कर्मों को सूची पत्र में लिखने वाले देवदूत (Keeper of the Scrolls)
कर्मों को सूची पत्र में लिखने वाले देवदूत एक ब्रह्मांडीय प्राणी (cosmic being) हैं जो इस आकाशगंगा के समस्त आकाशीय अभिलेखों (akashic records) की देखभाल करते हैं। भौतिक स्तर पर घटित होने वाली सभी घटनाएं इन अभिलेखों में संग्रहित हैं।
अपनी इस सेवा के बारे में कर्मों को सूची पत्र में लिखने वाले देवदूत कहते हैं:
कर्मों को सूचीपत्र में संग्रहित करना एक महत्वपूर्ण कार्य है। सौभाग्य से इस उत्तरदायित्व को निभाने के लिए ईश्वरीय-रुपी पिता ने मुझे अनेक सक्षम [लेखा-जोखा रखने वाले देवदूत] (recording angels) दिए हैं। आपके जीवन में घटित होने वाली प्रत्येक घटना, विभिन्न जन्मों में आपके पास आने वाली ऊर्जा हर एक कण इन अभिलेखों में दर्ज़ है। यह मनुष्यों का सौभाग्य है कि ब्रह्मांडीय नियमों के अनुसार ईश्वर ने मानवजाति को वायलेट लौ की भेंट दी है जिसका उपयोग करके वे अपने नकरात्मक कर्मों को सूचीपत्र से मिटा सकते हैं। यह उपहार ईश्वर ने संत जरमेन के कहने पर दिया है।
जब जब वायलेट लौ से कर्म का निष्कासन और रूपांतरण होता है तो इसका एक अस्थायी अभिलेख बनाया जाता है। यदि कोई व्यक्ति निरंतर ही ईश्वर के कानून के विरुद्ध जाकर बार-बार दुष्कर्म करते हैं तो उनके कार्यों को कर्म के स्वामी के संज्ञान में लाया जाता है। इसके बाद कानून की एक विशिष्ट गतिविधि को उस जीवनधारा पर लागू किया जाता है ताकि उसके सभी कर्म संतुलित करे जा सकें। यह करना आवश्यक भी क्योंकि जब मनुष्य अपने दुष्कर्मों का सामना करता है तो वह ये समझ पाता है कि उसे दुराचार नहीं करना चाहिए और वह सत्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित होता है। तो हम यह कह सकते हैं के मनुष्यों को उसके दुष्कर्मों के सामना करवाना ईश्वर के इंसान के प्रति स्नेह है।[1]
सूचीपत्र के प्रहरी के पास एक विशाल पुस्तकालय और अनुसंधान व् अन्वेषण की प्रयोगशालाएं होती हैं। मनुष्य ईश्वर की सहायता हेतु याचिकाएं भेजते रहते हैं तथा प्रत्युत्तर में उन्हें ऊर्जा देने के लिए व्यक्ति-विशेष के अभिलेखों की समीक्षा करने हेतु यह पुस्तकालय और प्रयोगशाला काम आती है। इस प्रकार सूचीपत्र के रक्षक का एक काम यह भी है कि वह प्रत्येक जीवात्मा के विभिन्न जन्मों का विवरण रखे जिसे आवश्यकता पड़ने पर दिव्यगुरूओं और कार्मिक बोर्ड के सामने रखा जा सके।
१९६२ में ईस्टर के दिन सूचीपत्र के प्रहरी ने सर्वप्रथम इस बात का वर्णन किया था
... मेरे पास प्रत्येक जीवनधारा के लिए दो दस्तावेज़ हैं। पवित्र अग्नि से परिष्कृत एक दस्तावेज़ व्यक्ति के संपूर्ण जीवन स्वरुप को दर्शाता है। यह अटल औरअपरिवर्तनीय है, कभी नहीं बदलता इसलिए इसे स्थायी दस्तावेज़ कहते हैं। यह आपके लिए जीवन का नियम है। दूसरा दस्तावेज़ थोड़ा छोटा होता है और इसे स्थायी दस्तावेज़ के ऊपर रखा जाता है। यह काफी पतला और कुछ हद तक प्लास्टिक जैसा होता है। इस पर आपका संपूर्ण ऐच्छिक रिकॉर्ड दर्ज़ है - तब से जब सबसे पहली बार आप इस पृथ्वी पर अपनी व्यक्तिगत चेतना में आए थे। आपके अस्तित्व का हर निशान, आपके मस्तिष्क में उठने वाला हर विचार इसमें दर्ज़ है।
मैं इन सूचीपत्रों को तब ही देखता हूँ जब मुझे कार्मिक बोर्ड के सदस्य कहते हैं। ऐसा तब होता है जब किसी जीवनधारा के कर्मों का बोझ को कम करने के लिए उसका मूल्याङ्कन करना होता है। मूल्याङ्कन के तुरंत बाद मैं वायलेट लौ का प्रयोग कर अपनी चेतना से उस जीवनधारा के विषय प्राप्त हुई हर जानकारी बात को मिटा देता हूँ।[2]
जब एक जीवात्मा शारीरिक मृत्यु के बाद पृथ्वी पर किये गए अपने कर्मों का हिसाब-किताब देने के लिए कार्मिक बोर्ड के सामने आती है तो सूचीपत्र के प्रहरी या उसके प्रतिनिधियों में से एक कर्म के स्वामी को उस जीवन की पुस्तक के अभिलखे पढ़ता है। सूचीपत्र का रक्षक उन जीवनधाराओं के अभिलेख भी पढ़ते हैं जो सीरियस पर पवित्र अग्नि के न्यायालय में अंतिम निर्णय के लिए आए हैं। इस समय केवल उन्हें ही सर्वशक्तिमान ईश्वर के सामने खड़े होने की अनुमति मिलती है।
जब पृथ्वी पर जन्म-मृत्यु का चक्र समाप्त होता है और आत्मा की मोक्ष प्राप्ति करने का समय आता है, तो सूचीपत्र के प्रहरी या उनके सहायकों में से एक उसकी उपलब्धि के सम्मान में उस जीवनधारा के सारे अभिलेख पढ़ता है। सूचीपत्र का रक्षक उस जीवात्मा के ईश्वरीय स्वरुप के साथ मिलकर ये सभी अभिलेख - जिन्होंने आत्मा को पृथ्वी से बांध रखा है - अग्नि के सुपुर्द कर देता है। इसके बाद वे कहते हैं, “ईश्वर के शाश्वत अभिलेखों में केवल शाश्वत पूर्णता का अभिलेख ही रहेगा।"[3]
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स्रोत
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Masters and Their Retreats, s.v. “सूचीपत्र का प्रहरी”