दार्जिलिंग महासभा

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श्वेत महासभा (Great White Brotherhood) की एक महासभा जिसमें दिव्यगुरु (ascended masters) और अदिव्य

 (unascended)  चेले (chelas) शामिल हैं, जिसका नेतृत्व एल मोर्या (El Morya) करते हैं। इसका मुख्यालय दिव्यगुरु का आकाशीय आश्रय स्थल (Temple of Good Will), दार्जिलिंग, भारत में है। 

दार्जिलिंग महासभा के सदस्य हैं: मदर मैरी (Mother Mary), कुआन यिन (Kuan Yin), महादेवदूत माइकल (Archangel Michael), ग्रेट डिवाइन डायरेक्टर (Great Divine Director) (गणेश जी), सेरापिस बे (Serapis Bey), कुथुमी (Kuthumi) और दज्वाल कुल (Djwal Kul)। इस महासभा के कई अन्य सदस्य भी हैं जिनका उद्देश्य जीवात्माओं को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय कार्यों में प्रशिक्षित करना है जैसे ईश्वरीय सरकार (God-government) और आत्मिक ज्ञान के द्वारा अर्थव्यवस्था की स्थापना, धर्म (religion) की नींव बनाना, एवं शिक्षा, संगीत और कला को स्वर्ण युग (Golden age) की संस्कृति के स्तर पर फिर से लाना।

एल मौरया ने इसका वर्णन कुछ इस प्रकार किया है:

दार्जिलिंग महासभा में एक सौ चौवालीस मुहरबंद (sealed) सदस्य हैं। कुछ अन्य सदस्य भी है जो अपने सहायकों के साथ इस महासभा में शामिल हैं। हम इन सब को बहुत आदर के साथ देखते हैं जो संख्या में एक सौ चौवालीस से बहुत अधिक हैं। इनमे से कई अटैची (attaches) और अनुसंधान सहायक हैं जो पृथ्वी के लोगों के साथ मिलकर आकाश के दस्तावेज़ों (files of akasha) का अध्ययन करते हैं जिनकी सहायता से हम वर्तमान सभ्यता को विकसित कर सकते हैं - ये सब विकास हम पूर्व सभय्ताओं में नहीं ला पाए क्योंकि या तो उस समय के लोग स्वार्थी थे, या विकास से अनभिज्ञ थे, या फिर उनके कर्म ऐसे थे कि उनकी रुचि इस तरफ नहीं थी।

आप कुछ ऐसे लोगों के नाम पहचानते हैं जो एक सौ चौवालीस के आंतरिक दायरे (inner circle) का हिस्सा हैं - ग्रेट डिवाइन डायरेक्टर (Great Divine Director) (गणेश जी), मदर मैरी (Mother Mary), माइटी विक्ट्री (Mighty Victory), लनैलो (Lanello), चौहान (Chohan) और वे लोग जो चौहानों के आश्रय स्थल (retreats) से आए हैं। कुछ ऐसे महादेवदूत (archangel) भी हैं जो महासभा के सेवा में रहते हैं।

जैसे-जैसे इस महासभा के सदस्य अपनी इलेक्ट्रॉनिक उपस्थिति को बढ़ाते हैं, इस महासभा का प्रभाव पृथ्वी की जीवात्माओं तक पहुंचता है, और उन्हें स्पर्श करता है - प्रत्येक जीवात्मा का इस प्रकाश को छूने का अपना एक समय होता है...

दार्जिलिंग समिति के केंद्र में शामिल १४४ सदस्यों का पृथ्वी पर कई जीवात्माओं के साथ संपर्क है, और यह संपर्क ही उनके इस समिति में चुने जाने का एक प्रमुख कारण है। आध्यात्मिक उत्थान से पहले इन दिव्यगुरुओं और देवदूतों का उन पृथ्वीवासियों क साथ बेहद व्यक्तिगत संपर्क था, और यह संपर्क सदियों से था। ये व्यक्ति अभी भी पृथ्वी पर हैं, और इनमें से कई अब पृथ्वी के विकास की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं...

मैं आपसे दार्जिलिंग समिति द्वारा उन व्यक्तियों के प्रायोजन के बारे में बात कर रहा हूं जो अपने देशों में नेतृत्व की स्थिति में हैं, चाहे वह सरकार, में हैं या अर्थव्यवस्था में, या फिर शिक्षा, कला और विज्ञान में हैं। इस तरह हमारे बहुत-से प्रतिनिधि हैं; तुम्हें भी हम उनमें गिनते हैं।

हम आपसे अनुरोध करते हैं कि आप दार्जिलिंग आएं और रात को हमारे आश्रय स्थल का दरवाजा खटखटाएं, हमें अपना परिचय दें और अपने पेशे के बारे में बताएं और यह भी बताएं कि आप इस प्रयास में कैसे हमारी सहायता करेंगे। साढ़े पांच अरब जीवात्माएं पृथ्वी पर हैं, और कई इस दुनिया में प्रवेश का इंतज़ार कर रहीं हैं। और हमें इन सबकी देखभाल वैसे ही करनी चाहिए जैसे हम ईश्वर के समुदायों की करते हैं।

हम आपकी क्षमताओं के अनुसार आपके साथ व्यवहार करेंगे और हम आपको उन विषयों में आगे बढ़ाएंगे जिनमें आप हजारों वर्षों से पारंगत हासिल कर रहे हैं । हर एक को अपना पूरा योगदान देना है; और यदि आप वह योगदान देने का निर्णय लेते हैं, तो आप अपना आध्यात्मिक उत्थान अर्जित कर सकते हैं ।[1]

इसे भी देखिये

एल मौरया

टेम्पल ऑफ़ गुडविल

स्रोत

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation.

  1. एल मोरया, "ंभीतर आईये!" सक्रिय हो जाइये!" Pearls of Wisdom, vol. ३७ ४०, no. , २ अक्टूबर १९९४ .