Translations:Portia/6/hi
सुंदरता, पूर्णता और प्रचुरता के पिछले पृथ्वी पर कलह का आरम्भं होने से पहले, पोर्शिया प्रकाश में आध्यात्मिक उत्थान के द्वारा विलीन हो गयीं। जब मानव जाति की न्याय की भावना विकृत हो गई, तब पोर्शिया द्वारा किए गए सभी कार्यों में असंतुलन पैदा हो गया। तो वह महान मौन चेतना के उच्च स्तर में स्वयं को समेट कर चलीं गयीं। ईश्वर के नियमों के अनुसार दिव्यगुरू कभी भी मानवजाति के कार्यों में स्वतः हस्तक्षेप नहीं करते। जब मनुष्य दिव्य आदेश कर के उनका आह्वान करते हैं, तभी वे आते हैं।