Keepers of the Flame Fraternity/hi: Difference between revisions

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पृथ्वी पर किसी भी संगठन का अस्तित्व उसके अनुयायियों की निष्ठां और समर्थन पर निर्भर है। देखा जाए तो हमारा संगठन भी कुछ इसी प्रकार का है पर मानवीय परियोजनाओं की अपेक्षा हमारी परियोजनाओं में एक बड़ा अन्तर यह है कि दिव्य प्रेम से कार्यान्वित की गयी हमारी परियोजनाएं सदैव अभिलषित प्रतिफल लाती हैं। अच्छे परिणाम लाने के लिए प्रगाढ़ निष्ठा और प्रेम की आवश्यकता है।
पृथ्वी पर किसी भी संगठन का अस्तित्व उसके अनुयायियों की निष्ठां और समर्थन पर निर्भर है। देखा जाए तो हमारा संगठन भी कुछ इसी प्रकार का है पर मानवीय परियोजनाओं की अपेक्षा हमारी परियोजनाओं में एक बड़ा अन्तर यह है कि दिव्य प्रेम से कार्यान्वित की गयी हमारी परियोजनाएं सदैव अभिलषित प्रतिफल लाती हैं। अच्छे परिणाम लाने के लिए प्रगाढ़ निष्ठा और प्रेम की आवश्यकता है।


आप सब मेरे दिल में रहते है और मैं आप सब पर पूरा विश्वास करता हूं। हम पृथ्वी पर सभी के लिए स्वतंत्र और ईश्वर-तुल्य जीवन चाहते हैं। आप में से कई लोगों को पता है कि हम काफी समय से पृथ्वी पर एक ऐसी गुप्त संस्था बनाना चाहते हैं जो हमारे सिद्धांतों को ईमानदारी से आगे बढ़ाये, जो व्यावसायीकरण से मुक्त हो पर फिर भी जिसके पास पर्याप्त धन हो ताकि वह निश्चिन्त हो कर सम्पूर्ण विश्व में कार्य कर सकें। इस संगठन को हम मानवीय राय, नेताओं के बीच असामंजस्य और मनुष्यों के तानाशाही रवैये से मुक्त रखने की भी इच्छा रखते हैं - यह एक कठिन कार्य है पर हम इसके लिए प्रयासरत हैं। हम यह चाहते हैं कि यह संस्था दिव्यगुरूओं के शुद्ध ज्ञान को प्रचारित और प्रसारित करने का कार्य पूरी ईमानदारी से करे। पूर्व मैं ऐसा कई बार हुआ है की संस्था के सदस्यों ने अपने स्वार्थ से प्रेरित होकर काम किया है। मैंने पूर्व में कहा है:"मैं धर्म के प्रति समर्पित दस-हजार स्क्रब-महिलाओं की सहायता से आप सबको दिखाऊंगा कि ईश्वरीय सत्य से दुनिया को कैसे बदला जा सकता है!"