला और वायलेट रंग झलकता था। ये रंग परमात्मा के पिता और माता स्वरुप अल्फा और ओमेगा (Alpha and Omega) से आते है। नीला रंग प्रथम किरण का होता है तथा वायलेट सातवीं किरण का।

जिस प्रकार प्रत्येक व्यक्ति को एक विशेष किरण पर कार्य करना होता है, उसी प्रकार अलग-अलग राष्ट्रों की भी अपनी एक विशेष किरण होती है। प्रत्येक राष्ट्र को ईश्वर द्वारा निश्चित नियति को पूरा करने के लिए विशिष्ट गुण दिए गए हैं। ईश्वरीय शक्ति, इच्छा और विश्वास जो नीली किरण के गुण हैं और ईश्वरीय एकता, न्याय और करुणा जो वायलेट किरण के गुण हैं, इन दोनों किरणों पर निपुणता हासिल करने के लिए श्याम वर्ग के लोगों को ईश्वर ने पृथ्वी लोक पर भेजा है।

युगों-युगों तक मनुष्य उच्च आध्यात्मिक अवस्था में गार्डन ऑफ़ ईडन, में ईश्वर के साथ जुड़ा हुआ था। गार्डन ऑफ़ ईडन से बाहर निकलने के बाद जैसे, जैसे समय बदलता गया, मनुष्य धीरे, धीरे अपने ईश्वरीय गुण खोता चला गया और इसके साथ ही उसके त्वचा के रंग में भी बदलाव आना शुरू हो गय। इंद्रधनुष की किरणों के शुद्ध रंग अब न ही मनुष्य की त्वचा में दिखते हैं, न ही उसके आभामंडल में। नकारात्मक शक्तियों ने मनुष्यों को आपस में लड़ना सीखा दिया है। विभिन्न वर्गों के लोग अक्सर आपस में झगड़ते रहते हैं, एक दुसरे पर हुक्म चलाने की कोशिश में रहते हैं, एक दुसरे को अपना गुलाम बनाने का प्रयतन करते रहते हैं। जिसके फलस्वरूप मनुष्यों की आपसी एकता टूट गयी है और उनके बीच बहने वाली प्रेम की धारा भी बाधित हो गई है।

आफरा के अफ़्रीकी अवतार

आफरा पांच लाख साल पहले अफ्रीका में रहते थे - ये वह समय था जब अफ़्रीकी सभ्यता एक दोराहे पर पहुंच गई थी, और नकारात्मक शक्तियों ने लोगों को विभाजित कर दिया था। बुरी आत्माओं ने नीले और वायलेट वर्ग के मनुष्यों को नष्ट करना शुरू कर दिया था। इन लोगों ने सभी पवित्र कलाओं और संस्कारों का रूप बिगाड़ दिया था और बड़ी संख्या में लोग जादू-टोना, तंत्र-मंत्र और काले जादू पर निर्भर हो गए थे। फलस्वरूप लोग एक दुसरे से घृणा करने लगे, अंधविश्वास ने उनके मन में घर कर लिया और चारों तरफ सत्ता पाने के लिए होड़ मच गई।

जैसे जैसे लोगों ने अपने अंदर के ईश्वर (God Presence) पर से अपना ध्यान हटाना शुरू किया, वे और अधिक मात्रा में बुरी शक्तियों के प्रभाव में आ गए। विभिन्न जनजातियों के लोग लड़-झगड़ कर एक दूसरे से अलग हो गए। नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव से मनुष्य अपनी आध्यात्मिक शक्ति भी खोने लगा तथा उसका मन अंधेरों में घिर गया। इस तरह सभी मनुष्य बुरी ताकतों के गुलाम बनकर रह गए।

लोगों की ऐसी हालत से देखकर, उनका उद्धार करने के उद्देश्य से,आफरा ने मनुष्यों को बचाने के लिए उनके बीच अवतार लिया। सबसे पहले उन्होंने मनुष्यों के सबसे कमज़ोर पक्ष पता लगाया - भाईचारे की भावना में कमी आना उनका एक कमजोर पक्ष था। बाईबल की कहानी अनुसार लोग एबल (Abel) के बजाय केन (Cain) के अनुयायी बन गए थे। जब भगवान ने लोगों से पूछा कि क्या वे अपने दोस्तों और अपने समाज के लिए अपने जीवन का त्याग कर सकते हैं, तो उनका उत्तर वही था जो केन का था: "क्या में अपने भाई का रखवाला हूँ? ”[1] जो भी व्यक्ति इस प्रश्न का उत्तर इस प्रकार से देता है अपने अहम् का शिकार है। ऐसा व्यक्ति कभी भी अपने भाई का रखवाला नहीं हो सकता, ऐसे व्यक्ति के अंदर दिव्य ज्योति बुझ जाती है।

आफरा जानते थे कि अधिकाँश लोगों ने अपने अंदर की दिव्य ज्योति (Threefold Flame) को खो दिया है। उसी तरह आज भी श्याम और श्वेत वर्गों के बहुत सारे लोग क्रोध करने की वजह से अपनी इस दिव्य ज्योति को खो रहे हैं। आफरा जानते थे की इस दिव्य ज्योति को वापिस पाने के लिए मनुष्यों को भाईचारे के रास्ते पर चलना होगा, उन्हें एक दूसरे का ख्याल रखना होगा और देखभाल करनी होगी। ये बात स्वयं सबका भाई बनकर ही सिखाई जा सकती है। इस बात के लिए उन्हें उनके अपने लोगों ने सूली पर चढ़ा दिया। आफरा उन लोगों के बीच ईसा मसीह के तरह थे, पर वो लोग उन्हें पहचान नहीं पाए। लोग सत्ता के लालच में अंधे हो गए थे।

