Lord Maitreya/hi: Difference between revisions

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मैत्रेय के इस चित्रण के बारे में बौद्ध विद्वान केनेथ चेन का कहना है:
मैत्रेय के इस चित्रण के बारे में बौद्ध विद्वान केनेथ चेन का कहना है:


<blockquote>जूट का थैला जो वे हमेशा अपने साथ रखते थे, उन्हें एक अलग पहचान देता था। जो कुछ भी उन्हें मिलता था, उसे वे इस थैले में डाल देते, और इसी कारणवश ये थैला सबके लिए कौतुहल का विषय बन गया था, विशेषकर बच्चों में इसके प्रति काफी उत्सुकता थी। बच्चे मैत्रेय का पीछा करते, उनके ऊपर चढ़ जाते, और उन्हें अपना थैला खोलने के लिए मजबूर करते। ऐसे में मैत्रेय उस थैले को जमीन पर रख, एक-एक करके सारा सामान निकालकर बाहर रख देते, और फिर विधिपूर्वक सब वापस थैले में डाल देते। मैत्रेय के चेहरे के हाव-भाव काफी रहस्यमय थे और ये भाव उनकी [ज़ेन] (धीरता) को प्रदर्शित करते थे... एक बार एक भिक्षु ने उनसे थैले के बारे में पूछ लिया। उत्तर में मैत्रेय ने थैले को जमीन पर रख दिया। जब भिक्षु ने उनसे पूछा कि इसका क्या मतलब है, तो उन्होंने थैला उठाया, कंधे पर रखा और चल दिए। एक बार किसी ने उनसे पूछा कि थैला कितना पुराना है, तो उन्होंने जवाब दिया कि थैला अंतरिक्ष जितना पुराना है। केनेथ के.एस. चेन, ''बुद्धिज़्म इन चाइना: ऐ हिस्टोरिकल सर्वे'' (प्रिंसटन, एन.जे.: प्रिंसटन यूनिवर्सिटी प्रेस, १९६४ ), पृष्ठ ४०५-६</ref></blockquote>
<blockquote>जूट का थैला जो वे हमेशा अपने साथ रखते थे, उन्हें एक अलग पहचान देता था। जो कुछ भी उन्हें मिलता था, उसे वे इस थैले में डाल देते, और इसी कारणवश ये थैला सबके लिए कौतुहल का विषय बन गया था, विशेषकर बच्चों में इसके प्रति काफी उत्सुकता थी। बच्चे मैत्रेय का पीछा करते, उनके ऊपर चढ़ जाते, और उन्हें अपना थैला खोलने के लिए मजबूर करते। ऐसे में मैत्रेय उस थैले को जमीन पर रख, एक-एक करके सारा सामान निकालकर बाहर रख देते, और फिर विधिपूर्वक सब वापस थैले में डाल देते। मैत्रेय के चेहरे के हाव-भाव काफी रहस्यमय थे और ये भाव उनकी [ज़ेन] (धीरता) को प्रदर्शित करते थे... एक बार एक भिक्षु ने उनसे थैले के बारे में पूछ लिया। उत्तर में मैत्रेय ने थैले को जमीन पर रख दिया। जब भिक्षु ने उनसे पूछा कि इसका क्या मतलब है, तो उन्होंने थैला उठाया, कंधे पर रखा और चल दिए। एक बार किसी ने उनसे पूछा कि थैला कितना पुराना है, तो उन्होंने जवाब दिया कि थैला अंतरिक्ष जितना पुराना है।<ref>केनेथ के.एस. चेन, ''बुद्धिज़्म इन चाइना: ऐ हिस्टोरिकल सर्वे'' (प्रिंसटन, एन.जे.: प्रिंसटन यूनिवर्सिटी प्रेस, १९६४ ), पृष्ठ ४०५-६</ref></blockquote>


यह थैला अंतरिक्ष के रहस्य और बुद्ध के प्रभुत्व के अंतर्गत अंतरिक्ष के चमत्कार को दर्शाता है। इसकी कालातीतता अनंत कालखंडों पर बुद्ध की प्रवीणता को दर्शाती है - अर्थात माँ की लौ के माध्यम से यह स्वयं अनंत काल को दर्शाता है।
यह थैला अंतरिक्ष के रहस्य और बुद्ध के प्रभुत्व के अंतर्गत अंतरिक्ष के चमत्कार को दर्शाता है। इसकी कालातीतता अनंत कालखंडों पर बुद्ध की प्रवीणता को दर्शाती है - अर्थात माँ की लौ के माध्यम से यह स्वयं अनंत काल को दर्शाता है।
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== मैत्रेय का रहस्यवादी विद्यालय ==
== मैत्रेय का रहस्यवादी विद्यालय ==


मैत्रेय [[Special:MyLanguage/ Lord Himalaya|हिमालय]] (चौथी मूल प्रजाति के मनु) के शिष्य थे, और हिमालय पर्वत में ही उनकी रौशनी का [[Special:MyLanguage/ The_Focus_of_Illumination|रौशनी का केंद्र]] है। वे [[Special:MyLanguage/ Garden_of_Eden|गार्डन ऑफ ईडन]] में रहनेवाले [[Special:MyLanguage/ Twin_flame|समरूप जोड़ी]] के गुरु थे। गार्डन ऑफ ईडन [[Special:MyLanguage/ Brotherhood|ब्रदरहुड]] का एक [[Special:MyLanguage/ mystery school|रहस्यवादी विद्यालय]] था, जो [[Special:MyLanguage/ Lemuria|लेमुरिया]] पर स्थित था, इस स्थान पर आज सैन डिएगो है। यह दुनिया का सबसे पहला रहस्यवादी विद्यालय था, और मैत्रेय, जिन्हे भगवान के रूप में संदर्भित किया जाता है, यहाँ के प्रथम प्रधान थे।
मैत्रेय [[Special:MyLanguage/Lord Himalaya|हिमालय]] (चौथी मूल प्रजाति के मनु) के शिष्य थे, और हिमालय पर्वत में ही उनकी रौशनी का [[Special:MyLanguage/The Focus of Illumination|रौशनी का केंद्र]] है। वे [[Special:MyLanguage/Garden of Eden|गार्डन ऑफ ईडन]] में रहनेवाले [[Special:MyLanguage/Twin flame|समरूप जोड़ी]] के गुरु थे। गार्डन ऑफ ईडन [[Special:MyLanguage/Brotherhood|ब्रदरहुड]] का एक [[Special:MyLanguage/mystery school|रहस्यवादी विद्यालय]] था, जो [[Special:MyLanguage/Lemuria|लेमुरिया]] पर स्थित था, इस स्थान पर आज सैन डिएगो है। यह दुनिया का सबसे पहला रहस्यवादी विद्यालय था, और मैत्रेय, जिन्हे भगवान के रूप में संदर्भित किया जाता है, यहाँ के प्रथम प्रधान थे।


स्वतंत्र इच्छा और पवित्र अग्नि के दुरुपयोग के कारण गार्डन ऑफ ईडन से स्त्री और पुरुष दोनों का निष्कासन कर दिया गया। उस वक्त से ही श्वेत महासंघ रहस्यवादी विद्यालयों और आश्रय स्थलों चला रहे हैं  - ये पवित्र अग्नि के ज्ञानकोष हैं। जब जब समरूप जोड़ी ने जीवन के वृक्ष के मार्ग को बनाए रखने के अनुरूप अनुशासन का प्रदर्शन किया है, तब तब उन्हें पवित्र अग्नि का ज्ञान एक साक्ष्य के रूप में दिया गया है। [[Special:MyLanguage/Essenes|एसेन संप्रदाय]] और [[Special:MyLanguage/Pythagoras|पाइथागोरस]] द्वारा संचालित [[Special:MyLanguage/Crotona|क्रोटोना विद्यालय]], दोनों ही प्राचीन रहस्यों के भण्डारगृह के सामान थे।
स्वतंत्र इच्छा और पवित्र अग्नि के दुरुपयोग के कारण गार्डन ऑफ ईडन से स्त्री और पुरुष दोनों का निष्कासन कर दिया गया। उस वक्त से ही श्वेत महासंघ रहस्यवादी विद्यालयों और आश्रय स्थलों चला रहे हैं  - ये पवित्र अग्नि के ज्ञानकोष हैं। जब जब समरूप जोड़ी ने जीवन के वृक्ष के मार्ग को बनाए रखने के अनुरूप अनुशासन का प्रदर्शन किया है, तब तब उन्हें पवित्र अग्नि का ज्ञान एक साक्ष्य के रूप में दिया गया है। [[Special:MyLanguage/Essenes|एसेन संप्रदाय]] और [[Special:MyLanguage/Pythagoras|पाइथागोरस]] द्वारा संचालित [[Special:MyLanguage/Crotona|क्रोटोना विद्यालय]], दोनों ही प्राचीन रहस्यों के भण्डारगृह के सामान थे।
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नष्ट हुए इन विद्यालयों को इनके आयोजक दिव्यगुरूओं ने अपने [[Special:MyLanguage/etheric plane|आकाशीय आश्रय स्थलों]] में ले लिया, और इन स्थानों से अपनी पवित्र लौ भी हटा  ली। इन आकाशीय विद्यालयों में दिव्यगुरु अपने शिष्यों को दिव्य आत्म-ज्ञान की शिक्षा देते हैं - दो जन्मों के बीच के समय में तथा निद्रा समय में या [[Special:MyLanguage/samadhi|समाधी]] लेते वक्त उनके सूक्ष्म शरीरों को आकाशीय स्तर में स्थित इन विद्यालयों में ले जाकर। बीसवीं सदी में [[Special:MyLanguage/Saint Germain|संत जर्मैन]] के आने से पहले तक भौतिक स्तर पर यह ज्ञान मनुष्य के लिए उपलब्ध नहीं था। मैत्रेय ने बताया है कि इस समय बाहरी दुनिया ही एकांतवास बन गई है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति अपनी दीक्षा लेगा, और इन्हें पार करते हुए, अपनी शाश्वत स्वतंत्रता प्राप्त करेगा।
नष्ट हुए इन विद्यालयों को इनके आयोजक दिव्यगुरूओं ने अपने [[Special:MyLanguage/etheric plane|आकाशीय आश्रय स्थलों]] में ले लिया, और इन स्थानों से अपनी पवित्र लौ भी हटा  ली। इन आकाशीय विद्यालयों में दिव्यगुरु अपने शिष्यों को दिव्य आत्म-ज्ञान की शिक्षा देते हैं - दो जन्मों के बीच के समय में तथा निद्रा समय में या [[Special:MyLanguage/samadhi|समाधी]] लेते वक्त उनके सूक्ष्म शरीरों को आकाशीय स्तर में स्थित इन विद्यालयों में ले जाकर। बीसवीं सदी में [[Special:MyLanguage/Saint Germain|संत जर्मैन]] के आने से पहले तक भौतिक स्तर पर यह ज्ञान मनुष्य के लिए उपलब्ध नहीं था। मैत्रेय ने बताया है कि इस समय बाहरी दुनिया ही एकांतवास बन गई है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति अपनी दीक्षा लेगा, और इन्हें पार करते हुए, अपनी शाश्वत स्वतंत्रता प्राप्त करेगा।


=== The Mystery School come again ===
<span id="The_Mystery_School_come_again"></span>
=== रहसयवादी विद्यालय फिर से खुला ===


{{Main|Maitreya’s Mystery School}}
{{main-hi|Maitreya’s Mystery School|मैत्रेय का रहसयवादी विद्यालय}}


The long-awaited “Coming Buddha,” Maitreya has indeed come to reopen his Mystery School to assist Saint Germain and [[Special:MyLanguage/Portia|Portia]], twin flames of the [[Special:MyLanguage/seventh ray|seventh ray]] and hierarchs of [[Special:MyLanguage/Aquarian age|Aquarius]], to usher in the New Age. On May 31, 1984, he dedicated the [[Special:MyLanguage/Heart of the Inner Retreat|Heart of the Inner Retreat]] and the entire [[Special:MyLanguage/Royal Teton Ranch|Royal Teton Ranch]] to the path and teaching of the Cosmic Christ in order that those who departed from his tutelage, going the way of Serpents (the fallen angels who led [[Special:MyLanguage/Eve|Eve]] astray), might be restored and the children of the light follow the Son of God in the regeneration.
मैत्रेय, जिन्हें "कमिंग बुद्धा" भी कहा जाता है, की एक लम्बे समय से प्रतीक्षा हो रही थी। वे वास्तव में रहस्यवादी विद्यालय खोलने के लिए कुम्भ युग के प्रधान संत जर्मेन और उनकी समरूप जोड़ी [[Special:MyLanguage/Portia|पोर्टिया]] की सहायता करने के लिए आये हैं, जिससे कि एक नए युग की शुरूआत हो सके। संत जर्मेन और पोर्टिया [[Special:MyLanguage/seventh ray|सातवीं किरण]] के स्वामी भी हैं। ३१ मई १९८४ को, उन्होंने [[Special:MyLanguage/Heart of the Inner Retreat|हार्ट ऑफ द इनर रिट्रीट]] और संपूर्ण [[Special:MyLanguage/Royal Teton Ranch|रॉयल टेटन रेंच]] को इस पथ के लिए समर्पित कर दिया ताकि जो लोग पथभ्रष्ट देवदूतों के प्रभाव में आकर ईश्वर के बताये रास्ते से विमुख हो गए थे, उन्हें पुनः आध्यात्मिक ज्ञान के मार्ग पर लाया जा सके।


[[File:Jack Spurling-clipper ship Argonaut.jpg|thumb|upright|A clipper ship]]
[[File:Jack Spurling-clipper ship Argonaut.jpg|thumb|upright|एक पनसुई नाव]]


== Retreats ==
<div lang="en" dir="ltr" class="mw-content-ltr">
== His twin flame ==
</div>


{{main|The Focus of Illumination}}
<div lang="en" dir="ltr" class="mw-content-ltr">
On December 31, 1985, Maitreya spoke of his [[twin flame]]:
</div>


{{main|Maitreya's retreat over Tientsin, China}}
<div lang="en" dir="ltr" class="mw-content-ltr">
<blockquote>
Beloved of the Light, my twin flame is present. I ask you to stand in honor of the glorious being of Light who is my divine complement. Thus the aura of my feminine counterpart does expand and expand and expand.
</div>


As well as the Focus of Illumination, his retreat in the Himalayas, Maitreya maintains an etheric retreat over Tientsin, China, southeast of Peking (Beijing). With Lord Gautama he also teaches students seeking to graduate from earth’s schoolroom at the [[Special:MyLanguage/Shamballa|Eastern]] and [[Special:MyLanguage/Western Shamballa|Western Shamballa]] and at the [[Special:MyLanguage/Royal Teton Retreat|Royal Teton Retreat]].
<div lang="en" dir="ltr" class="mw-content-ltr">
And this [[Shakti]] of Light therefore does continue to propel the incisiveness of the yellow fire into the brain, into the chakras, into the crown thereof, so that the enlightenment of all of the [[seven rays]] may come to you and so that those who are on the blue ray may understand that in the heart of that ray is the multiplication of the threefold flame....
</div>


<div lang="en" dir="ltr" class="mw-content-ltr">
The world is waiting for Maitreya and Maitreya’s co-workers and servants. And they are also waiting for my twin flame, whom they know not. Thus, out of the octaves of nirvana she has descended in a golden orb of Light. And you will see how this presence of my beloved will multiply my action in your behalf.<ref>Lord Maitreya, “I Draw the Line!” {{POWref|29|19|, May 11, 1986}}</ref>
</blockquote>
</div>
<span id="Retreats"></span>
== आश्रयस्थल ==
{{main-hi|The Focus of Illumination|
फोकस ऑफ इल्लुमिनेशन}}
{{main-hi|Maitreya's retreat over Tientsin, China|चीन के शहर टिंटसिन के ऊपर मैत्रेय का आश्रय स्थल}}
हिमालय में फोकस ऑफ इल्लुमिनेशन नामक आकाशीय आश्रय स्थल के साथ-साथ मैत्रेय का एक और आकाशीय आश्रय स्थल है जो कि चीन के दक्षिण-पूर्व में पीकिंग (बीजिंग ) के एक शहर में टिंटसिन पर है। साथ ही, गौतम बुद्ध के साथ वे [[Special:MyLanguage/Shamballa|पूर्वी शंबाला]], [[Special:MyLanguage/Western Shamballa|पश्चिमी शंबाला]] और [[Special:MyLanguage/Royal Teton Retreat|रॉयल टीटन रिट्रीट]] में उन लोगों को पढ़ाते हैं जो पृथ्वी पर आने के होने जन्मचक्र जो समाप्त कर ऊपरी स्तरों में जाना चाहते हैं।
<div lang="en" dir="ltr" class="mw-content-ltr">
As the sponsor of twin flames, he is the friend of all initiates of the sacred fire. When called upon, he will give the illumination of the Christ and the strength of the Word to pass the initiations that come under his sponsorship.
As the sponsor of twin flames, he is the friend of all initiates of the sacred fire. When called upon, he will give the illumination of the Christ and the strength of the Word to pass the initiations that come under his sponsorship.
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His banner is the thoughtform of a mighty [[Special:MyLanguage/Clipper ship|clipper ship]] as it comes in with the tides at eventide to fetch souls of mankind to take them to another shore. His musical [[Special:MyLanguage/Keynote|keynote]] is “Ah, Sweet Mystery of Life.”
इनका झंडा एक शक्तिशाली [[Special:MyLanguage/Clipper ship|पनसुई नाव]] का विचार रूप है, जो मानवीय आत्माओं को दूसरे छोर पर पहुंचाने के लिए समुद्री ज्वार के साथ आता है। इनका [[Special:MyLanguage/Keynote|मूल राग]] "आह, स्वीट मिस्ट्री ऑफ लाइफ" है।


== For more information ==
<span id="For_more_information"></span>
== अधिक जानकारी के लिए ==


{{MOI}}
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== Sources ==
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== स्रोत ==


{{MTR}}, s.v. “Lord Maitreya.”
{{MTR}} s.v. "मैत्रेय"


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<references />
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Latest revision as of 06:30, 31 December 2024

Other languages:
मैत्रेय भगवान

मैत्रेय भगवान ब्रह्मांडीय आत्मा और प्लैनेटरी बुद्ध का पद संभालते हैं। मैत्रेय संस्कृत शब्द मैत्री से लिया गया है, जिसका अर्थ है "प्रेम से परिपूर्ण दया"। मैत्रेय पृथ्वीवासियों के आध्यात्मिक उत्थान के लिए ब्रह्मांडीय आत्मा की प्रभा को केंद्रित करते हैं। ये शुक्र ग्रह से जनवरी १, १९५६ को पृथ्वी के संरक्षक बनकर आये थे - उस दिन गौतम बुद्ध ने विश्व के स्वामी होने की पदवी संभाली थी, और मैत्रेय ने गौतम बुद्ध के स्थान पर ब्रह्मांडीय आत्मा की। यह सब रॉयल टेटन पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हुआ था। मैत्रेय का काम पृथ्वी पर होने वाले संभावित बदलाव, पथभ्रष्ट देवदूतों के आवागमन तथा ईश्वर के रास्ते पर चलनेवाले व्यक्तियों के आध्यात्मिक उत्थान पर नज़र रखना है।

पृथ्वी पर ऐसे अनेक बुद्ध हुए हैं जिन्होंने बोधिसत्व के मार्ग के माध्यम से मानव जाति के विकास में योगदान दिया है। ब्रह्मांडीय आत्मा भगवान मैत्रेय बुद्ध की दीक्षाओं से गुजर चुके हैं। वह इस युग में उन सभी को शिक्षा देने के लिए आए हैं जो महान गुरु सनत कुमार के मार्ग से भटक गए हैं। गौतम बुध और भगवन मैत्रेय दोनों सनत कुमार के ही वंशज हैं।

इतिहास में मैत्रेय का ज़िक्र

चीन, जापान तिब्बत और मंगोलिया समेत पूरे एशिया में मैत्रेय की पूजा की जाती है। इन सभी स्थानों पर बौद्ध धर्म के अनुयायी मैत्रेय को एक "करुणामय कृपालु व्यक्ति" और आने वाले बुद्ध के रूप में पूजते हैं। बौद्ध धर्म के अलावा अन्य संस्कृतियों और धार्मिक संप्रदायों में भी मैत्रेय विभिन्न प्रकार से जाने जाते हैं। कहीं ये धर्म के संरक्षक और पुनर्स्थापक हैं, तो कहीं धर्म के मध्यस्थ और रक्षक। ये एक ऐसे गुरु हैं जो अपने सभी भक्तों से व्यक्तिगत तौर पर बात करते हैं, तथा उन्हें दीक्षा और ज्ञान देते हैं। मैत्रेय दिव्य माँ द्वारा भेजे गए एक दूत हैं जिन्हें माँ ने अपने बच्चों को बचाने के लिए भेजा है। इन्हें ज़ेन लाफिंग बुद्धा भी कहते हैं।

बौद्ध विद्वान इवांस-वेंट्ज़ ने मैत्रेय का वर्णन एक "बौद्ध मसीहा" के रूप में किया है - एक ऐसा मसीहा जो अपने दिव्य प्रेम की शक्ति से पूरी दुनिया को पुनर्जीवित करेगा, और सार्वभौमिक शांति और भाईचारे के एक नए युग की शुरुआत करेगा। ये अभी तुशिता स्वर्ग में हैं, जहां से पृथ्वी पर उतरकर ये मनुष्यों के बीच जन्म लेंगे और ठीक उसी प्रकार से बुद्ध बनेंगे जैसे गौतम बने थे। गौतम बुद्ध की तरह ही मैत्रेय भी बौद्ध धर्म के इतिहास और पूर्व में होने वाले बुद्धों की जानकारी लोगों को देंगे और मुक्ति प्रदान करने वाले इस मार्ग को नए सिरे से प्रकट करेंगे।[1]