<ref>२६ फरवरी १९७८ को सन्देश वाहक एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट ने संत जर्मेन के इस वक्तव्य के बारे में कहा था: उन्होंने ऐसा इसलिए कहा था क्योंकि यूरोप के वंडरमैन के रूप में उन्होंने दिव्यगुरूओं की शिक्षा को प्रचारित करने के लिए ऐसे कई समूहों को प्रायोजित किया था पर बाद में इनमें कुछ ऐसे शक्तिशाली और अमीर लोग प्रवेश कर गए जो इन समूहों को नियंत्रित करने की कोशिश करने लगे, और शिक्षा का प्रारूप निर्देशित करने लग गए। इन लोगों ने दिव्यगुरूओं की वास्तविक शिक्षाओं को गुप्त रखने का प्रयास किया। इसलिए संत जर्मेन कहते हैं, ‘मैं लोगों के लिए खड़ा हूं।' यह शिक्षा लोगों के लिए है, स्वार्थी जुगाड़ू लोगों के लिए नहीं। —एड.</ref>
आप सब मेरे दिल में रहते है और मैं आप सब पर पूरा विश्वास करता हूं। हम पृथ्वी पर सभी के लिए स्वतंत्र और ईश्वर-तुल्य जीवन चाहते हैं। आप में से कई लोगों को पता है कि हम काफी समय से पृथ्वी पर एक ऐसी गुप्त संस्था बनाना चाहते हैं जो हमारे सिद्धांतों को ईमानदारी से आगे बढ़ाये, जो व्यावसायीकरण से मुक्त हो पर फिर भी जिसके पास पर्याप्त धन हो ताकि वह निश्चिन्त हो कर सम्पूर्ण विश्व में कार्य कर सकें। इस संगठन को हम मानवीय राय, नेताओं के बीच असामंजस्य और मनुष्यों के तानाशाही रवैये से मुक्त रखने की भी इच्छा रखते हैं - यह एक कठिन कार्य है पर हम इसके लिए प्रयासरत हैं। हम यह चाहते हैं कि यह संस्था दिव्यगुरूओं के शुद्ध ज्ञान को प्रचारित और प्रसारित करने का कार्य पूरी ईमानदारी से करे। पूर्व मैं ऐसा कई बार हुआ है की संस्था के सदस्यों ने अपने स्वार्थ से प्रेरित होकर काम किया है। मैंने पूर्व में कहा है:"मैं धर्म के प्रति समर्पित दस-हजार सामान्य महिलाओं की सहायता से आप सबको दिखाऊंगा कि ईश्वरीय सत्य से दुनिया को कैसे बदला जा सकता है!"<ref>२६ फरवरी १९७८ को सन्देश वाहक एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट ने संत जर्मेन के इस वक्तव्य के बारे में कहा था: उन्होंने ऐसा इसलिए कहा था क्योंकि यूरोप के वंडरमैन के रूप में उन्होंने दिव्यगुरूओं की शिक्षा को प्रचारित करने के लिए ऐसे कई समूहों को प्रायोजित किया था पर बाद में इनमें कुछ ऐसे शक्तिशाली और अमीर लोग प्रवेश कर गए जो इन समूहों को नियंत्रित करने की कोशिश करने लगे, और शिक्षा का प्रारूप निर्देशित करने लग गए। इन लोगों ने दिव्यगुरूओं की वास्तविक शिक्षाओं को गुप्त रखने का प्रयास किया। इसलिए संत जर्मेन कहते हैं, ‘मैं लोगों के लिए खड़ा हूं।' यह शिक्षा लोगों के लिए है, स्वार्थी जुगाड़ू लोगों के लिए नहीं। —एड.</ref>


