महान सन्नाटे से आये एक ब्रह्मांडीय प्राणी
29 अक्टूबर, 1987 को, महान सन्नाटे से आये एक ब्रह्मांडीय प्राणी अमेरिका के शिकागो शहर में दिव्य गुरुओं के छात्रों से बात की:
मैं एक ब्रह्मांडीय प्राणी हूँ, इसलिए ब्रह्मांड में प्राण डालता हूँ। मैं ईश्वर के हृदय में हूँ और मैं इस शहर के लोगों और आपके दिलों को मज़बूती देने के लिए क्रिस्टल (crystal) प्रकाश से बने एक प्याले में आपको ईश्वर से जोड़ने आया हूँ...
प्राचीन प्रकाश के केंद्र की पवित्र ज्वाला में, मैं इस नगर में अवतरित होकर उन लोगों को बुलाता हूँ जो इस क्षेत्र में कभी विद्यमान रहे पूर्व स्वर्ण युग से पुनर्जन्म लेकर आए हैं। हे धन्यजनों, तुम प्रकाश को जानते हो, और बहुत पहले ही यहाँ तुम्हें आने वाले अंधकार की भविष्यवाणी दी गई थी।
आपने इस क्षेत्र में वापस आकर राष्ट्र के हृदय को प्रतिष्ठित करने का स्वेच्छापूर्वक संकल्प लिया।[1]आपने कहा, “हे दिव्य प्राणी आप धन्य हो, हम आगे बढ़ेंगे और आने वाले युग में इस लौ को प्रज्वलित रखना याद रखेंगे।”... तो जान लो कि तुम्हारा पृथ्वी पर अवतरण एक ही लक्ष्य की ओर है। इसका उद्देश्य, दोधारी तलवार के समान है: आध्यात्मिक ब्रह्मांड के प्रकाश की ऊर्जा का उत्सव मनाना और उस पर आक्रमण करने वाले सभी अंधकार का नाश करना।[2]
स्रोत
महान सन्नाटे से आये एक ब्रह्मांडीय प्राणी।
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