Immaculate concept/hi: Difference between revisions
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परिपूर्ण स्वरुप की छवि को अवक्षेपित करने की क्षमता, किसी कार्य को पूर्ण होते हुए देखना, अपने मानसिक चित्रपट पर एक चित्र बनाना और उसे लम्बे समय तक बनाए रखना फिर इस चित्र में प्रकाश, प्रेम और आनंद भरना - ये ही [[Special:MyLanguage/Mother Mary|मदर मैरी]] (Mother Mary) और रसायन शास्त्र के गुरु द्वारा सिखाया हुआ शुद्ध संकल्पना के विज्ञान का रास्ता है। [[Special:MyLanguage/third eye|तीसरी आंख]] (third eye) के माध्यम से आंतरिक दृष्टि (inner sight) का अभ्यास शुद्धिकरण की वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा अभ्यासकर्ता में ईश्वर की प्रकाशमय उपस्थिति विद्यमान हो जाती है। [[Special:MyLanguage/Jesus|ईसा मसीह]] ने भी कहा, "यदि आपकी अपनी दृष्टि सदा भगवान पर केंद्रित रहती है तो आपका पूरा शरीर प्रकाश से भरपूर हो जाता है। "<ref>मैट ६:२२</ref> | |||
ईश्वर शुद्ध संकल्पना के विज्ञान का सर्वोच्च अभ्यासी है। चाहे मनुष्य अपने ईश्वरीय स्वरूप की उपस्थिति से कितना भी दूर चला जाए, ईश्वर हमेशा मनुष्य को उसी रूप में देखता है जिसमें उसने उसे बनाया है। शुद्ध संकल्पना का अभ्यास स्वर्ग के हर देवदूत द्वारा किया जाता है। अंतर्मन में हर मनुष्य यह बात जानता है,<ref>Jer. 31:33; Heb. 8:10.</ref> अपने दिल की गहराइयों में वह इस बात से अभिज्ञ है परन्तु बाह्य मस्तिष्क में इसकी धुंधली सी स्मृति है। यह एक आदर्श विचार के सामान है जो समय के साथ [[Special:MyLanguage/Holy Spirit|पवित्र आत्मा]] की रचनात्मक ऊर्जा को एक चुम्बक की तरह अपनी ओर आकर्षित करता है जिससे मनुष्य अपने मन के अंदर के शुद्ध स्वरुप जैसा बन जाता है। | |||
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Latest revision as of 09:31, 2 February 2025
शुद्ध संकल्पना ईश्वर के मन से धारण की गई आत्मा की शुद्ध अवधारणा या छवि; जीवन के एक हिस्से द्वारा जीवन के दूसरे हिस्से के लिए और उसकी ओर से रखा गया कोई भी शुद्ध विचार है। किसी भी प्रकार के रसायन प्रयोग के लिए आवश्यक सामग्री है जिसके बिना मनुष्य रसायनिक प्रयोगशाला में सफल नहीं हो सकता।
परिपूर्ण स्वरुप की छवि को अवक्षेपित करने की क्षमता, किसी कार्य को पूर्ण होते हुए देखना, अपने मानसिक चित्रपट पर एक चित्र बनाना और उसे लम्बे समय तक बनाए रखना फिर इस चित्र में प्रकाश, प्रेम और आनंद भरना - ये ही मदर मैरी (Mother Mary) और रसायन शास्त्र के गुरु द्वारा सिखाया हुआ शुद्ध संकल्पना के विज्ञान का रास्ता है। तीसरी आंख (third eye) के माध्यम से आंतरिक दृष्टि (inner sight) का अभ्यास शुद्धिकरण की वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा अभ्यासकर्ता में ईश्वर की प्रकाशमय उपस्थिति विद्यमान हो जाती है। ईसा मसीह ने भी कहा, "यदि आपकी अपनी दृष्टि सदा भगवान पर केंद्रित रहती है तो आपका पूरा शरीर प्रकाश से भरपूर हो जाता है। "[1]
ईश्वर शुद्ध संकल्पना के विज्ञान का सर्वोच्च अभ्यासी है। चाहे मनुष्य अपने ईश्वरीय स्वरूप की उपस्थिति से कितना भी दूर चला जाए, ईश्वर हमेशा मनुष्य को उसी रूप में देखता है जिसमें उसने उसे बनाया है। शुद्ध संकल्पना का अभ्यास स्वर्ग के हर देवदूत द्वारा किया जाता है। अंतर्मन में हर मनुष्य यह बात जानता है,[2] अपने दिल की गहराइयों में वह इस बात से अभिज्ञ है परन्तु बाह्य मस्तिष्क में इसकी धुंधली सी स्मृति है। यह एक आदर्श विचार के सामान है जो समय के साथ पवित्र आत्मा की रचनात्मक ऊर्जा को एक चुम्बक की तरह अपनी ओर आकर्षित करता है जिससे मनुष्य अपने मन के अंदर के शुद्ध स्वरुप जैसा बन जाता है।
स्रोत
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Path of the Higher Self, volume 1 of the Climb the Highest Mountain® series, पृष्ठ ४०-४२, १५५