Keepers of the Flame Fraternity/hi: Difference between revisions

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मेरा विश्वास है कि पृथ्वी पर किसी भी संगठन का अस्तित्व उसके अनुयायियों की निष्ठां और समर्थन पर निर्भर है। देखा जाए तो हमारा संगठन भी कुछ इसी प्रकार का है पर मानवीय परियोजनाओं की अपेक्षा हमारी परियोजनाओं में एक बड़ा अन्तर यह है कि दिव्य प्रेम से कार्यान्वित की गयी हमारी परियोजनाएं सदैव अभिलषित प्रतिफल लाती हैं। प्रिय शिष्यों, अच्छे परिणाम लाने के लिए प्रगाढ़ निष्ठा और प्रेम आवश्यक है।
मेरा विश्वास है कि पृथ्वी पर किसी भी संगठन का अस्तित्व उसके अनुयायियों की निष्ठां और समर्थन पर निर्भर है। देखा जाए तो हमारा संगठन भी कुछ इसी प्रकार का है पर मानवीय परियोजनाओं की अपेक्षा हमारी परियोजनाओं में एक बड़ा अन्तर यह है कि दिव्य प्रेम से कार्यान्वित की गयी हमारी परियोजनाएं सदैव अभिलषित प्रतिफल लाती हैं। प्रिय शिष्यों, अच्छे परिणाम लाने के लिए प्रगाढ़ निष्ठा और प्रेम आवश्यक है।


आप सब मेरे दिल में रहते है और मैं आप सब पर पूरा विश्वास करता हूं। हम पृथ्वी पर सभी के लिए स्वतंत्र और ईश्वर-तुल्य जीवन चाहते हैं। आप में से कई लोगों को पता है कि हम काफी समय से पृथ्वी पर एक ऐसी गुप्त संस्था बनाना चाहते हैं जो हमारे सिद्धांतों को ईमानदारी से आगे बढ़ाये, जो व्यावसायीकरण से मुक्त हो पर फिर भी जिसके पास पर्याप्त धन हो ताकि वह निश्चिन्त हो कर सम्पूर्ण विश्व में कार्य कर सकें। इस संगठन को हम मानवीय राय, नेताओं के बीच असामंजस्य और मनुष्यों के तानाशाही रवैये से मुक्त रखने की भी इच्छा रखते हैं - यह एक कठिन कार्य है पर हम इसके लिए प्रयासरत हैं। हम यह चाहते हैं कि यह संस्था दिव्यगुरूओं के शुद्ध ज्ञान को प्रचारित और प्रसारित करने का कार्य पूरी ईमानदारी से करे। पूर्व मैं ऐसा कई बार हुआ है की संस्था के सदस्यों ने अपने स्वार्थ से प्रेरित होकर काम किया है। मैंने पूर्व में कहा है:"मैं धर्म के प्रति समर्पित दस-हजार सामान्य महिलाओं की सहायता से आप सबको दिखाऊंगा कि ईश्वरीय सत्य से दुनिया को कैसे बदला जा सकता है!"<ref>२६ फरवरी १९७८ को सन्देश वाहक एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट ने संत जर्मेन के इस वक्तव्य के बारे में कहा था: उन्होंने ऐसा इसलिए कहा था क्योंकि यूरोप के वंडरमैन के रूप में उन्होंने दिव्यगुरूओं की शिक्षा को प्रचारित करने के लिए ऐसे कई समूहों को प्रायोजित किया था पर बाद में इनमें कुछ ऐसे शक्तिशाली और अमीर लोग प्रवेश कर गए जो इन समूहों को नियंत्रित करने की कोशिश करने लगे, और शिक्षा का प्रारूप निर्देशित करने लग गए। इन लोगों ने दिव्यगुरूओं की वास्तविक शिक्षाओं को गुप्त रखने का प्रयास किया। इसलिए संत जर्मेन कहते हैं, ‘मैं लोगों के लिए खड़ा हूं।' यह शिक्षा लोगों के लिए है, स्वार्थी जुगाड़ू लोगों के लिए नहीं। —एड.</ref>
अब मेरे करीब आओ, धन्य लोगों, क्योंकि मैं तुम्हें अपने हृदय में ले जाता हूँ और तुम पर पूरी तरह से रचनात्मक तरीके से भरोसा करता हूँ, हम पृथ्वी पर सभी के लिए स्वतंत्र और ईश्वर-तुल्य जीवन चाहते हैं। आप में से कई लोगों को पता है कि हम काफी समय से पृथ्वी पर एक ऐसी गुप्त संस्था बनाना चाहते हैं जो हमारे सिद्धांतों को ईमानदारी से आगे बढ़ाये, जो व्यावसायीकरण से मुक्त हो पर फिर भी जिसके पास पर्याप्त धन हो ताकि वह निश्चिन्त हो कर सम्पूर्ण विश्व में कार्य कर सकें। इस संगठन को हम मानवीय राय, नेताओं के बीच असामंजस्य और मनुष्यों के तानाशाही रवैये से मुक्त रखने की भी इच्छा रखते हैं - यह एक कठिन कार्य है पर हम इसके लिए प्रयासरत हैं। हम यह चाहते हैं कि यह संस्था दिव्यगुरूओं के शुद्ध ज्ञान को प्रचारित और प्रसारित करने का कार्य पूरी ईमानदारी से करे। पूर्व मैं ऐसा कई बार हुआ है की संस्था के सदस्यों ने अपने स्वार्थ से प्रेरित होकर काम किया है। मैंने पूर्व में कहा है:"मैं धर्म के प्रति समर्पित दस-हजार सामान्य महिलाओं की सहायता से आप सबको दिखाऊंगा कि ईश्वरीय सत्य से दुनिया को कैसे बदला जा सकता है!"<ref>२६ फरवरी १९७८ को सन्देश वाहक एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट ने संत जर्मेन के इस वक्तव्य के बारे में कहा था: उन्होंने ऐसा इसलिए कहा था क्योंकि यूरोप के वंडरमैन के रूप में उन्होंने दिव्यगुरूओं की शिक्षा को प्रचारित करने के लिए ऐसे कई समूहों को प्रायोजित किया था पर बाद में इनमें कुछ ऐसे शक्तिशाली और अमीर लोग प्रवेश कर गए जो इन समूहों को नियंत्रित करने की कोशिश करने लगे, और शिक्षा का प्रारूप निर्देशित करने लग गए। इन लोगों ने दिव्यगुरूओं की वास्तविक शिक्षाओं को गुप्त रखने का प्रयास किया। इसलिए संत जर्मेन कहते हैं, ‘मैं लोगों के लिए खड़ा हूं।' यह शिक्षा लोगों के लिए है, स्वार्थी जुगाड़ू लोगों के लिए नहीं। —एड.</ref>


''ईश्वर'' के नियमानुसार हम आपको अपना प्यार, शक्ति और प्रकाश दे सकते हैं; लेकिन धन का प्रबंध आपको स्वयं करना होगा। हम आपके लिए धन नहीं जुटा सकते। समझदार और निष्ठावान शिष्य इस बात को समझते हैं कि "पाने की अपेक्षा देना अधिक पवित्र काम है।"
''ईश्वर'' के नियमानुसार हम आपको अपना प्यार, शक्ति और प्रकाश दे सकते हैं; लेकिन धन का प्रबंध आपको स्वयं करना होगा। हम आपके लिए धन नहीं जुटा सकते। समझदार और निष्ठावान शिष्य इस बात को समझते हैं कि "पाने की अपेक्षा देना अधिक पवित्र काम है।"

Revision as of 08:50, 11 March 2025

Other languages:
Saint Germain dressed in armour, wearing a sword
संत जरमेन, नाइट कमांडर (the Knight Commander)