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''ईश्वर'' के नियमानुसार हम आपको अपना प्यार, शक्ति और प्रकाश दे सकते हैं; लेकिन धन का प्रबंध आपको स्वयं करना होगा। हम आपके लिए धन नहीं जुटा सकते। समझदार और निष्ठावान शिष्य इस बात को समझते हैं कि "पाने की अपेक्षा देना अधिक पवित्र काम है।"
You see, by ''God's'' Law We can give you our Love, our Power and Illumination; but We cannot precipitate funds to use in spreading Our words the world around. This must come from your octave by Divine Law and those chelas who are both perceptive and faithful will learn the real meaning behind the statement, “It is more blessed to give than to receive.”
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ईश्वरीय लौ के प्रहरी समुदाय का उद्देश्य बहुआयामी, रचनात्मक काम करना है; वफादार अनुयायियों को एक साथ जोड़कर समिट लाइटहाउस की गतिविधियों को मानव जाति की कल्पनाओं से मुक्त करना है; उन निष्ठवान शिष्यों को एकजुट रखना है जो आवश्जयक धन जुटा सकते हैं; जो साम्यवाद, लालच, स्वार्थ और बुराई से परे रहें क्योंकि ये चीज़ें स्वतंत्रता के उद्देश्यों को कमजोर करती हैं और लोगों का ध्यान ईश्वर से हटा मानवीय समस्याओं की ओर केंद्रित करती हैं जिससे इंसान ईश्वर-विमुख हो जाता है।
The Keepers of the Flame is intended for multipurpose, constructive action, among these to cut the blessed Summit Lighthouse activity free from dependence on the whims of mankind by banding together those faithful adherents who will keep a steady, dependable flow of the needed finances available to our staff in utter defiance of communism, greed, selfishness, and the hordes of evil. These relentlessly seek to undermine the causes of Freedom and make men forget God at least in deed if not in Word as well, mainly through misplacing attention on human problems instead of directing it to their own Great God Source.
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जरूरत है की एक संतुलित कार्रवाई की जाए। हालांकि यह सत्य है कि बाह्य आवश्यकतायें पूरी हों, हमें अपने आतंरिक विकास के लिए भी कार्य करना है - आध्यात्मिक उन्नति के लिए अंतर्मन का स्वस्थ और बलिष्ठ रहना अत्यावश्यक है। इसलिए ये ज़रूरी है की ईश्वरीय लौ के प्रहरी समुदाय के सदस्य नियमित रूप से डिक्रीस करें। हमने बहुत सारे कार्यों के प्रायोजन के प्रावधान रखा है और उचित समय पर आपको इसके बारे में बताया जाएगा। हम आपके जीवन में अपने हृदय से प्रेम के पवित्र प्रकाश का प्रवाहन करेंगे, और जो लोग दिव्यगुरूओं के ज्ञान द्वारा अपना आध्यात्मिक विकास और मानवजाति की सहायता करने को तत्पर हैं, उन्हें आशीर्वाद भी देंगे।
Balanced action is the Law’s requirement, and while in a most practical sense outer supply is essential, inner fortification is equally vital in expanding our Light; hence, the Keepers will give daily attention to decrees and visualizations to assist in expanding Freedom among men. Many thrilling projects are in preparation; these We will reveal in due time. We shall likewise flood your worlds with the Sacred Flame of Love from our hearts, giving you the additional blessing of graded ascended master instruction to help all who are willing to TRY to make progress, looking beyond past mistakes to the glory of God that will uplift all men into the fullness of light’s Perfection.
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जैसे ही आप स्वयं को लौ के रक्षक के रूप में "चिह्नित" करते हैं, आपके दिल की धड़कन ईश्वर और हमारे दिल की धड़कन से मिल जाती है। जो लोग अपनी ख़ुशी से ईश्वर के कार्यों में सलंग्न रहते हैं, उन्हें हम अपने समूह का सदस्य मानते हैं।
As you “mark time” as a Keeper of the Flame, you will find yourself the recipient of a “measured beat” from God’s heart and ours, for we number among our band “out there” those who serve with “joy to the world,” the causes of Freedom for all the earth!
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<div style="margin-left:60%">श्रद्धापूर्वक, मैं कार्यरूप में आपकी स्वतंत्रता हूँ</div>
<div style="margin-left:60%">Faithfully, I AM your Freedom in action,</div>
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<div style="margin-left:60%">संत जर्मेन<br/>नाइट कमांडर <br/>ईश्वरीय लौ के प्रहरी</div>
<div style="margin-left:60%">SAINT GERMAIN<br/>Knight Commander<br/>The Keepers of the Flame</div>
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<span id="See_also"></span>
== See also ==
== इसे भी देखिये ==
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[[Special:MyLanguage/The Summit Lighthouse|समिट लाइटहाउस]]
[[The Summit Lighthouse]]
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[[Special:MyLanguage/Saint Germain|संत जर्मेन]]
[[Saint Germain]]
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<span id="Sources"></span>
== Sources ==
== स्रोत ==
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Latest revision as of 07:53, 6 June 2024

