अवतार

From TSL Encyclopedia
Revision as of 08:26, 11 December 2023 by JaspalSoni (talk | contribs)

[अवतार एक संस्कृत शब्द है - इसका मूल शब्द अवतारति है जो दो शब्दों अव और तारति से बना है। अव का अर्थ है "दूर" और तारति का अर्थ है "वह पार करता है"] शब्द का अवतरण करने वाला पुरुष जो आत्मा के स्तर से पदार्थ के स्तर तक सार्वभौमिक चेतना (Universal Christ) का अवतरण या पारगमन करता है।

द इनसाइक्लोपीडिया ऑफ़ ईस्टर्न फिलॉसफी एंड रिलिजन में अवतार की परिभाषा इस प्रकार से दी गई है। (The Encyclopedia of Eastern Philosophy and Religion defines avatar as)

ईश्वर की चेतना का पृथ्वी पर देह धारण। पृथ्वी पर अवतार का जन्म कर्म का खेल नहीं है (जैसा की सामान्य मानवों का होता है) वरन स्वतंत्र इच्छा शक्ति से होता है, और यह जीव अपने ईश्वरीय लक्ष्य को हमेशा स्मरण रखता है। अवतार [मुश्किल घड़ियों] में धार्मिक बोध के नए रास्ते दिखाने और उन रास्तों को उस युग (जिसमे वो प्रकट हुआ है) के अनुकूल बनाने के लिए प्रकट होता है।

एक युग का अवतार

किसी भी युग का अवतार चेतना है; देह धारण किये हुए ईश्वर (विष्णु) का पुत्र; त्रिदेवों में दूसरा। अपनी दिव्य पूरक शक्ति या समरूप जोड़ी के साथ अवतार चेतना में, तथा चार निचले शरीरों में ईश्वरीय माता-पिता का स्वरुप लेता है ताकि जीवात्माएं आध्यात्मिक रूप से उन्नत हो पाएं।

किसी भी युग में दो मुख्य अवतार होते हैं - पुएक पुरुष और दूसरा स्त्री प्रारूप - जो अपने जीवन द्वारा भगवान् की दीक्षा का मार्ग दिखाते हैं। सौर गुणों द्वारा निर्दिष्ट यह मार्ग जीवन को एक खुले द्वार (शिक्षक और उसकी शिक्षा) से ब्रह्मांडीय चेतना की ओर ले जाता है। मानव जाति के कर्म और आवश्यकता के अनुसार मनुष्यों के विकास (जीवात्मा उन्नति या अवनति), के लिए मनु बहुत सारी पवित्र आत्माओं को निर्दिष्ट कर सकते हैं, तथा इनमें से जो अत्याधिक चेतना से आच्छादित होते हैं वे विश्वगुरु और पथनिर्देशक बनते हैं।

किसी भी युग में अत्याधिक आध्यात्मिक चेतना से आच्छादित अवतार अपने जीवन द्वारा "लॉ ऑफ लोगोस" (Law of the Logos) को दर्शाते हैं - "लोगोस" एक यूनानी शब्द है और "लॉ ऑफ लोगोस" का अर्थ है ब्रह्माण्ड में निहित परम सत्य। यह परम सत्य विभिन्न मनु और अवतार अपनी वाणी और कर्म द्वारा दिखाते हैं - इन सब का एक ही ध्येय है और वह है प्रत्येक मनुष्य की आध्यात्मिक उन्नति।

अवतार का आगमन

हरमेस ट्रिसमेंजिसटस ने कहा है:

पृथ्वी पर हमेशा कोई न कोई अवतार रहा ही है। परन्तु इस समय की एक बहुत बड़ी मांग महत्वपूर्ण परिवर्तन है। यह वह समय है जब आप जैसे लोग - जिन्हे हज़ारों सालों से समय समय पर ईश्वर की शांति, सद्भाव और ज्ञान का प्रकाश मिलता रहा है - एडम कैडमन बनने का बीड़ा उठायें। इसलिए हो सकता है कोई अवतार पृथ्वी पर तब तक ना उतरे जब तक कि कई बार जन्म ले चुकी अनुभवी जीवात्माएं अपने पवित्र कर्मों से पृथ्वी को ऐसा चुम्बकीय क्षेत्र बना दें जो आत्मा को इस ओर खींचे।

यह समय जीवन की रासायनिक प्रक्रिया को पलटने का है। यह समय अनेक जीवात्माओं के अंदर झाँकने का है ताकि हमें ईश्वर की परिपूर्णता का एहसास हो। यह समय हरमेस ट्रिसमेंजिसटस के गीत को पूरी शक्ति के साथ गाने का है। ईश्वर की इच्छानुसार सूर्य के भजन गाइये और उनका सच्चा पुत्र बन जाइये। अज्ञानतापूर्वक या नासमझी के साथ नहीं वरन समझ के साथ, दृढ़तापूर्वक जीव के पुनरुत्पादन का अनुमोदन कीजिये, और इस बात को गाँठ बाँध लीजिये कि जब तक कि पृथ्वी पर पुनरुत्पादन नहीं होता, कहीं और भी नहीं हो सकता।[1]

कुम्भ युग का अवतार

संत जरमेन ने कहा है:

मैं संत जरमेन हूँ, मैं सनत कुमार का दूत हूँ और कुम्भ युग तक रहूँगा। मैं इस युग का अवतार हूँ, और चैतन्य लोगों को रूपांतरण और पवित्र आत्मा की पवित्र अग्नि के मार्ग की दीक्षा देता रहूँगा। यही दीक्षा पृथ्वी पर ऐसे ऐतिहासिक परिवर्तन लाएगी जो इस ग्रह के प्रारंभ होने से लेकर अब तक के सबसे बड़े परिवर्तन कहलायेंगे।[2]

स्रोत

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation.

Pearls of Wisdom, vol. 38, no. 6, ५ फरवरी, १९९५, अंतिम लेख.

  1. हरमेस ट्रिसमेंजिसटस, “द एमिराल्ड टेबलेट ऑफ़ द हार्ट,” Pearls of Wisdom, vol. 24, no. 73, अगस्त १९८१.
  2. संत जरमेन, “द डेलिवरेंस ऑफ़ द पीपल बाय विज़डम फ्लेम एंड द सोर्ड,” Pearls of Wisdom, vol. 24, no. 59, मार्च १९८१.