१९६१ में संत जरमेन ने दिव्यगुरूओं (ascended master) और उनके शिष्यों (chelas) का एक संगठन बनाया जिन्होनें पृथ्वीवासियों की सहायता करने का प्रण किया। इस संगठन को इश्वरिये लौ के पालकों का समुदाय का नाम दिया गया। यह संगठन पृथ्वी पर श्वेत महासंघ (Great White Brotherhood) की गतिविधियों - नए शिष्य तैयार करने, रहस्यवादी विद्यालयों (Mystery school) की स्थापना तथा दिव्यगुरूओं की शिक्षाओं का प्रचार करने - का समर्थन करता है। दिव्यगुरूओं ने मार्क प्रोफेट (Mark L. Prophet) और एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट (Elizabeth Clare Prophet) को ब्रह्मांडीय नियमों (cosmic law) से सम्बंधित जो पाठ अपनी दिव्यवाणिओं में बताए थे उन्हें क्रमिक रूप से लौ के पालकों को दिए जाते हैं।

उद्देश्य

एल मोर्या (El Morya) हमें इस संगठन के उद्देश्य के बारे में बताते हैं:

जनवरी १९६१ में मैंने समिट लाइटहाउस (The Summit Lighthouse) के अंतर्गत सेवकों के एक समूह द्वारा स्थापित 'ईश्वरीय लौ के पालकों का समुदाय' को मान्यतता दी। ये वो सेवक थे जो जीवन ज्योति (flame of Life) और नाइट कमांडर (Knight Commander) संत जरमेन के प्रति कर्तव्यनिष्ठ थे। मैंने उन सब को आमंत्रित किया था जिन्होनें कुंभ युग (Aquarian age) के इस पदक्रम प्रमुख को अपना समर्थन देने की यह प्रतिज्ञा की थी कि वे भगवान के बेटे और बेटियों (sons and daughters of God) को उनके ईश्वरीय स्वरुप की पवित्र आत्मा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। ऐसा करके वे स्वयं को आत्मिक चेतना के उत्तराधिकारी के रूप में सिद्ध कर सकते हैं।

जिन लोगों ने पदक्रम (hierarchy) द्वारा दी गई शिक्षा के प्रचार के लिए दिव्यगुरूओं और हमारे सन्देश वाहकों, मार्क और एलिजाबेथ प्रोफेट (Mark and Elizabeth Prophet) के कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करने के लिए अपना समर्थन दिया, उन्हें मैंने और नाइट कमांडर (Knight Commander) ने श्वेत महासंघ (White Brotherhood) के बाहरी समुदाय में शामिल होने का आमंत्रण दिया था।

जिन लोगों ने हमारे आमंत्रण को स्वीकार किया वे वो लोग हैं जो अपने मन से ये मानते हैं कि प्रतिदिन अपने ईश्वरीय स्वरुप (I AM Presence) और उच्च चेतना से जुड़कर दिव्य आदेशों (decree) के आह्वान द्वारा अपने अंदर के ईश्वर को पहचाना जा सकता है। ये लोग अध्यात्मिक स्तर पर रसायन विद्या (alchemy) से संत जरमेन के साथ काम करने के लिए तत्पर हैं क्योंकि वे जानते हैं कि सतयुग (golden age) की स्थापना के लिए यह अत्यावश्यक है।

जो लोग अपनी प्रतिज्ञा पर कायम हैं, वे हमारे संगठन, समिट लाइटहाउस,(Summit Lighthouse) को नियमित रूप से वित्तीय सहायता भी देते हैं। वर्षों से इन लोगों ने अपनी निष्ठां और स्वामिभक्ति और आवश्यकतानुसार पृथ्वी पर महासंघ (Brotherhood) के छोटे और बड़े कार्यों को पूरा करने के लिए त्याग भी दिया है। ये सब वही कार्य हैं जिनके लिए इन जीवात्माओं ने पिछले जन्मों में स्वर्ग में स्वयं को समर्पित किया था।

रसायन शास्त्र (alchemy) के नियमों के अनुसार, जब आप ईश्वरीय लौ के पालकों के समुदाय को हमारे उदेश्यों के प्रति नियमित दिव्य आदेशों द्वारा अपना समर्थन देते हैं, तो ब्रह्मांडीय नियमों के अनुसार हम आपके आध्यात्मिक उत्थान के लिए प्रतिबद्ध हो जाते हैं। जिन लोगों ने पदक्रम द्वारा बताए गए मासिक पाठों को प्राप्त किया और अपने जीवन में प्रयोग भी किया है, वे दीक्षा (initiation) के मार्ग पर चलते हुए ईश्वरीय स्वरुप (I AM Presence) को प्राप्त करते हैं।

ईश्वरीय लौ के पालकों के समुदाय की व्यक्तिगत जिम्मेदारी आध्यात्मिक समिति (spiritual board ) के प्रति है। इस समिति के प्रमुख महा चौहान (Maha Chohan) और नाइट कमांडर (Knight Commander) संत जरमेन हैं। निर्देशक मंडल (board of directors) के सदस्य सात चौहान (Chohan) हैं जो ईश्वर के नियमों के विभिन्न पहलु लिखित निर्देशों और व्यक्तिगत प्रशिक्षण - जो श्वेत महासंघ (White Brotherhood) के आकाशीय आश्रय स्थलों (etheric retreat) में दिए जाते हैं - के माध्यम से करते हैं। पृथ्वीलोक पर जन्म लेनेवाली जीवात्माओं के माता-पिता के मार्गदर्शन के लिए एक विशेष समिति बनायी गयी है जिसका नेतृत्व विश्व शिक्षक (World Teachers) ईसा मसीह, कुथुमी (Kuthumi) और मदर मेरी (Mother Mary) के साथ मिलकर करते हैं।

वे सभी लोग जो ईश्वरीय लौ के पालकों का सम्मान करते हैं, और ईश्वर के बताये रास्ते पर चलते हैं वे आंतरिक और बाहरी दोनों रूप से अनुशासित हो जाते हैं। यह अनुशासन उन्हें खुशी और कृतज्ञता के उस जीवित स्रोत से प्राप्त होता है जो स्वर्ग के दूत पृथ्वी के उन सभी लोगों को देने के लिए रखते हैं जो मानवता के उद्धार (आत्म-उत्थान) के लिए सामान्य से अधिक समर्थन देने को तैयार हैं...

जो लोग ईश्वरीय लौ के पालकों के समुदाय के माध्यम से महासंघ (Brotherhood) के अभियान में भाग लेते हैं, उन्हें असंख्य आशीर्वादों से पुरस्कृत किया जाता है। यद्यपि कई बार उन्हें इस बात का एहसास नहीं होता, इन सभी लोगों को दिव्यगुरूओं के आकाशीय आश्रय स्थल (etheric retreats) में शिक्षा प्राप्त करने तथा पृथ्वीलोक पर त्रैमासिक सम्मेलनों में भाग लेने का सौभाग्य मिलता है और उन्हें वायलेट लौ के प्रयोग से अपने कर्मों को संतुलित करने का अवसर भी मिलता है। उनका यह प्रयास ईश्वरीय लौ के पालकों के समुदाय के प्रायोजकों (sponsors) (आध्यात्मिक समिति के सदस्यों) द्वारा कई बार बढ़ाया जाता है - परन्तु यह उन्ही शिष्यों के साथ होता है जो दिव्यगुरूओं के साथ घनिष्ठ संबंध बनाते हैं।< Ref>El Morya, The Chela and the Path: Keys to Soul Mastery in the Aquarian Age, १४ वां अध्याय </ref>

स्थापना करना

ईश्वरीय लौ के पालकों के समुदाय की स्थापना की घोषणा एल मोर्या (El Morya) ने एक पत्र द्वारा ३१ जनवरी १९६१ में की थी:

