सन्देश वाहक
प्रचारक। वह व्यक्ति जो लोगों को ईसा मसीह के धर्मसिद्धांत (gospel) और फिर नियत समय पर उनके अनंत धर्मसिद्धांत (everlasting gospel) का समाचार देने के लिए पृथ्वी पर आता है।[1] श्वेत महासंघ के प्रधान अपने सन्देश वाहकों को एक ख़ास मिशन के तहत पृथ्वी पर भेजते हैं। वे दिव्यगुरूओं की दिव्य वाणी (भविष्यवाणी) के माध्यम से ईश्वर के पवित्र सन्देश लोगों तक पहुंचाते हैं, ताकि ईश्वर के मार्ग से भटके हुए लोग वापिस रास्ते पर आ सकें।[2] एक संदेशवाहक वह होता है जिसे दिव्यगुरु विभिन्न तरीकों से श्वेत महासंघ के बारे में प्रशिक्षित करते हैं। ये एक ऐसा व्यक्ति है जो ईश्वर के सिद्धांत, नियम और व्यवस्था के बारे में जन मानस को बताता है।
इतिहास में हुए विभिन्न संदेशवाहक
ईश्वर के पास हमेशा उनके अपने दूत होते हैं। इनमें से कुछ के बारे में हम यहाँ लिखते हैं:
मार्क एल. प्रोफेट - जो अब दिव्यगुरु लानेलो कहलाते हैं - को एल मोर्या ने १९५८ में द समिट लाइटहाउस की स्थापना करने लिए कहा था ताकि इस युग में दिव्यगुरुओं की शिक्षाएँ लोगों तक पहुंचाई जा सकें। मार्क अपने पिछले जन्मों में एक संदेशवाहक थे। भविष्यवक्ता नोआह के रूप में उन्हें बाढ़ के आने के बारे में चला था। उन्होंने सौ से अधिक वर्षों तक लोगों को उपदेश दिए। मिस्र में वे आखेनाटन नाम के राजा थे, जिन्होंने सूर्य के देवता एटोन के दूत के रूप में अद्वैतवाद (ईश्वर एक है) की शुरुआत की। एक जन्म में मार्क अमेरिकी कवि हेनरी वड्सवर्थ लॉन्गफेलो थे और इस जन्म के दौरान उन्होंने श्वेत महासंघ के संदेशवाहक के रूप में काम किया था।
संदेशवाहक गाय डब्ल्यू. बैलार्ड और एडना बैलार्ड, जो अब दिव्यगुरु गॉडफ्रे और लोटस हैं, ने १९३० के दशक की शुरुआत में सेंट जर्मेन के निर्देशन में आई ऍम एक्टिविटी (I AM Activity) की स्थापना की थी। सेंट जर्मेन के संदेशवाहकों के रूप में काम करते हुए उन्होंने पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका में दिव्यगुरुओं के संदेशों का प्रचार और प्रसार किया। पंद्रहवीं शताब्दी में लोटस ने जोन ऑफ आर्क के रूप में जन्म लिया था - भगवान के संदेश वाहक के रूप में तब उन्होंने महादेवदूत माइकल के निर्देश फ्रांसीसी सेना तक पहुंचाकर फ्रांस को बचाया था।
ईसा मसीह, मदर मेरी और सेंट पॉल की शिष्या मैरी बेकर एडी ने १८०० के दशक के अंत में ईसाई वैज्ञानिक आंदोलन (Christian Science Movement) की स्थापना की थी। वे अब महिला दिव्यगुरु थियोसोफिया कहलाती हैं तथा बुद्धि की देवी का पद संभालती हैं।
सेंट पॉल, जॉन द बिलवेड और सेंट टेरेसा ऑफ अविला ईसा मसीह का शिष्य हैं। सेंट पॉल अब दिव्यगुरु हिलेरियन हैं। पृथ्वी पर अपने अंतिम जन्म में वे सेंट हिलारियन थे - ईसा मसीह ने इनके द्वारा लोगों को स्वस्थ किया था। जॉन द बिलवेड वह शिष्य थे जिन्हें ईसा मसीह खूब स्नेह करते थे - ईसा मसीह ने इन्हें बुक ऑफ रेवेलशन को दिव्यवाणी के रूप में प्रस्तुत किया था। सोलहवीं शताब्दी के दौरान स्पेन में कार्मेलाइट वर्ग की सुधारक सेंट टेरेसा ऑफ अविला अक्सर ईसा मसीह के साथ बातें किया करती थीं। ईसा मसीह ने एक बार उनसे कहा, "मैं जो कहता हूँ उसे लिखना न भूलना... मैं तुम्हें एक जीवंत पुस्तक दूंगा।" वह ये महिला दिव्यगुरु क्रिस्टीन हैं।
ईसा मसीह स्वयं एक दूत थे। अपने गैलीलियन अवतार में उन्होंने भगवान मैत्रेय - जिन्हे वे अपने पिता तुल्य मानते थे - उनके शब्दों को लोगों तक पहुंचाया था। इससे पहले उन्होंने जोशुआ और एलीशा नामक पैगम्बरों के रूप में जन्म लिया था। एलीशा के रूप में उन्होंने पैगंबर एलिजाह का पद प्राप्त किया था।
एलिजाह अग्नि के रथ पर सवार होकर ईश्वर के पास गए थे। मलाकी की भविष्यवाणी के अनुसार वह ईसा मसीह के सामने जाने के लिए जॉन द बैप्टिस्ट के रूप में धरती पर लौटे। तो हम यह कह सकते हैं कि एलिजाह और जॉन द बैप्टिस्ट दोनों रूपों में उन्होंने परमेश्वर के दूत के रूप में मानवता की सेवा की थी।
सैमुअल जो कि इस्राएल के अंतिम न्यायाधीश थे, को एक संदेशवाहक होने का आह्वान बचपन में मिला था। शमूएल के माध्यम से ईश्वर ने राजा डेविड को इजराइल के राजा के रूप में राज्याभिषेक किया। शमूएल अब दिव्यगुरु सेंट जर्मेन हैं।
ईश्वरीय उपस्थिति के संदेशवाहक मूसा को इस्राएलियों को मिस्र की गुलामी से छुड़ाने के लिए बुलाया गया था। एक्सोडस में लिखा है: "प्रभु ने मूसा से आमने-सामने बात की, जैसे कोई व्यक्ति अपने मित्र से बात करता है।" अब वे दिव्यगुरु भगवान लिंग हैं।
मूसा के आने की भविष्यवाणी १३,००० साल पहले एरनन, राय ऑफ सुएर्न ने की थी, जो अटलांटिस के समय ईश्वर का एक दूत था। सुएर्न के लोगों ने उसके अनुशासन के खिलाफ विद्रोह किया, जिसके बाद एरनन ने उन्हें बताया था कि मूसा नमक ईश्वर के अगले दूत के लिए उनको लगभग नब्बे शताब्दियों तक इंतजार करना होगा। सुएर्न के लोगों ने अब्राहम के वंशजों के रूप में इजराइल में पुनर्जन्म लिया।
कुल के पिता अब्राहम को ईश्वर का मित्र कहा जाता था। ईश्वर ने अब्राहम को युर ऑफ़ द चैलडीस (एक पवित्र प्राचीन शहर) से बुलाया था और उनसे समृद्धि, विकास और सफलता का वादा किया था। अब्राहम अब दिव्यगुरु एल मोरया हैं।
अब्राहम ने सालेम के राजा मेल्कीज़डेक से वादा किया था कि वे अपनी कमाई के दसवां भाग चर्च में देंगे। मेल्कीज़डेक परमेश्वर के दूत थे, और मध्य-एशिया क्षेत्र में उनके बारे में ये कहा जाता है कि "उनके न पिता थे, न माता, न वंश, उनका न आदि था ना अन्त, वह परमेश्वर के पुत्र के समान थे।”[3]
ईश्वर के साथ-साथ चलने वाले (कुलपिता) इनोक सनत कुमार के संदेशवाहक थे। सनत कुमार जी का उल्लेख बुक ऑफ डैनियल (Book of Daniel) में किया गया है। बुक ऑफ इनोक (Book of Enoch) में इनोक ने पथभ्रष्ट देवदूतों की वास्तविक प्रकृति और उनके कर्मों पर सनत कुमार के विचारों के बारे में लिखा है।
धर्मोपदेशक एक्स्लेसिएस्टेस ईश्वर के दूतों में से एक थे। वे शुक्र (ग्रह) से आये थे। पृथ्वी पर उन्होंने मानव जाति को शिक्षित करने के लिए अवतार लिया था।
सनत कुमार के एक अन्य संदेशवाहक गौतम बुद्ध ने छठी शताब्दी में बौद्ध धर्म की स्थापना की थी। पैंतालीस वर्षों तक उन्होंने पूरे भारत में प्रचार और प्रसार किया और अपने सिद्धांतों अर्थात चार अटल सत्य, अष्टांगिक मार्ग और मध्य मार्ग - के बारे में लोगों को बताया।
अहुरा मज़्दा के दूत जरथुस्त्र ने प्राचीन फारस (आधुनिक ईरान) में पारसी धर्म की स्थापना की।
प्राचीन मिस्र के ऋषि हर्मीस ट्रिस्मेगिस्टस को “देवताओं का मुंशी” कहा जाता था। वे अब दिव्यगुरु मरकरी हैं - एल मोर्या उन्हें “देवताओं का आदर्श दूत” कहते हैं।
ईश्वर का सबसे पहला संदेशवाहक जिसे आप सभी जानते हैं वह आपकी अपनी पवित्र स्व चेतना है। आपकी अपनी पवित्र स्व चेतना आपको आपकी शक्तिशाली ईश्वरीय उपस्थिति के संदेश देती है, लेकिन ऐसा तभी होता है जब आपके पास अपनी चेतना की आवाज़ सुनने के लिए कान हैं और एक दिल है जो सदा सत्य की राह पर चलता है।
बीसवीं सदी के आरम्भ में निकोलस रोरिक और हेलेना रोरिक एल मोर्या के संदेशवाहक थे।
अधिक जानकारी के लिए
El Morya, The Chela and the Path: Keys to Soul Mastery in the Aquarian Age, ११५–२२ पृष्ठ
Jesus and Kuthumi, Prayer and Meditation, २४६–५३ पृष्ठ
इसे भी देखिये
स्रोत
Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation
हौली डेज कैलेंडर, १९९३ दिसंबर
एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट, ३ जुलाई १९७२ ; ८ मई १९७४