अंतःकरण

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अंत:करण संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है भीतरी इंद्रि। यह प्रकाश का ऐसा तंत्र है जो आत्मा और पदार्थ को न सिर्फ बांधता है वरन सम्पूर्ण सृष्टि को एक दूसरे के प्रति तथा ईश्वर के प्रति संवेदनशील बनाता है।

अंतःकरण ज़रदोज़ी के धागों के सामान है - ऐसे धागे जो इस विराट् विश्‍व के सारे के सारे इंसानो के अंदर के शांत चित्त को एक दुसरे के साथ बांधते है। अंतःकरण ग्रेट सेंट्रल सन मैगनेट की ऊर्जा का संवाहक है। मणि का वह तार जो हर एक इंसान के चित्त और उसके अंदर स्थित ईश्वर को ग्रेट सेंट्रल सन मैगनेट के साथ जोड़ता है, अंतःकरण का ही हिस्सा है।

अन्तःकरण के बारे में गौतम बुध ने कुछ यूँ कहा है:

मैं गौतम, बहुतों का पिता हूँ। मैं माँ की ऊर्जा/ प्रकाश को नमन करता हूँ, इस अवतारी ज्वाला की मैं पूजा करता हूँ। मैं पुत्र की ऊर्जा को भी नमन करता हूँ।

मैं जीवन के अंतःकरण को घुमाता हूँ, इस सुनहरे जाल की परतों में ब्रह्मांडीय चेतना है। अपनी जीवात्मा के विकास के लिए आप अपने अंतःकरण के मदद ले सकते हैं। आपकी माँ ने आपको शरीर दिया है, मैं आपको अंतःकरण का सुनहरा जाल देता हूँ। और आप में से कुछ, माँ के रूप में, सुनहरे और सफ़ेद रंग के धागे से उस अंतःकरण को चेतना की सुरक्षा का केंद्र बना देते हैं। और इस केंद्र की सूक्ष्म चेतना के स्तरों को सुनहरी ज़ंज़ीर से मुद्रण करके शारीरिक मलिनता से बचा सकते हैं।

इस पवित्र आवरण को आप पिता का दिया हुआ सुरक्षा कवच जानिये। इसे जीवन का जाल समझिये। जिस प्रकार मकड़ी का जाल मध्य से शुरू होकर सर्वत्र फैल जाता है, उसी प्रकार इंसान के अंतःकरण से उत्पन्न चेतना ब्रह्मांडीय चेतना का रूप ले लेती है। जिस प्रकार एक छोटे बालक को सर्दी से बचाने के लिए शाल से अच्छी तरह लपेटा जाता है उसी ध्यानपूर्वक अंतःकरण की भी सुरक्षा की जानी चाहिए। ऐसा आप गौतम की याद में करिये, वो गौतम जो पृथ्वी पर अहम् की तलवार उठाने आये थे

और अब मैं इस तलवार का प्रयोग करते हुए दुष्टता के उस परदे को काटता हूँ जिससे हर एक इंसान ढका हुआ है। दुष्टता का यह पर्दा पूरे ग्रह पर भी छाया हुआ है जिसकी वजह से मानवता त्रस्त है। आप देखेंगे कि जब माँ के पुजारी ईश्वर की चेतना का आह्वान करते हैं तो अँधेरा छंट जाता है और उसका स्थान ईश्वर का प्रकाश ले लेता है....

Hierarchy is here to stay. Hierarchy comes to tarry in the way, to elevate the consciousness of mankind, to raise them to the center of God to find the flow of life, of love and truth, the living fountain of eternal youth. Hierarchy is here to stay and you are hierarchy all the way—you in the potential of the God flame connecting with the potential of the Great White Brotherhood, you as living, breathing witnesses of the Word. You are the incarnation of the Lord. You are hierarchy, as Above so below. You are the antahkarana. Let light flow![1]

Ratnasambhava has said of the antahkarana:

There is an interconnection of all Life. And therefore, whenever those who are the immortal ones speak through an embodied soul at this level, there is the transmission of that word to all lifestreams who are similarly abiding in this band of energy, which is your time and space and your compartment to work out your reason for being—your dharma as well as your karma.

Know this, then—that another function of having a Messenger and dictations is the unification by the antahkarana, the great web of light, of all souls of a similar evolution. And as the antahkarana quivers at the hand of the great Master Artist of life, there is a stepping up, a tuning of the sound that is heard from the quivering of the antahkarana. And as you are able to transcend certain lower elements, you find yourself rising to new levels of that web of life and to attunement with the higher sound. This is the great mystery of being—that you also, though considering yourself finite, are with us “everywhere in the consciousness of God.”[2]

स्रोत

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation.

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Path of Brotherhood.

  1. Gautama Buddha, “Nourish Love in the Heart of Humanity,” Pearls of Wisdom, vol. 56, no. 1, January 1, 2013.
  2. Ratnasambhava, “Elements of Being,” Pearls of Wisdom, vol. 37, no. 6, February 6, 1994.