मैं आशा करता हूँ कि जल्द ही मैं एक प्रभावशाली डायमंड हार्ट (Diamond heart) के निर्माण की दिशा में पहला कदम उठाऊंगा। बाद में यह डायमंड हार्ट संशोधित किया जाएगा ताकि उन लोगों को चुना जा सके जो अपनी चिर-स्थायी भक्ति से इस डायमंड हार्ट के केंद्र का निर्माण करेंगे।

इसलिए मैं समिट लाइटहाउस (Summit Lighthouse) के अंतर्गत एक विशेष समूह के गठन को मान्यता दे रहा हूं, जिसमें वास्तविक रूप से प्रतिष्ठित सदस्य होंगे। इस समूह को "लौ के पालक" कहा जाना चाहिए क्योंकि इसके सदस्यों को सदा अपने दिल और दिमाग में उन बातों को रखना है जिन्हें परमपिता परमेश्वर और उनके स्वयं के पराक्रमी ईश्वरीय स्वरुप ने उन्हें बताया है; वे बातें जो पृथ्वी पर ईश्वर के साम्राज्य को स्थापित करने के लिए आवश्यक हैं।

इस ध्येय की पूर्ती के लिए इस समूह के सदस्यों को “लिखित पाठ” देने चाहिए। जो भी व्यक्ति - चाहे वे समाज के किसी भी वर्ग से आते हों - यह बुनियादी और उन्नत दोनों तरह के निर्देश में रुचि रखने वाले शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें इन लिखित पाठों के लिए अपना नामांकन भरना चाहिए। बुद्धिमान के लिए इशारा ही काफी होता है।


७ मार्च १९६१ को संत जरमेन ने ईश्वरीय लौ के पालकों के समुदाय के संबंध में यह पत्र लिखा:


ऐ लेटर फ्रॉम द असेंडेड मास्टर संत जर्मेन कंसर्निंग (A LETTER FROM THE ASCENDED MASTER SAINT GERMAIN CONCERNING):
द कीपर्स ऑफ़ द फ्लेम (THE KEEPERS OF THE फ्लेम)


ट्रान्सिलवेनिया
७ मार्च १९६१

मेरे प्रिय स्वाधीनता (Freedom) प्रेमी मित्रो:

ये तीन चीज़ें इस समय की आवश्यकताएं हैं: स्थिरता (constancy), समन्वय (loyalty) और निष्ठा (loyalty)। सदियों से मनुष्यों ने स्वर्ग के कोष (treasures) का अनुभव किया है, और उतने ही समय से स्वर्ग के संसाधनों के उचित उपयोग के बारे में विचार-विमर्श और विवाद भी किया है। मनुष्यों के कारण ही पृथ्वी पर सतयुग का आने में विलम्ब हुआ है, इसमें ईश्वर की कोई गलती नहीं। आज ब्रह्मांडीय चक्र उस बिंदु पर है, जहाँ से इसका वापिस मुड़ना असंभव है। अब मानवजाति के लिए यह अत्यावश्यक है मनुष्यों में एकता बनी रहे और वे ईश्वरीय गुणों को अपने व्यक्तित्व में शीघ्रातिशीघ्र उतारें।

परीक्षा और निर्णय के इस समय में, मैं आपसे यह कहूंगा कि दिव्यगुरूओं द्वारा प्रायोजित गतिविधियों की प्रगति में विघ्न डालने और रोकने के लिए करने से बड़ा कोई खतरा नही है। परन्तु जब तक कि ईश्वर में विश्वास रखने वाले सद्पुरुष और स्त्रियां पृथ्वी पर मौजूद हैं, जो साथ मिलकर प्रेम से ईश्वर की इच्छा के अनुरूप कार्य करने को तत्पर हैं तब तक सतयुग के आने को कोई रोक नहीं सकता।