उनकी आज की सेवा

१९७६ में दिव्य गुरु आफरा ने अक्रा (Accra), घाना (Ghana) में “The Powers and Perils of Nationhood” पर एक दिव्य आदेश दिया था जिसमे उन्होंने एकता की शक्ति पर ज़ोर दिया और कहा की हमें अपने सभी आपसी मतभेद समाप्त कर देने चाहिए, इसी में सबकी भलाई है। उन्होंने कहा था:

हम सभी आपस में भाई-भाई हैं क्योंकि हम सब एक ही माता पिता (ईश्वर) की संतान हैं। मैं आपका भाई हूँ, आपका स्वामी या मालिक नहीं। मैं भी आप ही की तरह आपके साथ इसी रास्ते पर चल रहा हूँ। आपकी तरह मैं भी मोक्ष पाने की इच्छा रखता हूँ। जब भी आप किसी मुसीबत में होते हैं, मैं आपके साथ होता हूँ। जब आपने ईश्वर से न्याय के लिए प्रार्थना की तब ईश्वर ने आपको अपने राष्ट्र और महाद्वीप के लिए दिव्य योजना दी।

सैंकड़ों सालों से मैं आपके दिल में हूँ, मैं तब भी आपके साथ था जब आप बाहरी और अंदरूनी ताकतों द्वारा उत्पीड़ित हो रहे थे।

आफरा के लोगों के पास इतिहास और अन्य सभ्यताओं से सीखने का एक बहुमूल्य मौका है। जब समाज अत्यधिक भौतिकवादी हो जाता है, मनुष्यों के पास केवल दो रास्तें बचते हैं: या तो वे भौतिकीकरण में लुप्त होकर खत्म हो जाएँ या फिर आध्यात्मिक रास्ता अपनाएँ और अपनी जीव-आत्मा को जगाएं।[2]

एक दिव्य आदेश में संत जरमेन ने आफरा को अमरीका में रहने वाले आफरा के वंशजों को निम्लिखित सन्देश देने के लिए कहा:

अमरीका में रहने वाले सभी श्याम वर्ग के लोग अपनी मौजूदा स्तिथि से ऊपर उठ सकते हैं, मुक्ति और स्वत्व से जी सकते हैं। मगर यह तभी हो सकता हैं जब वे ईश्वर के दिखाए मार्ग पर चलें, स्वयं को ईश्वर के हवाले कर दें, समाज में सब के प्रति प्रेम और सहनशीलता का भाव रखें और साथ ही ईश्वर से प्रार्थना भी करें कि आपके अंदर और बाहर की सारी नकारात्मकता एवं अंधकार रोशनी में परिवर्तित हो जाए।

हालांकि नागरिक अधिकार आंदोलन के माध्यम से सफलताएं मिली लेकिन असफलताओं का भी सामना करना पड़ा। सफलता मिलने के कई कारण बाहरी थे। लोगों को उन से प्रेरणा लेनी चाहिए थी तथा मनन करना चाहिए था की किस तरह वे सफलता के रास्ते पर आगे बढ़ सकते है। हमें सभी मनुष्यों को एक सामान समझना चाहिए, त्वचा के रंग के आधार पर भेद भाव करना उचित नहीं। हम आपको आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने का तरीका बता सकते हैं।

हालाँकि श्याम वर्ग के अमेरिकन यह नहीं जानते कि वे आज एक दोराहे पर खड़े है। अब उनको ये तय करना है की उनका आगे का रास्ता क्या होगा - क्या वे सिर्फ भौतिक जीवन जीना चाहते हैं, अधिक पैसा कमाना चाहते हैं, दुनिया भर के सुख पाना चाहते हैं या फिर शांति और सुकून का जीवन जीना चाहते हैं। यह स्वाभाविक है कि आप खुशहाल और प्रचुरता का जीवन जीना चाहते हैं। और यह सही भी है। मुश्किल तब होती है जब आप भौतिक जीवन जीने में इतने मगन हो जाते हैं कि भूल जाते हैं आप एक आध्यात्मिक जीव हैं। मैं आप से कहना चाहता हूँ कि ईश्वर ने आप लोगों को चुना है क्योंकि आप आध्यात्मिकता स्तर पर समृद्ध हैं। [3]

रंगभेद की समस्याओं को सुलझाने के लिए, और भाईचारे की भावना को समझने के लिए आप आफरा का आह्वाहन कर सकते हैं।

दिव्य गुरु आफरा अन्य दिव्य गुरुओं की तरह अत्यंत विनम्र है। आफरा की विनम्रता की बात करते हुए, दिव्य गुरु कुथुमी ने कहा:

बहुत समय तक हम इस अद्भुत भक्ति वाली विशाल आत्मा के भाईचारे से अनजान रहे। जब तक लोग अपनी खुद की उपलब्धियों में डूबे रहेंगे, तब तक वह हम तक पहुंचने में असमर्थ रहेंगे। [4]

स्रोत

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Masters and Their Retreats, s.v. “अफरा”

  1. Gen. 4:9.
  2. Elizabeth Clare Prophet, Afra: Brother of Light, pp. 25–26.
  3. Ibid., pp. 29–30.
  4. Ibid., p. 35.