Other languages:
Saint Germain dressed in armour, wearing a sword
संत जर्मेन, नाइट कमांडर

१९६१ में संत जर्मेन ने दिव्यगुरूओं और उनके उन शिष्यों का एक संगठन बनाया जिन्होनें पृथ्वीवासियों की सहायता करने का प्रण किया था। इसी संगठन को 'ईश्वरीय लौ का प्रहरी समुदाय का नाम दिया गया। यह संगठन पृथ्वी पर श्वेत महासंघ की गतिविधियों - नए शिष्य तैयार करने, रहस्यवादी विद्यालयों की स्थापना तथा दिव्यगुरूओं की शिक्षाओं का प्रचार करने - का समर्थन करता है। दिव्यगुरूओं ने मार्क प्रोफेट और एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट को ब्रह्मांडीय कानून से सम्बंधित जो पाठ अपनी दिव्यवाणी में सुनाये थे उन्हें क्रमिक रूप से लौ के प्रहरियों को दिया जाता है।

उद्देश्य

एल मोर्या हमें इस संगठन के उद्देश्य के बारे में बताते हैं:

जनवरी १९६१ में मैंने द समिट लाइटहाउस के अंतर्गत भक्तों के एक समूह द्वारा स्थापित 'ईश्वरीय लौ के प्रहरी समुदाय' को मान्यतता दी। ये वो भक्त थे जो जीवन ज्योति और नाइट कमांडर संत जर्मेन के प्रति कर्तव्यनिष्ठ थे। मैंने उन सभी को आमंत्रित किया था जिन्होनें कुंभ युग के इस पदक्रम प्रमुख को अपना समर्थन दे यह प्रतिज्ञा की थी कि वे भगवान के बेटे और बेटियों को ईश्वर की पवित्र आत्मा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। ऐसा करके वे स्वयं को आत्मिक चेतना के उत्तराधिकारी के रूप में सिद्ध कर सकते हैं।

जिन लोगों ने पदक्रम द्वारा दी गई शिक्षा के प्रचार के लिए दिव्यगुरूओं और हमारे दूतों मार्क और एलिजाबेथ प्रोफेट के कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करने के लिए अपना समर्थन दिया उन्हें मैंने और नाइट कमांडर ने श्वेत महासंघ के बाहरी समुदाय में शामिल होने का आमंत्रण दिया था।

जिन लोगों हमारे आमंत्रण को स्वीकार किया वे वो लोग हैं तहेदिल से ये मानते हैं की प्रतिदिन नियम से अपने ईश्वरीय स्वरुप का आह्वान कर डिक्रीस करने ही अपने अंदर के ईश्वर को पहचाना जा सकता है। ये लोग आत्मा को परिष्कृत करने के लिए संत जर्मेन के साथ काम करने लिए तत्पर हैं क्योंकि ये जानते हैं कि सतयुग की स्थापना के लिए यह अत्यावश्यक है।

जो लोग अपनी प्रतिज्ञा पर कायम हैं, वे हमारे संगठन, द समिट लाइटहाउस, को नियमित रूप से वित्तीय सहायता भी देते हैं। वर्षों से इन लोगों ने अपनी निष्ठां और स्वामिभक्ति, और आवश्यकतानुसार पृथ्वी पर श्वेत महासंघ के छोटे और बड़े कार्यों को पूरा करने के लिए त्याग भी दिया है। ये सब वही कार्य हैं जिनके लिए इन जीवात्माओं ने स्वर्ग में स्वयं को समर्पित किया था।

रसायन शास्त्र के कानून के अनुसार, जब आप ईश्वरीय लौ का प्रहरी समुदाय के माध्यम से हमारे उद्देश्य के लिए नियमित डिक्रीस द्वारा मन, वचन और कर्म से अपना समर्थन देते हैं, तो ब्रह्मांडीय कानून के नियमानुसार हम आपके आध्यात्मिक उत्थान के लिए प्रतिबद्ध हो जाते हैं। जिन लोगों ने पदक्रम द्वारा लिखे गए उपदेशों को ने सिर्फ प्रतिमाह प्राप्त किया है वरन अपने जीवन में लागू भी किया है, वे दीक्षा के मार्ग पर चलते हुए ईश्वरीय स्वरुप को प्राप्त करते हैं।

ईश्वरीय लौ के प्रहरी समुदाय की जवाबदेही आध्यात्मिक बोर्ड के प्रति है। इस बोर्ड के प्रमुख महा चौहान और नाइट कमांडर संत जर्मेन हैं। सातों चोहान निर्देशक मंडल के सदस्य हैं, जो ईश्वर के कानून के पालन के विभिन्न पहलु लिखित निर्देशों और व्यक्तिगत प्रशिक्षण - जो श्वेत महासंघ के आकाशीय आश्रय स्थलों में दिया जाता है - के माध्यम से करते हैं। पृथ्वी पर जन्म लेनेवाली जीवात्माओं के माता-पिता के मार्गदर्शन के लिए एक विशेष समिति बनायी गयी है जिसका नेतृत्व विश्व शिक्षक, ईसा मसीह और कुथुमी मदर मेरी के साथ मिलकर करते हैं।

वे सभी लोग जो ईश्वरीय लौ के प्रहरियों का सम्मान करते हैं, और ईश्वर के बताये रास्ते पर चलते हैं वे आंतरिक और बाहरी दोनों रूप से अनुशासित हो जाते हैं। यह अनुशासन उन्हें उस खुशी और कृतज्ञता के जीवित स्रोत से आता है जो स्वर्ग के दूत पृथ्वी के उन सभी लोगों के लिए धारण करते हैं जो मानवता के उद्धार (आत्म-उत्थान) के लिए सामान्य से अधिक समर्थन देने को तैयार हैं...

