Misqualification (of energy)/hi: Difference between revisions

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पथभ्रष्ट पुरुष और स्त्री की "अस्पष्ट,अपूर्ण" योग्यता; भौतिक जगत में जन्म लेने वाली जीवात्माओं द्वारा [[Special:MyLanguage/free will|स्वतंत्र इच्छा]] (free will) के दुरुपयोग द्वारा उत्पन्न हुई [[Special:MyLanguage/evil|बुराई]]ईश्वरीय चेतना की ऊर्जा का दुरूपयोग। प्रकाश, प्रेम, दिव्य पूर्णता, शांति और स्वतंत्रता की अपेक्षा अंधकार, संदेह, बीमारी, पतन और मृत्यु को बढ़ाने के लिए ईश्वर की चेतना और जीवन-शक्ति का नकारात्मक प्रयोग।
यह कथन गिरी हुई (fallen) मानव चेतना की उस अवस्था का वर्णन करता है जिसमें ईश्वर की ऊर्जा और चेतना का गलत गुण-निर्धारण (misqualification) होता है। यह पथभ्रष्ट पुरुष और स्त्री की "अस्पष्ट,अपूर्ण" योग्यता; भौतिक जगत में जन्म लेने वाली जीवात्माओं द्वारा [[Special:MyLanguage/free will|स्वतंत्र इच्छा]] (free will) के दुरुपयोग द्वारा उत्पन्न हुई [[Special:MyLanguage/evil|बुराई]] का नाम है। इसे ईश्वरीय चेतना की ऊर्जा का दुरूपयोग  , प्रकाश, प्रेम, दिव्य पूर्णता, शांति और स्वतंत्रता की अपेक्षा और अंधकार, संदेह, बीमारी, पतन और मृत्यु को बढ़ाने के लिए ईश्वर की चेतना और जीवन-शक्ति का नकारात्मक प्रयोग भी कहते हैं।


जो नकारात्मक ऊर्जा इस ग्रह और यहाँ के लोगों की आभा और [[Special:MyLanguage/electronic belt|इलेक्ट्रॉनिक बेल्ट]] पर दुष्प्रभाव डालती है वह ईश्वर की सृजनात्मक [[Special:MyLanguage/alchemy|रसायन विद्या]] के दुरूपयोग के सीधा असर है। ईश्वर मनुष्य को अपनी इसी सृजनात्मक ऊर्जा का उपयोग करके अपने साथ सह-निर्माता बनने के लिए आमंत्रित करते हैं।
गलत रूप से प्रयोग (misqualified) की गई ऊर्जाएँ लोगों और उनके ग्रह की आभा (aura) तथा [[Special:MyLanguage/electronic belt|इलेक्ट्रॉनिक बेल्ट]] (electronic belt) (मानव चेतना का अवचेतन ऊर्जा-भंडार, जहाँ कर्म और विचारों की छाप संचित रहती है) पर बोझ बनकर जमी हुई हैं,
वे सीधे-सीधे शब्दों में [[Special:MyLanguage/alchemy|रसायन विद्या]] (alchemy) के विकृतिकरण का परिणाम हैं। यह रसायन विद्या कोई साधारण विद्या नहीं, बल्कि
ईश्वर की सर्व-रसायन विद्या (all-chemistry of God) है—
यानी सृष्टि का विज्ञान (science of creation)।


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Latest revision as of 10:28, 22 December 2025

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यह कथन गिरी हुई (fallen) मानव चेतना की उस अवस्था का वर्णन करता है जिसमें ईश्वर की ऊर्जा और चेतना का गलत गुण-निर्धारण (misqualification) होता है। यह पथभ्रष्ट पुरुष और स्त्री की "अस्पष्ट,अपूर्ण" योग्यता; भौतिक जगत में जन्म लेने वाली जीवात्माओं द्वारा स्वतंत्र इच्छा (free will) के दुरुपयोग द्वारा उत्पन्न हुई बुराई का नाम है। इसे ईश्वरीय चेतना की ऊर्जा का दुरूपयोग , प्रकाश, प्रेम, दिव्य पूर्णता, शांति और स्वतंत्रता की अपेक्षा और अंधकार, संदेह, बीमारी, पतन और मृत्यु को बढ़ाने के लिए ईश्वर की चेतना और जीवन-शक्ति का नकारात्मक प्रयोग भी कहते हैं।

गलत रूप से प्रयोग (misqualified) की गई ऊर्जाएँ लोगों और उनके ग्रह की आभा (aura) तथा इलेक्ट्रॉनिक बेल्ट (electronic belt) (मानव चेतना का अवचेतन ऊर्जा-भंडार, जहाँ कर्म और विचारों की छाप संचित रहती है) पर बोझ बनकर जमी हुई हैं, वे सीधे-सीधे शब्दों में रसायन विद्या (alchemy) के विकृतिकरण का परिणाम हैं। यह रसायन विद्या कोई साधारण विद्या नहीं, बल्कि ईश्वर की सर्व-रसायन विद्या (all-chemistry of God) है— यानी सृष्टि का विज्ञान (science of creation)।

स्रोत

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation