एटलांटिस (Atlantis)
जेम्स चर्चवुड के अनुमान के अनुसार, आज जहाँ एटलांटिक महासागर है, वहां एक ज़माने में एटलांटिस द्वीप हुआ करता था। ११,६०० साल पहले जब प्रलय (नोआ की बाढ़) Flood of Noah आयी थी, तब यह द्वीप जलमग्न हो गया था। इस घटना को प्लेटो ने स्पष्ट रूप से चित्रित किया है; एडगर केसी ने अपने लेखों में वर्णन किया है; टेलर काल्डवेल ने अपने उपन्यास रोमांस ऑफ़ एटलांटिस में दर्शाया है, और वैज्ञानिक तौर से छान-बीन कर जर्मनी के वैज्ञानिक ओटो मक ने प्रमाणित किया है। ओटो मक ने अपनी जांच में बताया है कि एटलांटिस ५ जून ८४९८ बी सी को रात के ८ बजे ध्वस्त हुआ जब एक छोटा तारा, 30,000 हाइड्रोजन बम की ताकत से, बरमूडा त्रिभुज से टकरा गया था ।
एटलांटिस का विवरण
अपनी किताब टाईमेंइयस एंड क्रिटियास (Timaeus and Critias), प्लेटो वर्णन करते हैं "एटलांटिस द्वीप पर एक भव्य साम्राज्य था" जो अफ्रीका, मिश्र, यूरोप में इटली तक फैला हुआ था। “महाद्वीप के कुछ हिस्से” - विशेषतया मध्य अमेरिका, पेरू और मिसिसिप्पी की घाटी भी शामिल थी। ऐसा माना जाता है कि एटलांटिस और उसके पूर्व और पश्चिम में स्थित छोटे छोटे द्वीपों ने, अमेरिका से यूरोप और अफ्रीका तक एक ज़मीनी बाँध बनाया था।
डब्ल्यू. स्कॉट इलियट (W. Scott-Elliot) की किताब स्टोरी ऑफ़ एटलांटिस (Story of Atlantis) वहां की सभ्यता के बारे में बताती है - यह बाते सूक्ष्म दृष्टि से पता चली हैं। ब्रह्मविद्यावादी (Theosophist) ए. पी. सिनेट (A. P. Sinnett) के अनुसार इस किताब में उन विद्यार्थियों के आविष्कारों के बारे में लिखा है जिन्हें “पुराने समय के कुछ मानचित्रों और अन्य अभिलेखों के बारे में जानकारी दी गई थी" जिससे उनका काम सफल हो सके। सिनेट के कहा है कि इन मानचित्रों को वर्तमान में यूरोप में रहनेवाली मानव जातियों के अलावा अन्य लोगों द्वारा सरंक्षित किया गया था - शायद विशेषज्ञों ने ब्रह्मविद्या के विद्यार्थियों को संरक्षण करने की शिक्षा दी थी हालांकि सीनेट ने इस बात पर स्पष्ट तौर से कुछ नहीं कहा है।
स्कॉट-इलियट (Scott-Elliot) ने लिखा है की यह द्वीप कई चरणों में ध्वस्त हुआ, प्रलय करीब ८००,०००,२००,००० और ८०,००० साल पहले ९५६४ बी.सी. में आई जब यहाँ का अंतिम द्वीप - अज़ोरेस (Azores) के नज़दीक स्थित पोसीडोनिस (Poseidonis) - जलमग्न हुआ। इसकी अभिव्यक्ति कई पुराने लेखों में की गई है। प्लेटो (Plato) ने भी इसके बारे में लिखा है।
एटलांटिस पर ईसा मसीह का स्वर्ण युग
दिव्यगुरूओं ने इस बात का खुलासा किया है कि ईसा मसीह स्वर्ण युग के दौरान ऐटलांटिस के सम्राट और मुख्य पुजारी थे - यह समय २००० साल का था - ३४५०० बी.सी. से ३२,५०० बी.सी. तक। यह काल हम से सत्रह युग पूर्व था और कर्क राशि के अंतर्गत था। उस युग में ईसा मसीह का जन्म ३३,०५० बी.सी. में हुआ था। उन्होंने अपना राजकाल ३३,००० बी.सी. में शुरू किया - ये वह समय था जब स्वर्ण युग के १,५०० साल बीत चुके थे। उस समय उनकी पत्नी (समरूप जोड़ी) महिला दिव्यगुरु मागदा थी। उन्होंने राज किया क्योंकि वे दोनों उस सभ्यता में ईश्वर के सर्वोच्च प्रतिनिधि थे। उस समय के सभी लोग ईश्वर की इच्छा को जानते और मानते थे। ईसा मसीह और मागदा को लोगों पर कोई भी क़ानून लागू नहीं करना पड़ा क्योंकि लोग ईश्वर की इच्छा के अनुकूल कार्य करते थे।
ईसा मसीह का राजकाल ४५० साल तक चला, पर इसके बाद ज़ेनोस (Xenos) नामक व्यक्ति ने भ्रष्टाचार के बीज बोने शुरू किये। ज़ेनोस ईसा मसीह का मुख्य सलाहकार था। अंततः वह अपने मकसद में कामयाब हो गया - उसने जनता को राजा (ईसा मसीह) के खिलाफ आंदोलन करने को राज़ी कर लिया और स्वयं राजा बन गया। करीब दो मिलियन लोग (२० प्रतिशत जन समुदाय) ईसा मसीह और मागदा के साथ एक दूसरे स्थान पर चले गए - यह स्थान बाद में सुएर्न (Suern) कहलाया - यह भारत और अरब को मिलाकर बना था। इनमें से आधे लोगों ने आध्यात्मिक उत्थान की प्राप्ति की और बाकी आज भी पृथ्वी पर आध्यात्मिक उत्थान की ओर बढ़ रहे हैं।
एक समय जहाँ स्वर्ण युग था, उसी एटलांटिस पर सभ्यता धीरे-धीरे बर्बरता में बदल गई - लोग बुद्धिहीन हो गए और जीवन के प्रति असंवेदनशील हो गए। चारों तरफ लूटपाट और अराजकता फैल गई और स्थति इस हद तक पहुंची कि ज़ेनोस ने भी राज्य पर नियंत्रण खो दिया। समय के साथ कई शहर लुप्त हो गये और नष्ट हो गये। ३०,००० बी.सी. से १६,००० बी.सी. के दौरान ऐटलांटिस पर बर्बरता का शासन रहा - यही वो समय था जब पोसीड (Poseid) की महान सभ्यता का उदय हुआ।
एटलांटिस के बाद के वर्ष
करीब १५,००० बी.सी. के दौरान ईसा मसीह फिर से एटलांटिस शासक बने। फाइलोस द थिबेटन (Phylos the Tibetan) ने अपनी पुस्तक "ए ड्वेलर ऑन टू प्लैनेट्स (A Dweller on Two Planets) में लिखा है कि यह महान शासक एटलांटिस की राजधानी कैफुल (Caiphul) के एक मंदिर में प्रकट हुए, और उन्होंने वहां इन्कल (Incal) की ज्वाला के द्वारा मैक्सिन (Maxin) अग्नि उत्पन्न की। यह लौ मंदिर की वेदी पर पाँच हज़ार वर्षों तक जलती रही। मैक्सिन लाइट के राय (Rai of the Maxin) ने यहाँ ४३४ दिनों तक शासन किया। उन्होंने नियमों को संशोधित कर एक नया कानूनी कोड बनाया जिसने आने वाले हजारों वर्षों तक एटलांटिस पर शासन किया।
स्वर्ण युग के बाद, एटलांटिस की सभ्यता झूठे पुजारियों द्वारा भ्रष्ट हो गई। ऐसा तब तक रहा जब तक कि “ईश्वर ने नहीं यह देखा की इंसान पूरी तरह से धूर्त हो गया था और उसके दिल में हर वक्त बुराई का ही वास था।”[1]एटलांटिस के बाकी बचा हुआ टुकड़ा उस महान प्रलय में नष्ट हो गया जिसे बाइबिल में नोह की बाढ़ (Flood of Noah) के रूप में दर्ज किया गया है।
अधिक जानकारी के लिए
एच.पी. ब्लावात्स्की की किताब द सीक्रेट डॉक्ट्रिन (लंदन: थियोसोफिकल पब्लिशिंग कंपनी, १९८८), दूसरा संस्करण। ऐटलांटिस के अन्य संदर्भों और विवरणों के लिए सूचकांक देखें। {H. P. Blavatsky, The Secret Doctrine (London: Theosophical Publishing Co., 1888), Vol. II, see index for the many references to and descriptions of Atlantis.}
एडगर केसी की किताब ऐटलांटिस (वर्जिनिया बीच: ऐ.आर.इ. प्रेस, २०१४) {Edgar Cayce, Atlantis (Virginia Beach: A.R.E. Press, 2014).}
डब्ल्यू. स्कॉट-इलियट की किताब लीजेंड्स ऑफ एटलांटिस एंड लॉस्ट लेमुरिया (व्हीटन: थियोसोफिकल पब्लिशिंग हाउस [क्वेस्ट बुक्स], १९२५, १९९०), पीपी. ३ -८९।
{W. Scott-Elliot, Legends of Atlantis and Lost Lemuria (Wheaton: Theosophical Publishing House [Quest Books], 1925, 1990), pp. 3–89.}
फाइलोस द तिब्बतन की किताब "ए ड्वेलर ऑन टू प्लैनेट्स (बोर्डन, १९५२)। {Phylos the Tibetan, A Dweller on Two Planets (Borden, 1952).}
जेम्स चर्चवर्ड की किताब द लॉस्ट कॉन्टिनेंट ऑफ मू (१९३१; पुनर्मुद्रण, न्यूयॉर्क: पेपरबैक लाइब्रेरी संस्करण, १९६८), पी. २२६ {James Churchward, The Lost Continent of Mu (1931; reprint, New York: Paperback Library Edition, 1968), p. 226.}
ओटो मक की किताब द सीक्रेट ऑफ़ एटलांटिस (न्यूयॉर्क: पॉकेट बुक्स, १९७९) {Otto Muck, The Secret of Atlantis (New York: Pocket Books, 1979).}
इग्नाटियस डोनेली (Ignatius Donnelly) की किताब एटलांटिस: द एंटेडिलुवियन वर्ल्ड (Atlantis: The Antediluvian World) (न्यूयॉर्क: डोवर प्रकाशन, १९७६), पीपी. ११, २३, १७३, ४७३ {(New York: Dover Publications, 1976), pp. 11, 23, 173, 473.}
सन्देश वाहक एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट द्वारा दिए गए एटलांटिस पर व्याख्यान, दिव्य गुरुओं की शिक्षाओं पर आधारित और फाइलोस द थिबेटन (Phylos the Tibetan) द्वारा ए ड्वेलर ऑन टू प्लैनेट्स (A Dweller on Two Planets), www.AscendedMasterLibrary.org पर उपलब्ध हैं।
स्रोत
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation.
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Lords of the Seven Rays.
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Masters and Their Retreats
- ↑ Gen. 6:5.