हाल ही में दार्जिलिंग महासभा (Darjeeling Council) में मेरे मित्र और आपके मित्र दिव्यगुरु एल मोर्या ने एक आध्यात्मिक समुदाय के गठन की घोषणा की थी जिसके सभी सदस्य कंधे से कन्धा मिलाकर, दिमाग और दिल से, हमारे निर्देशन के अनुसार कार्य करने को तैयार हैं। ईश्वर में आस्था रखने वाले ये स्वैच्छिक समूह के लोग अगर चाहेंगे तो एल मोर्या के डायमंड हार्ट (Beloved Morya’s Diamond Heart) का एक हिस्सा बनेंगे। मैं उन सभी धन्य लोगों के दिलों से निकलने वाले प्रकाश से सम्मानित हूँ जिन्होंने गौरव और आनन्द के साथ लौ के पालक बनने का वास्तविक विशेषाधिकार स्वीकार किया है!

मेरे प्रियजनों, लाखों लोगों के पास आध्यात्मिक और शारीरिक संपत्ति है परन्तु केवल कुछ लोगों ने ही अपनी यह संपत्ति संभाल के रखी है। अगर हम पूर्ण विश्वास के साथ अविचल रूप से ईश्वर के प्रति प्रेम और समर्पण कर पाएं तो बहुत अच्छा होगा। परन्तु इस मार्ग में उतार-चढ़ाव निहित है - अधोगामी रास्ता (downward way) भी अच्छी नीयत से प्रशस्त हो सकता है। आपके जीवन को उत्तम बनाने के लिए हम हमेशा आपके साथ हैं और समय समय पर आपको ज्ञान और विवेक देते रहेंगे यदि आप इसे ईमानदारी से ग्रहण करें। ऐसा करने से ही मानवजाति और उसके साथ-साथ पृथ्वी ग्रह की उन्नति संभव है।

मेरा विश्वास है कि पृथ्वी पर किसी भी संगठन का अस्तित्व उसके अनुयायियों की निष्ठां और समर्थन पर निर्भर है। देखा जाए तो हमारा संगठन भी कुछ इसी प्रकार का है पर मानवीय परियोजनाओं की अपेक्षा हमारी परियोजनाओं में एक बड़ा अन्तर यह है कि दिव्य प्रेम से कार्यान्वित की गयी हमारी परियोजनाएं सदैव अभिलषित प्रतिफल लाती हैं। प्रिय शिष्यों, अच्छे परिणाम लाने के लिए प्रगाढ़ निष्ठा और प्रेम आवश्यक है।

अब मेरे करीब आओ, धन्य लोगों, क्योंकि मैं तुम्हें अपने हृदय में ले जाता हूँ और तुम पर पूरी तरह से रचनात्मक तरीके से भरोसा करता हूँ, हम पृथ्वी पर सभी के लिए स्वतंत्र और ईश्वर-तुल्य जीवन चाहते हैं। आप में से कई लोगों को पता है कि हम काफी समय से पृथ्वी पर एक ऐसी गुप्त संस्था बनाना चाहते हैं जो हमारे सिद्धांतों को ईमानदारी से आगे बढ़ाये, जो व्यावसायीकरण से मुक्त हो पर फिर भी जिसके पास पर्याप्त धन हो ताकि वह निश्चिन्त हो कर सम्पूर्ण विश्व में कार्य कर सकें। इस संगठन को हम मानवीय राय, नेताओं के बीच असामंजस्य और मनुष्यों के तानाशाही रवैये से मुक्त रखने की भी इच्छा रखते हैं - यह एक कठिन कार्य है पर हम इसके लिए प्रयासरत हैं। हम यह चाहते हैं कि यह संस्था दिव्यगुरूओं के शुद्ध ज्ञान को प्रचारित और प्रसारित करने का कार्य पूरी ईमानदारी से करे। पूर्व मैं ऐसा कई बार हुआ है की संस्था के सदस्यों ने अपने स्वार्थ से प्रेरित होकर काम किया है। मैंने पूर्व में कहा है:"मैं धर्म के प्रति समर्पित दस-हजार सामान्य महिलाओं की सहायता से आप सबको दिखाऊंगा कि ईश्वरीय सत्य से दुनिया को कैसे बदला जा सकता है!"[1]

ईश्वर के नियमानुसार हम आपको अपना प्यार, शक्ति और प्रकाश दे सकते हैं; लेकिन धन का प्रबंध आपको स्वयं करना होगा। हम आपके लिए धन नहीं जुटा सकते। समझदार और निष्ठावान शिष्य इस बात को समझते हैं कि "पाने की अपेक्षा देना अधिक पवित्र काम है।"

ईश्वरीय लौ के प्रहरी समुदाय का उद्देश्य बहुआयामी, रचनात्मक काम करना है; वफादार अनुयायियों को एक साथ जोड़कर समिट लाइटहाउस की गतिविधियों को मानव जाति की कल्पनाओं से मुक्त करना है; उन निष्ठवान शिष्यों को एकजुट रखना है जो आवश्जयक धन जुटा सकते हैं; जो साम्यवाद, लालच, स्वार्थ और बुराई से परे रहें क्योंकि ये चीज़ें स्वतंत्रता के उद्देश्यों को कमजोर करती हैं और लोगों का ध्यान ईश्वर से हटा मानवीय समस्याओं की ओर केंद्रित करती हैं जिससे इंसान ईश्वर-विमुख हो जाता है।

जरूरत है की एक संतुलित कार्रवाई की जाए। हालांकि यह सत्य है कि बाह्य आवश्यकतायें पूरी हों, हमें अपने आतंरिक विकास के लिए भी कार्य करना है - आध्यात्मिक उन्नति के लिए अंतर्मन का स्वस्थ और बलिष्ठ रहना अत्यावश्यक है। इसलिए ये ज़रूरी है की ईश्वरीय लौ के प्रहरी समुदाय के सदस्य नियमित रूप से डिक्रीस करें। हमने बहुत सारे कार्यों के प्रायोजन के प्रावधान रखा है और उचित समय पर आपको इसके बारे में बताया जाएगा। हम आपके जीवन में अपने हृदय से प्रेम के पवित्र प्रकाश का प्रवाहन करेंगे, और जो लोग दिव्यगुरूओं के ज्ञान द्वारा अपना आध्यात्मिक विकास और मानवजाति की सहायता करने को तत्पर हैं, उन्हें आशीर्वाद भी देंगे।

जैसे ही आप स्वयं को लौ के रक्षक के रूप में "चिह्नित" करते हैं, आपके दिल की धड़कन ईश्वर और हमारे दिल की धड़कन से मिल जाती है। जो लोग अपनी ख़ुशी से ईश्वर के कार्यों में सलंग्न रहते हैं, उन्हें हम अपने समूह का सदस्य मानते हैं।


श्रद्धापूर्वक, मैं कार्यरूप में आपकी स्वतंत्रता हूँ
संत जर्मेन
नाइट कमांडर
ईश्वरीय लौ के प्रहरी

इसे भी देखिये

समिट लाइटहाउस

संत जर्मेन

स्रोत

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation

  1. २६ फरवरी १९७८ को सन्देश वाहक एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट ने संत जर्मेन के इस वक्तव्य के बारे में कहा था: उन्होंने ऐसा इसलिए कहा था क्योंकि यूरोप के वंडरमैन के रूप में उन्होंने दिव्यगुरूओं की शिक्षा को प्रचारित करने के लिए ऐसे कई समूहों को प्रायोजित किया था पर बाद में इनमें कुछ ऐसे शक्तिशाली और अमीर लोग प्रवेश कर गए जो इन समूहों को नियंत्रित करने की कोशिश करने लगे, और शिक्षा का प्रारूप निर्देशित करने लग गए। इन लोगों ने दिव्यगुरूओं की वास्तविक शिक्षाओं को गुप्त रखने का प्रयास किया। इसलिए संत जर्मेन कहते हैं, ‘मैं लोगों के लिए खड़ा हूं।' यह शिक्षा लोगों के लिए है, स्वार्थी जुगाड़ू लोगों के लिए नहीं। —एड.