"हेम्प-बैग बोन्ज़"

The Hemp-bag Bonze lying on a sheet being held up by four children
"हेम्प-बैग बोन्ज़" जापान, सत्रहवीं शताब्दी

चीनी बौद्ध धर्म में, भगवान मैत्रेय को कभी-कभी "हेम्प-बैग बोन्ज़" (जूट के थैले वाले भिक्षु) के रूप में चित्रित किया जाता है। ("बोन्ज़" एक बौद्ध भिक्षु है।) इस भूमिका में, मैत्रेय एक हृष्ट-पुष्ट तथा हंसमुख, मोटे-पेट वाले, लाफिंग बुद्ध के रूप में दिखाई देते हैं। उन्हें अक्सर अपना थैला पकड़े हुए बच्चों के बीच बैठा दिखाया जाता है - खुश बच्चे उसके ऊपर चढ़े हुए हैं। चीनियों के लिए मैत्रेय समृद्धि, भौतिक संपदा और आध्यात्मिक संतुष्टि का प्रतिनिधित्व करते हैं। बच्चे एक बड़े परिवार को दर्शाते हैं।

मैत्रेय के इस चित्रण के बारे में बौद्ध विद्वान केनेथ चेन का कहना है:

जूट का थैला जो वे हमेशा अपने साथ रखते थे, उन्हें एक अलग पहचान देता था। जो कुछ भी उन्हें मिलता था, उसे वे इस थैले में डाल देते, और इसी कारणवश ये थैला सबके लिए कौतुहल का विषय बन गया था, विशेषकर बच्चों में इसके प्रति काफी उत्सुकता थी। बच्चे मैत्रेय का पीछा करते, उनके ऊपर चढ़ जाते, और उन्हें अपना थैला खोलने के लिए मजबूर करते। ऐसे में मैत्रेय उस थैले को जमीन पर रख, एक-एक करके सारा सामान निकालकर बाहर रख देते, और फिर विधिपूर्वक सब वापस थैले में डाल देते। मैत्रेय के चेहरे के हाव-भाव काफी रहस्यमय थे और ये भाव उनकी [ज़ेन] (धीरता) को प्रदर्शित करते थे... एक बार एक भिक्षु ने उनसे थैले के बारे में पूछ लिया। उत्तर में मैत्रेय ने थैले को जमीन पर रख दिया। जब भिक्षु ने उनसे पूछा कि इसका क्या मतलब है, तो उन्होंने थैला उठाया, कंधे पर रखा और चल दिए। एक बार किसी ने उनसे पूछा कि थैला कितना पुराना है, तो उन्होंने जवाब दिया कि थैला अंतरिक्ष जितना पुराना है।[2]

यह थैला अंतरिक्ष के रहस्य और बुद्ध के प्रभुत्व के अंतर्गत अंतरिक्ष के चमत्कार को दर्शाता है। इसकी कालातीतता अनंत कालखंडों पर बुद्ध की प्रवीणता को दर्शाती है - अर्थात माँ की लौ के माध्यम से यह स्वयं अनंत काल को दर्शाता है।

सनत कुमार की वंशावली

समस्त मानवजाति में से जो दो लोग सबसे पहले सनत कुमार के खिंचाव को महसूस कर अपने दिव्य ईश्वरीय स्वरुप में वापिस लौटे वे गौतम बुद्ध और मैत्रेय हैं।

फिर वह समय आया जब पृथ्वी पर 'विश्वव्यापी बुद्ध' के रूप में काम करने वाले ने पृथ्वी को छोड़ अपनी ग्रह श्रृंखला में वापिस लौटने का फैसला किया। उनके ऐसा करने से पृथ्वी के विश्ववयापी बुद्ध का कार्यालय रिक्त हो गया। तब मैत्रेय ने इस पद को प्राप्त करने हेतु आवश्यक दीक्षाओं के लिए आवेदन पत्र दिया। यह पद हासिल करने के लिए उन्होंने कई सदियों तक आत्म-अनुशासन और समर्पण में प्रशिक्षण लिया और निपुणता हासिल की। प्रशिक्षण के दौरान गौतम बुद्ध उनके सहपाठी थे, और गौतम ने ही सबसे पहले बौद्ध की उपाधि हासिल की थी, मैत्रेय को उनके बाद का पद - विश्व शिक्षक- मिला।

विश्व शिक्षक के रूप में मैत्रेय का काम प्रत्येक दो-हजार साल के चक्र के लिए ऐसी आध्यात्मिक शिक्षा तैयार करना है जो उस अवधि के मानव के लिए सबसे आवश्यक है। मैत्रेय आध्यात्मिक शिक्षा के काबिल और इच्छुक मनुष्यों की मध्यस्थता करते हैं ताकि मनुष्य अपने ईश्वरीय स्वरुप को पहचान पाए और इस भौतिक संसार में चैतन्य आत्मा के कार्य कर पाए।

मैत्रेय जीसस के शिक्षक हैं, जो कुथुमी के साथ मिलकर इस समय विश्व शिक्षक का पद संभाल रहे हैं। मैत्रेय मानवता की ओर से मानव प्रयास के सभी क्षेत्रों में ईसा मसीह की ब्रह्मांडीय चेतना और पूरे ब्रह्मांड में इसकी सार्वभौमिकता का प्रदर्शन करते हैं। उन्हें एक महान गुरु के रूप में जाना जाता है, और वे पृथ्वी पर ईसा मसीह के अंतिम जन्म के दौरान उनके गुरु थे।

मैत्रेय का रहस्यवादी विद्यालय

मैत्रेय हिमालय (चौथी मूल प्रजाति के मनु) के शिष्य थे, और हिमालय पर्वत में ही उनकी रौशनी का रौशनी का केंद्र है। वे गार्डन ऑफ ईडन में रहनेवाले समरूप जोड़ी के गुरु थे। गार्डन ऑफ ईडन ब्रदरहुड का एक रहस्यवादी विद्यालय था, जो लेमुरिया पर स्थित था, इस स्थान पर आज सैन डिएगो है। यह दुनिया का सबसे पहला रहस्यवादी विद्यालय था, और मैत्रेय, जिन्हे भगवान के रूप में संदर्भित किया जाता है, यहाँ के प्रथम प्रधान थे।

स्वतंत्र इच्छा और पवित्र अग्नि के दुरुपयोग के कारण गार्डन ऑफ ईडन से स्त्री और पुरुष दोनों का निष्कासन कर दिया गया। उस वक्त से ही श्वेत महासंघ रहस्यवादी विद्यालयों और आश्रय स्थलों चला रहे हैं - ये पवित्र अग्नि के ज्ञानकोष हैं। जब जब समरूप जोड़ी ने जीवन के वृक्ष के मार्ग को बनाए रखने के अनुरूप अनुशासन का प्रदर्शन किया है, तब तब उन्हें पवित्र अग्नि का ज्ञान एक साक्ष्य के रूप में दिया गया है। एसेन संप्रदाय और पाइथागोरस द्वारा संचालित क्रोटोना विद्यालय, दोनों ही प्राचीन रहस्यों के भण्डारगृह के सामान थे।

लेमुरिया और अटलांटिस के डूबने के बाद वहां स्थापित किए गए रहस्यवादी विद्यालयों को चीन, भारत और तिब्बत के साथ-साथ यूरोप, अमेरिका और प्रशांत अग्नि वलय में स्थानांतरित कर दिया गया था। ब्रदरहुड ने इन्हें वहां हज़ारों वर्षों तक बनाए रखा, परन्तु समय के साथब फैलने वाले अज्ञान के अन्धकार ने एक-एक करके इन विद्यालयों को समाप्त कर दिया।

नष्ट हुए इन विद्यालयों को इनके आयोजक दिव्यगुरूओं ने अपने आकाशीय आश्रय स्थलों में ले लिया, और इन स्थानों से अपनी पवित्र लौ भी हटा ली। इन आकाशीय विद्यालयों में दिव्यगुरु अपने शिष्यों को दिव्य आत्म-ज्ञान की शिक्षा देते हैं - दो जन्मों के बीच के समय में तथा निद्रा समय में या समाधी लेते वक्त उनके सूक्ष्म शरीरों को आकाशीय स्तर में स्थित इन विद्यालयों में ले जाकर। बीसवीं सदी में संत जर्मैन के आने से पहले तक भौतिक स्तर पर यह ज्ञान मनुष्य के लिए उपलब्ध नहीं था। मैत्रेय ने बताया है कि इस समय बाहरी दुनिया ही एकांतवास बन गई है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति अपनी दीक्षा लेगा, और इन्हें पार करते हुए, अपनी शाश्वत स्वतंत्रता प्राप्त करेगा।

रहसयवादी विद्यालय फिर से खुला

मुख्य लेख: मैत्रेय का रहसयवादी विद्यालय

मैत्रेय, जिन्हें "कमिंग बुद्धा" भी कहा जाता है, की एक लम्बे समय से प्रतीक्षा हो रही थी। वे वास्तव में रहस्यवादी विद्यालय खोलने के लिए कुम्भ युग के प्रधान संत जर्मेन और उनकी समरूप जोड़ी पोर्टिया की सहायता करने के लिए आये हैं, जिससे कि एक नए युग की शुरूआत हो सके। संत जर्मेन और पोर्टिया सातवीं किरण के स्वामी भी हैं। ३१ मई १९८४ को, उन्होंने हार्ट ऑफ द इनर रिट्रीट और संपूर्ण रॉयल टेटन रेंच को इस पथ के लिए समर्पित कर दिया ताकि जो लोग पथभ्रष्ट देवदूतों के प्रभाव में आकर ईश्वर के बताये रास्ते से विमुख हो गए थे, उन्हें पुनः आध्यात्मिक ज्ञान के मार्ग पर लाया जा सके।

एक पनसुई नाव

His twin flame

On December 31, 1985, Maitreya spoke of his twin flame:

Beloved of the Light, my twin flame is present. I ask you to stand in honor of the glorious being of Light who is my divine complement. Thus the aura of my feminine counterpart does expand and expand and expand.

And this Shakti of Light therefore does continue to propel the incisiveness of the yellow fire into the brain, into the chakras, into the crown thereof, so that the enlightenment of all of the seven rays may come to you and so that those who are on the blue ray may understand that in the heart of that ray is the multiplication of the threefold flame....

The world is waiting for Maitreya and Maitreya’s co-workers and servants. And they are also waiting for my twin flame, whom they know not. Thus, out of the octaves of nirvana she has descended in a golden orb of Light. And you will see how this presence of my beloved will multiply my action in your behalf.[3]

आश्रयस्थल

मुख्य लेख: फोकस ऑफ इल्लुमिनेशन

मुख्य लेख: चीन के शहर टिंटसिन के ऊपर मैत्रेय का आश्रय स्थल

हिमालय में फोकस ऑफ इल्लुमिनेशन नामक आकाशीय आश्रय स्थल के साथ-साथ मैत्रेय का एक और आकाशीय आश्रय स्थल है जो कि चीन के दक्षिण-पूर्व में पीकिंग (बीजिंग ) के एक शहर में टिंटसिन पर है। साथ ही, गौतम बुद्ध के साथ वे पूर्वी शंबाला, पश्चिमी शंबाला और रॉयल टीटन रिट्रीट में उन लोगों को पढ़ाते हैं जो पृथ्वी पर आने के होने जन्मचक्र जो समाप्त कर ऊपरी स्तरों में जाना चाहते हैं।

As the sponsor of twin flames, he is the friend of all initiates of the sacred fire. When called upon, he will give the illumination of the Christ and the strength of the Word to pass the initiations that come under his sponsorship.

इनका झंडा एक शक्तिशाली पनसुई नाव का विचार रूप है, जो मानवीय आत्माओं को दूसरे छोर पर पहुंचाने के लिए समुद्री ज्वार के साथ आता है। इनका मूल राग "आह, स्वीट मिस्ट्री ऑफ लाइफ" है।

अधिक जानकारी के लिए

Elizabeth Clare Prophet, Maitreya on Initiation

स्रोत

Mark L. Prophet and Elizabeth Clare Prophet, The Masters and Their Retreats s.v. "मैत्रेय"

  1. डब्ल्यू. वाई. इवांस-वेंट्ज़, संस्करण द तिब्बतन बुक ऑफ द ग्रेट लिबरेशन (लंदन: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, १९५४) पृष्ठ xxvii(२७)
  2. केनेथ के.एस. चेन, बुद्धिज़्म इन चाइना: ऐ हिस्टोरिकल सर्वे (प्रिंसटन, एन.जे.: प्रिंसटन यूनिवर्सिटी प्रेस, १९६४ ), पृष्ठ ४०५-६
  3. Lord Maitreya, “I Draw the Line!” Pearls of Wisdom, vol. 29, no. 19, May 11, 1986.