मन मंदिर

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देवदूत जॉन को न्यू जेरूसलम दिखा रहे हैं, मध्य में भगवान का मेमना है। यह चित्र बैम्बर्ग के सर्वनाश के समय का है।

नया जेरूसलम; स्वर्ण युग का आदर्श, प्रकाश के आकाशीय शहर जो आज भी आकाशीय स्तर (स्वर्ग) पर मौजूद हैं और भौतिक अभिव्यक्ति (पृथ्वी पर) पर उतरने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। संत जॉन द रेवेलेटर ने पवित्र शहर के अवतरण को उसकी शुद्ध ज्यामिति के रूप में देखा था - यह पृथ्वी पर होना था परन्तु अब प्रकाश के अदृश्य क्षेत्रों में है: "और मैं (जॉन) ने पवित्र शहर, नए जेरूसलम, को स्वर्ग से नीचे उतरते हुए देखा।"[1] इस प्रकार, इस दृश्य और भविष्यवाणी को पूरा करने के लिए ईसा मसीह ने हमें बोलकर प्रार्थना करना सिखाया, "ईश्वर जैसा तेरा राज्य स्वर्ग में है वैसा पृथ्वी पर भी आए!”

जिन जीवात्माओं का आध्यात्मिक उत्थान नहीं हुआ है वे आत्मिक चेतना की पूर्ति के लिए मन मंदिर के मंडल का आह्वान कर सकती हैं, यत पिंडे-तत ब्रह्माण्डे। मन मदिर में ईश्वर के सभी पुत्र और पुत्रियों के 144,000 आदर्शों की सौर (आत्मा) पहचान का मूल आदर्श रूप रखा है, जो किसी दी गई व्यवस्था में उनकी चेतना की दिव्य संपूर्णता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आवश्यक है। ईश्वरीय स्वरुप, मेमना, ब्रह्मांडीय आत्मा, स्व चेतना मन मंदिर को प्रकाशित करते हैं। ब्रह्माण्डीय आत्मा के चक्रों में स्थापित प्रकाश के 144 फोकस और आवृत्तियाँ रत्नों के सामान हैं।

साइक्लोपिया ने ५ जुलाई १९७० को एक दिव्य वाणी में मन मंदिर के बारे में बात की थी:

आज रात मैं आपके सामने पवित्र शहर, शानदार मन मंदिर और दिव्य साम्राज्य की परिकल्पना प्रस्तुत कर रहा हूं जो आपके ज्योत जलाते ही पृथ्वी पर आ जाएगा। जब भी आप समाचार पत्रों में समस्याओं, संकटों, एवं अन्याय की खबरें पढ़ते हैं, तो मैं आपकी पवित्र स्व चेतना की अनुमति से सर्वशक्तिमान ईश्वर के नाम पर एलोहीम की शक्ति से उस मन मंदिर का आह्वान करता हूं - यह मन मंदिर ही सभी प्रकार की समस्याओं पर पर काबू पाने की कुंजी है, वस्तुतः यह इस पृथ्वी ग्रह के आध्यात्मिक उत्थान की भी कुंजी है।

आध्यात्मिक रूप से, पदार्थ ब्रह्मांड के चार स्तर

आध्यात्मिक रूप से कहें तो, मन मंदिर पदार्थ ब्रह्मांड के चार स्तरों और चतुर्थांशों का मंडल है; यह पदार्थ क्षेत्र में आत्मिक चेतना के महान पिरामिड के चार पक्षों का केंद्र है। यहाँ आत्मिक चेतना के बारह द्वार हैं जो उन दीक्षाओं की रेखाओं और स्तरों को चिह्नित करते हैं जो ईश्वर ने अपने शिष्यों के लिए तैयार की हैं। ये बारह द्वार ब्रह्मांडीय आत्मा के बारह गुणों के लिए खुले दरवाजे हैं जो बारह सौर पद्क्रमों (जो सार्वभौमिक आत्मा के उद्गम हैं) द्वारा उन लोगों के लिए कायम किये गए हैं जो आत्मिक प्रेम से परिपूर्ण हैं और आदर के साथ धन्यवाद करते हुए एवं ईश्वर की स्तुति करते हुए उसके दरबार में प्रवेश करते हैं।"[2]

दिव्य माँ का आश्रय स्थल

मुख्य लेख: दिव्य माँ का आश्रय स्थल

मदर मैरी ने भी मन मंदिर के बारे में भी बात की है:

आपके अस्तित्व और जीवन के पिरामिड की नींव वास्तव में एक-एक करके मन मंदिर है। और वह पवित्र शहर जिसे जॉन ने स्वर्ग से उतरते हुए देखा - वह शहर प्रत्येक व्यक्ति के महान कारण शरीर में उच्च चेतना का गढ़ है। सामूहिक रूप से मन मंदिर आकाशीय स्तर पर दिव्य माँ का विशाल आश्रय स्थल है जहां प्रकाश का सच्चा शहर है, जहां स्वर्ण युग शासन करता है।[3]

उत्तरी अमरीका

दिव्यगुरूओं ने उत्तरी अमेरिका को "मन मंदिर" का नक्शा, अब्राहम के प्रकाश के बीज के पुनर्जन्म के लिए संकल्पित जगह और तैयार की गई भूमि कहा है। भगवान और देवी मेरु ने कहा है:

हम संयुक्त राज्य अमरीका और कनाडा को संयुक्त रूप से एक मजबूत मन मंदिर के रूप में देखते हैं और इस मन मंदिर की सहायता से हम वर्तमान स्थिति को पलटने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस संयुक्त मन मंदिर, जिसका हृदय आतंरिक आश्रय स्थल में है, प्रकाश की शक्तियों तथा शिष्यों का आधार केंद्र है - इसकी की मदद से ये आगे बढ़कर क़यामत के चार ब्रह्मांडीय सृजकों के प्रभाव को कम करते हैं।[4]

महान केंद्रीय सूर्य

ब्रह्मांडीय अंडे में ईश्वरत्व के सर्वोच्च प्रतिनिधि अल्फा और ओमेगा हैं, जो महान केंद्रीय सूर्य के मन मंदिर में रहते हैं। ११ अप्रैल, १९७१ को ओमेगा ने उस मन मंदिर के बारे में बात की:

मैं लौ को पुनः प्रज्वलित करने, ईश्वर की दिव्य योजना को दृष्टि और परिप्रेक्ष्य देने और आपके मन में आपके द्वारा ईश्वर के समक्ष ली गई उन प्रतिज्ञाओं की याद दिलाने के लिए जो आपने पृथ्वी पर जन्म लेते समय ली थीं, आता हूँ। जन्म लेते समय जब आप क्रिस्टल अग्नि की धुंध से होते हुए सूर्य के पदक्रम में प्रवेश करते हैं तो एक धुन बजती है जो की आपकी मूल धुन कहलाती है। पृथ्वी पर जन्म आपको अनंत चक्र से समय और स्थान के चक्र में ले आता है।

जब चार निचले शरीर हृदय के भीतर आत्मा की शक्ति के माध्यम से पूर्ण गठबंधन में होते हैं, तो महान केंद्रीय सूर्य में मन मंदिर का बल क्षेत्र मनुष्य की चेतना पर छा जाता है।

लॉस एंजिल्स

२० मार्च, १९७५ को ईसा मसीह ने लॉस एंजिल्स को नए यरूशलेम के रूप में संस्कारित किया:

मैं, ईसा मसीह, आपका प्रभु और स्वामी, देवदूतों के इस शहर में प्रकाश का एक स्थायी केंद्र बनाना चाहता हूं जहां आत्मा के प्रतिनिधि मुक्ति का संदेश देने और देवदूतों और एलोहिम के प्रकाश की ऊर्जा को भगवान् की तरफ आकर्षित करने के लिए आ सकें। यही वह स्थान है जिसे मैंने नये जेरूसलम के बिंदु के रूप में संस्कारित किया है।

मैं यहां पवित्र शहर और पुनरुत्थान ज्वाला के आश्रय स्थल का चित्रण करना चाहता हूं जो पवित्र भूमि के ऊपर है। इसलिये नई दुनिया में इस महाद्वीप पर स्थित इस शहर को समस्त मानव जाति के पुनरुत्थान की पूर्ति के लिए समर्पित किया जाए। मैं अपने धार्मिक स्थान जाने की इच्छा रखता हूं, जहां पर मेरे बुलाए हुए लोग मुझे प्राप्त करेंगे, और मैं मानवता के उत्थान के लिए प्रत्येक रविवार सुबह महिला भक्तों के माध्यम से परमेश्वर की कही बातों का प्रचार करना चाहता हूं।[5]

पृथ्वी पर अन्य शहर और स्थान

३ फरवरी, १९८५ को महादेवदूत माइकल ने इस ग्रह पर न्यू जेरूसलम की तरह के अन्य पवित्र स्थानों की संरचना के बारे में बात की:

लॉस एंजिल्स के ऊपर पवित्र अग्नि के न्यायालय के बल क्षेत्र की प्रतिकृति के अवतरण के साथ-साथ, इस ग्रह में कई अन्य बिंदुओं पर भी न्यू जेरूसलम के सांचे का अवतरण हुआ है।

हमने पहले भी इस रूपरेखा और इस अभिव्यक्ति के अवतरण के बारे में बात की है, लेकिन यह अवतरण देहधारी चेलों की इलेक्ट्रॉनिक उपस्थिति के माध्यम से, उनके दिल के मोह, उनकी स्वयं की ईश्वरीय उपस्थिति तथा ईश्वर की इच्छा के प्रति उनके समर्थन के माध्यम से आना चाहिए। साथ ही उन्हें वह पूर्ण विश्वास भी होना चाहिए कि ईश्वर सभी प्रकार के चमत्कार करेगा और प्रकाश के इस समुदाय को अपना संपूर्ण कार्य करने के लिए बचा के रखेगा।

