ब्रह्मांडीय जीव
(1) वह दिव्यगुरु (ascended master) जिसने ब्रह्मांडीय चेतना (cosmic consciousness) प्राप्त कर ली है और जो आकाशगंगाओं (galaxies) से दूर कई दुनियाओं और दुनिया की प्रणालियों (systems) के प्रकाश/ऊर्जा/चेतना से महान केंद्रीय सूर्य (Great Central Sun) के पीछे के सूर्य तक पहुंचने में सामर्थ है।
(2)ईश्वर का वह जीव जो कभी भी आत्मा की चेतना से समझौता करके उसे कम होने नहीं दिया, जिसने कभी भी भौतिक शरीर धारण नहीं किया, जिसने कभी भी मानव शरीर में नकरात्मक कर्म नहीं बनाए कर्म नहीं किया, जो हमेशा ब्रह्मांडीय अक्षत (Cosmic Virgin) का हिस्सा बना रहा और जो आत्माओं की दुखों की घाटी से माँ के पवित्र ह्रदय में वापसी के लिए एक ब्रह्मांडीय संतुलन बनाये रखता है।
स्रोत
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation.