Translations:Portia/8/hi
इसके कुछ ही समय बाद, कर्मों के स्वामी (Lords of Karma) ने सैंक्टस जर्मेनस (Sanctus Germanus) को पृथ्वी पर रहते हुए आध्यात्मिक रूप से उन्नत प्राणी के रूप में सेवा करने की अनुमति दी। अठारहवीं सदी में यूरोप की सभी अदालतों में उन्हें कॉम्टे डी सेंट जर्मेन (Comte de Saint Germain) के नाम से जाना जाता था। उनकी निपुणता का वर्णन मैडम डी'अधेमर (Mme. d’Adhémar) ने अपनी डायरियों में किया है। डी'अधेमर उन्हें करीब पचास वर्षों से जानतीं थीं, संत जर्मेन अकसर उनके न्यायालय में आते थे। डी'अधेमर ने फ्रांस के न्यायालय, और लुई XV और लुई XVI की अदालतों में संत जर्मेन की उपस्थितियों का उल्लेख किया है। उन्होंने लिखा है की संत जर्मेन एक दीप्तिमान चेहरे के स्वामी थे - पचास वर्षों की उनकी पहचान के समय, संत जर्मेन कभी भी चालीस वर्ष से ज़्यादा की उम्र के नहीं दिखे। दुर्भाग्यवश वे फ्रांस के न्यायालय और यूरोप के अन्य नेताओं का ध्यान आकर्षित करने में असफल रहे।