आप इस बात को समझिये कि हम कई बार पवित्र शहर के अवतरण की घोषणा कर सकते हैं; आपको यह समझना चाहिए कि इसका अर्थ क्या है: यह पृथ्वी पर प्रत्येक शहर और प्रकाश के केंद्र की दिव्य योजना का आकाशीय प्रतिरूप है। और अंततः शहर की विशिष्ट और अद्वितीय दैवीय योजना पर आरोपित स्वयं न्यू जेरूसलम है, जो ईसा मसीह और उनके संतों का शहर है और जिसमें दिव्य और सच्चा आकाशीय साँचा शामिल है जिसमें खोई हुई जनजातियाँ और चैतन्य लोग वापस आएँगे।

आइए हम आकाशीय शहर के अवतरण की स्थानीय दिव्य योजना (जो उस क्षेत्र की विशेषता है) और न्यू जेरूसलम की योजना को प्रत्यक्ष रूप से देखें। आप सभी ये जान लें कि पृथ्वी पर किसी भी क्षेत्र में न्याय करने के लिए इस सांचे को अभिव्यक्त करना ज़रूरी है। इसी प्रकार अन्य शहरों, राज्यों और राष्ट्रों के नागरिक भी इसे प्रयोग में ला सकते हैं; वे फोर एंड ट्वेंटी एल्डर्स को प्रार्थना पत्र लिख सकते हैं कि आकाशीय पवित्र अग्नि के न्यायालय का मैट्रिक्स उनके राज्यों और राष्ट्रों पर केंद्रित हो।

मैं नहीं जानता कि उनका उत्तर क्या होगा। मैं तो आह्वान और नीली लौ की तलवार का समर्थक हूं। मैं बोले गए शब्द में छिपे विज्ञान का समर्थक हूं। मैं नीली किरण के चक्र की शक्ति का एक समर्थक हूं और दुनिया को फिर से बनाने के लिए यह क्या कर सकता है उसके बारे में जानता हूँ।[6]

पृथ्वी को स्वस्थ करने की एक परिकल्पना

In 1970, the Elohim Cyclopea announced that the hierarchies of the Pleiades had released a dispensation for the manifestation of the divine blueprint of planet Earth. Cyclopea said:

I am this night painting before you the vision of the Holy City, the magnificent City Foursquare, the divine kingdom that shall come upon earth even as you keep the flame. And whenever you see reports of problems, of crises, of injustices in your newspapers, I am calling by the power of the Elohim in the name of Almighty God with the permission of your Holy Christ Selves that that vision of the City Foursquare shall flash forth from your consciousness into the world, into that situation, into the problem areas as a divine matrix of the cosmic cube, that City Foursquare that is the key to each man’s overcoming, the key to the ascension of the very planet itself.

And so I say by the power of Mighty Victory, by the power of that six-pointed star of divine balance as Above, so below, by the power of the all-seeing eye that penetrates in the center of that star, I am focusing within your consciousness this night and anchoring within your own third eye the vision of that Cosmic City Foursquare....

That focus is the most powerful image that can be brought forth for the manifestation of Christ and the kingdom of God upon this earth. It contains within it the full power of the World Mother and her divine matrix of the entire material universe for the manifestation of the Christ....

Let the All-Seeing Eye of God penetrate to ascertain what is occurring in the world, to ascertain the position of the evil forces. And then, let that projection of the cosmic cube be stamped upon them, sealing the place where evil dwells by the power of the Most High God.

The entire hierarchy of the Pleiades is behind this experiment for the complete transformation of the planetary orb by the power of the All-Seeing Eye of God. Therefore, I say, I give you the key: Call to the Pleiades and the hierarchies thereof. There are millions of cosmic beings with their cosmic retinues who will come forth in answer to your prayer, millions of Cosmic Christs who will carry into manifestation that divine blueprint.[7]

स्रोत

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, Saint Germain On Alchemy: Formulas for Self-Transformation.

Pearls of Wisdom, vol. 29, no. 16.

एलिज़ाबेथ क्लेयर प्रोफेट, ३१ मार्च, १९७२

  1. रेव्ह। 21:2, 9-27.
  2. Ps. 100:4.
  3. मदर मैरी,“हु विल बिल्ड माई टेम्पल? (Who Will Build My Temple?)” Pearls of Wisdom, vol. 31, no. 51, १४ अगस्त १९८८.
  4. मेरु के देव और देवी, "द बैटल ऑफ़ आर्मगेडन इन द क्लास्सरूम्स ऑफ़ अमरीका" Pearls of Wisdom, vol. ३१, no. ४१, २४ फरवरी १९८५.
  5. ईसा मसीह, "द लाइवली स्टोन्स ऑफ़ चर्च यूनिवर्सल एंड ट्राईअम्फैट," Pearls of Wisdom, vol. 62, no. 15, १५, अप्रैल, २०१९.
  6. महादेवदूत माइकल, “द सम्मानिन्ग: स्ट्रैट टॉक एंड ऐ सोर्ड फ्रॉम थे हाईरेरक ऑफ़ बंफ्फ (The Summoning: Straight Talk and a Sword from the Hierarch of Banff),” Pearls of Wisdom, vol. 28, no. 10, .
  7. Pearls of Wisdom 1978, pp. 390–91.