जो लोग ईश्वरीय लौ के प्रहरी समुदाय के माध्यम से श्वेत महासंघ के अभियान में भाग लेते हैं, उन्हें अगणित आशीर्वादों से पुरस्कृत किया जाता है। यद्यपि कई बार उन्हें इस बात का एहसास नहीं होता, इन सभी लोगों को दिव्यगुरूओं के आकाशीय आश्रय स्थल में शिक्षा प्राप्त करने तथा त्रैमासिक सम्मेलनों में भाग लेने का सौभाग्य मिलता है। साथ ही उन्हें वायलेट लौ के प्रयोग से अपने कर्मों को संतुलित करने का अवसर भी मिलता है। उनका यह प्रयास ईश्वरीय लौ के प्रहरी समुदाय के प्रायोजकों (आध्यात्मिक बोर्ड के सदस्यों) द्वारा कई गुना गुणा किया जाता है - परन्तु यह उन्ही शिष्यों के साथ होता है जो दिव्यगुरूओं के साथ घनिष्ठ संबंध बनाते हैं।< Ref>El Morya, The Chela and the Path: Keys to Soul Mastery in the Aquarian Age, १४ वां अध्याय </ref>

स्थापना करना

ईश्वरीय लौ के प्रहरी समुदाय की स्थापना की घोषणा एल मोर्या ने एक पत्र द्वारा ३१ जनवरी १९६१ को की थी:

मैं जल्द ही एक व्यापक डायमंड हार्ट के निर्माण की दिशा में पहला कदम उठाऊंगा। बाद में यह डायमंड हार्ट परिष्कृत किया जाएगा ताकि उन लोगों को चुना जा सके जो अपनी चिर-स्थायी भक्ति से इस डायमंड हार्ट के केंद्र का निर्माण करेंगे।

इसलिए मैं समिट लाइटहाउस के अंतर्गत एक विशेष समूह के गठन को मान्यता दे रहा हूं, जिसमें वास्तविक रूप से प्रतिष्ठित सदस्य होंगे। इस समूह को "लौ का प्रहरी" कहा जाना चाहिए क्योंकि इसके सदस्यों को सदा अपने दिल और दिमाग में उन बातों को रखना है जिन्हें परमपिता परमेश्वर और उनके स्वयं के पराक्रमी ईश्वरीय स्वरुप ने उन्हें बताया है; वे बातें जो पृथ्वी पर ईश्वर के साम्राज्य को स्थापित करने के लिए आवश्यक हैं।

इस ध्येय की पूर्ती के लिए को इस समूह के सदस्यों को कुछ “लिखित पाठ” देने चाहिए। जो भी व्यक्ति - चाहे वे समाज के किसी भी वर्ग से आते हों - यह शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें इन लिखित पाठों के लिए अपना नामांकन भरना चाहिए। बुद्धिमान के लिए इशारा ही काफी होता है।


७ मार्च १९६१ को संत जर्मेन ने इस ईश्वरीय लौ के प्रहरी समुदाय के संबंध में एक पत्र लिखा:


ऐ लेटर फ्रॉम द असेंडेड मास्टर संत जर्मेन कंसर्निंग (A LETTER FROM THE ASCENDED MASTER SAINT GERMAIN CONCERNING):
द कीपर्स ऑफ़ थे फ्लेम (THE KEEPERS OF THE फ्लेम)


ट्रान्सिलवेनिया
७ मार्च १९६१

मेरे प्रिय स्वाधीनता-प्रेमी मित्रो:

स्थिरता, सद्भाव और निष्ठा - ये तीन चीज़ें इस समय की आवश्यकताएं हैं। सदियों से मनुष्यों ने स्वर्ग की विपुलता का अनुभव किया है, और उतने ही समय से स्वर्ग के संसाधनों के उचित उपयोग के बारे में विचार-विमर्श और विवाद भी किया है। मनुष्यों के कारण ही पृथ्वी पर सतयुग का आने में विलम्ब हुआ है, इसमें ईश्वर की कोई गलती नहीं। आज ब्रह्मांडीय चक्र उस बिंदु पर है, जहाँ से इसका वापिस मुड़ना असंभव है। अब मानवजाति के लिए यह अत्यावश्यक है मनुष्यों में एकता बनी रहे और वे ईश्वरीय गुणों को अपने व्यक्तित्व में शीघ्रातिशीघ्र उतारें।

परीक्षा और निर्णय की इस घड़ी में, मैं आपसे यह कहूंगा कि दिव्यगुरूओं द्वारा प्रायोजित गतिविधियों की प्रगति को बाधित करने से बड़ा कोई खतरा नहीं। परन्तु जब तक कि ईश्वर में विश्वास रखने वाले सद्पुरुष और स्त्रियां पृथ्वी पर मौजूद हैं, जो साथ मिलकर प्रेम से ईश्वर की इच्छा के अनुरूप कार्य करने को तत्पर हैं तब तक सतयुग के आने को कोई रोक नहीं सकता।

हाल ही में दार्जिलिंग काउंसिल के मेरे मित्र (जो आपके भी मित्र हैं), दिव्यगुरु एल मोर्या ने एक आध्यात्मिक समुदाय के गठन की घोषणा की थी जिसके सभी सदस्य कंधे से कन्धा मिलाकर हमारे निर्देशन अनुसार कार्य करने को तैयार हैं। ईश्वर में आस्था रखने वाले ये लोग, अगर चाहेंगे, तो एल मोर्या के डायमंड हार्ट का एक हिस्सा बनेंगे। मैं उन सभी धन्य लोगों (जिन्होंने लौ के प्रहरी बनने का निर्णय लिया है) के दिलों से निकलने वाले प्रकाश को अनुभव कर पा रहा हूँ।

मेरे प्रियजनों, लाखों लोगों के पास आध्यात्मिक और शारीरिक संपत्ति है परन्तु केवल कुछ ने ही अपनी यह संपत्ति संभाल के रखी है। अगर हम पूर्ण विश्वास के साथ अविचल रूप से ईश्वर के प्रति प्रेम और समर्पण कर पाएं तो बहुत अच्छा होगा। परन्तु इस मार्ग में उतार-चढ़ाव निहित है - अधोगामी रास्ता भी अच्छी नीयत से प्रशस्त हो सकता है। आपके जीवन को उत्तम बनाने के लिए हम हमेशा आपके साथ हैं और समय समय पर आपको ज्ञान और विवेक देते रहेंगे बशर्ते की आप इसे ईमानदारी से ग्रहण करें। ऐसा करने से ही मानवजाति और उसके साथ साथ पृथ्वी ग्रह की उन्नति संभव है।

पृथ्वी पर किसी भी संगठन का अस्तित्व उसके अनुयायियों की निष्ठां और समर्थन पर निर्भर है। देखा जाए तो हमारा संगठन भी कुछ इसी प्रकार का है पर मानवीय परियोजनाओं की अपेक्षा हमारी परियोजनाओं में एक बड़ा अन्तर यह है कि दिव्य प्रेम से कार्यान्वित की गयी हमारी परियोजनाएं सदैव अभिलषित प्रतिफल लाती हैं। अच्छे परिणाम लाने के लिए प्रगाढ़ निष्ठा और प्रेम की आवश्यकता है।

आप सब मेरे दिल में रहते है और मैं आप सब पर पूरा विश्वास करता हूं। हम पृथ्वी पर सभी के लिए स्वतंत्र और ईश्वर-तुल्य जीवन चाहते हैं। आप में से कई लोगों को पता है कि हम काफी समय से पृथ्वी पर एक ऐसी गुप्त संस्था बनाना चाहते हैं जो हमारे सिद्धांतों को ईमानदारी से आगे बढ़ाये, जो व्यावसायीकरण से मुक्त हो पर फिर भी जिसके पास पर्याप्त धन हो ताकि वह निश्चिन्त हो कर सम्पूर्ण विश्व में कार्य कर सकें। इस संगठन को हम मानवीय राय, नेताओं के बीच असामंजस्य और मनुष्यों के तानाशाही रवैये से मुक्त रखने की भी इच्छा रखते हैं - यह एक कठिन कार्य है पर हम इसके लिए प्रयासरत हैं। हम यह चाहते हैं कि यह संस्था दिव्यगुरूओं के शुद्ध ज्ञान को प्रचारित और प्रसारित करने का कार्य पूरी ईमानदारी से करे। पूर्व मैं ऐसा कई बार हुआ है की संस्था के सदस्यों ने अपने स्वार्थ से प्रेरित होकर काम किया है। मैंने पूर्व में कहा है:"मैं धर्म के प्रति समर्पित दस-हजार सामान्य महिलाओं की सहायता से आप सबको दिखाऊंगा कि ईश्वरीय सत्य से दुनिया को कैसे बदला जा सकता है!"[1]

