चौहान
स्वामी; एक प्रमुख। सात किरणों में से प्रत्येक का एक चौहान होता है जो उस किरण की आत्मिक चेतना पर ध्यान केंद्रित करता है, और यही वास्तव में किरण का नियम भी है जो मनुष्य में इसके उचित उपयोग को नियंत्रित करता है। चौहान की नियुक्ति कई जन्मों में उस किरण के नियम को लागू और प्रदर्शित करने तथा आध्यात्मिक उत्थान के पहले और बाद में दीक्षा लेने के पश्चात होती है - यह नियुक्ति महा चौहान (Maha Chohan) द्वारा की जाती है। महा चौहान सातों किरणों के "चौहानों के स्वामी" हैं जो स्वयं भी सभी किरणों की उच्च चेतना के प्रतिनिधि हैं।
चौहान के कार्य
चौहान का चयन उन पृथ्वीवासियों में से किया जाता है जो सबसे योग्य आध्यात्मिक उत्थान प्राप्त कर चुके हैं। इस कार्य में उन्हें देवदूत, सृष्टि देव और आध्यात्मिक उत्थान प्राप्त किये लोगों की टीम द्वारा सहायता प्रदान की जाती है - ये पृथ्वी पर मानव जाति द्वारा सात किरणों में ईश्वर की सम्पूर्ण योजना को पूरा करते हैं। चौहान हमेशा ब्रह्मांडीय नियमों का पालन करते हैं; पर इन्हें कुछ छूट भी दी जाती है जो उनके व्यक्तिगत विकास, क्षमता और प्रतिभा पर निर्भर करती है। यह छूट इस बात पर भी निर्भर करती है कि मानव जाति के विकास के लिए वो इन सब का कितनी कुशलता से प्रयोग कर पाते हैं
== सात चौहान == (The seven chohans)
प्रथम किरण (First Ray) | एल मोरया (El Morya) | [[Special:MyLanguage/ Retreat of God’s
Will|ईश्वर की इच्छा का आश्रय स्थल]], दार्जिलिंग, भारत Retreat of God’s Will, Darjeeling, India |
द्वितीय किरण (Second Ray) | लैंटो | रॉयल टीटॉन आश्रयस्थल, ग्रैंड टीटॉन, जैक्सन हॉल, व्योमिंग,अमेरिका
Royal Teton Retreat, Grand Teton, Jackson Hole, Wyoming, USA |
तृतीय किरण | पॉल द विनीशियन (Paul the Venetian) | शैटो डी लिबर्टी, दक्षिणी फ्रांस। इसके साथ ही वाशिंगटन स्मारक, वाशिंगटन, डी.सी. में तीन त्रिज्योति लौ का केन्द्रीकरण।
Château de Liberté, southern France, with a focus of the threefold flame at the Washington Monument, Washington, D.C. |
चौथी किरण (Fourth Ray) | सरापिस बेए (Serapis Bey) | अध्यत्मिक उत्थान का मंदिर और, लक्सर, मिस्र में आश्रय स्थल
The Ascension Temple and Retreat at Luxor, Egypt |
पांचवीं किरण (Fifth Ray) | हलेरियन
(प्रचारक पॉल) Hilarion (the apostle Paul) |
सत्य का मंदिर, क्रीट
Temple of Truth, Crete |
छठी किरण | नाडा | अरेबियन आश्रय स्थल, सऊदी अरब |
सातवीं किरण | संत जर्मैन | रॉयल टीटन आश्रयस्थल, ग्रैंड टीटन, व्योमिंग; प्रतीकों की गुफा, टेबल माउंटेन, व्योमिंग। संत जर्मेन भी ग्रेट डिवाइन डायरेक्टर के केंद्रों से काम करते हैं - भारत में प्रकाश की गुफा और ट्रांसिल्वेनिया में राकोज़ी हवेली - इन दो स्थानों पर संत जर्मेन पदानुक्रम की अध्यक्षता करते हैं। |
परिभाषाएँ और उत्पत्ति
“एक भगवान या स्वामी. एक उच्च निपुण. एक दीक्षित जिसने पाँच प्रमुख दीक्षाओं से अधिक दीक्षाएँ ली हैं जो मनुष्य को 'बुद्धि का स्वामी' बनाती हैं" (एलिस ए. बेली, ए ट्रीटीज़ ऑन कॉस्मिक फायर, पृष्ठ ६६, एन. २४)
"उच्च आध्यात्मिक पद को दर्शाने के लिए भारतीय लेखकों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक राजपूत शब्द" (क्रिसमस हम्फ्रीज़, ए पॉपुलर डिक्शनरी ऑफ बुद्धिज्म, पृष्ठ ५७)।
"चीफ, चो-खान, 'रॉक ऑफ एजेस'" (द महात्मा लेटर्स टू ए.पी. सिनेट फ्रॉम द महात्माज एम. एंड के.एच., इंडेक्स, पृष्ठ ९)।
“चौहान्स, तिब्बती? [भगवान]। सात शक्तिशाली प्राणी, जो छठी दीक्षा को पारित करने के बाद, अपने भीतर तार्किक चेतना की किरण-धाराओं या गुणों पर ध्यान केंद्रित करने की शक्ति रखते हैं” (एच. पी. ब्लावात्स्की, द सीक्रेट डॉक्ट्रिन, पांचवां अडयार संस्करण, ६:४५२)।
चौहान तिब्बती चोस (उच्चारण चो) से संबंधित हो सकता है, जिसका अर्थ है धर्म, धार्मिक सिद्धांत, या धर्म, विशेष रूप से बुद्ध का सिद्धांत। सामान्य अर्थ में, चोस का अर्थ सभी घटनाओं, पदार्थों और सांसारिक और आध्यात्मिक चीज़ों के ज्ञान को समाहित करता है। तिब्बती शब्द जो-बो (उच्चारण चो) का अर्थ है भगवान या गुरु, बुद्ध या बुद्ध की छवि। मंगोलियाई शब्द खान या क़ान (उच्चारण हन) का अर्थ स्वामी, शासक, सम्राट या राजा भी है। तिब्बती चोस-मखान (उच्चारण ची-केन या चो-केन) का अर्थ है वह व्यक्ति जो धर्म का अभ्यास करता है या उसमें कुशल है।
इसे भी देखिये
अधिक जानकारी के लिए
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Lords of the Seven Rays
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Masters and the Spiritual Path, चौथा अध्याय.
स्रोत
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation.
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Masters and the Spiritual Path, पृष्ठ. 256.
Pearls of Wisdom, vol. 31, no. 29, १९ जून १९८८. टिप्पणी १.