ईश्वर के नियमानुसार हम आपको अपना प्यार, शक्ति और प्रकाश दे सकते हैं; लेकिन धन का प्रबंध आपको स्वयं करना होगा। हम आपके लिए धन नहीं जुटा सकते। समझदार और निष्ठावान शिष्य इस बात को समझते हैं कि "पाने की अपेक्षा देना अधिक पवित्र काम है।"

ईश्वरीय लौ के प्रहरी समुदाय का उद्देश्य बहुआयामी, रचनात्मक काम करना है; वफादार अनुयायियों को एक साथ जोड़कर समिट लाइटहाउस की गतिविधियों को मानव जाति की कल्पनाओं से मुक्त करना है; उन निष्ठवान शिष्यों को एकजुट रखना है जो आवश्जयक धन जुटा सकते हैं; जो साम्यवाद, लालच, स्वार्थ और बुराई से परे रहें क्योंकि ये चीज़ें स्वतंत्रता के उद्देश्यों को कमजोर करती हैं और लोगों का ध्यान ईश्वर से हटा मानवीय समस्याओं की ओर केंद्रित करती हैं जिससे इंसान ईश्वर-विमुख हो जाता है।

जरूरत है की एक संतुलित कार्रवाई की जाए। हालांकि यह सत्य है कि बाह्य आवश्यकतायें पूरी हों, हमें अपने आतंरिक विकास के लिए भी कार्य करना है - आध्यात्मिक उन्नति के लिए अंतर्मन का स्वस्थ और बलिष्ठ रहना अत्यावश्यक है। इसलिए ये ज़रूरी है की ईश्वरीय लौ के प्रहरी समुदाय के सदस्य नियमित रूप से डिक्रीस करें। हमने बहुत सारे कार्यों के प्रायोजन के प्रावधान रखा है और उचित समय पर आपको इसके बारे में बताया जाएगा। हम आपके जीवन में अपने हृदय से प्रेम के पवित्र प्रकाश का प्रवाहन करेंगे, और जो लोग दिव्यगुरूओं के ज्ञान द्वारा अपना आध्यात्मिक विकास और मानवजाति की सहायता करने को तत्पर हैं, उन्हें आशीर्वाद भी देंगे।

जैसे ही आप स्वयं को लौ के रक्षक के रूप में "चिह्नित" करते हैं, आपके दिल की धड़कन ईश्वर और हमारे दिल की धड़कन से मिल जाती है। जो लोग अपनी ख़ुशी से ईश्वर के कार्यों में सलंग्न रहते हैं, उन्हें हम अपने समूह का सदस्य मानते हैं।


श्रद्धापूर्वक, मैं कार्यरूप में आपकी स्वतंत्रता हूँ
संत जर्मेन
नाइट कमांडर
ईश्वरीय लौ के प्रहरी

इसे भी देखिये

समिट लाइटहाउस

संत जर्मेन

स्रोत

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation

  1. २६ फरवरी १९७८ को सन्देश वाहक एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट ने संत जर्मेन के इस वक्तव्य के बारे में कहा था: उन्होंने ऐसा इसलिए कहा था क्योंकि यूरोप के वंडरमैन के रूप में उन्होंने दिव्यगुरूओं की शिक्षा को प्रचारित करने के लिए ऐसे कई समूहों को प्रायोजित किया था पर बाद में इनमें कुछ ऐसे शक्तिशाली और अमीर लोग प्रवेश कर गए जो इन समूहों को नियंत्रित करने की कोशिश करने लगे, और शिक्षा का प्रारूप निर्देशित करने लग गए। इन लोगों ने दिव्यगुरूओं की वास्तविक शिक्षाओं को गुप्त रखने का प्रयास किया। इसलिए संत जर्मेन कहते हैं, ‘मैं लोगों के लिए खड़ा हूं।' यह शिक्षा लोगों के लिए है, स्वार्थी जुगाड़ू लोगों के लिए नहीं। —एड.